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प्रतिपूरक वनरोपण निधि का दुरुपयोग

Lokesh Pal February 24, 2025 03:17 112 0

संदर्भ

वर्ष 2019-2022 की अवधि के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा उत्तराखंड में प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority-CAMPA) के कामकाज का ऑडिट किया गया। इस रिपोर्ट में प्रतिपूरक वनीकरण के लिए निर्धारित निधि के दुरुपयोग और उसके अन्य उपयोग या डायवर्जन का खुलासा किया गया।

CAG रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • निधियों का विचलन: 13.86 करोड़ रुपये वनरोपण के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग  किए गए, जिनमें शामिल हैं:
    • आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज और कूलर की खरीद।
    • इमारतों का नवीनीकरण।
    • अदालती मामलों के लिए कानूनी खर्च।
  • वनरोपण में देरी: CAMPA के दिशा-निर्देशों के अनुसार, धन प्राप्त होने के 1 वर्ष (या 2 बढ़ते मौसम) के भीतर वनरोपण किया जाना चाहिए।
    • 37 मामलों में वनरोपण में 8 वर्षों से अधिक का विलंब हुआ, जिसके कारण लागत में 11.54 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
  • लगाए गए वृक्षों की न्यूनतम जीवन दर: लगाए गए वृक्षों की जीवित रहने की दर 33.51% थी, जो वन अनुसंधान संस्थान के अनुसार अनिवार्य 60-65% से काफी कम है।
  • वनीकरण के लिए अनुपयुक्त भूमि: पाँच वन प्रभागों में 1,204.04 हेक्टेयर भूमि वनीकरण के लिए अनुपयुक्त पाई गई।
    • प्रभागीय वन अधिकारियों (Divisional Forest Officers-DFO) ने भूमि की स्थिति की पुष्टि किए बिना गलत उपयुक्तता प्रमाण-पत्र जारी किए।
  • अनाधिकृत वन भूमि परिवर्तन: अनिवार्य केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बिना उत्तराखंड सरकार ने वन भूमि परिवर्तन को मंजूरी दे दी।

प्रतिपूरक वनरोपण क्या है?

  • प्रतिपूरक वनरोपण (Compensatory Afforestation) भारत में वन संरक्षण तंत्र है, जिसका उद्देश्य औद्योगिक परियोजनाओं, बुनियादी ढाँचे के विकास और खनन जैसे गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग के कारण होने वाली क्षति की भरपाई करना है। 
  • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पारिस्थितिकी क्षति की भरपाई के लिए उतनी ही मात्रा में भूमि पर वनरोपण किया जाए।

कानूनी ढाँचा और कार्यान्वयन

  • वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अनुसार, जब भी वन भूमि को गैर-वनीय गतिविधियों के लिए उपयोग में लाया जाता है, तो प्रतिपूरक वनरोपण को अवश्य किया जाना चाहिए।
  • वनरोपण के लिए भूमि आवंटन
    • वनरोपण के लिए गैर-वन भूमि, अधिमानतः मौजूदा वन क्षेत्रों के निकट, की पहचान की जाती है।
    • यदि गैर-वन भूमि उपलब्ध नहीं है, तो विच्छेदित वन भूमि का उपयोग डायवर्टेड लेंड/भूमि  के दोगुने क्षेत्र में किया जाता है।
    • यदि ऐसी कोई भूमि उपलब्ध नहीं है तो राज्य के मुख्य सचिव से प्रमाण-पत्र लेना आवश्यक है।
  • वित्तीय योगदान
    • परियोजना डेवलपर्स को वनरोपण की पूरी लागत वहन करनी होगी।
    • भुगतान में डायवर्टेड वन का नेट प्रेजेंट वैल्यू (Net Present Value-NPV) शामिल है, जो ₹9.5 लाख से लेकर ₹16 लाख प्रति हेक्टेयर तक है।
    • जलग्रहण क्षेत्र उपचार और सुरक्षा उपायों के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता हो सकती है।
  • प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA)
    • स्थापित
      • वर्ष 2002 में, सर्वोच्च न्यायालय ने T N गोधावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ मामले में प्रतिपूरक वनरोपण कोष (CAF) के निर्माण का आदेश दिया था।
      • वर्ष 2006 में, सर्वोच्च न्यायालय ने CAMPA के संचालन तक CAF के प्रबंधन के लिए एक तदर्थ CAMPA की स्थापना का आदेश दिया।
      • वर्ष 2004 में, पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा CAF के प्रबंधन के लिए CAMPA का गठन किया गया।
    • CAMPA की स्थापना प्रतिपूरक वनरोपण गतिविधियों की निगरानी, ​​तकनीकी सहायता प्रदान करने और मूल्यांकन करने के लिए की गई थी।
    • यह प्रतिपूरक वनरोपण निधि (CAF) का प्रबंधन करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि निधियों का उपयोग वनरोपण और पुनर्जनन के लिए किया जाए ताकि गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली वन भूमि की भरपाई की जा सके।

