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क्रिएटर इकोनॉमी

Lokesh Pal March 18, 2025 03:02 11 0

संदर्भ 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स को समर्थन देने के लिए 1 बिलियन डॉलर के फंड की घोषणा की है।

संबंधित तथ्य

  • यह कोष निजी क्षेत्र के सहयोग से बनाया जाएगा, ताकि क्रिएटर्स को अपने कौशल को उन्नत करने, उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार करने और वैश्विक बाजारों में विस्तार करने में मदद मिल सके।
  • इस कोष के साथ ही सरकार ने भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Creative Technologies-IICT) की स्थापना के लिए 391 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

क्रिएटर इकोनॉमी क्या है?

  • क्रिएटर इकोनॉमी एक डिजिटल इकोसिस्टम को संदर्भित करता है, जहाँ व्यक्ति विभिन्न प्लेटफॉर्म पर कंटेंट क्रिएट और शेयर करते हैं।
  • पारंपरिक मीडिया के विपरीत, जहाँ कारपोरेशन कंटेंट वितरण को नियंत्रित करते हैं, क्रिएटर इकोनॉमी क्रिएटर और उनके अनुयायियों के बीच सीधे जुड़ाव की अनुमति देती है।
  • क्रिएटर इकोनॉमी के प्रमुख घटक
    • YouTube, Instagram, Twitch और Twitter जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म।
    • विज्ञापन राजस्व, प्रायोजन और सहबद्ध विपणन जैसे मुद्रीकरण के तरीके।
    • सामुदायिक जुड़ाव: पारंपरिक मीडिया के विपरीत, क्रिएटर इकोनॉमी दर्शकों के साथ सीधे जुड़ाव पर पनपती है।

भारत में क्रिएटर इकोनॉमी

  • भारत की क्रिएटर इकोनॉमी का पैमाना: भारत में 80 मिलियन से ज्यादा कंटेंट क्रिएटर हैं, जिनमें इन्फ्लुएंसर, ब्लॉगर, कलाकार और डिजिटल क्रिएटर शामिल हैं।
  • बाजार का आकार: भारत की क्रिएटर इकोनॉमी का बाजार आकार वर्ष 2023 में 976.0 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और वर्ष 2030 तक 3,926.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • भारत की क्रिएटर इकोनॉमी अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है, कुछ अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2028 तक इसमें 45% CAGR की वृद्धि होगी।
  • आर्थिक योगदान: क्रिएटिव व्यवसायों में गैर-क्रिएटिव नौकरियों की तुलना में 88% अधिक वेतन मिलता है और देश के सकल मूल्य वर्द्धित (GVA) में इनका योगदान लगभग 20% है।
  • रोजगार योगदान: भारत की क्रिएटिव इकोनॉमी देश के रोजगार में लगभग 8% का योगदान देती है, जो तुर्किए (1%), मैक्सिको (1.5%), दक्षिण कोरिया (1.9%) और ऑस्ट्रेलिया (2.1%) जैसे देशों से कहीं अधिक है।
  • AVGC टास्क फोर्स (एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स) और 1 बिलियन डॉलर के क्रिएटिव इकोनॉमी फंड जैसी सरकारी पहल इस क्षेत्र का समर्थन करती हैं।

क्रिएटर इकोनॉमी का महत्त्व

  • कंटेंट का लोकतंत्रीकरण: इंटरनेट एक्सेस वाला कोई भी व्यक्ति पारंपरिक मीडिया हाउस से स्वीकृति लिए बिना कंटेंट क्रिएट कर सकता और वितरित कर सकता है।
    • इससे डिजिटल मीडिया में मुद्दों एवं दृष्टिकोणों की विविधता सामने आई है।
  • आर्थिक विकास एवं रोजगार: वैश्विक क्रिएटर इकोनॉमी का मूल्य $100 बिलियन से अधिक है और लाखों क्रिएटर कंटेंट निर्माण से पूर्णकालिक आय अर्जित कर रहे हैं।
    • सोशल मीडिया मैनेजर, वीडियो एडिटर और ब्रांड कंसल्टेंट जैसी नई नौकरी की भूमिकाएँ उभरी हैं।
  • डायरेक्ट-टू-ऑडियंस बिज़नेस मॉडल: पारंपरिक उद्योगों के विपरीत, जहाँ बिचौलिए वितरण को नियंत्रित करते हैं, क्रिएटर इकोनॉमी बिचौलियों को हटा देती है, जिससे क्रिएटर सीधे अपने दर्शकों से लाभ कमा सकते हैं।
  • नवाचार एवं प्रौद्योगिकी: AI और मशीन लर्निंग कंटेंट संबंधी अनुशंसाओं को वैयक्तिकृत करने में मदद करते हैं तथा वर्चुअल एवं संवर्द्धित वास्तविकता सामग्री के अनुभवों को बेहतर बना रही है।

