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अंतरिक्ष मलबे के लिए जवाबदेही तय करना

Lokesh Pal March 07, 2025 04:35 35 0

संदर्भ

अंतरिक्ष में गतिविधियाँ तीव्र गति से बढ़ रही है, इसलिए अंतरिक्ष मलबे के लिए जवाबदेही का सवाल अंतरिक्ष शासन में एक महत्त्वपूर्ण मुद्दे के रूप में उभरा है।

अंतरिक्ष मलबे के बारे में

  • परिभाषा: कमेटी ऑन पीसफुल यूजस ऑफ आउटर स्पेस (COPUOS) अंतरिक्ष मलबे को इस प्रकार परिभाषित करती है:-
    • अंतरिक्ष मलबा वे सभी मानव निर्मित वस्तुएँ उनके टुकड़े एवं घटक शामिल हैं, जो पृथ्वी की कक्षा में हैं या वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर रहे हैं तथा जो कार्यशील नहीं हैं।

  • उदाहरण: अंतरिक्ष मलबे में अंतरिक्ष यान के टुकड़े, रॉकेट के हिस्से, उपग्रह (रॉकेट बूस्टर, ईंधन टैंक जो पुनः प्रवेश से बच जाते हैं), या कक्षा में घूमती वस्तुओं के विस्फोट सामग्री शामिल हैं।
  • अंतरिक्ष मलबे की वर्तमान स्थिति: ESA द्वारा सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर अनुमानित कुल अंतरिक्ष मलबा इस प्रकार है:-
    • 10 सेमी. से अधिक: 40500 अंतरिक्ष मलबे के रूप में वस्तुएँ।
    • 1 सेमी से 10 सेमी तक: 11,00000 अंतरिक्ष मलबे के रूप में वस्तुएँ।
    • 1 मिमी. से 1 सेमी. तक: 130 मिलियन अंतरिक्ष मलबे के रूप में वस्तुएँ शामिल हैं।
  • कक्षाएँ: सामान्यतः सबसे प्रदूषित कक्षाएँ पृथ्वी से 200-2000 किमी. ऊपर निम्न भू कक्षाएँ (LEO) तथा 36,000 किमी. ऊपर जियोसिंक्रोनस (Geosynchronous)] कक्षाएँ मानी जाती हैं।
  • अंतरिक्ष मलबा कानून
    • द आउटर स्पेस ट्रीटी (The Outer Space Treaty) 1967 का अनुच्छेद-VI: इसमें कहा गया है कि राज्य सभी राष्ट्रीय अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं, चाहे वे सरकारी या निजी संस्थाओं द्वारा संचालित हों।
    • द लायबिलिटी कन्वेंशन  (Liability Convention) 1972: पृथ्वी पर अंतरिक्ष वस्तुओं द्वारा होने वाले नुकसान के लिए एक ‘पूर्ण उत्तरदायित्व’ खंड पेश किया गया था।
      • ‘पूर्ण उत्तरदायित्व’ की शर्तों के तहत, लापरवाही का कोई सुबूत देने की आवश्यकता नहीं होती है और प्रक्षेपण करने वाले राज्य अपने मलबे से होने वाले नुकसान के लिए स्वतः ही जिम्मेदार होते हैं।
    • द  रेस्क्यू एग्रीमेंट (1968): इस संधि के तहत राज्यों को अपने क्षेत्र में खोजी गई किसी भी “विदेशी” अंतरिक्ष वस्तु को उनके मालिकों को वापस करना होगा और ऐसी किसी भी खोज के बारे में महासचिव को सूचित करना होगा।
    • रजिस्ट्रेशन कन्वेंशन   (The Registration Convention) 1976: यह सम्मेलन बाहरी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित की गई वस्तुओं के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है।
    • द मून एग्रीमेंट (The Moon Agreement) 1979: चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों पर स्पेस एजेंसी की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला समझौता।
  • अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन में मुद्दे
    • कोई सार्वभौमिक परिभाषा नहीं: अंतरराष्ट्रीय संधियों में अंतरिक्ष मलबे के लिए कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत कानूनी परिभाषा नहीं है।
    • प्रवर्तन चुनौती: कानूनी दायित्व और व्यावहारिक प्रवर्तन के बीच एक अंतर है, जिससे प्रभावित पक्ष अपर्याप्त समाधानों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
      • उदाहरण: सोवियत उपग्रह कॉस्मोस 954, जिसमें एक परमाणु रिएक्टर था, वर्ष 1978 में कनाडा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कनाडा को लंबी कूटनीतिक वार्ता के बाद अनुमानित 6 मिलियन डॉलर की सफाई लागत में से केवल 3 मिलियन डॉलर ही मिल पाए थे।
    • मलबे की स्रोत पहचान: पुरानी, ​​बिना दस्तावेज वाली वस्तुएँ या अत्यधिक विखंडित मलबे की पहचान करना मुश्किल हो सकता है, जिससे जवाबदेही निर्धारित करने में जटिलता उत्पन्न हो जाती है।
    • कोई स्पष्ट प्राधिकरण नहीं: कोई स्पष्ट प्राधिकरण रॉकेट के पुनः प्रवेश या किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं है, जो अंतरिक्ष वस्तु के सक्रिय रूप से नियंत्रित न होने के बाद हो सकता है।
      • उदाहरण: US फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने एक प्रतिक्रिया में कहा कि जब स्पेसएक्स ने पोलैंड में उतरे रॉकेट पर नियंत्रण खो दिया, तो उसकी निगरानी समाप्त हो गई।
    • अनियंत्रित पुनः प्रवेश: जब तक क्षति न हो जाए, अनियंत्रित पुनःप्रवेश को दंडित करने के लिए कोई बाध्यकारी नियम नहीं हैं, तथा ऐसे कोई अंतरराष्ट्रीय नियम भी नहीं हैं, जो देशों को सक्रिय उपाय करने के लिए बाध्य करते हों।
      • उदाहरण: चीन के लॉन्ग मार्च 5B रॉकेट का कोर स्टेज अनियंत्रित होकर दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिर गया, जिससे अंतरिक्ष मलबे को लेकर वैश्विक चिंता फिर से बढ़ गई।
    • बाध्यकारी दिशा-निर्देश नहीं: कई पुराने उपग्रहों में डीऑर्बिटिंग योजनाओं का अभाव है, जिससे कक्षा में मलबे का जमाव और भी अनियंत्रित  हो गया है।
      • संयुक्त राष्ट्र के नियम के अनुसार, उपग्रहों को 25 वर्षों के भीतर कक्षा से हटा देना स्वैच्छिक है तथा केवल 30% ही इसका अनुपालन कर रहे हैं, जिसके कारण हजारों उपग्रह अप्रत्याशित कक्षाओं में अभी भी मौजूद हैं।
  • प्रमुख कदम
    • नियंत्रित पुनःप्रवेश के लिए बाध्यकारी वैश्विक विनियमन: कमेटी ऑन पीसफुल यूजस ऑफ आउटर स्पेस (COPUOS) को बाध्यकारी वैश्विक विनियमनों के लिए दबाव डालना चाहिए, जिसमें नियंत्रित पुनःप्रवेश और गैर-अनुपालन करने वाली एजेंसी के लिए दंड निर्धारित किया जा सके।
    • घरेलू नीतियों को मजबूत करना: राष्ट्रीय सरकारों को घरेलू नीतियों को मजबूत करने की आवश्यकता है, कंपनियों को लॉन्च लाइसेंस प्राप्त करने की शर्त के रूप में मलबे को कम करने की रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता है।
    • न्यायाधिकरण: वर्ष 1972 के द लायबिलिटी कन्वेंशन  (Liability Convention) को बाध्यकारी प्रवर्तन शक्तियों के साथ एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण को शामिल करने के लिए आधुनिक बनाया जाना चाहिए।
    • मलबे को कम करने की रणनीतियाँ अपनाना: निपटान नियम, नियंत्रित पुनःप्रवेश की क्षमता जैसी मलबे को कम करने की रणनीतियाँ अनिवार्य बनाई जानी चाहिए और प्रतिबंधों या लॉन्च प्रतिबंधों के माध्यम से लागू की जानी चाहिए।
    • मलबे की ट्रैकिंग और निगरानी: निगरानी और पुनःप्रवेश पूर्वानुमान के लिए US स्पेस फेंस जैसी मलबे की ट्रैकिंग प्रणालियों का विस्तार और सुधार किया जाना चाहिए।
    • सतत् अंतरिक्ष प्रथाओं को अपनाना: मलबा-तटस्थ प्रौद्योगिकियों और पुन: प्रयोज्य रॉकेटों जैसी प्रथाओं को अपनाना, कक्षा में अव्यवस्था को कम करने और दीर्घकालिक सुरक्षा को बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

