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भारत की वित्तीय विकास गाथा में महिलाओं की भूमिका

Lokesh Pal March 06, 2025 03:06 13 0

संदर्भ

नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट, जिसका शीर्षक ‘उधारकर्ताओं से लेकर बिल्डरों तक: भारत की वित्तीय विकास कहानी में महिलाओं की भूमिका’ (From Borrowers to Builders: Women’s Role in India’s Financial Growth Story) है, में बताया गया है कि महिलाओं द्वारा अपने क्रेडिट स्कोर को सक्रिय तरीके से प्रबंधित करने में 42% की वृद्धि हुई है।

महिलाओं के वित्तपोषण की सफलता की कहानियाँ

  • ग्रामीण बैंक: नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक ने महिलाओं को प्राथमिकता देकर माइक्रोफाइनेंस में क्रांति ला दी, जो इसके उधारकर्ताओं में 97% से अधिक हैं।
  • महिला विश्व बैंकिंग: यह एक वैश्विक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में लाखों महिलाओं के लिए वित्तीय पहुँच की सुविधा प्रदान की है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • क्रेडिट जागरूकता में वृद्धि: दिसंबर 2024 तक, 27 मिलियन महिलाएँ सक्रिय रूप से अपने क्रेडिट को प्रबंधित कर रही थीं।
  • क्रेडिट स्व-निगरानी में महिलाओं की हिस्सेदारी में वृद्धि: वर्ष 2023 में 17.89% से बढ़कर वर्ष 2024 में 19.43% हो गई।
  • क्षेत्रीय रुझान
    • गैर-मेट्रो क्षेत्रों (48%) में वृद्धि मेट्रो क्षेत्रों (30%) से अधिक रही है।
    • दक्षिणी राज्यों में 10.2 मिलियन महिलाओं ने स्वयं ऋण की निगरानी की है।
    • उत्तरी और मध्य राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश) में सक्रिय महिला उधारकर्ताओं में सबसे अधिक CAGR देखा गया है।
  • ऋण में महिलाओं की भागीदारी
    • व्यवसाय ऋण: वर्ष 2019 के बाद से व्यावसायिक ऋण देने में महिलाओं की हिस्सेदारी में 14% की वृद्धि हुई है।
    • गोल्ड लोन: गोल्ड लोन में महिलाओं की हिस्सेदारी में 6% की वृद्धि हुई है।

क्रेडिट स्कोर के बारे में

  • क्रेडिट स्कोर: क्रेडिट स्कोर एक तीन अंकों की वह संख्या है, जो किसी व्यक्ति की ऋण-योग्यता को दर्शाती है।
    • भारत में यह 300 से 900 के बीच होता है, जिसमें उच्च स्कोर बेहतर क्रेडिट स्थिति को दर्शाता है।
    • इसका उपयोग बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा किसी व्यक्ति को ऋण देने के जोखिम का आकलन करने के लिए किया जाता है।
  • क्रेडिट स्कोर की गणना करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कारक: पुनर्भुगतान इतिहास, ऋण के प्रकार, क्रेडिट इतिहास की अवधि, ऋण उपयोग और नए खातों के लिए आवेदन।

वित्तीय क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के कारण

  • महिला श्रम बल भागीदारी: महिलाएँ औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में तेजी से भाग ले रही हैं, जिससे आर्थिक उत्पादकता में योगदान मिल रहा है।
    • 15 वर्ष एवं उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio- WPR) वर्ष 2017-2018 में 22 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-2024 में 40.3 प्रतिशत हो गया है।
    • इसी अवधि में महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 41.7 प्रतिशत हो गई है।
      • उदाहरण: स्विगी, जोमैटो, अर्बन कंपनी आदि जैसे प्लेटफॉर्म के आगमन ने महिलाओं को गिग इकोनॉमी में भाग लेने में सक्षम बनाया है, जिससे उन्हें कार्य के लचीले अवसर एवं वित्तीय स्वतंत्रता मिली है।
  • महिला उद्यमियों में वृद्धि: विश्व बैंक के अनुसार, भारत में महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसाय अनुमानित 8 मिलियन रोजगार के अवसर उत्पन्न करते हैं, जो उनके पर्याप्त महत्त्व को रेखांकित करता है।
    • नीति आयोग की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सभी उद्यमों में महिला उद्यमियों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है।
  • वित्तीय समावेशन: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जैसी पहलों से महिलाओं के बैंक खातों में वृद्धि हुई है और अधिक महिलाओं को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में एकीकृत किया गया है, जिससे उन्हें क्रेडिट स्कोर के बारे में जानकारी मिली है।
    • 15 जनवरी, 2025 तक कुल 54.58 करोड़ जनधन खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें से 30.37 करोड़ (55.7%) महिलाओं के हैं।
  • डिजिटल वित्तीय उपकरणों का विकास
    • पहुँच में आसानी: CIBIL, Experian जैसे प्लेटफॉर्म ने महिलाओं के लिए अपने क्रेडिट स्कोर को ऑनलाइन चेक करना आसान बना दिया है।
    • मोबाइल बैंकिंग एवं ऐप: मोबाइल बैंकिंग ऐप और निशुल्क क्रेडिट स्कोर जाँच की सुविधा देने वाले फिनटेक प्लेटफॉर्म के प्रसार ने महिलाओं को अपने क्रेडिट स्कोर की नियमित रूप से निगरानी करने का अधिकार दिया है।
  • वित्तीय स्वतंत्रता: जैसे-जैसे अधिक महिलाएँ अपनी आय अर्जित करती हैं और उसका प्रबंधन करती हैं, वे अपने क्रेडिट प्रोफाइल को बनाने और उसकी निगरानी करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही हैं।
  • शिक्षा और रोजगार: उच्च शिक्षा स्तर और रोजगार के बढ़ते अवसरों ने महिलाओं को वित्तीय रूप से अधिक समझदार बना दिया है।
    • उदाहरण: पिछले दशक में भारत की उच्च शिक्षा में प्रभावी वृद्धि देखी गई है, जिसमें महिला नामांकन में 38.5% की वृद्धि हुई है।
      • उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं में वित्तीय नियोजन, बचत और निवेश रणनीतियों को समझने की अधिक संभावना होती है।

