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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal February 07, 2025 03:30 106 0

भारत का राज्य प्रतीक

 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को भारत के राज्य प्रतीक के अनुचित चित्रण को रोकने एवं देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ को अनिवार्य रूप से शामिल करने को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

भारत के राज्य प्रतीक के बारे में

  • यह भारत सरकार की आधिकारिक मुहर है।
  • अपनाया गया: 26 जनवरी, 1950 को अशोक के सारनाथ से अपनाया गया था। 

राज्य प्रतीक का उपयोग

  • केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं अन्य सरकारी एजेंसियों के लेटरहेड पर।
  • भारत की मुद्रा पर
  • भारत के पासपोर्ट पर
  • राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र राष्ट्रीय प्रतीक से लिया गया है।

राज्य प्रतीक की डिजाइन विशेषताएँ

  • सारनाथ के सिंह स्तंभ से लिया गया है:-
    • तीन शेर दिखाई देते हैं, चौथा शेर छिपा हुआ है।
    • अबेकस के केंद्र में धर्म चक्र को स्थापित किया गया है।
    • अबेकस पर जानवरों का चित्रण
      • बैल (दाएँ): वृषभ का प्रतिनिधित्व करता है, जो भगवान बुद्ध के जन्म का प्रतीक है।
      • घोड़ा (बाएँ): त्याग के दौरान बुद्ध के घोड़े कंथक का प्रतिनिधित्व करता है।
      • हाथी (पूर्व): रानी माया के सफेद हाथी के सपने का प्रतीक है।
      • सिंह (उत्तर): बुद्ध के ज्ञानोदय एवं धर्म प्रचार का प्रतिनिधित्व करता है।
  • अबेकस के सबसे दाईं एवं बाईं ओर धर्म चक्रों की रूपरेखा बनी हुई है।
  • धर्म चक्र बुद्ध के प्रथम उपदेश (धर्मचक्र प्रवर्तन) का प्रतीक है।
  • आदर्श वाक्य: प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है।
    • यह आदर्श वाक्य मुंडकोपनिषद से लिया गया है।

कानूनी प्रावधान एवं जुर्माना

  • भारत का राज्य प्रतीक (अनुचित उपयोग का निषेध) अधिनियम, 2005 तथा भारत का राज्य प्रतीक (उपयोग का विनियमन) नियम, 2007 इसके अधिकृत उपयोग को विनियमित करते हैं।
  • अनधिकृत उपयोग के परिणाम हो सकते हैं:
    • 2 वर्ष तक की कैद।
    • ₹5,000 तक का जुर्माना।

‘बैगर-थाई-नेबर पालिसी’ (Beggar-Thy-Neighbour Policies)

हाल ही में ‘बैगर-थाई-नेबर पालिसी’ (Beggar-Thy-Neighbour Policies), चर्चा में रही जो अल्पकालिक घरेलू लाभों का वादा करते हुए, अक्सर वैश्विक आर्थिक अस्थिरता की ओर ले जाती हैं। 

‘बैगर-थाई-नेबर पालिसी’ (Beggar-Thy-Neighbour Policies) क्या हैं?

  • ये संरक्षणवादी आर्थिक नीतियाँ हैं, जो दूसरों की कीमत पर एक देश की अर्थव्यवस्था की सहायता करती हैं।
  • उदाहरण
    • व्यापार युद्ध: विदेशी आयात पर उच्च कर (टैरिफ) या सख्त सीमा (कोटा)।
    • करेंसी वाॅर: केंद्रीय बैंक जानबूझकर निर्यात को सस्ता एवं आयात को महंगा बनाने के लिए अपनी मुद्रा को कमजोर करते हैं।
  • अवधारणा की उत्पत्ति: यह शब्द स्कॉटिश अर्थशास्त्री एडम स्मिथ द्वारा अपनी वर्ष 1776 में प्रकाशित पुस्तक द वेल्थ ऑफ नेशंस में प्रस्तुत किया गया था।

ELS कपास 

केंद्रीय वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट पेश करते हुए, कपास की खेती में उत्पादकता एवं स्थिरता में सुधार तथा एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल (Extra-Long Staple- ELS) कपास किस्मों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पाँच वर्ष के मिशन की घोषणा की।

ELS कपास क्या है?

