‘सस्टेनेबल कूलिंग एंड डबलिंग द रेट ऑफ एनर्जी एफीशियेंसी इम्प्रूवमेंट’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन
हाल ही में नई दिल्ली में ‘सस्टेनेबल कूलिंग एंड डबलिंग द रेट ऑफ एनर्जी एफीशियेंसी इम्प्रूवमेंट’ पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया।
सम्मेलन के बारे में
आयोजन: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) एवं भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के तहत पावर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI) द्वारा।
उद्देश्य: ऊर्जा दक्षता में सुधार एवं ‘सस्टेनेबल कूलिंग’ समाधानों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना।
सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ
ऊर्जा प्रवृत्तियों एवं दक्षता प्रगति का विवरण देते हुए ‘भारत ऊर्जा परिदृश्य 2023-24’ रिपोर्ट की शुरुआत।
ऊर्जा मिश्रण में भारत की उपलब्धि: भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता 47.15% तक पहुँच गई, एवं निश्चित प्रतिबद्धताओं से पहले उत्सर्जन तीव्रता 36% कम हो गई।
भारत का लक्ष्य: वर्ष 2030 तक ऊर्जा दक्षता को दोगुना करना एवं इसके लिए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुमान के अनुसार ऊर्जा तीव्रता (EI) सुधार दर को 2.5% (2024) से बढ़ाकर 4% (2030) करना आवश्यक है।
पावर फाउंडेशन ऑफ इंडिया
पावर फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक थिंक-टैंक एवं विद्युत क्षेत्र में नीति की सिफारिश करने वाली संस्था है, जो भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)
यह भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक एजेंसी है।
अधिदेश: विनियामक एवं प्रचारात्मक पहलों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में ऊर्जा दक्षता को बढ़ाना।
मुख्य पहल
घरेलू प्रकाश व्यवस्था, वाणिज्यिक भवनों, उपकरणों, कृषि, SMEs एवं बड़े उद्योगों में ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम।
औद्योगिक उप-क्षेत्रों के लिए ऊर्जा खपत मानदंड विकसित करता है।
राज्य नामित एजेंसियों (SDAs) के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है।
माउंट फेंटेले
माउंट फेंटेल (इथियोपिया) ने बहुत बड़ी मात्रा में ‘मीथेन प्लम’ का उत्सर्जन किया है, जो एक अत्यंत दुर्लभ ज्वालामुखी घटना है। वैज्ञानिक इस घटना को “बर्प” के रूप में वर्णित करते हैं, जिसका अर्थ है गैस का अचानक बड़ी मात्रा में निकलना एवं जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव की जाँच करना।
माउंट फेंटेल के बारे में
माउंट फेंटेल मुख्यत: लगातार विस्फोटों के लिए नहीं जाना जाता है।
यहाँ आखिरी बार विस्फोट वर्ष 1820 में हुआ था, जब 2.5 मील (4 किलोमीटर) लंबी दरार से लावा का तीव्र प्रवाह हुआ था।
माउंट फेंटेल ने प्रति घंटे 58 मीट्रिक टन मीथेन का उत्सर्जन किया।
यह बेहद असामान्य घटना है क्योंकि मीथेन आमतौर पर ज्वालामुखी विस्फोटों से जुड़ा नहीं है।
मीथेन का जलवायु पर प्रभाव
मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है जो वायुमंडल में 100 वर्षों में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 28 गुना अधिक तापमान अवशोषित करती है।
यह ग्लोबल वार्मिंग में दूसरी सबसे अधिक योगदानकर्ता गैस है, जो विश्व में कुल उत्सर्जन के 11% के लिए जिम्मेदार है।
घटना का महत्त्व
प्राकृतिक ज्वालामुखी गतिविधि सामान्यत: कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) एवं सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) तथा जल वाष्प (H2O) का उत्सर्जन करती है, परंतु मीथेन (CH₄) का नहीं।
