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‘ट्रम्परिका’ से निपटने के लिए नई दिल्ली के लिए एक नोट

Lokesh Pal February 01, 2025 05:30 15 0

संदर्भ:

हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विभिन्न बहुपक्षीय समझौतों  से अमेरिका को बाहर निकालने के उद्देश्य से 100 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

अमेरिका-भारत संबंधों में उपलब्धियां:

  • संबंधों में साल-दर-साल सुधार: भारत ने पिछले 25 साल में अमेरिका के साथ अपने संबंधों में निरंतर प्रगति देखी है। यहाँ तक कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में सुधार के संकेत स्पष्ट रूप से सकारात्मक थे, जिसमें महत्वपूर्ण कूटनीतिक संकेत भी शामिल थे।
  • उल्लेखनीय कूटनीतिक घटनाएँ: भारत के विदेश मंत्री जय शंकर ने ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया, जो दोनों देशों के बढ़ते संबंधों का संकेत था। इसने क्वाड देशों के बीच सहयोग को और अधिक मजबूत किया है।
  • द्विपक्षीय बैठक: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ भारत की पहली बैठक द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है।
  • ट्रम्प-मोदी दूरभाष संवाद : भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच एक सार्थक दूरभाष वार्ता हुई, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

ट्रम्प की आव्रजन नीतियों का भारत पर प्रभाव:

  • आव्रजन नियंत्रण: ट्रम्प ने अवैध विदेशियों द्वारा “आक्रमण” को रोकने के लिए अमेरिकी सीमाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कार्टेल को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया और वीज़ा जारी करने की प्रक्रियाओं के लिए उन्नत जांच लागू की। 
    • आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) एजेंसी ने प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए छापे मारे और गिरफ्तारियां कीं।
  • भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने कूटनीतिक रूप से जवाब दिया है, सभी अवैध अप्रवासियों को वापस लेने पर सहमति जताई है जो सत्यापित रूप से भारतीय हैं। हालाँकि, यह प्रतिक्रिया उन गहरे, दीर्घकालिक आर्थिक प्रभावों को नजरअंदाज करती है जो इन नीतियों के माध्यम से भारत पर पड़ेगा।
  • कानूनी आव्रजन: मेक्सिको के बाद, कानूनी रूप से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने वाले भारतीयों की संख्या अब दूसरे सबसे बड़े समूहों में से एक है। उन्होंने एच-1बी वीजा का भी बड़ा हिस्सा, खास तौर पर प्रौद्योगिकी, आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में, हासिल कर लिया है
  • अवैध आव्रजन: अमेरिका में अवैध आव्रजन के मामले में,  भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है
    • आईसीई डेटा के प्यू रिसर्च विश्लेषण में कहा गया है कि अमेरिका में कुल 14 मिलियन अवैध प्रवासियों में लगभग 725,000 भारतीय शामिल हैं
  • धन प्रेषण में कमी: यदि निर्वासन उड़ानों में वृद्धि होती है, जैसा कि ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान हुआ था, तो भारत को अमेरिका में भारतीय श्रमिकों से  धन प्रेषण में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
    • इस नुकसान के कारण इन निधियों पर निर्भर परिवारों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ आ सकती हैं। भारत को वापस लौटने वाले लोगों का प्रबंधन करना होगा, जिन्हें पुनः एकीकरण की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है
  • आर्थिक लागत: ट्रम्प ने देशों पर आर्थिक दबाव डालने की क्षमता दिखाई है, जैसा कि कोलंबिया पर 25% टैरिफ की धमकी के तहत निर्वासन स्वीकार करने के लिए दबाव डालने में उनकी सफलता से देखा जा सकता है। 
    • भारत द्वारा निर्वासन स्वीकार करने से इनकार करने पर व्यापार संबंधी प्रतिकूल प्रभाव सहित इसी प्रकार की आर्थिक लागतें उत्पन्न हो सकती हैं।
  • सफेदपोश श्रमिकों पर प्रभाव: जबकि कई निर्वासनों में नीलीपोश श्रमिक शामिल होते हैं, परंतु ट्रम्प की आव्रजन नीतियां सफेदपोश पेशेवरों को भी लक्षित करती हैं, जिनमें मध्यम स्तर के प्रबंधकइंजीनियर और अन्य कुशल श्रमिक शामिल हैं।
  • जन्मजात नागरिकता: जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने के ट्रम्प के कार्यकारी आदेश को न्यायपालिका द्वारा रद्द किया जा सकता है। 
    • तथापि, यह संदेश स्पष्ट संकेत दे रहा है कि अमेरिका उन आप्रवासियों के लिए कम स्वागतयोग्य वातावरण की कल्पना कर रहा है जो देश में स्थायी रूप से बसना चाहते हैं तथा परिवार बसाना चाहते हैं। 
    • एच-1बी वैवाहिक कार्य विशेषाधिकारों पर पहले लगाए गए प्रतिबंधों के साथ, ये कार्रवाइयां कुशल पेशेवरों के लिए प्रवासन को प्रतिबंधित करने की, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों में, व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा हैं।
  • STEM स्नातकों पर प्रभाव: भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में प्रवास के अवसरों में कमी के कारण भारत को अपनी शिक्षा और कौशल नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना होगा
    • भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) स्नातकों को घरेलू कार्यबल में, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और अन्य विशिष्ट उद्योगों में, शामिल किया जाए।