अंतरिक्ष मलबे से निपटने के लिए वैश्विक पहल

  • इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोआर्डिनेशन कमेटी (IADC) अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच सूचना साझा करने और समन्वय की सुविधा प्रदान करती है।
  • अंतरिक्ष मलबा शमन दिशा-निर्देश: बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति ने अंतरिक्ष यान के डिजाइन, संचालन और निपटान को विनियमित करके अंतरिक्ष मलबे को कम करने के लिए दिशा-निर्देश विकसित किए हैं।
  • नासा ऑर्बिटल डेब्रिस प्रोग्राम अंतरिक्ष मलबे के अनुसंधान, ट्रैकिंग और शमन पर केंद्रित है।
  • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) अंतरिक्ष मलबे से निपटने के लिए प्रौद्योगिकियों और मिशनों को विकसित करने में सक्रिय रूप से शामिल है, जिसमें शामिल हैं,
    • ESA का क्लियरस्पेस-1 मिशन: इसका उद्देश्य कक्षा से एक निष्क्रिय उपग्रह को हटाना है, जो सक्रिय मलबे को हटाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करता है।
    • ESA का ‘जीरो डेबरिस’ दृष्टिकोण: इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षाओं में मलबे के उत्पादन को काफी सीमा तक सीमित करना है।

अंतरिक्ष मलबे से निपटने में भारत की भूमिका

  • इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशन मैनेजमेंट (IS4OM): इसे अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा और मलबे के शमन से संबंधित सभी प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने और व्यस्त अंतरिक्ष सिस्टम के संचालन में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए स्थापित किया गया है।
  • नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA): इसे अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता (SSA) और क्षमता निर्माण के लिए अनुमोदित किया गया है।
  • कोलीजन अवॉयडेंस एनालिसिस (COLA): सभी भारतीय प्रक्षेपण वाहनों के लिए, कोलिजन अवॉयडेंस एनालिसिस (COLA) लॉन्च विंडो के भीतर टक्कर के खतरे से मुक्त ‘लिफ्ट-ऑफ टाइम’ का चयन करने के लिए किया जाता है।
  • डेब्रिस फ्री स्पेस मिशन (DFSM) पहल: इसरो द्वारा इसका नेतृत्व किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सभी भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, सरकारी और गैर-सरकारी दोनों द्वारा मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन प्राप्त करना है।

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