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घग्गर नदी का जल स्नान हेतु असुरक्षित: NGT पैनल

Lokesh Pal February 01, 2025 03:20 26 0

संदर्भ 

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा गठित एक संयुक्त समिति ने पाया है कि घग्गर नदी के जल में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) की निर्धारित सीमा दो से तीन गुना अधिक है, जो इसके जल को स्नान हेतु अनुपयुक्त बनाता है।

घग्गर नदी में जल गुणवत्ता के मुद्दे

बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) स्तर

  • वर्तमान स्थिति: घग्गर नदी में pH स्तर स्नान मानकों के अनुरूप है, लेकिन BOD स्तर स्नान जल मानकों का पालन करने में विफल रहता है।
  • निहितार्थ: उच्च BOD स्तर अत्यधिक कार्बनिक प्रदूषकों की उपस्थिति का संकेत देते हैं, जैसे– अनुपचारित सीवेज, कृषि अपवाह या औद्योगिक अपशिष्ट।
  • इससे घुलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen-DO) की कमी हो जाती है, जिससे जल जलीय जीवन एवं स्नान जैसी गतिविधियों के लिए अनुपयुक्त हो जाता है।

टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (Total Suspended Solids- TSS)

  • परिभाषा: TSS जल में सस्पेंडेड सॉलिड पार्टिकल (जैसे- गाद, कार्बनिक पदार्थ, शैवाल एवं औद्योगिक अपशिष्ट) की मात्रा को संदर्भित करता है।
  • वर्तमान स्थिति: घग्गर नदी में TSS का स्तर पर्यावरणीय निर्वहन सीमा से अधिक है।
  • प्रभाव: उच्च TSS सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करता है, प्रकाश संश्लेषण को कम करता है एवं जलीय जीवन को नुकसान पहुँचाता है।
  • स्रोत: TSS के स्रोतों में मिट्टी का कटाव, अनुपचारित औद्योगिक निर्वहन एवं शहरी अपवाह शामिल हैं।

घुलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen- DO)

  • परिभाषा: DO नदी प्रणालियों में उपलब्ध मुक्त ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है।
  • घग्गर नदी में DO को प्रभावित करने वाले कारक
    • सतही विक्षोभ (Surface Turbulence): धीमे प्रवाह या ठहराव के कारण सीमित।
    • प्रकाश संश्लेषक गतिविधियाँ: उच्च TSS द्वारा सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करने के कारण कम हो गई।
    • O2 की खपत: जैविक अपशिष्ट को विघटित करने वाले बैक्टीरिया द्वारा वृद्धि।
    • कार्बनिक पदार्थ का अपघटन: उच्च BOD महत्त्वपूर्ण कार्बनिक अपशिष्ट को इंगित करता है, जो DO को और कम करता है।
  • निम्न DO का प्रभाव: निम्न DO स्तर नदी को मछली एवं अन्य जलीय जीवों के लिए निर्जन बना देता है, जिससे पारिस्थितिकी असंतुलन उत्पन्न होता है।
    • कार्बनिक एवं अकार्बनिक अपशिष्ट की उपस्थिति से DO का स्तर कम हो जाता है, जिससे जल की गुणवत्ता खराब हो जाती है तथा जलीय जीवन खतरे में पड़ जाता है।

बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) के बारे में

  • परिभाषा: BOD जल में कार्बनिक अपशिष्टों को विघटित करने के लिए बैक्टीरिया द्वारा आवश्यक घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है। इसे प्रति लीटर जल में मिलीग्राम ऑक्सीजन में व्यक्त किया जाता है।

  • BOD का महत्त्व
    • जल प्रदूषण का संकेत: उच्च BOD अधिक कार्बनिक प्रदूषकों का संकेत देता है, जिससे जल की गुणवत्ता खराब होती है।
    • ऑक्सीजन की कमी के उपाय: बैक्टीरिया द्वारा अत्यधिक ऑक्सीजन की खपत DO को कम करती है, जिससे जलीय जीवन को नुकसान पहुँचता है।
    • अपशिष्ट जल उपचार: BOD का उपयोग सीवेज उपचार संयंत्रों (STPs) एवं अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (ETPs) की दक्षता का आकलन करने के लिए किया जाता है।

