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यूनेस्को का ‘लैंग्वेज मैटर: ग्लोबल गाइडेंस ऑन मल्टीलिंगुअल एजुकेशन’

Lokesh Pal March 04, 2025 03:34 17 0

संदर्भ

हाल ही में यूनेस्को ने ‘लैंग्वेज मैटर: ग्लोबल गाइडेंस ऑन मल्टीलिंगुअल एजुकेशन’ (Languages matter: Global guidance on multilingual education) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ 

  • यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की 25वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में संकलित की गई है।
    • अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस: यह प्रत्येक वर्ष  21 फरवरी को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य मातृभाषाओं के उपयोग को संरक्षित करना एवं बढ़ावा देना है।
  • रिपोर्ट का संकलन: यह रिपोर्ट यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (GEM) टीम द्वारा तैयार की गई है।
  • निष्कर्ष
    • मातृभाषा में शिक्षा तक पहुँच: विश्व की 40% जनसंख्या को उस भाषा में शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा नहीं है जिसे वे बोलते या समझते हैं
      • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 90 प्रतिशत आबादी को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा नहीं है, जिससे 25 करोड़ से अधिक विद्यार्थी प्रभावित होते हैं।
    • भाषायी विविधता: वैश्विक प्रवास में वृद्धि के परिणामस्वरूप कक्षाओं में भाषायी विविधता में वृद्धि हो रही है, जहाँ विविध भाषायी पृष्ठभूमि से शिक्षार्थी अधिक सामान्य  होते जा रहे हैं।
    • 31 मिलियन से अधिक विस्थापित युवा शिक्षा में भाषा संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
    • सीखने के स्तर में कमी: समग्र जनसंख्या में पढ़ने और गणित दोनों में सीखने के स्तर में तेज कमी देखी गई है, वर्ष 2010 और वर्ष 2022 के बीच यह अंतर औसतन बढ़ रहा है।
    • चुनौतियाँ
      • कार्यान्वयन चुनौती: इसमें घरेलू भाषाओं का उपयोग करने की सीमित शिक्षक क्षमता, घरेलू भाषाओं में सामग्री की अनुपलब्धता और सामुदायिक विरोध, बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
      • शिक्षा में भाषायी चुनौतियाँ: यह ऐतिहासिक और समकालीन दोनों कारकों से उपजी है।
        • उपनिवेशवाद: उपनिवेशवाद की ऐतिहासिक विरासत के कारण स्थानीय आबादी पर भाषाएँ थोपी गईं और शिक्षा के लिए उनकी मातृभाषा के उपयोग को रोका गया, जिससे शैक्षिक असमानताएँ उत्पन्न हुईं।
        • आव्रजन: यह कक्षाओं में नई भाषाएँ को समावेशन सुनिश्चित करता है, जिससे भाषायी विविधता समृद्ध होती है, लेकिन शिक्षा और मूल्यांकन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • अनुशंसाएँ
      • संदर्भ-विशिष्ट दृष्टिकोण: देशों की शैक्षिक भाषा नीतियों को उस कक्षा के लिए अनुकूलित शिक्षण और सीखने की सामग्री द्वारा समर्थित संदर्भ-विशिष्ट दृष्टिकोणों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
      • समावेशी स्कूल संस्कृति: स्कूलों में समावेशन को बढ़ावा देने, बहुभाषिकता में स्कूल नेताओं का चयन, भर्ती और प्रशिक्षण करके बहुभाषी छात्रों की आवश्यकताओं को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
      • भाषायी समूहों के बीच सेतु  के रूप में स्कूलों, अभिभावकों और समुदाय के बीच सहयोग करना।
      • आप्रवासी देशों के लिए: महत्त्वपूर्ण आप्रवासी आबादी वाले देशों को अपनी शैक्षिक नीतियों को प्रभावी भाषा कार्यक्रमों के साथ डिजाइन करना चाहिए, योग्य शिक्षकों को नियुक्त करना चाहिए और समावेशी शिक्षण वातावरण का समर्थन करना चाहिए।
      • भाषा संक्रमण को पाठ्यक्रम समायोजन और बहुभाषी शिक्षा नीतियों और प्रथाओं के कार्यान्वयन द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए।
      • बहुभाषी संदर्भों में
        • प्रशिक्षण में घरेलू और दूसरी भाषाओं दोनों में दक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
        • शिक्षक की नियुक्ति से शिक्षक की भाषा प्रवाह का मिलान लक्ष्य स्कूल की शिक्षण भाषा से किया जा सकता है।
        • प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों को सांस्कृतिक और भाषायी रूप से उत्तरदायी शिक्षण पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

