स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में भारत में फसल के नुकसान पर कोयला बिजली संयंत्र उत्सर्जन के प्रभाव का अध्ययन किया गया है।
NO2 उत्सर्जन
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) एक गैस है, जो मुख्य रूप से कोयला, तेल जैसे जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन से वायु में संचारित होती है।
NO2 के लक्षण
अभिक्रियाशील गैस: यह एक अभिक्रियाशील गैस है, जो वायु में अन्य पदार्थों के साथ आसानी से संपर्क करती है।
NOx का भाग: यह नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) नामक गैसों के समूह से संबंधित है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
फसल के नुकसान की रोकथाम: अध्ययन में पाया गया कि भारत में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) उत्सर्जन को समाप्त करने से सालाना लगभग 1 बिलियन डॉलर की फसल के नुकसान को रोका जा सकता है।
इन संयंत्रों से NO₂ उत्सर्जन कई क्षेत्रों में गेहूँ एवं चावल की पैदावार को 10% या उससे अधिक कम कर देता है।
आर्थिक प्रभाव
संभावित लाभ: प्रमुख उत्पादन मौसमों (जनवरी-फरवरी और सितम्बर-अक्टूबर) के दौरान कोयला उत्सर्जन को समाप्त करने से:-
चावल उत्पादन मूल्य में प्रति वर्ष लगभग $420 मिलियन की वृद्धि करना।
गेहूँ उत्पादन मूल्य में प्रति वर्ष $400 मिलियन की वृद्धि करना।
कोयला उत्सर्जन का राज्यवार प्रभाव
कोयला विद्युत संयंत्रों से NO₂ प्रदूषण राज्यों में भिन्न-भिन्न है:
छत्तीसगढ़: कोयला संयंत्र NO₂ प्रदूषण में 13-19% का योगदान करते हैं।
उत्तर प्रदेश: कोयला संयंत्र NO₂ प्रदूषण में केवल 3-5% का योगदान करते हैं।
अन्य NO₂ स्रोतों में वाहन एवं उद्योग शामिल हैं।
दीर्घकालिक फसल हानि
पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, फसल उपज का नुकसान वार्षिक रूप से 10% से अधिक है।
यह छह वर्ष की औसत वार्षिक उपज वृद्धि (2011-2020) के बराबर है।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA)
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने घोषणा की है कि इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की स्थापना पर फ्रेमवर्क समझौता आधिकारिक तौर पर लागू हो गया है।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस ( IBCA)
लॉन्च: वर्ष 2023 में भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया।
उद्देश्य: सात बिग कैट्स के प्राकृतिक आवासों को कवर करने वाले 97 देशों का संगठन बनाना।
सात बिग कैट्स में बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर एवं प्यूमा शामिल हैं
सात बिग कैट्स में से पाँच प्यूमा एवं जगुआर को छोड़कर, बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ तथा चीता भारत में पाए जाते हैं।
24 देशों (भारत सहित) ने IBCA का सदस्य बनने के लिए सहमति दे दी है।
संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश IBCA के सदस्य बनने के पात्र हैं।
IBCA शासन: सभी सदस्य राष्ट्रों से बनी एक आम सभा, एक निर्वाचित सदस्य राष्ट्र परिषद और एक सचिवालय द्वारा शासित होगी।
IBCA की फंडिंग: IBCA ने पाँच वर्षों (2023-24 से 2027-28) के लिए भारत सरकार से 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक सहायता प्राप्त की है।
मुख्यालय: भारत
जेवॉन्स पैराडॉक्स
(Jevons Paradox)
हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला ने AI के संबंध में जेवॉन्स पैराडॉक्स को संदर्भित किया, उन्होंने कहा कि AI की दक्षता में वृद्धि एवं पहुँच से माँग में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
जेवॉन्स पैराडॉक्स
जेवॉन्स पैराडॉक्स में कहा गया है कि तकनीकी प्रगति जो दक्षता बढ़ाती है या किसी संसाधन के उपयोग की लागत को कम करती है, अक्सर इसकी समग्र खपत में वृद्धि करती है।
यह अवधारणा वर्ष 1865 में अर्थशास्त्री विलियम स्टेनली जेवॉन्स द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