  • ELS कपास में फाइबर की लंबाई 30 मिमी. या उससे अधिक होती है, जो इसे गुणवत्ता में बेहतर बनाती है।
  • यह मुख्य रूप से गॉसिपियम बार्बडेंस प्रजाति से संबंधित है, जिसे इजिप्टियन या पिमा कपास भी कहा जाता है।
    • गॉसिपियम हिर्सुटम: भारत में लगभग 96% कपास इस प्रजाति की है, जिसके फाइबर की लंबाई 25-28.6 मिमी (मध्यम स्टेपल) होती है।
  • ELS कपास की मुख्य विशेषताएँ
    • बेहतर गुणवत्ता: प्रीमियम वस्त्रों में उपयोग किए जाने वाले महीन, मजबूत एवं चिकने धागों का उत्पादन करती है।
    • अत्यधिक टिकाऊ: टूट-फूट के प्रति प्रतिरोधी, जो इसे लक्जरी कपड़ों एवं घरेलू वस्त्रों के लिए उपयुक्त बनाता है।
  • ELS कपास कहाँ उगाई जाती है?
    • वैश्विक स्तर पर: प्रमुख उत्पादकों में मिस्र, चीन, ऑस्ट्रेलिया एवं पेरू शामिल हैं।
    • भारत में: अटपाडी तालुका (महाराष्ट्र), कोयंबटूर (तमिलनाडु), एवं कर्नाटक तथा मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसकी खेती की जाती है।
  • वर्गीकरण: रेशे की लंबाई के आधार पर कपास को छोटे, मध्यम एवं लंबे रेशे में विभाजित किया जाता है।
    • रेशे की लंबाई के आधार पर कपास के प्रकार:
      • शोर्ट स्टेपल: सबसे कम फाइबर लंबाई।
      • मीडियम स्टेपल: भारत में उगाई जाने वाली अधिकतर कपास (करीब 96%) होती है। आमतौर पर, रेशे 25 से 28.6 मिमी तक होते हैं (जैसे, गॉसिपियम हिर्सुटम)।
      • लॉन्ग स्टेपल: लंबे रेशे।
      • एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल (ELS): फाइबर 30 मिमी. या उससे अधिक लंबे होते हैं। अधिकतर गॉसिपियम बार्बडेंस प्रजाति से संबंधित, जिसे इजिप्टियन या पिमा कपास के नाम से भी जाना जाता है।
  • ELS कपास भारत में क्यों नहीं उगाया जाता?
    • कपास किसान विभिन्न कारणों से ELS कपास नहीं उगाते हैं
    • कम उपज
      • मीडियम स्टेपल कपास की पैदावार प्रति एकड़ 10-12 क्विंटल होती है।
      • ELS कपास की पैदावार प्रति एकड़ केवल 7-8 क्विंटल होती है।
    • बाजार संबंधी चुनौतियाँ
      • मजबूत बाजार संपर्क की कमी के कारण ELS कपास को प्रीमियम कीमतों पर बेचने में कठिनाई होती है।

फोर्ट विलियम अब कहलाएगा विजय दुर्ग 

सशस्त्र बलों के भीतर औपनिवेशिक प्रभाव को समाप्त करने के लिए, कोलकाता में फोर्ट विलियम का नाम बदलकर विजय दुर्ग कर दिया गया है।

  • किचनर हाउस का नाम बदलकर मानेकशॉ हाउस कर दिया गया है एवं सेंट जॉर्ज गेट अब शिवाजी गेट है।

फोर्ट विलियम के बारे में

  • निर्मित: वर्ष 1781 में अंग्रेजों द्वारा एवं इसका नाम इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर रखा गया।
  • नया नाम: विजय दुर्ग, महाराष्ट्र के ऐतिहासिक मराठा किले से प्रेरित है, जो छत्रपति शिवाजी के अधीन नौसैनिक अड्डे के रूप में कार्य करता था।
  • यह पूर्वी सेना कमान के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है।
  • नाम बदलने का महत्त्व: यह भारत की सैन्य विरासत एवं राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है एवं रक्षा सिद्धांतों, प्रक्रियाओं तथा रीति-रिवाजों में स्वदेशीकरण के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

अर्जेंटीना का WHO से हटना

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति ने एजेंसी की नीतियों से गहरी असहमतियों के कारण अर्जेंटीना को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) से बाहर निकालने का निर्णय किया है।

WHO से हटने का कारण

  • अमेरिका की वापसी का डोमिनोज प्रभाव: यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसी तरह के कदम का अनुसरण करता है।
  • प्राथमिक कारण: स्वास्थ्य प्रबंधन नीतियों पर मतभेद, विशेष रूप से COVID-19 के दौरान।
    • अर्जेंटीना ने WHO के $6.9 बिलियन के वित्त वर्ष 2024-2025 के बजट में $8 मिलियन का योगदान दिया, जिससे इसका वित्तीय प्रभाव न्यूनतम हो गया।
  • संप्रभुता संबंधी चिंताएँ: अर्जेंटीना अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल निर्णयों पर अंतरराष्ट्रीय प्रभाव का विरोध करता है।

स्ट्राइकर इन्फैंट्री व्हीकल

भारत एवं अमेरिका के बीच स्ट्राइकर इन्फैंट्री व्हीकल लड़ाकू वाहनों के सह-उत्पादन के सौदे पर वार्ता चल रही है।

  • वाहन परीक्षण: स्ट्राइकर के प्रदर्शन को 13,000 से 18,000 फीट के बीच लद्दाख की उच्च ऊँचाई वाली स्थितियों में प्रदर्शित किया गया, जिसमें जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (Anti-Tank Guided Missile- ATGM) का परीक्षण भी किया गया।

स्ट्राइकर इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल के बारे में

  • स्ट्राइकर आठ पहियों वाले बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों का एक समूह है, जो कनाडाई LAV III से लिया गया है।
  • निर्मित: इस लड़ाकू वाहन का निर्माण जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स-कनाडा (General Dynamics Land Systems-Canada- GDLS-C) द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना के लिए लंदन, ओंटारियो स्थित एक संयंत्र में किया जा रहा है।

FGM-148 जेवलिन, या उन्नत एंटी-टैंक हथियार प्रणाली-मध्यम (AAWS-M)

  • यह एक अमेरिकी निर्मित मानव-पोर्टेबल एंटी-टैंक प्रणाली है, जो वर्ष 1996 से सेवा में है एवं लगातार उन्नत होती रहती है।
  • जेवलिन एक दागो एवं भूल जाओ सिद्धांत पर आधारित मिसाइल है, जिसमें लॉन्च से पहले लॉक-ऑन तथा स्वचालित स्व-निर्देशन होता है।
  • निर्माता: रेथियॉन एवं लॉकहीड मार्टिन।

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