बहुभाषी शिक्षा के उदाहरण

  • मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा (Mother Tongue-Based Multilingual Education), फिलीपींस: मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा का उद्देश्य किंडरगार्टन से ग्रेड 3 तक शिक्षा के प्राथमिक माध्यम के रूप में मातृभाषा का उपयोग करना है, जबकि अतिरिक्त शिक्षण भाषाओं के रूप में फिलिपिनो और अंग्रेजी को शामिल करना है।
    • यह कार्यक्रम 19 क्षेत्रीय भाषाओं को कवर करता है और 30,000 से अधिक स्कूलों में 1.5 मिलियन से अधिक शिक्षार्थियों को सेवा प्रदान करता है।
  • द्विभाषी अंतरसांस्कृतिक शिक्षा (EIB), पेरू: EIB प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में शिक्षण की भाषा के रूप में स्वदेशी भाषाओं और स्पेनिश का उपयोग करने का प्रयास करता है, साथ ही अंतर-सांस्कृतिक संवाद और नागरिकता को बढ़ावा देता है।
    • EIB कार्यक्रम 47 स्वदेशी भाषाओं को कवर करता है और 15000 से अधिक स्कूलों में 1 मिलियन से अधिक शिक्षार्थियों को सम्मिलित करता है।
  • सामग्री और भाषा एकीकृत शिक्षण (CLIL), यूरोप: इसका उद्देश्य गणित, विज्ञान, इतिहास या कला जैसे विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षण माध्यम के रूप में दूसरी या विदेशी भाषा (आमतौर पर अंग्रेजी) का उपयोग करना है।