मुख्य सिद्धांत: जैसे-जैसे तकनीकी प्रगति से संसाधन उपयोग की दक्षता में सुधार होता है, उस संसाधन की कुल खपत घटने के बजाय बढ़ने लगती है।
स्पष्टीकरण
सामान्य अवधारणा: जब कोई तकनीक दक्षता बढ़ाती है, तो उससे समग्र संसाधन खपत कम होने की संभावना होती है।
जेवॉन्स का तर्क: बढ़ी हुई दक्षता संसाधन के उपयोग की प्रभावी लागत को कम कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप माँग बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप, कुल खपत में गिरावट के बजाय वृद्धि हो सकती है।
जेवॉन्स पैराडॉक्स के उदाहरण
कोयला एवं भाप इंजन: जेवॉन्स ने वर्ष 1865 में अपनी पुस्तक द कोल क्वेश्चन में लिखा कि भाप इंजन की बेहतर कार्यकुशलता के कारण कोयले की खपत में वृद्धि हुई, जबकि इसमें गिरावट की संभावना थी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): जैसे-जैसे AI मॉडल अधिक कुशल एवं किफायती होते जाते हैं, उनकी स्वीकार्यता बढ़ती है, जिससे डेटा केंद्रों में ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है।
परिवहन में ऊर्जा दक्षता: ईंधन कुशल वाहनों के आने से प्रति मील ईंधन लागत कम हो जाती है, जिससे लोग वाहनों के अधिक उपयोग हेतु प्रोत्साहित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अंततः समग्र ईंधन खपत बढ़ जाती है।
एकुवेरिन अभ्यास
(Exercise Ekuverin)
भारतीय सेना एवं मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘एकुवेरिन’ का 13वाँ संस्करण मालदीव में शुरू हो गया है।
एकुवेरिन अभ्यास
अर्थ: धिवेही (Dhivehi) भाषा में ‘एकुवेरिन’ शब्द का अर्थ ‘मित्र’ है।
धिवेही एक इंडो-यूरोपीय भाषा है, जो मालदीव एवं भारतीय केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में बोली जाती है।
लक्ष्य एवं उद्देश्य: उग्रवाद एवं आतंकवाद विरोधी अभियानों में अंतरसंचालनीयता को बढ़ाना।
इसमें संयुक्त मानवीय सहायता एवं आपदा राहत अभियान भी शामिल हैं।
भारत एवं मालदीव के बीच अन्य अभ्यास
अभ्यास एकथा (Exercise Ekatha): भारत एवं मालदीव की नौसेनाओं के बीच एक वार्षिक अभ्यास।
दोस्ती त्रिपक्षीय अभ्यास: भारत, मालदीव एवं श्रीलंका का संयुक्त एक द्विवार्षिक त्रिपक्षीय तट रक्षक अभ्यास।
4.3 गीगावॉट सौर विनिर्माण इकाई का उद्घाटन
हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में 4.3 गीगावाट सौर सेल एवं मॉड्यूल विनिर्माण सुविधा का उद्घाटन किया है।
संबंधित तथ्य
सौर सेल एवं मॉड्यूल विनिर्माण संयंत्र भारत की सबसे बड़ी एकल-स्थान सौर विनिर्माण सुविधा है।
प्रौद्योगिकी: संयंत्र अत्याधुनिक TOPCon एवं Mono Perc प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित है एवं मॉड्यूल निर्माण के लिए कुछ कच्चे माल का भी उत्पादन करेगा।
परियोजना: यह सुविधा TP सोलर लिमिटेड (टाटा पॉवर की सौर विनिर्माण शाखा एवं टाटा पॉवर नवीकरणीय ऊर्जा लिमिटेड की सहायक कंपनी) द्वारा विकसित की गई है।
उद्देश्य: यह सुविधा 4 गीगावाट की वार्षिक क्षमता वाली सौर ऊर्जा उत्पादन इकाइयों के लिए फोटोवोल्टिक सेल एवं मॉड्यूल का उत्पादन करेगी।
महत्त्व
भारत के सौर उद्योग का समर्थन: यह सुविधा आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए सौर संयंत्रों और रूफटॉप परियोजनाओं में बेहतर दक्षता और दीर्घकालिक विश्वसनीयता प्रदान करेगी।
स्थानीय रोजगार का सृजन: यह सुविधा रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सामुदायिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिसमें 80% कार्यबल महिलाएँ होंगी।
क्षमता निर्माण: यह आपूर्ति शृंखला को मजबूत करके भारत की सौर विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करेगा।
नेट जीरो लक्ष्य: यह सुविधा भारत के 500 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता एवं वर्ष 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
राष्ट्रीय फेलोशिप योजना
OBC एवं अनुसूचित जाति के अनुसंधान विद्वानों ने राष्ट्रीय फेलोशिप के तहत अपने अनुदान प्राप्त करने में देरी की सूचना दी है।
अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप योजना के बारे में
यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
लॉन्च: वित्तीय वर्ष 2005-06 में।
उद्देश्य: विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में M.Phil और PHD की डिग्री प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना।
क्रियान्वयन एजेंसी
केंद्रीय नोडल एजेंसी (CNA): 1 अक्टूबर, 2022 से योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (NSFDC) का दायित्व।
पहले, इस योजना का प्रबंधन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा किया जाता था।
NSFDC की भूमिका
कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश एवं प्रक्रियाएँ स्थापित करना।
फेलोशिप के लिए लाभार्थियों का चयन करना।
चयनित अभ्यर्थियों को फेलोशिप धनराशि वितरित करना।
मृत्युदंड में नाइट्रोजन गैस का प्रयोग
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के अलबामा में वर्ष 1991 में हुई हत्या के लिए एक व्यक्ति को नाइट्रोजन गैस का उपयोग करके मौत की सजा दी गई, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में मृत्युदंड के रूप में चौथी सजा थी।
संबंधित तथ्य
अलबामा वर्ष 2024 में नाइट्रोजन गैस द्वारा मृत्युदंड की सजा सुनाने वाला अमेरिका का पहला राज्य बन गया था।
यह विधि अपराधी को बेहोश करने के लिए शुद्ध नाइट्रोजन का उपयोग करती है।
इस प्रक्रिया में अपराधी के मुँह एवं नाक पर नाइट्रोजन से भरे फेस मास्क का उपयोग किया जाता है।
इससे ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
इससे मनुष्य में मानसिक दौरे जैसी गतिविधियाँ हो सकती हैं।
यह तकनीक कुछ ही मिनटों में किसी व्यक्ति की जान ले सकती है।
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बना भारत
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माण करने वाला देश बनकर उभरा है, जो इसके इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है।
संबंधित तथ्य
वर्ष 2014-15 में भारत में बिकने वाले मोबाइल फोन में से केवल 26% ही भारत में बनते थे, बाकी आयात किए जाते थे। वर्ष 2024 में भारत में बिकने वाले सभी मोबाइल फोन में से 99.2% भारत में बनते थे।
चीन विश्व का सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता देश है।
भारत में मोबाइल विनिर्माण की वर्तमान स्थिति
घरेलू उत्पादन में वृद्धि: वर्ष2014-15 में, भारत में बेचे गए केवल 26% मोबाइल फोन स्थानीय स्तर पर निर्मित किए गए थे, जिनमें से अधिकांश आयात किए गए थे।
आत्मनिर्भरता की ओर बदलाव: यह वृद्धि भारत के आयात निर्भर राष्ट्र से मोबाइल विनिर्माण के वैश्विक केंद्र में परिवर्तन को संबोधित करती है।
मोबाइल विनिर्माण में भारत की वृद्धि के प्रमुख कारण
सरकारी पहल एवं नीति समर्थन
मेक इन इंडिया (2014): घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित किया गया एवं आयात पर निर्भरता कम की गई।
प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) योजना (2020): इस योजना के द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि: स्वचालित मार्ग के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 100% FDI की अनुमति ने वैश्विक हितधारकों को आकर्षित किया।
स्मार्टफोन की बढ़ती घरेलू माँग: इंटरनेट की बढ़ती पहुँच एवं किफायती डेटा ने स्मार्टफोन के प्रयोग को बढ़ावा दिया है।
टैरिफ एवं आयात शुल्क नीतियाँ: आयातित मोबाइल फोन एवं घटकों पर सीमा शुल्क में वृद्धि ने स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित किया।
भू-राजनीतिक एवं बाजार कारक: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव ने वैश्विक निर्माताओं को भारत में उत्पादन में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया।
आपूर्ति शृंखला में परिवर्तन के कारण एप्पल एवं फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों ने परिचालन का विस्तार किया है।
Latest Comments