पृष्ठभूमि और तर्क

  • वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980: वन भूमि के गैर-वनीय उपयोगों (जैसे, खनन, उद्योग) में परिवर्तित होने पर प्रतिपूरक वनरोपण को अनिवार्य बनाता है।
  • शुद्ध वर्तमान मूल्य (Net Present Value-NPV): उपयोगकर्ता एजेंसियों को नष्ट हुई पारिस्थितिक सेवाओं की प्रतिपूर्ति के लिए परिवर्तित किए गए वन के NPV का भुगतान करना होगा।
  • CAMPA की आवश्यकता: प्रतिपूरक वनरोपण के लिए एकत्रित धन का प्रबंधन करना और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना।

प्रतिपूरक वनरोपण निधि (CAF) अधिनियम, 2016

  • अधिनियमित: CAMPA की संरचना और कार्यप्रणाली को औपचारिक रूप देना।
  • मुख्य प्रावधान
    • निधि सृजन
      • राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनरोपण निधि (National Compensatory Afforestation Fund-NCAF): भारत के सार्वजनिक खाते के अंतर्गत।
      • राज्य प्रतिपूरक वनरोपण निधि (State Compensatory Afforestation Funds-SCAF): राज्यों के सार्वजनिक खातों के अंतर्गत।
    • निधि आवंटन
      • CAF की 90% निधि राज्यों को दी जाती है।
      • 10% केंद्र द्वारा रखी जाती है।
    • निधि का उपयोग
      • प्रतिपूरक वनरोपण।
      • जलग्रहण क्षेत्र उपचार।
      • प्राकृतिक पुनर्जनन में सहायता।
      • वन प्रबंधन और वन्यजीव संरक्षण।
      • संरक्षित क्षेत्रों से गाँवों का स्थानांतरण।
      • मानव-वन्यजीव संघर्षों का प्रबंधन।
      • प्रशिक्षण और जागरूकता सृजन।
      • लकड़ी छीलने वाले उपकरणों/वुड सेविंग इक्विपमेंट्स की आपूर्ति।
    • वैधानिक स्थिति: इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय और राज्य CAMPA को वैधानिक स्थिति दी गई है।
    • लेखापरीक्षा: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा खातों की वार्षिक लेखापरीक्षा।

CAMPA के कार्य 

  • प्रतिपूरक वनरोपण: गैर-वन भूमि के बराबर क्षेत्र या क्षरित वन भूमि के दोगुने क्षेत्र पर वन लगाना।
  • निधि प्रबंधन: वनरोपण और संबंधित गतिविधियों के लिए निधियों का उचित उपयोग सुनिश्चित करना।
  • निगरानी और मूल्यांकन: वनरोपण परियोजनाओं की देखरेख करना और दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना।
  • क्षमता निर्माण: प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित करना।

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र CAMPA 

  • प्रतिपूरक वनरोपण के लिए एकत्रित धनराशि का उचित प्रबंधन और उपयोग सुनिश्चित करने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों और राज्य कैम्पा दिशा-निर्देश, 2009 के अनुसरण में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र CAMPA की स्थापना की गई। 
  • ये निकाय राज्य और संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर प्रतिपूरक वनरोपण परियोजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं।

CAMPA का महत्त्व

  • पर्यावरण क्षतिपूर्ति: यह सुनिश्चित करता है कि वन क्षेत्र की क्षति की भरपाई वनरोपण और संरक्षण प्रयासों के माध्यम से की जाए।
  • सतत् विकास: विकासात्मक आवश्यकताओं को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करता है।
  • कानूनी ढांँचा: निधि प्रबंधन और उपयोग के लिए एक संरचित तंत्र प्रदान करता है।
  • जवाबदेही: नियमित ऑडिट पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं और निधियों के दुरुपयोग को रोकते हैं।

कार्यान्वयन में चुनौतियाँ

  • वनरोपण में देरी: इन परियोजनाओं में प्रायः देरी होती है, जिससे लागत में वृद्धि और अकुशलता देखी जाती है।
  • धन का दुरुपयोग: असंबंधित उद्देश्यों (जैसे, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीद, भवन नवीनीकरण) के लिए धन के डायवर्जन या अन्य उपयोग के उदाहरण।
  • पौधरोपण की न्यूनतम उत्तरजीविता दर: उत्तरजीविता दर प्रायः अनिवार्य 60-65% से कम हो जाती है।
  • अनुपयुक्त भूमि: वनरोपण कभी-कभी पेड़ों की वृद्धि के लिए अनुपयुक्त भूमि पर किया जाता है।

CAG की सिफारिशें

  • वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करना: फंड के दुरुपयोग को रोकने के लिए बजटीय नियंत्रण जांँच को लागू करना।
  • जवाबदेही: लापरवाही और अनधिकृत फंड जारी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करना।
  • भूमि उपयुक्तता सत्यापन: प्रमाण-पत्र जारी करने से पूर्व भूमि उपयुक्तता का उचित सत्यापन सुनिश्चित करना।
  • समय पर निष्पादन: लागत वृद्धि से बचने के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर वनीकरण गतिविधियों को पूरा करना।

निष्कर्ष 

CAMPA प्रतिपूरक वनरोपण सुनिश्चित करके भारत की विकासात्मक आवश्यकताओं और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि, प्रभावी कार्यान्वयन, पारदर्शिता और फंड के दुरुपयोग तथा देरी जैसी चुनौतियों का समाधान इसके सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है।

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