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राजनीति का अपराधीकरण: फास्ट-ट्रैक अदालतों की धीमी कार्यप्रणाली

Lokesh Pal March 01, 2025 05:15 24 0

संदर्भ: 

हाल ही में,  सर्वोच्च न्यायालय ने दोषी व अपराधी प्रवृति के विधायकों (legislator) पर छह वर्ष के प्रतिबंध के तर्क पर सवाल उठाया, तथा हितों के टकराव और फास्ट-ट्रैक अदालतों की धीमी कार्यप्रणाली के बारे में चिंता व्यक्त की

  • न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन के नेतृत्व में गठित एक पीठ ने सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया।

राजनीति के अपराधीकरण का आशय: 

  • राजनीति के अपराधीकरण से तात्पर्य आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्तियों द्वारा राजनीतिक प्रक्रियाओं, सरकार की कार्यवाहियों, व चुनाव उम्मीदवारी आदि में प्रतिभाग करने या सक्रिय भागीदारी से है। 
  • इसमें संसद और राज्य विधानसभाओं  में पदों के लिए चुनाव लड़ने वाले और निर्वाचित होने वाले अपराधी शामिल हो सकते हैं।
  • ऐसा अक्सर राजनेताओं और आपराधिक तत्वों के बीच गठजोड़ के परिणामस्वरूप  होता है।

भारत में राजनीति के अपराधीकरण से संबंधित महत्त्वपूर्ण उदाहरण :

  • राजनैतिक प्रतिनिधियों के आपराधिक मामलों में वृद्धि : 2018 में सांसदों/विधायकों के खिलाफ 4,075 मामले लंबित थे। 1 जनवरी 2025 तक यह संख्या बढ़कर 4,732 हो गई है, जिसमें 559 मामले एक दशक से अधिक समय से लंबित हैं। 
  • सरकार की प्रतिक्रिया : केंद्र सरकार ने हाल ही में याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अयोग्यता की अवधि तय करने का अधिकार केवल संसद को है
  • बढ़ती आपराधिकता चिंता का विषय : विभिन्न समितियों ने भारत की राजनीतिक प्रणाली में बढ़ती आपराधिकता पर चिंता व्यक्त की है।
  • चुनाव जीतने की अधिक संभावना: राजनीतिक दल जीतने की संभावना को प्राथमिकता देते हैं, तथा 30-35% उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को मैदान में उतारते हैं। 
    • कुछ राज्य विधानसभाओं में 55-65% विधायक आपराधिक रिकॉर्ड वाले हैं।
  • न्यायालय की टिप्पणियां: सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार इस मुद्दे को “लोकतंत्र के लिए कैंसर” कहा है, तथा इस बात पर बल दिया है कि “कानून तोड़ने वाले कानून निर्माता नहीं हो सकते।” 
    • हालाँकि, न्यायालय का मानना है कि विधायी कार्रवाई आवश्यक है, क्योंकि यह संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है
  • आपराधिक रिकॉर्ड: जून 2023 तक: राज्य विधानसभाओं में 4,001 विधायकों में से 44% ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं। उदाहरण के लिए, सितंबर 2023 तक: संसद में 763 सांसदों में से 40% पर आपराधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
    • राज्यसभा सांसद33% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
    • लोकसभा सांसद46% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं (2024 डेटा)।
    • सांसदों/विधायकों के खिलाफ 30% मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं।
    • सर्वाधिक लंबित मामले (पांच वर्षों से अधिक):
      • ओडिशा454 में से 323 मामले
      • महाराष्ट्र482 में से 169 मामले

सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश:

  • फरवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को नामांकन के 72 घंटे के भीतर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन को उचित ठहराने का निर्देश दिया।
  • सितंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने पार्टियों और उम्मीदवारों को मतदान से पहले तीन अलग-अलग तारीखों पर आपराधिक मामलों का विवरण प्रकाशित करने का आदेश दिया
  • उम्मीदवारों पर प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट ने संसद से गंभीर अपराधों से संबंधित सभी आरोपी उम्मीदवारों को राजनीति में प्रवेश करने से रोकने के लिए कानून पारित करने का आग्रह किया।
  • हालिया टिप्पणियां: न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग (ECI) को राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी।
    • सवाल यह है कि सरकारी सेवा के लिए अयोग्य कोई व्यक्ति देश के राजनैतिक पदों पर आसीन या सरकार में मंत्री कैसे बन सकता है।
    • सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि इस संदर्भ में समय पर कोई प्रतिक्रिया दाखिल न की गई तो वह मामले को आगे बढ़ाएगा।