क्रिएटर इकोनॉमी की चुनौतियाँ

  • प्लेटफॉर्म पर निर्भरता: क्रिएटर बड़ी टेक कंपनियों के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म पर निर्भर रहते हैं, जिससे वे एल्गोरिदम में बदलाव, विमुद्रीकरण और प्रतिबंधों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
  • आय अस्थिरता: पारंपरिक नौकरियों के विपरीत, क्रिएटर की आय व्यू, जुड़ाव और ब्रांड डील के आधार पर उतार-चढ़ाव करती है। कई क्रिएटर वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी आय धाराओं में विविधता लाते हैं।
  • डिजिटल डिवाइड: इंटरनेट और डिजिटल टूल तक असमान पहुँच असमानताएँ उत्पन्न करती है, जिससे ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में क्रिएटर के लिए अवसर सीमित हो जाते हैं।
  • डिजिटल साक्षरता अंतराल: कई क्रिएटर, विशेषतौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में, डिजिटल टूल और प्लेटफॉर्म का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के कौशल की कमी रखते हैं, जिससे उनकी विकास क्षमता सीमित हो जाती है।
  • साइबर सुरक्षा जोखिम: क्रिएटर डेटा ब्रीच, हैकिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न जैसे खतरों का सामना करते हैं, जो उनकी प्रतिष्ठा एवं वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य और बर्नआउट: लगातार कंटेंट क्रिएशन, दर्शकों की अपेक्षाएँ और सोशल मीडिया का दबाव तनाव, चिंता और बर्नआउट का कारण बनता है। कई रचनाकारों को कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ता है।
  • संरचनात्मक व्यवधान: वित्त तक सीमित पहुँच, कमजोर बौद्धिक संपदा (IP) ढाँचे और खंडित नीति निर्धारण जैसे मुद्दे विकास में बाधा डालते हैं।

क्रिएटर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई पहल

  • WAVES बाजार-ग्लोबल ई-मार्केटप्लेस: कंटेंट क्रिएटर्स के लिए अपना कार्य प्रदर्शित करने, प्रोजेक्ट पेश करने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ने का एक प्लेटफॉर्म है।
  • WAVES अवॉर्ड्स: गेम ऑफ द ईयर, फिल्म ऑफ द ईयर और एडवरटाइजिंग कैंपेन ऑफ द ईयर जैसी श्रेणियों के साथ क्रिएटिव फील्ड में उत्कृष्टता को मान्यता देता है।
  • ‘क्रिएट इन इंडिया’ चुनौतियाँ
    • ‘वाह उस्ताद’: दिल्ली घराने के सहयोग से गायकों के लिए शास्त्रीय एवं अर्द्ध-शास्त्रीय संगीत चुनौती।
    • ‘मेक द वर्ल्ड वियर खादी’: खादी को वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए विज्ञापनदाताओं और डिजाइनरों के लिए एक प्रतियोगिता।
    • ‘रेजोनेट: द ईडीएम चैलेंज’: इलेक्ट्रॉनिक डांस म्यूजिक (EDM) कलाकारों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता।
    • सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन चुनौती: भारत के समृद्ध पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने संबंधी चुनौती।
  • इन उद्देश्यों के साथ 1 बिलियन डॉलर का कोष प्रस्तावित
    • कंटेंट क्रिएटर्स को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
    • डिजिटल कंटेंट उत्पादन में नई तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
    • भारतीय क्रिएटर्स को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम बनाना।
    • क्रिएटर इकोनॉमी में सतत् विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी स्थापित करना।

क्रिएटर इकोनॉमी विनियमन में वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास

कानूनी मान्यता और कराधान नीतियाँ

  • कई देशों ने डिजिटल क्रिएटर्स को वैध पेशेवरों के रूप में मान्यता देना शुरू कर दिया है, जिससे उन्हें कानूनी और वित्तीय लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  • फ्रीलांसर और व्यवसाय वर्गीकरण
    • यूनाइटेड किंगडम: क्रिएटर्स को स्व-नियोजित के रूप में मान्यता देता है, जिससे पेंशन योजनाओं और स्वास्थ्य बीमा जैसे फ्रीलांसर लाभों तक पहुँच मिलती है।
  • कर अनुपालन एवं निष्पक्ष कराधान
    • यूरोपीय संघ (EU): डिजिटल क्रिएटर्स को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म से कमाई करते समय VAT नियमों का पालन करना होगा।

बौद्धिक संपदा एवं कॉपीराइट संरक्षण

  • कंटेंट चोरी और AI-जनरेटेड डीपफेक के बढ़ने के साथ, मूल क्रिएटर्स की सुरक्षा के लिए कॉपीराइट कानून विकसित हो रहे हैं।
  • डिजिटल कॉपीराइट कानून
    • यूरोपीय संघ (EU): अनुच्छेद-17 निर्देश यूट्यूब और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म को कॉपीराइट किए गए कार्य के लिए कंटेंट क्रिएटर्स को उचित भुगतान करने का आदेश देता है।
    • दक्षिण कोरिया: डिजिटल कॉपीराइट अधिनियम डिजिटल कंटेंट के अनधिकृत उपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम प्रदान करता है।
  • एआई-जनरेटेड कंटेंट विनियमन
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिकी कॉपीराइट कार्यालय के अनुसार, कॉपीराइट सुरक्षा के लिए योग्य होने के लिए AI-जनरेटेड कार्यों में मानव लेखक होना चाहिए।
    • चीन: गलत सूचना को रोकने के लिए AI-जनरेटेड कंटेंट को डीपफेक के रूप में स्पष्ट रूप से लेबल करने की आवश्यकता है।