बहुभाषी शिक्षा 

  • बहुभाषी शिक्षा (Multilingual Education-MLE) औपचारिक और अनौपचारिक प्रारूप में शिक्षण और सीखने के माध्यम के रूप में एक या एक से अधिक भाषाओं का उपयोग है।
    • यूनेस्को के अनुसार, कम-से-कम तीन भाषाओं का उपयोग बहुभाषी शिक्षा का आधार है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य भाषायी विविधता, अंतर-सांस्कृतिक संवाद, सामाजिक समावेशन, सभी शिक्षार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सभी शिक्षार्थियों के लिए अवसरों को बढ़ावा देना है।
  • मॉडल
    • संक्रमणकालीन द्विभाषी शिक्षा: यह मॉडल बच्चे के सीखने के शुरुआती वर्षों में मातृभाषा को शिक्षा की मुख्य भाषा के रूप में उपयोग करता है।
      • एक दूसरी भाषा (आमतौर पर एक प्रमुख या आधिकारिक भाषा) को धीरे-धीरे शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
    • द्विभाषी शिक्षा का प्रबंधन: यह मॉडल स्कूली शिक्षा के दौरान मातृभाषा के साथ-साथ दूसरी भाषा को भी शिक्षण की भाषा के रूप में स्थापित करता है।
    • ‘इमर्सन बाईलिंगुअल एजुकेशन’ (Immersion Bilingual Education): यह उन विद्यार्थियों के लिए मुख्य या एकमात्र शिक्षण भाषा के रूप में दूसरी भाषा के प्रयोग पर ध्यान केंद्रित करता है जो भिन्न मातृभाषा बोलते हैं।
      • उद्देश्य: छात्रों को अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त दूसरी भाषा में दक्षता प्राप्त करने में सहायता करना।
    • ‘टू-वे बाईलिंगुअल एजुकेशन’ (Two-Way Bilingual Education): इसमें दो भाषाओं (एक प्रमुख/आधिकारिक भाषा और एक अल्पसंख्यक या स्वदेशी भाषा) का उपयोग छात्रों के लिए शिक्षण की भाषा के रूप में किया जाता है, जो उनमें से किसी एक को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं।
      • उद्देश्य: छात्रों को दोनों भाषाओं पर पकड़ बनाने में मदद करना और साथ ही अंतर-सांस्कृतिक समझ तथा सहयोग को बढ़ावा देना।
    • बहुभाषी शिक्षा: इसमें अलग-अलग मातृभाषा बोलने वाले छात्रों के लिए शिक्षण की भाषा के रूप में दो से अधिक भाषाओं का उपयोग किया जाता है।
      • उद्देश्य: भाषायी विविधता का सम्मान और संवर्द्धन करते हुए छात्रों में कई भाषाओं पर अच्छी पकड़ विकसित करना।
  • बहुभाषी शिक्षा का महत्त्व
    • संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा: अपनी मातृभाषा में सीखने से स्मृति, ध्यान, तर्क, समस्या-समाधान, रचनात्मकता और अधिभाषाविज्ञान संबंधी जागरूकता जैसे संज्ञानात्मक कौशल में वृद्धि होती है। 
    • शैक्षणिक उपलब्धि में सुधार: कई भाषाएँ सीखने से संचार कौशल, आलोचनात्मक सोच कौशल और विभिन्न विषयों में बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ अंतर-सांस्कृतिक क्षमता में वृद्धि होती है।
    • सांस्कृतिक पहचान का समर्थन करता है: यह सांस्कृतिक पहचान, आत्म-सम्मान, प्रेरणा और भावनात्मक कल्याण को मजबूत करने में मदद कर सकता है, विविधता, सहिष्णुता तथा सहानुभूति के लिए सम्मान को बढ़ावा देता है।
    • सामाजिक समावेश को बढ़ावा देता है: यह ड्रॉपआउट दरों को कम करता है, नामांकन दरों को बढ़ाता है और वंचित समूहों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच में सुधार करता है। कई भाषाएँ सीखने से सामाजिक एकीकरण, भागीदारी और गतिशीलता में भी मदद मिलती है।
  • बहुभाषी शिक्षा की चुनौतियाँ
    • अपर्याप्त संसाधन: पाठ्यपुस्तकें, पाठ्यक्रम, सामग्री, बुनियादी ढाँचा या प्रौद्योगिकी जैसे अपर्याप्त संसाधन, जो गुणवत्तापूर्ण बहुभाषी शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं।
    • अपर्याप्त शिक्षक प्रशिक्षण: कई शिक्षक कई भाषाओं में पढ़ाने या बहुभाषी कक्षाओं में पठन पाठन के लिए पर्याप्त रूप से तैयार या सुसज्जित नहीं हैं, जिनमें बहुभाषी शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक भाषायी क्षमता, शैक्षणिक कौशल या सांस्कृतिक संवेदनशीलता का अभाव है। 
      • कार्यभार, थकान और अलगाव भी कुछ चुनौतियाँ हैं, जिनका सामना शिक्षकों को करना पड़ सकता है।
    • अल्पसंख्यक भाषाओं के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण: माता-पिता, शिक्षकों, राजनीतिक वर्ग और छात्रों के बीच अल्पसंख्यक भाषाओं के प्रति पक्षपातपूर्ण विश्वास तथा नकारात्मक दृष्टिकोण ऐसी भाषाओं को अपनाने में बाधा डालते हैं।
      • अंग्रेजी या फ्रेंच जैसी वैश्विक भाषाओं के प्रति पक्षपातपूर्ण विश्वास उन्हें स्थानीय भाषाओं की तुलना में शिक्षण के माध्यम के रूप में अधिक लोकप्रिय बनाता है।
    • प्रमुख एकल-भाषी मानदंड और मानक: एकल-भाषी मूल्यांकन, परीक्षा या प्रमाणन बहुभाषी शिक्षार्थियों या शिक्षकों के लिए हानिप्रद हैं।
    • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा, प्रतिष्ठा या लागत जैसे विभिन्न कारणों से बहुभाषी शिक्षा को अपनाना कई सरकारों और कार्यक्रमों के लिए लोकप्रिय एजेंडा नहीं है।
      • प्रमुख समूहों का विरोध, जो बहुभाषी शिक्षा को अपने भाषायी या सांस्कृतिक आधिपत्य के लिए खतरा मानते हैं, बहुभाषी शिक्षा के सामने एक बड़ी बाधा है।

भारतीय शिक्षा में बहुभाषिकता

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-350A में मातृभाषा में शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: वर्ष 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में स्कूली पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र के लक्ष्य के रूप में बहुभाषावाद पर प्रकाश डाला गया है और सार्वभौमिक पहुँच और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुभाषी शिक्षा के महत्त्व पर जोर दिया गया है।
    • मातृभाषा आधारित शिक्षा: NEP का प्रस्ताव है कि बच्चों को कम-से-कम ग्रेड 5 तक (अधिमानतः ग्रेड 8 तक) अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में सीखना चाहिए।
    • त्रिभाषा नीति: बच्चों को ग्रेड 6 तक कम-से-कम तीन भाषाएँ सीखनी चाहिए।
    • समावेशी: NEP में बधिर शिक्षार्थियों के लिए शिक्षण की भाषा के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) के विकास की परिकल्पना की गई है।
    • संस्कृत जैसी शास्त्रीय भाषाओं का पुनरुद्धार और प्रचार तथा बोडो जैसी लुप्तप्राय भाषाओं का पुनरुद्धार।
    • फ्रेंच या जर्मन जैसी विदेशी भाषाओं को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना।

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