राजनैतिक प्रणाली में सुधार हेतु चुनौतियाँ:

  • धन और बाहुबल: राजनीतिक दल धन और बाहुबल को प्राथमिकता देते हैं, जिससे यह संभावना कम हो जाती है कि वे दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारना बंद कर देंगे
  • धन की वसूलीचुनाव जीतना आर्थिक रूप से लाभदायक है, क्योंकि अक्सर राजनैतिक उम्मीदवार अपने अभियानों में निवेश की गई राशि से कई गुना अधिक वसूली कर लेते हैं।
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा: इससे सुशासन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है
  • संवैधानिक चिंताएं: संविधान के संस्थापकों, जिनमें डॉ. बी.आर. अंबेडकर और डॉ. राजेंद्र प्रसाद शामिल थे, ने यह भविष्यवाणी की थी कि संविधान की सफलता इसके कार्यान्वयनकर्ताओं के चरित्र पर निर्भर करती है।
    • उन्होंने नेक चरित्र वाले नेताओं से यह आशा की थी, लेकिन वास्तविकता ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया
    • संविधान को कायम रखने का दायित्व निभाने वाली संस्थाएं निर्णायक रूप से कार्य करने में अनिच्छुक दिखाई दे रही हैं।
  • जन आंदोलन का अभाव: नागरिक समाज संगठन मतदाताओं को स्वच्छ उम्मीदवार चुनने के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर रहे हैं । हालांकि, व्यवस्था को स्वच्छ बनाने के लिए नागरिकों की ओर से कोई जन आंदोलन नहीं हो रहा है
  • आकस्मिक स्वीकृति: भारत में आपराधिक मामलों वाले वर्तमान विधायकों की संख्या असाधारण रूप से बहुत अधिक है। 
    • अन्य लोकतंत्रों के विपरीत, यहां चुनाव आयोग और नागरिक दोनों द्वारा इस स्थिति को सहजता से स्वीकार कर लिया गया है
  • नैतिकता का पत्तन : राजनीति में नैतिकता और सदाचार काफ़ी कम हो गया है

आगे की राह:

  • विधि आयोग की सिफारिशें: 20 वें विधि आयोग ने अपनी 244वीं रिपोर्ट में पाया कि दोषसिद्धि पर अयोग्यता राजनीति के अपराधीकरण को रोकने में अप्रभावी रही है।
    • अयोग्यता: अपराधीकरण पर अंकुश लगाने के लिए कानूनी सुरक्षा उपायों के साथ आरोप तय करने के चरण में अयोग्यता की सिफारिश की गई।
    • झूठे हलफनामों को रोकना: आयोग द्वारा झूठे हलफनामों के लिए सजा को बढ़ाकर न्यूनतम दो वर्ष कारावास करने का सुझाव दिया गया, जिससे इसे अयोग्यता का आधार बनाया जा सके।
    • शीघ्र दोषसिद्धि: अयोग्यता से पहले शीघ्र दोषसिद्धि सुनिश्चित करने के लिए दिन-प्रतिदिन सुनवाई का आह्वान किया गया।
  • न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेपराजनीतिक और चुनावी प्रणालियों में पवित्रता बहाल करने के लिए न्यायालयों को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता हो सकती है

निष्कर्ष:

राजनीति के अपराधिकरण के प्रश्न पर केंद्र सरकार के कड़े विरोध के कारण सुप्रीम कोर्ट का रुख अनिश्चित बना हुआ है, जो दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध को खारिज करता है। यद्यपि सबसे अहम सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने में सफल होगा या नहीं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: न्यायिक हस्तक्षेप और विधायी उपायों के बावजूद, भारत में राजनीति का अपराधीकरण एक सतत मुद्दा बना हुआ है। इस घटना के अंतर्निहित कारणों का विश्लेषण करें और लोकतांत्रिक शासन पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए प्रभावी रणनीति सुझाएँ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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