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पेरिस एआई एक्शन समिट : भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियाँ

Lokesh Pal February 10, 2025 05:30 20 0

संदर्भ:

जनवरी 2025 में, भारत ने पेरिस में 10-11 फरवरी को होने वाले, एआई एक्शन शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करने के लिए फ्रांस के निमंत्रण को स्वीकार किया था जिसमें प्रतिभाग करने हेतु प्रधानमंत्री मोदी पेरिस की यात्रा पर रवाना हुए हैं।

एआई एक्शन शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी:

  • एआई एक्शन समिट: भारत पेरिस में 10-11 फरवरी को होने वाले एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता कर रहा है।
  • पृष्टभूमि : यह शिखर सम्मेलन, अपनी तरह का तीसरा शिखर सम्मेलन है, जो यूके (2023) और दक्षिण कोरिया (2024) में, (अब वर्तमान में पेरिस में) आयोजित पिछली बैठकों के बाद हो रहा है।
    • ब्लेचली पार्क में पहला शिखर सम्मेलन उभरते एआई मॉडलों के जोखिमों पर केंद्रित था, जिसमें यूके एआई सेफ्टी इंस्टीट्यूट (एआईएसआई) का शुभारंभ किया गया।
    • सियोल में आयोजित दूसरी बैठक में बातचीत को व्यापक बनाते हुए एआई जोखिम प्रबंधन पर बहुपक्षीय सहयोग को शामिल किया गया, जिसमें अमेरिका, फ्रांस, सिंगापुर, जापान और यूरोपीय संघ जैसे देशों को शामिल किया गया।
  • पेरिस शिखर सम्मेलन का फोकस: पिछले अनुभवों के आधार पर अनुमान है कि पेरिस शिखर सम्मेलन में नवाचार, सार्वजनिक हित एआई, कार्य का भविष्य और एआई शासन को शामिल करने के लिए चर्चा का विस्तार किया जाएगा।

भारत, एआई सुरक्षा और वैश्विक दक्षिण:

  • भारत के लिए यह शिखर सम्मेलन एआई सुरक्षा पर अपने वैश्विक नेतृत्व को बढ़ाने के साथ-साथ प्रमुख एआई मुद्दों पर वैश्विक दक्षिण की आवाज को बढ़ाने की दिशा में, एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है।
  • एआई सुरक्षा संस्थान: भारत ने वैश्विक एआई चर्चा में, विशेष रूप से एआई सुरक्षा पर, सक्रिय भूमिका निभाई है। हाल ही में, भारत के आईटी मंत्री ने अपना स्वयं का एआई सुरक्षा संस्थान स्थापित करने की योजना की घोषणा की।
  • ग्लोबल साउथ के लिए भारत का नेतृत्व: भारत ने बहुपक्षीय एआई मंचों पर ग्लोबल साउथ के महत्त्व को समझते हुए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान, समूह ने एआई नवाचार को आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ संतुलित करने के लिए “नवाचार समर्थक विनियामक दृष्टिकोण” का समर्थन किया।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (GPAI): इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2023 में, भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) बैठक की मेज़बानी की, जिसमें विकासशील देशों के लिए एआई संसाधनों और बुनियादी ढाँचे तक समान पहुँच पर ज़ोर दिया गया। वैश्विक मंचों पर तकनीकी की दिशा में भारत के इन प्रयासों ने भारत को एआई शासन के लिए एक अग्रणी अधिवक्ता के रूप में स्थापित किया है जो सभी देशों, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के देशों को लाभान्वित करता है।

 पेरिस शिखर सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के लिए रणनीतिक प्राथमिकताएं:

  • पेरिस शिखर सम्मेलन में अपनी सह-अध्यक्षता की भूमिका का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, भारत को वैश्विक दक्षिण के हितों को आगे बढ़ाने के लिए तीन प्रमुख रणनीतिक प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:
  • एआई संसाधनों तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण: भारत को संपूर्ण एआई मूल्य श्रृंखला में आवश्यक एआई संसाधनों तक पहुंच को व्यापक बनाने की दिशा में मजबूती से सहयोग व समर्थन करना चाहिए। 
    • भारत द्वारा स्थापित उदाहरण: भारत की घरेलू पहल, जो 18,600 से अधिक GPU और 40% सरकारी सब्सिडी के साथ एक सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा प्रदान करती है, एक उदाहरण प्रस्तुत करती है। 
    • कंप्यूटिंग हार्डवेयर से आगे बढ़ने के प्रयास: भारत को अपने विभिन्न प्रयासों को डेटा सेट, क्लाउड प्लेटफॉर्म, फाउंडेशन मॉडल और विकास उपकरणों को शामिल करने के लिए विस्तारित करने की आवश्यकता है। 
    • भारत को वितरित कंप्यूटिंग, वॉटरमार्किंग जैसे सुरक्षा नवाचारों और डीपसीक जैसे ओपन-सोर्स एआई मॉडल का भी समर्थन करना चाहिए
    • सीमा-पार सहयोग: इसके अतिरिक्त, भारत को सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करते हुए लचीले सीमा-पार एआई तकनीक हस्तांतरण संबंधी मुद्दों का भी समर्थन करना चाहिए।