ट्रम्प की व्यापार नीति योजनाओं का प्रभाव:

  • “अमेरिका फर्स्ट” नीति: उद्घाटन दिवस पर, ट्रम्प ने कार्यकारी आदेश (ईओ) और निकास आदेश जारी किए, जो उनकी “अमेरिका फर्स्ट ट्रेड पॉलिसी” के कार्यान्वयन को चिह्नित करते हैं और मार्को रुबियो को “अमेरिका फर्स्ट फॉरेन पॉलिसी” के लिए निर्देश देते हैं । 
    • ये नीतियां वैश्विक सहयोग पर अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने पर जोर देती हैं तथा टैरिफ को प्रवर्तन के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करती हैं।
  • टैरिफ का हथियारीकरण: भारत को अमेरिका द्वारा टैरिफ के हथियारीकरण की नीति के लिए तैयार रहना चाहिए, जिसका उपयोग ट्रम्प के आर्थिक और राजनीतिक एजेंडों को लागू करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए,  व्यापार असंतुलनआव्रजन नियंत्रण और विदेश नीति के निर्देश
  • भारत के व्यापार संबंधों पर प्रभाव: ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान, भारत ने बगैर किसी प्रतिरोध के अपने सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) की स्थिति को वापस लेना स्वीकार कर लिया, जिससे अमेरिका के साथ भारत का तरजीही व्यापार लाभ कम हो गए। 
    • भारत को ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात बंद करने के ट्रम्प के आदेश का भी पालन करना पड़ा, जिससे भारत पर अमेरिका की आर्थिक पकड़ और अधिक स्पष्ट हो गई।
  • वर्तमान ट्रम्प 2.0 का प्रभाव : ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में, ऐसी कार्रवाइयां और तेज हो सकती हैं, जिसमें अमेरिका संभवतः अपनी धमकाने वाली रणनीति को बढ़ाएगा और चीन जैसे अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे भारत और अन्य देशों के लिए अधिक प्रतिकूल वैश्विक व्यापार वातावरण पैदा होगा।
  • टैरिफ की धमकी: चीन पर 10% टैरिफ लगाने की ट्रम्प की धमकी, जो उनके पिछले प्रस्ताव 60% से कम है, अमेरिका-चीन व्यापारिक संबंधों में एक बड़े बदलाव का संकेत है। 
    • इसके अतिरिक्त, शपथ समारोह के लिए शी जिनपिंग को आमंत्रित करना तथा टिकटॉक प्रतिबंध पर यू-टर्न लेना, चीन के प्रति पहले से स्पष्ट विरोधी रुख को और जटिल बना देता है।
  • जी-2 अवधारणा का पुनरुत्थान: जबकि पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों के यूएस-चीन “जी-2” (वैश्विक नेतृत्व जोड़ी) के प्रयास अल्पकालिक थे, शी जिनपिंग के साथ ट्रम्प की हालिया दूरभाष वार्ता दुनिया को अधिक शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए एक सहयोगी रुख की ओर संभावित बदलाव का सुझाव देती है
  • वैश्विक संस्थाओं से बाहर निकलना: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)ओईसीडी ग्लोबल टैक्स डील और पेरिस जलवायु समझौते सहित कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौतों से अमेरिका को बाहर निकालने के ट्रम्प के फैसले से भारत के विकास एजेंडे सहित वैश्विक सहयोग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
  • विकास वित्तपोषण हानि: भारत को अपने विकास कार्यक्रमों और ऊर्जा परिवर्तन के लिए अमेरिका से वित्तपोषण की उम्मीद थी। 
    • ट्रम्प द्वारा यूएसएआईडी के वित्तपोषण को रोकने तथा हरित व्यवसायों, इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर / पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए समर्थन वापस लेने के कदम से इन क्षेत्रों में भारत की प्रगति में विलंब हो सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन प्रभाव: पेरिस समझौते से पीछे हटना यह भी संकेत देता है कि अमेरिकी जलवायु नीति भारत के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों के अनुरूप नहीं हो सकती है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण परियोजनाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण और सहयोग तक देश की पहुंच प्रभावित हो सकती है।