  • जल निकायों में उच्च BOD के कारण
    • अनुपचारित सीवेज (घरेलू अपशिष्ट जल) का निर्वहन।
    • जैविक अपशिष्ट युक्त औद्योगिक अपशिष्ट।
    • कृषि अपवाह (कीटनाशक, उर्वरक, पशु अपशिष्ट)।
    • क्षयकारी पादप सामग्री एवं मृत जलीय जीव।
    • स्लम बस्तियों का कचरा प्रत्यक्ष तौर पर जल में डाला जाता है।
  • उच्च BOD के परिणाम
    • जल में ऑक्सीजन की कमी, जिससे मछली एवं जलीय जीवों की मृत्यु हो रही है।
    • दुर्गंध एवं जल का विरंजन होना।
    • अतिरिक्त पोषक तत्त्वों के कारण शैवाल प्रस्फुटन होता है।
    • जलजनित रोगों का प्रसार।

घग्गर नदी के बारे में

  • प्रकृति: यह अस्थायी रूप से प्रवाहित होने वाली नदी है, जो केवल मानसून के मौसम में प्रवाहित होती है।
  • जलमार्ग: इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पहाड़ियों से होता है एवं थार रेगिस्तान में सूखने से पहले हरियाणा एवं राजस्थान से होकर प्रवाहित होती है।
  • सिंचाई: राजस्थान में विस्तृत दो सिंचाई नहरों को जल प्रदान करती है।
  • हाकरा नदी से संबंध: पाकिस्तान में हाकरा नदी को भारत में घग्गर नदी की निरंतरता माना जाता है। 
    • इन्हें संयुक्त रूप से घग्गर-हाकरा नदी कहा जाता है।

  • मुख्य सहायक नदियाँ: कौशल्या नदी, मारकंडा, सरसुती, टांगरी एवं चौतांग।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: इसके किनारे सिंधु घाटी सभ्यता की कई बस्तियों की खुदाई की गई है। संबंधित प्रमुख पुरातात्त्विक स्थल हैं:-
    • कालीबंगन: राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर नदी के तट पर अवस्थित है।
    • राखीगढ़ी: हरियाणा के हिसार जिले में घग्गर-हाकरा नदी के मैदान में अवस्थित है।
    • बनावली: हरियाणा के फतेहाबाद जिले में सरस्वती नदी के काल्पनिक तल पर स्थित है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: घग्गर नदी को ऋग्वेद में वर्णित लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी माना जाता है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT)

  • स्थापना: पर्यावरण संरक्षण एवं संरक्षण मामलों के प्रभावी एवं शीघ्र निपटान के लिए NGT अधिनियम 2010 के तहत वर्ष 2010 में स्थापित किया गया।
  • मुख्यालय: भोपाल, पुणे, कोलकाता, चेन्नई में क्षेत्रीय पीठों के साथ दिल्ली में मुख्यालय।

संघटन 

  • इसमें एक अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य एवं विशेषज्ञ सदस्य शामिल हैं।
  • अध्यक्ष: सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश।
    • पाँच वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक सेवा करता है।
    • भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • 5 वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त सदस्य, पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं।
  • चयन समिति द्वारा नियुक्त न्यायिक एवं विशेषज्ञ सदस्य।
  • क्षमता: न्यूनतम 10 सदस्य तथा अधिकतम 20 सदस्य।

शक्तियाँ एवं कार्य

  • पर्यावरणीय मामलों के शीघ्र निस्तारण हेतु गठित।
  • विधिक न्यायालय की तरह अपीलीय क्षेत्राधिकार रखता है।
  • सिविल प्रक्रिया संहिता से संबद्ध नहीं, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करता है।
  • किसी भी मामले के संज्ञान में आने के 6 महीने के भीतर मामलों का निपटारा करने का आदेश दिया जाता है।

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