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लसीका फाइलेरिया

Lokesh Pal February 13, 2025 01:26 58 0

संदर्भ

भारत ने 13 राज्यों के 111 स्थानिक जिलों को लक्षित करते हुए एक राष्ट्रव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) अभियान शुरू किया है।

  • इस पहल का उद्देश्य निवारक उपायों के माध्यम से वर्ष 2027 तक लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis- LF) को समाप्त करना है।

लसीका फाइलेरिया के बारे में

  • लसीका फाइलेरिया को आमतौर पर ‘हाथी पांव’ या एलिफेंटियासिस के रूप में जाना जाता है।
  • इसे उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • एजेंट: लसीका फाइलेरिया फाइलेरियोडिडिया परिवार के परजीवी नेमाटोड (राउंडवॉर्म) के कारण होता है।
  • इस बीमारी के लिए तीन प्रकार के फाइलेरिया कृमि जिम्मेदार हैं:-
    • वुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी (Wuchereria Bancrofti): 90% मामलों के लिए जिम्मेदार।
    • ब्रुगिया मलयी (Brugia Malayi): शेष अधिकांश मामलों का कारण बनता है।
    • ब्रुगिया टिमोरी (Brugia Timori): यह भी बीमारी में योगदान देता है।

  • यह संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है एवं लसीका तंत्र को गुप्त क्षति पहुँचाता है।
  • संचरण चक्र: वयस्क कृमि लसीका वाहिकाओं में रहते हैं एवं माइक्रोफाइलेरिया उत्पन्न करते हैं जो रक्त में विचरण करते हैं।
    • मच्छर संक्रमित मेजबान को काटने पर संक्रमित हो जाते हैं, जिससे लार्वा विकसित होते हैं एवं बाद में मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैल जाते हैं।
  • लसीका फाइलेरिया का प्रभाव: यह रोग गंभीर शारीरिक दिव्यांगता एवं दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों का कारण बनता है।
    • यह लिम्फोएडेमा (अंगों की सूजन) एवं हाइड्रोसील (अंडकोष की सूजन) का कारण बनता है, जो जीवन की गुणवत्ता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Diseases- NTDs)

  • परिभाषा: NTD वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी, कवक एवं विषाक्त पदार्थों के कारण होने वाली स्थितियों का एक विविध समूह है। वे गंभीर स्वास्थ्य, सामाजिक तथा आर्थिक बोझ का कारण बनते हैं, जो मुख्य रूप से गरीब उष्णकटिबंधीय समुदायों को प्रभावित करते हैं।
  • वैश्विक प्रभाव: 1 बिलियन से अधिक लोग प्रभावित हैं, जिनमें से 1.6 बिलियन को रोकथाम एवं उपचार के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
  • NTD के उदाहरण हैं:-
    • बैक्टीरियल: कुष्ठ रोग, ट्रेकोमा
    • परजीवी: लिम्फैटिक फाइलेरियासिस, सिस्टोसोमियासिस
    • वायरल: चिकनगुनिया, रेबीज
    • फंगल: माइसेटोमा
    • विषाक्त-संबंधी: सांप के काटने से होने वाला विष

लसीका फाइलेरिया पर भारत की स्थिति

  • लगभग 31 मिलियन लोगों में माइक्रोफाइलेरिया (Microfilaria-mf) होने का अनुमान है एवं 23 मिलियन से अधिक लोग फाइलेरिया रोग के लक्षणों से पीड़ित हैं।
  • भारत के LF बोझ का 90% आठ राज्यों में केंद्रित है: बिहार राज्य में सबसे अधिक स्थानिकता (17% से अधिक) है, उसके बाद केरल (15.7%) एवं उत्तर प्रदेश (14.6%) का स्थान है।
    • आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु में लगभग 10% स्थानिकता है।
  • भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को निम्नलिखित के संयोजन के माध्यम से समाप्त करना है:-
    • मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA)।
    • मोरबिडिटी मैनेजमेंट (Morbidity Management)।
    • वेक्टर नियंत्रण रणनीतियाँ (Vector Control Strategies)।

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय केंद्र

  • वेक्टर जनित रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय केंद्र एक अंब्रेला कार्यक्रम है जो वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण पर केंद्रित है।
  • यह विभिन्न वेक्टर जनित संक्रमणों से निपटने के लिए कार्य करता है, जिनमें शामिल हैं:-
    • मलेरिया
    • जापानी इंसेफेलाइटिस
    • डेंगू
    • चिकनगुनिया
    • कालाजार
    • लिम्फैटिक फाइलेरिया
  • वेक्टर जनित रोग वे संक्रमण हैं जो मच्छरों, टिक्स एवं पिस्सू जैसे रक्त-भक्षी कीड़ों के काटने से मनुष्यों तथा जानवरों में फैलते हैं।

मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान के बारे में

  • MDA अभियान में लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (Lymphatic Filariasis-LF) स्थानिक क्षेत्रों में सभी पात्र व्यक्तियों को एंटी-फाइलेरिया दवाओं के संयोजन का पर्यवेक्षित प्रशासन शामिल है।
  • व्यक्ति में लक्षण दिखाई दें या न दिखाई दें, इसकी परवाह किए बिना दवाइयाँ प्रदान की जाती हैं, जिससे व्यापक निवारक कवरेज सुनिश्चित होता है।
  • MDA अभियान उपचार के लिए दो औषधि पद्धतियों का पालन करता है:-
    • डबल ड्रग रेजिमेन (Double Drug Regimen-DA): डायथाइलकार्बामाजिन साइट्रेट (Diethylcarbamazine Citrate-DEC) एवं एल्बेंडाजोल का संयोजन।
    • ट्रिपल ड्रग रेजिमेन (Triple Drug Regimen-IDA): आइवरमेक्टिन, डायथाइलकार्बामाजिन साइट्रेट (Diethylcarbamazine Citrate-DEC) एवं एल्बेंडाजोल का संयोजन।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) MDA अभियान के कार्यान्वयन का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदार है।
  • प्रभारी मंत्रालय: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इस अभियान के कार्यान्वयन की देखरेख तथा समर्थन करता है।
  • MDA अभियान का उद्देश्य: प्राथमिक लक्ष्य 13 राज्यों के 111 स्थानिक जिलों से लिम्फेटिक फाइलेरिया (LF) को समाप्त करना है।
  • इस अभियान का उद्देश्य संक्रमित व्यक्तियों के रक्तप्रवाह में मौजूद सूक्ष्म फाइलेरिया परजीवियों को खत्म करना है, जिससे आगे के संक्रमण को रोका जा सके।

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