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पुलवामा के बाद भारत और पाकिस्तान के लिए सबक

Lokesh Pal February 15, 2025 05:30 110 0

संदर्भ:

आज से ठीक छह साल पहले, 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर एक वाहन सवार आत्मघाती हमलावर ने घात लगाकर हमला किया था, जिसके परिणामस्वरूप सेना के 40 जवान शहीद हो गए थे।

बालाकोट हवाई हमले और उसके बाद की घटनाएँ:

  • हमले की जिम्मेदारी: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली।
    • इस घटना का मुख्य हमलावर, आदिल अहमद डार, हमले को अंजाम देने से एक साल पहले जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था।
  • सैन्य प्रतिक्रिया: 26 फरवरी, 2019 को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के मिराज 2000 जेट विमानों ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया और खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के शिविर पर हमला किया।
    • भारतीय सेना द्वारा अपनाई गई यह प्रतिक्रिया अपनी पिछली घटनाओं से एक महत्वपूर्ण बदलाव था, क्योंकि इससे पहले ऑपरेशन नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के क्षेत्रों तक ही सीमित थे।
  • हवाई-हवाई हमले : घटना के दूसरे ही दिन, पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने जम्मू सेक्टर में जवाबी हमले किए। भारत ने दावा किया कि उसने एक पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया है, जबकि एक भारतीय मिग-21 को मार गिराया गया। इसके तहत भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया।
  • कूटनीतिक दबाव: रिपोर्टों से संकेत मिला कि भारत पाकिस्तान पर मिसाइल हमले की तैयारी कर रहा था। तनाव कम करने के लिए पाकिस्तान ने ‘शांति के संकेत’ के तौर पर विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करने की घोषणा की। 
    • पूर्व भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया के अनुसार, पायलट की रिहाई सुनिश्चित करने में भारत की दबावपूर्ण कूटनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रणनीतिक निहितार्थ:

  • निष्क्रियता का अंतबालाकोट हमलों ने यह प्रदर्शित कर दिया कि भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों के प्रति निष्क्रिय नहीं रहेगा।
  • परमाणु ब्लैकमेल का अंत: भारत ने रावलपिंडी की परमाणु निवारण की रणनीति को चुनौती देते हुए पाकिस्तान पर सैन्य बल का प्रयोग करने की इच्छा जताते हुए, हर अवसर के लिए तैयार रहने पर बल दिया।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:

  • ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट : पाकिस्तान ने बालाकोट हवाई हमलों के जवाब में 27 फरवरी, 2019 को ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट शुरू किया।
    • पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने ऑपरेशन को सफल घोषित करते हुए कहा कि यह किसी भी आक्रमण के खिलाफ पाकिस्तान के संकल्प को दर्शाता है।
  • विजय आख्यान: भारत और पाकिस्तान दोनों ने विजय आख्यान की घोषणा की, जिससे आगे तनाव बढ़ने की संभावना कम हो गई, तथा संकट में शीघ्र ही कमी देखी गई।

दोनों राष्ट्रों के रणनीतिक सिद्धांत:

  • वायुशक्ति का प्रयोग: भारत का राजनीतिक नेतृत्व अब पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता पर विचार करता है, पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के प्रयोग के विरुद्ध निवारक के रूप में मानता है।
    • पूर्व वायुसेना प्रमुख एसीएम आरकेएस भदौरिया ने इस बात पर जोर दिया कि बालाकोट ने उप-परंपरागत संघर्ष के भीतर एक स्थान का प्रदर्शन किया । साथ ही उन्होंने उसके भीतर एक ऐसा स्थान प्रदर्शित किया, जहां पूर्ण पैमाने पर तनाव बढ़ाए बिना वायुशक्ति का उपयोग किया जा सकता है।
  • ‘क्विड प्रो क्वो प्लस’: पाकिस्तान की ‘क्विड प्रो क्वो प्लस’ (‘Quid Pro Quo Plus’) रणनीति का उद्देश्य प्रत्येक अवसर पर प्रतिक्रिया देना है। भारत की सीमित सैन्य कार्रवाइयों का जवाब थोड़े अधिक आक्रामक लेकिन नियंत्रित जवाबी हमले से देना है।
  • भिन्न-भिन्न धारणाएँ: भारत पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को एक धोखा मानता है। हालाँकि, पाकिस्तान भी भारत के कार्यक्रम को एक धोखा मानता है। परमाणु हथियारों को एक प्रमुख निवारक के रूप में देखता है जो भारत को सीमित हमलों से आगे बढ़ने से रोकता है।
  • परमाणु निवारण: सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई ने तर्क दिया कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार परमाणु हथियारों को रोकते हैं। भारत को एक हमले से आगे अपने अभियान का विस्तार करने से रोकते हैं।

भविष्य में संकट का खतरा:

  • राजनयिक चैनलों का अभाव: न्यूनतम प्रत्यक्ष संचार के कारण, गलतफहमी या गलत व्याख्या से तनाव अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकता है।
  • सार्वजनिक दबाव और सोशल मीडिया: बयानबाजी से प्रेरित सार्वजनिक भावना नेताओं पर त्वरित, निर्णायक सैन्य कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल सकती है।
  • हेनरी किसिंजर की चेतावनीवर्ल्ड ऑर्डर  में किसिंजर ने चेतावनी दी है कि डिजिटल युग की लोकलुभावनवादिता रणनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।

आतंकवादी घटनाओं की वृद्धि का प्रबंधन:

  • भारत का रुख : भारतीय सैन्य विशेषज्ञों द्वारा बालाकोट घटनाक्रम को आतंकवादी हमला बताया “गैर-सैन्य पूर्व-प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई” बताया जिसका उद्देश्य नागरिक हताहतों से बचना था।
  • पाकिस्तान का रुख : सैन्य विशेषज्ञों द्वारा “गैर-सैन्य संपत्तियों” को निशाना बनाने पर जोर दिया गया हालांकि वो संपार्श्विक क्षति से बचते हुए नजर आए।
    • सैन्य संलग्नताओं के बावजूद, दोनों देशों ने पूर्ण पैमाने पर युद्ध को रोकने की अपनी मंशा का संकेत दिया। 

निष्कर्ष:

हालांकि दोनों देशों के मध्य, संवाद और सार्वजनिक बयानबाजी का अभाव एक चुनौती बना हुआ है परंतु अनपेक्षित परिणामों को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक संकट प्रबंधन की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: बालाकोट हवाई हमलों (2019) ने सीमा पार आतंकवाद के प्रति भारत की सैन्य प्रतिक्रिया में बदलाव को चिह्नित किया है। विश्लेषण करें कि इस घटना ने भारत के पारंपरिक सैन्य सिद्धांतों और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थों को कैसे प्रभावित किया है।

(15 अंक, 250 शब्द)

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