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भारतीय कृषि में मृदा स्वास्थ्य और इसकी आवश्यकता

Lokesh Pal February 25, 2025 05:30 9 0

संदर्भ:

मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना मृदा परीक्षण के माध्यम से संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देकर मृदा क्षरण को संबोधित करती है।

भारत में मृदा संकट के कारण

  • फसल और मृदा उत्पादकता में सुधार के लिए संतुलित मृदा-पोषक तत्त्व प्रोफ़ाइल महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि, भारत में मृदा स्वास्थ्य में गिरावट एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।
  • उर्वरक उपयोग में असंतुलन: वर्तमान उर्वरक-सब्सिडी प्रणाली यूरिया के प्रयोग पर अधिक ज़ोर देती है, जिससे नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग होता है।
    • अपर्याप्त फॉस्फोरस और पोटेशियम अनुपूरण मृदा संतुलन को बिगाड़ता है।
  • NPK-उपयोग अनुपात: उर्वरक सांख्यिकी रिपोर्ट (Fertiliser Statistics Report) में बताया गया है, कि 2021-22 में NPK-उपयोग अनुपात 7.7:3.1:1 था, जिसमें नाइट्रोजन का अधिक प्रयोग था।
    • आदर्श NPK अनुपात 4:2:1 है, जो संतुलित पोषक तत्त्व उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
  • अत्यधिक उपयोग: अत्यधिक नाइट्रोजन अनुप्रयोग सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की मात्रा तथा मृदा  उत्पादकता को कम करता है, साथ ही भूजल को दूषित करता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड:

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) योजना के बारे में: इसे संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देने और मृदा स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।
    • यह मृदा स्वास्थ्य और उर्वरक आवेदन पर व्यक्तिगत सिफारिशें प्रदान करता है। मृदा परीक्षण के माध्यम से भूमि क्षरण को संबोधित करने में सहायता करता है।
  • कार्यान्वयन और पहुँच: देश भर में 247 मिलियन से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं। 17 राज्यों में 665 ग्राम-स्तरीय  STLs (VSTLs) सहित 8,272 मृदा-परीक्षण प्रयोगशालाएँ (STL) स्थापित की गईं।
    • मृदा-परीक्षण प्रयोगशालाओं का विकेंद्रीकरण सुनिश्चित करता है, कि किसानों को समय पर और सटीक मृदा-विश्लेषण के परिणाम प्राप्त हों।
    • उद्यमी-नेतृत्व वाली और स्वयं सहायता समूह (SHG) STL पहुँच को बढ़ाती हैं।

कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:

  • बुनियादी ढाँचा संबंधी मुद्दे: STL को बुनियादी ढाँचे, कुशल श्रमिकों और पूँजी निवेश की आवश्यकता होती है। कई प्रयोगशालाओं में कर्मचारियों की कमी है और पर्याप्त बुनियादी ढाँचे का अभाव है, जिससे अक्षमताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • कार्यान्वयन में देरी: किसानों को मृदा परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने में देरी का सामना करना पड़ता है। कई किसान एसएचसी की सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए संघर्ष करते हैं।

आगे की राह

  • तकनीकी विकास: 1,020 विद्यालय, स्कूल मृदा-स्वास्थ्य कार्यक्रम को लागू कर रहे हैं, जिसमें 1,000 एसटीएल और 100,000 से अधिक विद्यार्थी नामांकित हैं।
    • भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियाँ मृदा मानचित्रण में सहायता करती हैं और SHC मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से मृदा नमूनों को परीक्षण परिणामों से जोड़ती हैं।
    • भारतीय मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण ने 40 आकांक्षी जिलों में 29 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र  का मानचित्रण किया है।
    • इन पहलों को उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़ने से मृदा सर्वेक्षण और भूमि-उपयोग नियोजन में सटीकता बढ़ेगी।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता: पोर्टेबल AI-आधारित मृदा परीक्षण किट का उपयोग विभिन्न स्थलों पर किया जा सकता है, जिसके लिए न्यूनतम प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। यह किसानों के लिए दक्षता और पहुँच में सुधार करता है।
  • कृषि-रास्ता (KRISHI-RASTAA): यह IoT-आधारित स्वचालित मृदा परीक्षण और कृषि विज्ञान सलाहकार मंच है। 30 मिनट में 12 प्रमुख मृदा पैरामीटर परीक्षण करता है। इस ICAR-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान और एग्रीटेक स्टार्टअप कृषि तंत्र द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
  • एग्रीटेक स्टार्टअप की भूमिका: एग्रीटेक स्टार्टअप मृदा परीक्षण और उर्वरक अनुशंसाओं को बेहतर बनाने के लिए एआई तकनीकी का लाभ उठा सकते हैं।
  • जागरूकता: मृदा स्वास्थ्य कार्ड लाभों के बारे में किसानों में जागरूकता का विस्तार करें।
  • कार्यान्वयन: बेहतर मृदा स्वास्थ्य के लिए एसएचसी अनुशंसाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।
  • वास्तविक समय सलाह: सूचित निर्णय लेने में सहायता के लिए वास्तविक समय कृषि संबंधी सलाह सेवाएँ प्रदान करें।

निष्कर्ष

मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए डेटा-संचालित, प्रौद्योगिकी-सक्षम दृष्टिकोण आवश्यक है। SHC योजना को मजबूत और AI-संचालित समाधानों को एकीकृत करना भारत में सतत तथा उत्पादक कृषि प्रणाली को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

जाँच कीजिए, कि भारत की असंतुलित उर्वरक सब्सिडी नीति ने मृदा स्वास्थ्य संकट में किस प्रकार योगदान दिया है। एक सतत मृदा प्रबंधन ढाँचा बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, नीतिगत सुधार और किसान शिक्षा को शामिल करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण का सुझाव दीजिए। इस संदर्भ में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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