ट्रम्प के एआई अभियान का भारत पर प्रभाव:

  • स्टारगेट एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना: ट्रम्प की 500 बिलियन डॉलर की स्टारगेट एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना, अमेरिका की कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षमताओं को आगे बढ़ाने पर उनके प्रशासन के फोकस का स्पष्ट संकेत है। 
    • प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों के नेतृत्व में ट्रम्प- 2.0 सरकार की इस पहल का उद्देश्य बढ़ती प्रतिस्पर्धा, विशेष रूप से चीन की डीपसीक से, के मद्देनजर अमेरिका को कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है।
  • तकनीकी प्रभुत्व: ट्रम्प का कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के प्रति जोर एक रणनीतिक कदम है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अमेरिका वैश्विक प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धा के संबंध में, विशेष रूप से चीन की बढ़ती कृत्रिम बुद्धिमत्ता  (एआई) प्रगति के मुकाबले में आगे रहे।
  • विदेशी तकनीकी कर्मचारियों पर निर्भरता कम करना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता  में निवेश करके, ट्रम्प प्रशासन विदेशी प्रवासी तकनीकी पेशेवरों पर अमेरिका की निर्भरता को कम करना चाहता है, जो सिलिकॉन वैली के विकास में महत्वपूर्ण रहे हैं। 
    • एआई-संचालित स्वचालन की संभावना से उल्लेखनीय तौर पर, मानव श्रम की मांग में कमी आ सकती है, विशेष रूप से विदेशों में तकनीकी कर्मचारियों की मांग में इसका प्रभाव पड़ने की चिंता है।
  • एआई नौकरियों में कमी का संकेतक: आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) के उदय से बड़ी संख्या में तकनीकी नौकरियों के समाप्त होने की उम्मीद है, कुछ लोगों का अनुमान है कि मध्य-स्तर के इंजीनियर सबसे पहले नौकरियों से बाहर हो जाएंगे। 
    • गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई पहले ही इस बात पर प्रकाश डाल चुके हैं कि कंपनी में 25% नया कोड कृत्रिम बुद्धि (AI) द्वारा तैयार किया जाता है, जो प्रौद्योगिकी कम्पनियों के संचालन के तरीके में बदलाव का संकेत है।
  • तकनीकी दिग्गजों की भूमिका: मेटा और इसी तरह की अन्य कंपनियों में मध्यम स्तर के इंजीनियरों की जगह कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा लिए जाने पर मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी, तकनीकी उद्योग में अपेक्षित बदलाव के पैमाने को रेखांकित करती है।
  • भारत का तकनीक-संचालित विकास: पिछले दशकों में, भारत के विकास को इसके आईटी-बीपीएम (सूचना प्रौद्योगिकी-व्यावसायिक प्रक्रिया प्रबंधन) क्षेत्र द्वारा बढ़ावा मिला है, जो सकल घरेलू उत्पाद में 55% का योगदान देता है। यह भारत के निर्यात का लगभग 40% हिस्सा है
    • भारत के तकनीकी पेशेवर इस सफलता के अभिन्न अंग रहे हैं, विशेष रूप से अमेरिका सहित वैश्विक स्तर पर तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के मामले में इनका महत्त्वपूरन् योगदान है।
  • प्रवास के अवसरों पर खतरा: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का बढ़ता प्रभुत्व अमेरिका में प्रवास करने के इच्छुक  भारतीय तकनीकी पेशेवरों की संभावनाओं को काफी हद तक बाधित कर सकता है।
    • ऐतिहासिक रूप से, 1960 के दशक के बाद से बड़ी संख्या में सफल भारतीय-अमेरिकी तकनीकी अवसरों की तलाश में अमेरिका की ओर पलायन कर गए, जो मुख्यतया शीत युद्ध के दौरान प्रौद्योगिकी में नेतृत्व करने की अमेरिका की इच्छा से प्रेरित था ।

निष्कर्ष:

नई दिल्ली को इन सभी तकनीक, व्यापार और प्रवासन प्रवृत्तियों को ध्यान में रखना चाहिए, जो भारत के भविष्य के लिए एक सकारात्मक व प्रगतिशीलता का संकेत देते हैं। इसके अतिरिक्त भारत को अपनी आर्थिक चिंताओं को “ट्रम्परिका” के साथ अपनी कूटनीतिक वार्ता में शामिल करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ और व्यापार बाधाओं का हथियारीकरण भारत की व्यापार नीति के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत करता है। भारत के व्यापार हितों पर ऐसी संरक्षणवादी नीतियों के प्रभाव का मूल्यांकन करें और अमेरिका के साथ अपने आर्थिक जुड़ाव की सुरक्षा के लिए, भारत द्वारा किए जाने योग्य महत्त्वपूर्ण उपाय सुझाएँ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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