महिलाओं में वित्तीय समावेशन और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): वित्तीय पहुँच बढ़ाने के लिए शून्य-शेष बैंक खाते, ओवरड्राफ्ट सुविधाएँ और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्रदान करती है।
  • स्टैंड-अप इंडिया योजना: महिलाओं और SC/ST उद्यमियों को व्यवसाय शुरू करने के लिए ₹10 लाख से ₹1 करोड़ के बीच संपार्श्विक-मुक्त ऋण की सुविधा प्रदान करती है।
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)): शिशु, किशोर और तरुण श्रेणियों के तहत माइक्रोफाइनेंस ऋण प्रदान करती है, जिससे छोटे और महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को ऋण तक पहुँच प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 में 4.24 करोड़ महिला उद्यमियों को 2.22 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया, जिससे छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिला।
  • महिला उद्यमिता मंच (WEP): यह नीति आयोग की एक पहल है, जो महिला उद्यमियों को मार्गदर्शन, ऋण पहुँच और व्यावसायिक सहायता प्रदान करती है।
  • महिला ई-हाट: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा एक ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म, जो महिला उद्यमियों को प्रत्यक्ष रूप से उत्पाद बेचने में सक्षम बनाता है।
  • पीएम स्वनिधि योजना: पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडर्स को व्यवसाय को पुनर्सक्रिय करने और विस्तार करने के लिए बिना किसी संपार्श्विक के सूक्ष्म ऋण प्रदान करना है।
    • दिसंबर 2024 तक 30.6 लाख महिला स्ट्रीट वेंडर्स को ₹5,939.7 करोड़ वितरित किए गए, जिससे वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हुई।
  • उद्यम पंजीकरण: उद्यम पंजीकरण MSME मंत्रालय द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को औपचारिक मान्यता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया एक सरकारी पोर्टल है, जिससे ऋण, सब्सिडी और सरकारी योजनाओं तक आसान पहुँच संभव हो सके।
    • भारत में 40% MSME अब महिलाओं के स्वामित्व में हैं, जो उद्यमिता में बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY- NRLM) के तहत एक उप-योजना, स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (SVEP) SHG महिलाओं या उनके परिवार के सदस्यों को छोटे उद्यम स्थापित करने में सहायता करती है।
    • SVEP  ने अक्टूबर, 2024 तक 3.13 लाख ग्रामीण उद्यमों को सहायता प्रदान की है।