वैज्ञानिक कारण
मीथेन की असामान्य रूप से उच्च सांद्रता बताती है कि यह घटना मैग्मा के सतह पर पहुँचने का परिणाम नहीं है।
इसके बजाय, वैज्ञानिकों का मानना है कि गहरे भूमिगत मैग्मा संचलन ने गैस भंडार को उत्सर्जित कर दिया होगा, जिससे मीथेन नव निर्मित दरारों से बाहर निकल सकता है।
नासा का पंच (PUNCH) मिशन
नासा (NASA) सूर्य के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए PUNCH मिशन नामक एक अद्वितीय सोलर मिशन की तैयारी कर रहा है।
इस मिशन का उद्देश्य सोलर विंड एवं कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) के गठन, उत्पत्ति तथा विकास की निगरानी करना है।
ये सौर गतिविधियाँ अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करती हैं, जो पृथ्वी की संचार प्रणालियों, GPS नेविगेशन एवं पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकती हैं।
PUNCH मिशन के बारे में
पूर्ण नाम: ‘पोलरिमेट्री टू यूनिफाई द कोरोना एंड हेलियोस्फीयर’ (PUNCH)।
लॉन्चिंग: 28 फरवरी, 2025।
लॉन्च: SpaceX एजेंसी द्वारा
मिशन का प्रकार: एक साथ कार्य करने वाले चार छोटे उपग्रहों का एक समूह।
कक्षा: निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO)
मिशन की अवधि: दो वर्ष
PUNCH मिशन की विशेषताएँ
3D अध्ययन के लिए ध्रुवीकृत प्रकाश (Polarized light) का उपयोग करने वाला पहला मिशन
यह विधि सूर्य के वायुमंडल एवं अंतरिक्ष मौसम के बारे में 3D जानकारी प्रदान करेगी।
उन्नत इमेजिंग सिस्टम
चार ऑनबोर्ड कैमरे लगातार सूर्य के कोरोना की उच्च-रिजाल्यूशन वाली इमेज कैप्चर करेंगे।
ये तस्वीरें वैज्ञानिकों को सौर पवन एवं CME का 3D मॉडल बनाने में मदद करेंगी।
यह मिशन शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद करेगा कि सूर्य का वायुमंडल किस तरह से सौर पवन में परिवर्तन करता है।
नौसेना एंटी-शिप मिसाइल – शॉर्ट रेंज (NASM-SR)
DRDO एवं भारतीय नौसेना ने एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR), चाँदीपुर, ओडिशा में नौसेना एंटी-शिप मिसाइल-शॉर्ट रेंज (Naval Anti-Ship Missile – Short Range- NASM-SR) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
नौसेना एंटी-शिप मिसाइल – शॉर्ट रेंज (NASM-SR)
यह भारतीय नौसेना के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक एडवांस एंटी-शिप मिसाइल है।
इसे उच्च परिशुद्धता के साथ दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने एवं नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
मिसाइल को भारतीय नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टर से लॉन्च किया गया एवं इसने जहाज के लक्ष्य को सटीकता से निशाना बनाया।
मिसाइल ने ‘मैन-इन-लूप’ सुविधा का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया, जिससे पायलट को उड़ान के बीच में लक्ष्य बदलने की अनुमति मिली।
इसने अधिकतम सीमा पर ‘सी-स्किमिंग’ मोड का उपयोग करके सीधे एक छोटे जहाज के लक्ष्य को निशाना बनाया।
NASM-SR की विशेषताएँ
मार्गदर्शन प्रणाली
स्वदेशी इमेजिंग इन्फ्रा-रेड सीकर: अंतिम चरण में मिसाइल को लक्ष्य तक ले जाता है।
मिड-कोर्स नेविगेशन: सटीक उड़ान पथ के लिए फाइबर ऑप्टिक जाइरोस्कोप-आधारित प्रणाली एवं रेडियो अल्टीमीटर का उपयोग करता है।
स्मार्ट प्रौद्योगिकी:
टू-वे डेटालिंक: उड़ान के दौरान समायोजन के लिए मिसाइल के कैमरे से पायलट को ‘रियल टाइम इमेज’ प्रेषित करता है।
टारगेट सिलेक्शन: केवल बियरिंग लॉक-ऑन मोड में लॉन्च किया गया, जिससे पायलट मिशन के बीच में छिपे हुए लक्ष्यों को चुन सकते हैं।
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