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भगत सिंह की फांसी और उसमें महात्मा गांधी की भूमिका : एक गंभीर विवाद का विषय

Lokesh Pal March 07, 2025 05:15 15 0

संदर्भ:

भगत सिंह की फांसी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक विवादास्पद अध्याय बनी हुई है, जो विकास और अहिंसा के बीच तनाव को दर्शाती है।

भगत सिंह का मामला और उनकी सज़ा

  • लाहौर षडयंत्र केस: भगत सिंह को सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट (8 अप्रैल, 1929) के लिए गिरफ्तार किया गया था, बाद में उन्हें जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या (17 दिसंबर, 1928) के लिए सज़ा सुनाई गई थी
  • हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA): भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए यह कार्य किया।
  • अंतिम निर्णय: 7 अक्तूबर, 1930 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मौत की सजा सुनाई गई। अंग्रेजों द्वारा गठित विशेष न्यायाधिकरण ने अपील के लिए कोई कानूनी रास्ता नहीं छोड़ा। भगत सिंह को बचाने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप को ही एकमात्र रास्ता माना गया।
  • कानूनी अनियमितताएँ: ए.जी. नूरानी (1996) ने इस मुकदमे का वर्णन इस प्रकार किया, कि इसमें ब्रिटिश शासन ने राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए न्याय में हेरफेर किया

गांधी-इरविन समझौता

  • पृष्ठभूमि: 1930 में, गांधी जी ने ब्रिटिश नमक कानून के विरोध में दांडी मार्च के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके कारण ब्रिटिश सरकार ने कठोर कार्रवाई की
  • ब्रिटिश प्रतिक्रिया: गांधीजी सहित हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर लिया गया। 25 जनवरी, 1931 को वायसराय इरविन ने वार्ता का रास्ता साफ करने के लिए गांधीजी और अन्य कांग्रेस नेताओं की बिना शर्त रिहाई की घोषणा की।
  • समझौते की शर्तें: गांधी -इरविन समझौते में सभी अहिंसक राजनीतिक कैदियों की रिहाई  जैसी प्रमुख शर्तें शामिल थीं।
    • स्वतंत्रता सेनानियों पर लगाए गए जुर्माने में छूट, जब्त की गई भूमि को उनके वास्तविक मालिकों को वापस करना।
    • आंदोलन के दौरान इस्तीफा देने वाले सरकारी कर्मचारियों के प्रति नरमी बरती गई।
  • महात्मा गांधी के प्रयास: गांधी जी ने मई 1930 में ही विशेष न्यायाधिकरण पर आपत्ति जताई थी। गांधी-इरविन वार्ता के दौरान उन्होंने 18 फरवरी, 1931 को भगत सिंह का जिक्र किया। 
    • 23 मार्च, 1931 को, फांसी की सुबह गांधीजी ने वायसराय से अंतिम निवेदन किया।
  • विपक्ष: गांधी जी भगत सिंह के हिंसक तरीकों से पूरी तरह असहमत थे। उन्होंने असेंबली बम विस्फोट को “दो पागल युवकों का आपराधिक कृत्य” बताया। कांग्रेस के कराची अधिवेशन में उन्होंने भगत सिंह के कार्यों को “गलती” बताया।
  • आलोचना: गांधी जी ने कभी भी आधिकारिक तौर पर भगत सिंह की सज़ा कम करने की माँग नहीं की। कुछ इतिहासकारों का तर्क है, कि उन्होंने इरविन पर दबाव डालने से जानबूझकर परहेज किया। पत्रकार डी.पी. दास ने सुझाव दिया कि गांधी जी ने भगत सिंह के जीवन की तुलना में दिल्ली समझौते को प्राथमिकता दी।

अनसुलझे विवाद

  • गांधी के बचावकर्ता: वी. एन. दत्ता ने तर्क दिया, कि गांधी जी के पास सीमित शक्ति थी और वे बाधाओं के तहत काम कर रहे थे। कुछ लोगों का मानना ​​है कि गांधी के हस्तक्षेप के बावजूद इरविन ने सज़ा कम नहीं की होती।
  • गांधी के आलोचक: ए.जी. नूरानी ने दावा किया, कि गांधी और भी कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आलोचकों का तर्क है कि गांधी ने अपने प्रयासों में देरी की और बहुत कम तथा बहुत देर से काम किया

गांधी बनाम भगत सिंह : भिन्न विचारधाराएँ

  • दर्शन:
    • गांधीजी ने स्वतंत्रता के मार्ग के रूप में अहिंसा और सत्याग्रह को लक्षित किया।
    • भगत सिंह: ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई और क्रांतिकारी संघर्ष में विश्वास रखते थे।
  • रणनीति:
    • गांधीजी: ब्रिटिशों के साथ वार्ता और शांतिपूर्ण विरोध को प्राथमिकता दी।
    • भगत सिंह: औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंकने के लिए हिंसा को एक आवश्यक कदम मानते थे।
  • राजनीतिक विचारधारा:
    • गांधी: सविनय अवज्ञा के माध्यम से नैतिक प्रतिरोध पर ध्यान केंद्रित किया।
    • भगत सिंह: जेल में रहते हुए उन्होंने समाजवाद का समर्थन किया और मार्क्सवाद का अध्ययन किया।
  • दृश्य:
    • गांधीजी ने भगत सिंह के तरीकों को “गलत और निरर्थक” कहा।
    • भगत सिंह: गांधीजी के अहिंसक दृष्टिकोण की आलोचना की, क्योंकि यह ब्रिटिश दमन के विरुद्ध अप्रभावी था।

निष्कर्ष

गांधी -इरविन समझौता भगत सिंह विवाद के कारण छाया हुआ है। भगत सिंह की फांसी में गांधी जी की भूमिका पर बहस अभी भी अनसुलझी है। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के बीच व्यापक वैचारिक विभाजन को दर्शाता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

महात्मा गांधी और भगत सिंह की भिन्न विचारधाराओं ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उनके दृष्टिकोण को किस प्रकार आकार दिया? उनके दृष्टिकोणों के बीच संघर्ष के प्रमुख क्षेत्र क्या थे?

(10 अंक, 150 शब्द)

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