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चरम जलवायु घटनाओं के कारण दक्षिण-पश्चिम तट पर होने वाले प्रभाव

Lokesh Pal February 01, 2025 03:52 112 0

संदर्भ 

‘कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ (Cusat), ‘यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर द एक्सप्लॉइटेशन’ (EUMETSAT) और ‘यू.के. मेट ऑफिस’ के शोधकर्ताओं की एक टीम के एक अध्ययन के अनुसार, भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही हैं।

संबंधित तथ्य

  • शोध में भारत के पश्चिमी तट पर वर्ष 1990 से 2023 तक मानसूनी वर्षा के आँकड़ों का विश्लेषण किया गया। जिससे पता चला है कि वर्षा में वृद्धि दर प्रति सीजन 0.23 मिमी. है।
  • इसने अवलोकन संबंधी रिकॉर्ड, पुनर्विश्लेषण डेटा एवं समुद्री सतही तापमान (SST) संबंधी आँकड़ों का विश्लेषण किया है।
  • अध्ययन इस तथ्य पर केंद्रित है कि आर्द्रता प्रवाह (वायुमंडल में नमी की गति) वर्षा के पैटर्न को कैसे प्रभावित करता है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • अत्यधिक वर्षा का कारण
    • यह प्रवृत्ति दक्षिण-पूर्व अरब सागर में बढ़ते समुद्री सतही तापमान (SSTs) से संबंधित है, जो क्षेत्र में आर्द्रता के प्रवाह एवं मात्रा को बढ़ा रही है।
    • वर्ष 2014 के बाद से, इस क्षेत्र में SSTs 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक बना हुआ है, जिससे वायु में आर्द्रता की मात्रा अधिक हुई है, जिससे अत्यधिक वर्षा जैसी चरम स्थिति उत्पन्न हो रही है।
    • दक्षिण-पश्चिम तट (विशेषकर केरल) इन परिवर्तनों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
  • उत्तर-पश्चिमी तट से भिन्नता: उत्तर-पश्चिमी तट पर समान रूप से अत्यधिक वर्षा की स्थिति नहीं देखी गई है, लेकिन तीव्र वायु के मद्देनजर आने वाली नमी के प्रवाह के कारण औसत मानसूनी वर्षा में वृद्धि दर्ज की गई है।
  • अरब सागर, बंगाल की खाड़ी से भी अधिक तेजी से गर्म हो रहा है।
    • अध्ययन में पाया गया कि अरब सागर बंगाल की खाड़ी की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है।
      • वर्ष 2006 से, SST एवं नमी परिवहन के बीच एक मजबूत संबंध रहा है।
    • वर्ष 2006 से पूर्व, SST एवं नमी प्रवाह के बीच संबंध नकारात्मक था, लेकिन वर्ष 2007 एवं वर्ष 2023 के बीच यह 0.71 तक मजबूत हो गया।

समुद्री सतही तापमान (SST) क्या है?

  • SST समुद्र की सतह के तापमान को संदर्भित करता है, इसे महासागरों, समुद्रों एवं बड़ी झीलों में मापा जाता है।
  • यह मौसम, जलवायु परिवर्तन एवं समुद्री जीवन का अध्ययन करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
  • SST का महत्त्व 
    • मौसम एवं जलवायु पर प्रभाव
      • झंझावत एवं चक्रवात: SST में वृद्धि तूफान, हरिकेन तथा मानसून के प्रभावी होने लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
      • मानसून पैटर्न: SST वर्षा वितरण को प्रभावित करते हैं, विशेषकर भारत जैसे क्षेत्रों में।
  • जलवायु परिवर्तन संकेतक
    • SST में वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग का संकेत देती है, क्योंकि महासागर पृथ्वी की अधिकांश अतिरिक्त ऊष्मा को अवशोषित करते हैं।
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र
    • प्रवाल विरंजन: SST में तीव्र वृद्धि प्रवाल भित्तियों पर दवाब डालती है, जिससे इनमें विरंजन शुरू हो जाता है, जिसे प्रवाल विरंजन के रूप में जाना जाता है।
    • मत्यस्य संसाधनों की प्रकृति में बदलाव: SST में परिवर्तन से मत्स्य संसाधनों के प्रवासन, प्रजनन एवं अस्तित्व पर प्रभाव पड़ता है।
  • SST कैसे मापा जाता है?
    • उपग्रह प्रौद्योगिकी 
      • प्राथमिक विधि: उपग्रह समुद्र के तापमान पर वैश्विक, रियल टाइम डेटा प्रदान करते हैं।
      • प्रत्यक्ष उपकरण
        • बोय एवं जहाज: स्थानीयकृत, सटीक माप संगृहीत करना।
        • ड्रोन एवं सेंसर: आधुनिक उपकरण डेटा सटीकता को बढ़ाते हैं।
  • SST डेटा का उपयोग कैसे किया जाता है?
    • मौसम का पूर्वानुमान
      • समुद्री तूफान, चक्रवात एवं वर्षा पैटर्न का पूर्वानुमान करता है।
      • चरम मौसम की घटनाओं के लिए पूर्व चेतावनी जारी करने में मदद करता है।
    • जलवायु अनुसंधान
      • दीर्घकालिक वार्मिंग प्रवृत्तियों एवं महासागरीय पारिस्थितिकी स्थिति की निगरानी करता है।
      • SST वृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन प्रभावों के बीच अध्ययन लिंक प्रदान करता है।
    • मत्स्यन एवं समुद्री उद्योग
      • तापमान परिवर्तन के आधार पर मछुआरों को मत्स्य संसाधन समृद्ध क्षेत्रों में मार्गदर्शन करना।
      • जलीय कृषि उद्योगों को मत्स्यपालन का प्रबंधन करने में मदद करता है।

भारत का दक्षिण-पश्चिम तट 

  • इसे ‘मालाबार तट’ कहा जाता है।
  • यह आमतौर पर कोंकण क्षेत्र से कन्याकुमारी तक विस्तृत पश्चिमी तटरेखा को संदर्भित करता है, जिसमें गोवा, कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु राज्यों के कुछ हिस्से शामिल हैं। 
  • मालाबार तट के बारे में मुख्य तथ्य
    • भौगोलिक स्थिति: यह तटीय क्षेत्र अरब सागर पर स्थित है। 
    • सर्वाधिक आर्द्र क्षेत्र: भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक आर्द्र क्षेत्रों में से एक माना जाता है।

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