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उत्तराखंड हिमस्खलन

Lokesh Pal March 04, 2025 04:08 21 0

संदर्भ

हाल ही में उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत के ‘पहले’ गाँव माणा (Mana) के पास सीमा सड़क संगठन (BRO) परियोजना स्थल पर हिमस्खलन (Avalanche) हुआ।

हिमस्खलन (Avalanche) के बारे में

  • हिमस्खलन एक पहाड़ी ढलान से हिम और मलबे का तेजी से नीचे गिरना है।
  • यह प्राकृतिक या मानव-प्रेरित कारकों के कारण होता है।
  • यह व्यापक विनाश का कारण बन सकता है, जनहानि, बुनियादी संरचनाओं और परिवहन मार्गों को अवरुद्ध कर सकता है।

हिमस्खलन क्षेत्र

  • रेड जोन: सबसे खतरनाक क्षेत्र, जहाँ हिमस्खलन सबसे अधिक होता है और जहाँ प्रति वर्ग मीटर 3 टन से अधिक का संघट्ट दाब होता है।
  • ब्लू जोन: इस क्षेत्र में हिमस्खलन बल 3 टन प्रति वर्ग मीटर से कम है और जहाँ सुरक्षित डिजाइन के साथ रहने एवं अन्य गतिविधियों की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन ऐसे क्षेत्रों को चेतावनी जारी करने पर खाली करना पड़ सकता है।
  • येलो जोन: इस क्षेत्र में हिमस्खलन कभी-कभार ही होता है।

भारत में हिमस्खलन संभावित क्षेत्र

  • हिमालय क्षेत्र हिमस्खलन की घटनाओं के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से पश्चिमी हिमालय, अर्थात् जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्र।
    • जम्मू एवं कश्मीर: कश्मीर और गुरेज घाटियों, कारगिल और लद्दाख के ऊँचे इलाके और कुछ प्रमुख सड़कें।
    • हिमाचल प्रदेश: चंबा, कुल्लू-स्पीति और किन्नौर के संवेदनशील क्षेत्र।
    • उत्तराखंड: टिहरी गढ़वाल एवं चमोली जिलों के कुछ हिस्से संवेदनशील क्षेत्र हैं।

हिमस्खलन के प्रकार 

  • शिथिल बर्फ हिमस्खलन (Loose Snow Avalanche): यह खड़ी ढलानों (>40°) पर शिथिल बर्फ के साथ उत्पन्न होता है।
    • यह हिमस्खलन कम घातक लेकिन विध्वंसकारी होता है।

  • फलक हिमस्खलन (Slab Avalanche): यह बड़ी, संसक्त बर्फ परत की दरारें एवं फिसलन के रूप में होता है।
    • यह 100 किमी./घंटा तक की गति के साथ सबसे खतरनाक होता है।
  • ग्लाइडिंग हिमस्खलन (Gliding Avalanche): संपूर्ण हिमखंड चिकनी सतहों (जैसे- चट्टान) पर फिसलता है।
    • 15° से अधिक ढलानों पर यह घटना आम है।
  • कणीय हिमस्खलन (Powder Avalanche): यह हवा में निलंबित बर्फ के कणों के साथ उच्च गति वाला हिमस्खलन होता है।
    • 300 किमी./घंटा की गति तक पहुँच सकता है, जिससे गंभीर शॉकवेव (Severe Shockwaves) उत्पन्न हो सकती हैं।
  • नम बर्फ हिमस्खलन (Wet Snow Avalanche): इसे तापमान वृद्धि या वर्षा के कारण बर्फ पिघलने से होने वाला हिमस्खलन कहा जाता है।
    • यह धीमी गति से होता है, लेकिन उच्च घनत्व के कारण अधिक विनाशकारी होता है।

हिमस्खलन के कारण

  • प्राकृतिक कारण
    • अत्यधिक बर्फबारी एवं पवनें: ये असमान बर्फ जमाव संबंधी अस्थिरता का कारण बनती हैं।
    • खड़ी ढलान: हिमस्खलन की सबसे अधिक संभावना 30° और 45° के बीच ढलानों पर होती है।
    • तापमान में उतार-चढ़ाव: पिघलने और फिर से जमने से बर्फ की परतें कमजोर हो जाती हैं, जिससे हिमस्खलन की संभावना उत्पन्न हो जाती हैं।
    • भूकंप एवं कंपन: ये हिमस्खलन को ट्रिगर कर सकते हैं।

  • मानव-प्रेरित कारण
    • शीतकालीन खेल एवं पर्यटन: बर्फीले क्षेत्रों में शीतकालीन खेल एवं पर्यटन बर्फ की परतों को अस्थिर करते हैं, जिससे हिमस्खलन की संभावना प्रबल हो जाती है।
    • निर्माण एवं वनों की कटाई: ये पहाड़ी ढलान की स्थिरता को कमजोर करती है, जिससे हिमस्खलन की घटनाएँ होती है। 
    • सैन्य अभियान: विस्फोट एवं भारी उपकरण हिमस्खलन को ट्रिगर कर सकते हैं।