वितरित कंप्यूटिंग का तात्पर्य

वितरित कंप्यूटिंग का तात्पर्य कम्प्यूटेशनल समस्याओं को हल करने के लिए कई कंप्यूटरों के उपयोग से है। यह समानांतर रूप से चलने वाले सैकड़ों या हज़ारों कंप्यूटरों का लाभ उठाकर कई समाधानों के प्रदर्शन को बेहतर बना सकता है।

  • वैश्विक दक्षिण के लिए एआई उपयोग-मामलों को प्राथमिकता देना: भारत को एक ऐसे ढांचे के निर्माण पर जोर देना चाहिए जो वैश्विक दक्षिण के विशिष्ट संदर्भों के अनुरूप एआई उपयोग-मामलों की पहचान कर सके।
    • उद्देश्य : इससे यह सुनिश्चित होगा कि एआई अनुप्रयोग विदेशी समाधानों को आरोपित  करने के बजाय स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। 
    • उदाहरण के लिए, स्थानीय स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे के लिए अनुकूलित प्रारंभिक रोग पहचान प्रणालियां, विविध शैक्षिक सेटिंग्स के लिए डिज़ाइन किए गए व्यक्तिगत शिक्षण प्लेटफॉर्म, और क्षेत्रीय कृषि प्रथाओं के लिए उपयुक्त मौसम की भविष्यवाणी या मृदा विश्लेषण जैसे कृषि उपकरण शामिल हैं।
    • शिखर सम्मेलन के बाद एआई उपयोग-मामले भंडार की स्थापना वैश्विक दक्षिण को अपनी एआई आवश्यकताओं की पहचान करने और उन्हें प्राथमिकता देने में मार्गदर्शन कर सकती है।
  • विकासशील देशों के लिए एआई जोखिमों को प्रासंगिक बनाना: भारत को वैश्विक दक्षिण के लिए विशिष्ट एआई जोखिमों और सुरक्षा उपायों को संबोधित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना चाहिए। विकासशील देशों को भी अपनी विविध चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, पश्चिमी डेटा पर प्रशिक्षित बड़े भाषा मॉडल का सांस्कृतिक प्रभाव आदि ।
    • भारत को इन क्षेत्रों में एआई से संबंधित नुकसानों पर साक्ष्य एकत्र करने की वकालत करनी चाहिए ताकि प्रभावी जोखिम शमन रणनीतियों को आकार दिया जा सके। इन नुकसानों का दस्तावेजीकरण करने वाला एक संग्रह वैश्विक दक्षिण के लिए भविष्य के नियमों को निर्देशित करने में मदद कर सकता है।

आगे की राह:

  • प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने का अवसर: पेरिस एआई एक्शन शिखर सम्मेलन के सह-अध्यक्ष के रूप में, भारत के पास उभरते एआई परिदृश्य में वैश्विक दक्षिण की प्रमुख प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने का अवसर है।
  • एआई शासन में वैश्विक नेतृत्वकर्ता : समतामूलक पहुंच, संदर्भ-विशिष्ट उपयोग-मामलों और अनुकूल सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित करके, भारत एआई शासन में एक उभरते हुए वैश्विक नेतृत्व के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है। 
  • भावी शिखर सम्मेलन की मेजबानी का अवसर : इसके अतिरिक्त, शिखर सम्मेलन की भारत द्वारा सफलतापूर्वक सह-अध्यक्षता करने से, भारत अगले एआई एक्शन शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए एक आदर्श उम्मीदवार के रूप में उभर सकता है, जिससे वैश्विक उत्तर में एआई महाशक्तियों और वैश्विक दक्षिण में उभरते देशों के बीच एक सेतु के रूप में इसकी भूमिका और मजबूत होगी।

निष्कर्ष:

पेरिस एआई एक्शन समिट में भारत की सक्रिय भागीदारी वैश्विक एआई एजेंडे को इस तरह से आकार देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है जिससे वैश्विक दक्षिण लाभान्वित हो सके। एआई संसाधनों तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने, क्षेत्र-विशिष्ट उपयोग-मामलों को प्राथमिकता देने और एआई जोखिमों को प्रासंगिक बनाने जैसी प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाकर, भारत वैश्विक एआई शासन में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को मजबूत कर सकता है, जिससे भारतीय नेतृत्व में, निकट भविष्य में, एआई पर एक समावेशी संवाद को बढ़ावा मिलेगा जो विकासशील देशों को सशक्त बनाने में सहायक होगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत में अनुसंधान एवं विकास के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन के बावजूद, अनुसंधान परिणाम अभी भी अपर्याप्त बने हुए हैं। संरचनात्मक चुनौतियों की जांच करते हुए, भारत को अनुसंधान के क्षेत्र में एक शक्तिशाली देश में बदलने के लिए व्यापक उपाय सुझाएँ, साथ ही निजी क्षेत्र की सतत भागीदारी और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में आगे की राह सुझाएँ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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