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Lokesh Pal
February 22, 2025 05:15
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हालिया शोध अध्ययनों के मुताबिक, भारत में लंबित मामलों की संख्या बहुत अधिक है, लाखों मामले न्यायालयों में लंबित हैं। न्याय व्यवस्था को विश्वसनीय व सतत बनाने के लिए, न्यायिक सुधारों की ओर कदम बढ़ाने व मामलों के त्वरित समाधान की तत्काल आवश्यकता है।
अतः मध्यस्थता में पारंपरिक मुकदमेबाजी के लिए एक त्वरित, लागत-प्रभावी और रुचि-आधारित विकल्प प्रदान करके न्यायिक बैकलॉग को कम करने की महत्वपूर्ण क्षमता है। इस नीति की सफलता कानूनी और वाणिज्यिक क्षेत्रों में अधिक व्यावसायिकता, जागरूकता और संरचित अपनाने पर निर्भर करती है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न. भारतीय न्यायालयों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या न्याय वितरण प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती है। न्यायिक देरी में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों का विश्लेषण करें और इस मुद्दे को हल करने के लिए संस्थागत और नीतिगत उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द) |
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