परिणाम एवं प्रभाव

  • जन हानि एवं चोटें: दम घुटना, आघात, हाइपोथर्मिया; बर्फ में दबने के 15 मिनट बाद बचने की संभावना कम हो जाती है।
  • बुनियादी ढाँचे का विनाश: सड़कें, रेलवे, इमारतें और आश्रय स्थल अवरुद्ध हो जाते हैं।
  • संचार एवं उपयोगिताओं में व्यवधान: विद्युत लाइनों, जल आपूर्ति और संचार नेटवर्क को नुकसान पहुँचता है।
  • पर्यावरणीय खतरे: बर्फ पिघलने से भूस्खलन और अचानक बाढ़ आती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचता है।
  • आर्थिक प्रभाव: पर्यटन बाधित होता है, बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचता है, तथा रिकवरी लागत बढ़ जाती है।

निवारक उपाय

  • हिमस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली
    • IMD हिमस्खलन पूर्वानुमान: हिमस्खलन का पूर्वानुमान लगाने के लिए बर्फबारी, ढलान की स्थिरता और तापमान में उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है।
    • रिमोट सेंसिंग और AI-आधारित पूर्वानुमान मॉडल: हिमस्खलन का वास्तविक समय में पता लगाने और पूर्वानुमान लगाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
  • संरचनात्मक सुरक्षा उपाय
    • बर्फ अवरोधक एवं बाड़: बर्फ के जमाव को कम करने और उसके मार्ग को अवरुद्ध करने के लिए हिमस्खलन-प्रवण ढलानों पर स्थापित किया गया।
    • विक्षेपण संरचनाएँ: क्षति को न्यूनतम करने के लिए हिमस्खलन को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर पुनर्निर्देशित करना।
  • कृत्रिम हिमस्खलन ट्रिगर
    • नियंत्रित विस्फोट: बड़े, अनियंत्रित हिमस्खलनों को रोकने के लिए छोटे, नियंत्रित हिमस्खलन शुरू करना।
  • जोनिंग और भूमि उपयोग योजना
    • हिमस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में निर्माण से बचना: यह सुनिश्चित करना कि इमारतें और बुनियादी ढाँचे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में न हों।
    • स्की रिसॉर्ट और राजमार्ग जोखिम आकलन: हिमस्खलन के खतरों को कम करने के लिए स्की रिसॉर्ट्स और राजमार्गों को विस्तृत जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट का पालन करना चाहिए।

आवश्यक कार्रवाई 

  • वास्तविक समय हिमस्खलन पूर्वानुमान को अपडेट करना: हिमस्खलन की प्रारंभिक चेतावनी के लिए उपग्रह आधारित निगरानी प्रणालियों को मजबूत करना।
  • बुनियादी ढाँचे के लचीलापन में सुधार: जोखिम को कम करने के लिए राजमार्गों के किनारे हिमस्खलन सुरक्षा सुरंगें और बर्फ रोकने वाली बाड़ें बनाना।
  • एजेंसियों के बीच मजबूत समन्वय: बेहतर आपदा प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए IMD, BRO, NDMA और ITBP के प्रयासों को एकीकृत करना।
  • सामुदायिक प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम: स्थानीय निवासियों, ट्रेकर्स और सैन्य कर्मियों को हिमस्खलन से बचने के कौशल और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में शिक्षित करना।
  • जलवायु-लचीले विकास को प्रोत्साहित करना: भेद्यता को कम करने के लिए उच्च जोखिम वाले हिमस्खलन क्षेत्रों में वनों की कटाई और अनियोजित निर्माण को रोकना।

हिमस्खलन और भूस्खलन के बीच अंतर

पहलू

हिमस्खलन

भूस्खलन

परिभाषा बर्फ, हिम और मलबे का अचानक नीचे की ओर सरकना पहाड़ी से नीचे सरकता हुआ चट्टान, मिट्टी या मलबे का ढेर।
गति 320 किमी./घंटा (200 मील प्रति घंटा) तक की गति तक पहुँच सकता है। भिन्न-भिन्न, आमतौर पर हिमस्खलन से धीमा होता है।
कारण भारी बर्फबारी, कमजोर बर्फ की परतें, भूकंप, तापमान में उतार-चढ़ाव या मानवीय गतिविधियाँ। वर्षा, वनों की कटाई, भूकंप, खनन या मानवीय गतिविधियाँ।
स्थान बर्फ से ढके पहाड़ या ढलान। विभिन्न भू-भागों (जंगल, शहरी क्षेत्र, पहाड़ियाँ) में खड़ी ढलानें।

माणा गाँव के बारे में

  • स्थान: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।
  • सीमा: चीन के साथ सीमा साझा करता है।

  • पूर्व में इसे ‘अंतिम गाँव’ के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब इसे ‘पहला भारतीय गाँव’ कहा जाता है।
  • भौगोलिक विशेषताएँ: बद्रीनाथ शहर से केवल 3 किमी. दूर सरस्वती नदी के तट पर स्थित है।
  • प्रसिद्ध: अपने ऊनी कपड़ों और मुख्य रूप से भेड़ के बने पदार्थों के लिए प्रसिद्ध है।

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