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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना

Lokesh Pal March 15, 2025 11:39 132 0

संदर्भ

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) को वर्ष 2025- 2026 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है।

  • इन योजनाओं का उद्देश्य अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल क्षति के विरुद्ध किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के बारे में

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को वर्ष 2016 में किसानों को उनकी उपज के लिए बीमा सेवा के रूप में शुरू किया गया था।
  • PMFBY के उद्देश्य
    • वर्षा, तापांतर, पाला तथा आर्द्रता जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से किसानों को बचाने के लिए व्यापक फसल बीमा की शुरुआत करना।
    • फसल बुवाई से पहले और फसल कटाई के बाद फसल के नुकसान को शामिल करके किसानों की आय में स्थिरता सुनिश्चित करता है।
    • कुल वित्तीय परिव्यय: वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए ₹69,515.71 करोड़।
  • PMFBY की मुख्य विशेषताएँ
    • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा खरीफ वर्ष 2016 में शुरू किया गया।
    • पिछली योजनाओं का स्थान लिया: राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (National Agricultural Insurance Scheme- NAIS) और संशोधित NAIS का स्थान लिया।
    • सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध, राज्यों और किसानों दोनों के लिए स्वैच्छिक।
    • पात्रता
      • अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले सभी किसान, बटाईदार और किरायेदार किसान पात्र हैं।
      • खाद्य फसलों (अनाज, बाजरा, दालें), तिलहन और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों को शामिल करता है।
  • प्रीमियम फ्रेमवर्क
    • खरीफ फसलों के लिए 2%
    • रबी फसलों के लिए 1.5%
    • वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5%
  • सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं: भले ही शेष प्रीमियम 90% हो, सरकार इसे वहन करेगी।
  • फसल कटाई के बाद नुकसान को शामिल करना
    • फसलों की ‘कटाई और संग्रहण’ की स्थिति में संग्रहीत फसलों के लिए 14 दिनों तक का कवरेज प्रदान करना।
    • यह किसानों को फसल कटाई के बाद होने वाले अप्रत्याशित नुकसान से बचाता है।
  • अपवाद: युद्ध, परमाणु जोखिम और रोके जा सकने वाले जोखिमों के कारण होने वाले नुकसान PMFBY के अंतर्गत शामिल नहीं किए जाते हैं।
  • योजना के अंतर्गत तकनीकी पहल
    • प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उपज अनुमान प्रणाली
    • मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम (Weather Information and Network Data Systems- WINDS)
    • नवाचार और प्रौद्योगिकी के लिए कोष (Fund for Innovation and Technology- FIAT)

पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) के बारे में

  • प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से किसानों को बचाने के लिए वर्ष 2016 में शुरू किया गया।
  • सूखा, बाढ़, चक्रवात तथा ओलावृष्टि जैसे विभिन्न खतरों को शामिल करता है।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • खाद्य फसलों, तिलहन, वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के लिए बीमा कवरेज प्रदान करता है।
    • इसका उद्देश्य मौसम संबंधी विसंगतियों के कारण होने वाले वित्तीय जोखिमों को कम करना है।
  • पात्रता: अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले सभी किसान, बंटाईदार और किरायेदार किसान पात्र हैं।

PMFBY और RWBCIS के बीच अंतर

विशेषता प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS)
उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल क्षति होने पर किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। फसलों को प्रभावित करने वाले मौसम के उतार-चढ़ाव के विरुद्ध वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
कवरेज के प्रकार उपज माप के आधार पर वास्तविक फसल हानि का आकलन शामिल है। इसमें पूर्वनिर्धारित मौसम मानदंड जैसे वर्षा, तापमान, आर्द्रता आदि को शामिल किया गया है।
बीमा का आधार फसल कटाई प्रयोगों (Crop Cutting Experiments- CCE) के माध्यम से मापी गई वास्तविक फसल उपज के आधार पर। मौसम सूचकांकों जैसे कि कम/अधिक वर्षा, तापमान चरम सीमा आदि के आधार पर।
दावा निपटान सरकार और बीमा कंपनियों द्वारा किए गए उपज हानि आकलन के आधार पर। मौसम केंद्रों पर दर्ज पूर्व निर्धारित मौसम स्थितियों में विचलन के आधार पर।
मूल्यांकन प्राधिकरण राज्य सरकारों, संयुक्त समितियों और बीमा कंपनियों द्वारा फसल हानि का आकलन किया गया। IMD/अधिकृत मौसम केंद्रों के माध्यम से मौसम आधारित मूल्यांकन किया जाता है।
शामिल जोखिम स्थानीय जोखिमों जैसे सूखा, बाढ़, कीट संक्रमण, ओलावृष्टि आदि को शामिल करता है। मौसम संबंधी जोखिम जैसे असामयिक वर्षा, गर्म हवाएँ, शीत लहरें आदि को शामिल करता है।

PMFBY का कार्यान्वयन: सफलता एवं अंतराल

सफलता

  • व्यापक रूप से अपनाया जाना: 27 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने PMFBY को शुरू से ही लागू किया है, जिसमें से 23 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश वर्तमान में इसमें भाग ले रहे हैं।
  • पारदर्शी चयन: राज्य, बोली के माध्यम से बीमा मॉडल और कंपनियों का चयन करते हैं।
  • प्रभावी निगरानी: नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंस, हितधारक बैठकें और राष्ट्रीय समीक्षा सुचारू संचालन सुनिश्चित करती हैं।
  • सुधारित शिकायत निवारण: जिला और राज्य स्तरीय समितियों (DGRC और SGRC) के माध्यम से स्तरीकृत तंत्र।

चुनौतियाँ तथा अंतराल

  • राज्य सरकारों तथा बीमा कंपनियों के बीच विवादों के कारण दावों के निपटान में देरी
  • बैंकों से गलत या विलंबित बीमा प्रस्तावों के कारण भुगतान न होने की समस्या।
  • राज्य सरकारों से धन हस्तांतरण में देरी के कारण दावों का वितरण प्रभावित होता है।
  • बीमा कंपनियों में पर्याप्त संख्या में कर्मियों की कमी के कारण समय पर मूल्यांकन और दावों की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

बेहतर कार्यान्वयन के लिए PMFBY में वृद्धि

  • स्तरीकृत शिकायत प्रणाली: जिला स्तरीय (DGRC) और राज्य स्तरीय (SGRC) समितियाँ।
  • आसान शिकायत दर्ज करने के लिए कृषि रक्षक पोर्टल तथा हेल्पलाइन (Krishi Rakshak Portal & Helpline – KRPH) की शुरुआत की गई।
  • त्वरित समस्या समाधान के लिए बीमा कंपनियों के डेटाबेस से संबंधित एकल टोल-फ्री नंबर (14447)।
  • पारदर्शिता, जवाबदेही और किसान-हितैषी संचालन को बढ़ाने के लिए संशोधित परिचालन दिशा-निर्देश।
  • समय पर दावा निपटान सुनिश्चित करने के लिए बीमा कंपनियों की नियमित निगरानी।

इससे यह सुनिश्चित होता है कि PMFBY एक प्रभावी तथा पारदर्शी फसल बीमा योजना बनी रहेगी, जो किसानों को अप्रत्याशित कृषि जोखिमों के विरुद्ध वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगी।

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