महिलाओं की वित्तीय भागीदारी में चुनौतियाँ

  • लैंगिक वेतन अंतराल: महिलाएँ अक्सर समान कार्य के लिए अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम कमाती हैं, जिससे बचत और निवेश क्षमता प्रभावित होती है।
    • ऑक्सफैम इंडिया डिस्क्रीमिनेशन रिपोर्ट 2022 ने भारत में लैंगिक वेतन अंतराल को उजागर किया, जिसमें महिलाओं को देश भर में भर्ती एवं वेतन में पक्षपात का सामना करना पड़ रहा है।
  • ऋण तक सीमित पहुँच: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कई महिलाएँ संपार्श्विक और वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण ऋण प्राप्त करने में संघर्ष करती हैं।
    • उदाहरण: महिलाओं के स्वामित्व वाले 79% व्यवसाय स्व-वित्तपोषित हैं, जिनमें से केवल 7% MSME ऋण महिलाओं को दिए जाते हैं।
  • सामाजिक मानदंड एवं पूर्वाग्रह: गहरी जड़ें जमाए हुए सांस्कृतिक मानदंड और पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण, महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका निभाने या उच्च जोखिम वाले वित्तीय निर्णय लेने से हतोत्साहित करते हैं।
  • समृद्धि में वृद्धि: जैसे-जैसे घरेलू आय बढ़ रही है, महिलाओं (विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में), की कार्यबल में भागीदारी कम हो रही है क्योंकि उन्हें अब शारीरिक रूप से कठिन श्रम में संलग्न होने की आवश्यकता नहीं है।
    • बेहतर वित्तीय स्थिरता कुछ महिलाओं को रोजगार की तलाश करने की तुलना में अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देने में सक्षम बनाती है।
  • कार्य-जीवन संतुलन: पेशेवर और घरेलू जिम्मेदारियों का दोहरा बोझ अक्सर महिलाओं के कॅरियर के विकास को सीमित करता है।
  • ऋण से बचने और खराब बैंकिंग अनुभव: कई महिलाएँ कर्ज के डर, उच्च ब्याज दरों और सीमित वित्तीय साक्षरता के कारण ऋण लेने में संकोच करती हैं।
    • इसके अतिरिक्त, जटिल ऋण प्रक्रियाएँ और लैंगिक पूर्वाग्रह उन्हें औपचारिक वित्तीय संस्थानों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने से हतोत्साहित करते हैं।

भावी पीढ़ियों को प्रेरित करना: महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप, जो भारत को आकार दे रहे हैं

  • निहारिका भार्गव (द लिटिल फार्म कंपनी, गुरुग्राम): भारत की मसाला विरासत को पुनर्सक्रिय करते हुए, वह 100 से अधिक किसान नेटवर्क के साथ साझेदारी करती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उनके कार्यबल का 70% हिस्सा महिलाएँ हों।
    • उनके परिरक्षक-मुक्त उत्पाद इस परंपरा को जीवंत रखते हुए ग्रामीण रोजगार का सृजन करते हैं।
  • डॉ. शालिमा अहमद (कोको रूट्स ऑर्गेनिक, कोझिकोड): वह नीम की लकड़ी की कंघी सहित पर्यावरण के अनुकूल हेयर केयर समाधान निर्मित करती हैं, जो समग्र स्वास्थ्य के साथ स्थिरता का मिश्रण है।
  • राधिका लखोटिया (स्पेंटीगो सस्टेनेबिलिटी, कोलकाता): पुनर्चक्रित शराब की भट्टी के अनाज से ‘फिट फ्लौर’ (Fit Flour) के साथ नवाचार करते हुए, वह ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ कुपोषण और भोजन की बर्बादी से निपटती हैं।

आगे की राह

  • महिलाओं की व्यावसायिक ऋण तक पहुँच का विस्तार करना
    • किफायती ऋण और कम ब्याज दरों के लिए नीतियों को लागू करना।
    • बेहतर नीतिगत निर्णय लेने के लिए लैंगिक-आधारित वित्तीय डेटा एकत्र करना।
    • संपार्श्विक आवश्यकताओं को कम करने के लिए ऋण गारंटी योजनाओं को मजबूत करना।
  • लैंगिक-स्मार्ट वित्तीय उत्पाद विकसित करना
    • महिलाओं की जीवन-चक्र संबंधी आवश्यकताओं, सामाजिक मानदंडों और संरचनात्मक बाधाओं को ध्यान में रखते हुए वित्तीय उत्पाद डिजाइन करना।
    • महिला उद्यमियों के लिए अनुकूलित ऋण पेशकश, लचीले पुनर्भुगतान विकल्प और बीमा समाधान को बढ़ावा देना।
  • क्रेडिट जोखिम मूल्यांकन की पुनःकल्पना करना: निष्पक्ष, लैंगिक-समावेशी क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बड़े डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाना।
    • पारंपरिक संपार्श्विक-आधारित मूल्यांकन पर निर्भरता कम करना और वैकल्पिक क्रेडिट योग्यता संकेतकों का पता लगाना।
  • क्रेडिट तत्परता बढ़ाना: बेहतर क्रेडिट प्रबंधन के लिए डिजिटल लेन-देन, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल बहीखाता पद्धति को बढ़ावा देना।
    • मुख्यधारा की वित्तीय सेवाओं और सरकारी प्रोत्साहनों तक महिलाओं की पहुँच में सुधार के लिए व्यवसाय औपचारिकता का समर्थन करना।

निष्कर्ष 

महिलाएँ भारत की वित्तीय वृद्धि की केवल लाभार्थी ही नहीं हैं; वे इस विकास में सक्रिय योगदानकर्ता एवं चालक भी हैं।

  • उनके वित्तीय समावेशन को मजबूत करना वर्ष 2047 तक 70% महिला कार्यबल भागीदारी के विकसित भारत लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी है, जिससे समावेशी तथा सतत् आर्थिक प्रगति सुनिश्चित होगी।

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