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भारत का ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता

Lokesh Pal March 01, 2025 04:15 20 0

संदर्भ 

भारत ने निर्यात को बढ़ावा देने और भारतीय उद्योगों के लिए बेहतर बाजार पहुंँच सुनिश्चित करने के लिए 13 मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements-FTA) और छ: तरजीही व्यापार संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारत-ब्रिटेन FTA का अवलोकन

  • भारत-यू.के. FTA के लक्ष्य
    • टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम कर व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना।
    • प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में सहयोग को बढ़ावा देना।
  • व्यापारिक वस्तुओं के व्यापार में अपेक्षित लाभ
    • भारत का ब्रिटेन को निर्यात (वित्त वर्ष 24): 12.9 बिलियन डॉलर
      • निर्यात पर सीमित प्रभाव उत्पन्न होगा क्योंकि आधे भारतीय उत्पाद पहले से ही कम या बिना किसी शुल्क के यू.के. के बाजार में हैं।
      • पेट्रोलियम, दवाइयों, हीरे, मशीन के पुर्जों, विमानों और लकड़ी के फर्नीचर (जो पहले से ही शुल्क-मुक्त हैं) के लिए कोई अतिरिक्त लाभ नहीं।
      • कपड़ा, जूते, कालीन, समुद्री उत्पाद, अंगूर और आम के लिए संभावित शुल्क कटौती लाभ।
    • ब्रिटेन से भारत का आयात (वित्त वर्ष 2024): $8.4 बिलियन
      • भारत में आने वाले यू.के. उत्पादों पर उच्च टैरिफ, जैसे कारों पर 100%, स्कॉच व्हिस्की और वाइन पर 150%।
      • यू.के. को कीमती धातुओं, कारों, शराब, सौंदर्य प्रसाधन, मशीनरी और पेट्रोलियम उत्पादों में लाभ मिलने की उम्मीद है।

भारत-ब्रिटेन FTA में प्रमुख माँगें

  • भारत की माँगें
    • ब्रिटेन में भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए बेहतर पहुँच।
    • ब्रिटेन में भारतीय कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा समझौता।
    • विभिन्न भारतीय वस्तुओं के लिए शून्य-शुल्क पहुँच।
  • ब्रिटेन की माँगें
    • स्कॉच व्हिस्की, इलेक्ट्रिक वाहन, भेड़ के मांस, चॉकलेट और कन्फैक्शनरी वस्तुओं पर आयात शुल्क को कम किया गया।
    • भारत में यू.के. दूरसंचार, कानूनी, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में वृद्धि।
  • प्रस्तावित भारत-यू.के. द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT)
    • इसका उद्देश्य दोनों देशों में निवेश की सुरक्षा और उसे बढ़ावा देना है।
    • विवाद समाधान तंत्र
      • भारत की इच्छा है कि विदेशी कंपनियाँ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की माँग करने से पहले भारतीय न्यायालयों के समक्ष प्रस्तुत हों।
      • भारत की धीमी न्यायिक प्रणाली के कारण ब्रिटेन सीधे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को प्राथमिकता देता है।
    • निवेश प्रभाव: इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि BIT निवेश बढ़ाते हैं, लेकिन वे निवेशकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

मुक्त व्यापार समझौता (FTA) क्या है?

  • FTA दो या दो से अधिक देशों के बीच एक व्यापार समझौता है, जो अधिकांश वस्तुओं (90-95%) पर आयात शुल्क को कम या समाप्त कर देता है।
  • यह गैर-टैरिफ बाधाओं को भी कम करता है और सेवाओं तथा निवेश में व्यापार को बेहतर बनाने के लिए विनियमों को सरल बनाता है।
  • व्यापार समझौतों के प्रकार
    • अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA) – चुनिंदा वस्तुओं पर टैरिफ में कटौती (जैसे, भारत-थाईलैंड PTA)।
    • क्षेत्रीय व्यापार समझौता (RTA) – किसी विशिष्ट क्षेत्र के भीतर व्यापार समझौते।

    • द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) – दो देशों के बीच व्यापार समझौते।
    • व्यापक आर्थिक समझौते
      • CECA (व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता) – भारत-सिंगापुर।
      • CEPA (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता) – भारत-कोरिया, जापान।
      • TEPA (व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता) – व्यापक व्यापार समझौते।
    • FTA किस प्रकार कार्य करता है?
      • इसे टैरिफ, कोटा या अन्य व्यापार बाधाओं जैसे प्रतिबंधों के बिना व्यापार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रों के बीच औपचारिक और आपसी समझौते द्वारा लागू किया जाता है।
      • FTA में शामिल राष्ट्र व्यापार विनियमनों को पूरी तरह से समाप्त नहीं करते हैं, लेकिन आयात और निर्यात को सरल बनाने वाली शर्तों पर सहमत होते हैं।
      • यह कुछ सीमा तक सरकारी निगरानी बनाए रखते हुए व्यापार प्रक्रिया को स्वतंत्र रूप से सरल बनाता है।

FTA के पक्ष और विपक्ष

पक्ष

विपक्ष

बाजार विस्तार: साझेदार देशों तक शून्य-शुल्क पहुंँच से निर्यातकों को नए बाजारों तक पहुँचने और बिक्री बढ़ाने में सहायता मिलती है। बेरोजगारी: घरेलू उद्योगों को विदेशी समकक्षों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में कठिनाई हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप देश में नौकरियाँ समाप्त हो सकती हैं।

प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि: FTA, घरेलू कंँपनियों को अन्य सदस्य देशों के समान ही प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ प्रदान करता है।

उद्योग का स्थानांतरण: बड़े स्तर के उद्योग कम कठोर पर्यावरण और श्रम नियमों वाले देशों में स्थानांतरित हो सकते हैं, जिससे बाल श्रम और प्रदूषण जैसी समस्याएंँ उत्पन्न हो सकती हैं।

संवेदनशील उद्योगों का संरक्षण: संवेदनशील घरेलू उद्योगों को टैरिफ कटौती से बचाने के लिए नकारात्मक और बहिष्करण सूचियों को शामिल करना।

वैश्विक बाजारों पर बढ़ती निर्भरता: वैश्विक बाजारों पर अत्यधिक निर्भरता किसी राष्ट्र को संकट के समय, जैसे युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान असुरक्षित कर सकती है, जिसके लिए घरेलू उद्योगों के महँगे पुनर्निर्माण की आवश्यकता होती है।

व्यापार हेतु सुरक्षा उपाय: घरेलू उद्योगों को आयात वृद्धि से बचाने के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क और अन्य सुरक्षा तंत्रों का कार्यान्वयन।

  • भारत के FTA साझेदार
    • देश: श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, UAE, मॉरीशस।
    • क्षेत्रीय ब्लॉक: आसियान और EFTA।
    • वर्तमान फोकस बदलाव: प्रमुख एशियाई भागीदारों के साथ सौदे करने के बाद भारत अब पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं (यू.के., ई.यू., यू.एस.) को प्राथमिकता दे रहा है।

निष्कर्ष

  • भारत की FTA रणनीति एशिया से हटकर पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की ओर स्थानांतरित हो गई है।
  • भारत-यू.के. FTA का उद्देश्य टैरिफ को कम करके और निवेश नियमों को आसान बनाकर व्यापार को बढ़ावा देना है।
  • दोनों देश घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करते हुए परस्पर आर्थिक लाभ चाहते हैं।

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