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Lokesh Pal
February 24, 2025 05:30
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FICCI-KPMG द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन “भारतीय कार्यबल की वैश्विक गतिशीलता” में अनुमान लगाया गया है, कि वर्ष 2030 तक कुशल श्रमिकों की वैश्विक कमी 85.2 मिलियन से अधिक हो सकती है, जिससे अनुमानित $8.45 ट्रिलियन का अप्राप्त वार्षिक राजस्व (unrealized annual revenue) होगा, जो जर्मनी और जापान के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है।
वैश्विक कौशल की कमी भारत के लिए कुशल श्रम उपलब्ध कराने में अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्वयं को स्थापित करने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करती है। भारत के कार्यबल का भविष्य वैश्विक माँग के अनुकूल होने और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने की इसकी क्षमता में निहित है, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम बाजार में एक विशेष शक्ति बनाता है।
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