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सिटीज कोएलिशन फॉर सर्कुलरिटी (C-3)

Lokesh Pal March 05, 2025 02:24 25 0

संदर्भ

भारत ने जयपुर में आयोजित एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें रीजनल 3R और ‘सर्कुलर इकोनॉमी फोरम’ (Circular Economy Forum) में ‘सिटीज कोएलिशन फॉर सर्कुलरिटी’ (C-3) पहल की शुरुआत की है।

सिटीज कोएलिशन फॉर सर्कुलरिटी’ (C-3) के बारे में

  • C-3 एक बहु-राष्ट्रीय गठबंधन है, जिसका उद्देश्य सतत् शहरी विकास के लिए शहर-दर-शहर सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना है।
  • यह गठबंधन नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, शोधकर्ताओं और विकास भागीदारों के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा, ताकि वे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन तथा संसाधन दक्षता के लिए सतत् समाधानों पर चर्चा एवं कार्यान्वयन कर सकें।
  • यह गठबंधन 3R (रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल) और सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों को अपनाने पर जोर देता है।

रीजनल 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम

  • एशिया और प्रशांत क्षेत्र में रीजनल 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की शुरुआत वर्ष 2009 में की गई थी।
  • उद्देश्य: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन, संसाधन दक्षता और सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों को बढ़ावा देना।

  • फोकस क्षेत्र: तीव्र आर्थिक विकास, संसाधन की कमी और बढ़ते अपशिष्ट उत्पादन जैसी चुनौतियों का समाधान करना।
  • मुख्य फोकस: हनोई 3R घोषणा (2013-2023) को अपनाना, जिसमें संसाधन-कुशल और सर्कुलर इकोनॉमी में संक्रमण के लिए 33 स्वैच्छिक लक्ष्यों को रेखांकित किया गया।
  • वर्ष 2025 के फोरम के मुख्य बिंदु
    • विषय: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सतत् विकास लक्ष्य और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में सर्कुलर सोसायटीज का निर्माण करना।
    • आयोजक: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (भारत सरकार), संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र (UNCRD) और वैश्विक पर्यावरण रणनीति संस्थान (IGES)।

सर्कुलर इकोनॉमी क्या है?

  • एक सर्कुलर इकोनॉमी एक आर्थिक मॉडल है, जिसे अपशिष्ट को कम करने, संसाधन दक्षता को अधिकतम करने और संधारणीयता को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • पारंपरिक रैखिक अर्थव्यवस्था (लेना, बनाना, निपटाना) के विपरीत, एक सर्कुलर इकोनॉमी पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण और पुनर्जनन जैसे सिद्धांतों के माध्यम से लूप को बंद करने पर ध्यान केंद्रित करती है।

सर्कुलर इकोनॉमी के प्रमुख सिद्धांत

  • रिड्यूस (Reduce): ऐसे उत्पाद डिजाइन करके कच्चे माल और संसाधनों का उपयोग कम करना, जिनके उत्पादन एवं संचालन के लिए कम संसाधनों की आवश्यकता होती है।
  • रियूज (Reuse): उत्पादों और सामग्रियों की मरम्मत, नवीनीकरण या पुनः उपयोग करके उनके जीवन को बढ़ाना।

  • रिसाइकिल (Recycle): अपशिष्ट धाराओं से सामग्री को पुनर्प्राप्त करना और उन्हें नए उत्पादों या कच्चे माल में बदल देना।
  • रीजनरेट (Regenerate): नवीकरणीय ऊर्जा और संधारणीय प्रथाओं का उपयोग करके प्राकृतिक प्रणालियों को पुनर्स्थापित एवं पुनर्सक्रिय करना।
  • दीर्घ अवधि के लिए डिजाइन करना: अपशिष्ट को कम करने के लिए टिकाऊ, मरम्मत योग्य और अपग्रेड करने योग्य उत्पाद बनाना।

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