निष्पक्ष भुगतान और प्लेटफॉर्म जवाबदेही

  • सरकारें प्लेटफॉर्म पर क्रिएटर्स को उचित भुगतान करने और पारदर्शी राजस्व-साझाकरण मॉडल प्रदान करने के लिए दबाव डाल रही हैं।
  • न्यूनतम क्रिएटर मुआवजा कानून
    • यूरोपीय संघ (EU): प्रस्तावित डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA) डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पारदर्शी राजस्व-साझाकरण सुनिश्चित करता है।
  • मुद्रीकरण पर प्लेटफॉर्म विनियमन
    • ऑस्ट्रेलिया: एक समाचार मीडिया सौदेबाजी कोड लागू किया, जिससे गूगल और फेसबुक को समाचार कंटेंट के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो संभावित रूप से भविष्य के क्रिएटर्स इकोनॉमी विनियमों को प्रभावित कर सकता है।

ऑनलाइन सुरक्षा और एथिकल कंटेंट मानक

  • गलत सूचना, उत्पीड़न और बाल शोषण से निपटने के लिए, देश सख्त कंटेंट मॉडरेशन तथा विज्ञापन दिशा-निर्देश लागू कर रहे हैं।
  • कंटेंट मॉडरेशन और गलत सूचना कानून
    • जर्मनी: नेटजडीजी कानून (NetzDG Law) के अनुसार, प्लेटफॉर्म को 24 घंटे के भीतर अवैध कंटेंट को हटाना होगा या भारी जुर्माना भरना होगा।
  • प्रभावशाली विज्ञापन और नैतिक दिशा-निर्देश
    • यूनाइटेड किंगडम (यू.के.): विज्ञापन मानक प्राधिकरण (ASA) यह अनिवार्य करता है कि प्रभावशाली लोग प्रायोजित सामग्री (#Ad, #PaidPartnership) को स्पष्ट रूप से लेबल करना।

भारत की क्रिएटर इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए आगे की राह

  • प्लेटफॉर्म पर निर्भरता कम करना: विदेशी तकनीकी दिग्गजों पर निर्भरता कम करने के लिए भारतीय स्वामित्व वाले और विकेंद्रीकृत प्लेटफॉर्म विकसित करना।
    • चीन ने WeChat, Baidu और Kuaishou जैसे अपने प्लेटफ़ॉर्म विकसित किए, जिससे पश्चिमी तकनीकी दिग्गजों पर निर्भरता कम हुई।
    • भारत Koo जैसे भारतीय कंटेंट प्लेटफॉर्म में निवेश करके इसका अनुसरण कर सकता है।
  • आय अस्थिरता को संबोधित करना: सदस्यता, पाठ्यक्रम, क्राउडफंडिंग और NFT जैसे विविध राजस्व मॉडल को प्रोत्साहित करना।
    • कलारी कैपिटल की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में 8 करोड़ क्रिएटर्स में से केवल 1.5 लाख ही अपने कार्य का मुद्रीकरण करने में सक्षम थे।
  • मानसिक स्वास्थ्य और बर्नआउट का प्रबंधन करना: मानसिक स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम शुरू करना और क्रिएटर्स के लिए स्थायी कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देना।
    • YouTube का ‘क्रिएटर वेल-बीइंग प्रोग्राम’ थेरेपी और वेलनेस संसाधन प्रदान करता है, जिसे अन्य प्लेटफॉर्म को अपनाना चाहिए।
  • लक्षित नीतियाँ तैयार करना: क्रिएटर्स के अधिकारों और आय की सुरक्षा के लिए क्षेत्र-विशिष्ट नीतियाँ तथा कानूनी ढाँचे विकसित करना।
    • भारत सरकार के AVGC टास्क फोर्स (2022) ने क्षेत्र-विशिष्ट नीतियों की सिफारिश की, लेकिन अभी तक कोई ठोस रूपरेखा मौजूद नहीं है।
  • संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना: वित्त तक पहुँच में सुधार करना, बौद्धिक संपदा अधिकारों को मजबूत करना और एक एकीकृत नीतिगत निकाय बनाना।
    • कई भारतीय कंटेंट स्टार्टअप कमजोर बौद्धिक संपदा (IP) सुरक्षा के कारण संघर्ष करते हैं।
  • डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और पहुँच को बढ़ावा देना: ग्रामीण क्षेत्रों में क्रिएटर्स के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी, किफायती डेटा एक्सेस और डिजिटल टूल में सुधार करना।
    • NSSO के आँकड़ों के अनुसार, केवल 24% ग्रामीण भारतीय परिवारों के पास हाई स्पीड इंटरनेट तक पहुँच है, जिससे महत्त्वाकांक्षी कंटेंट क्रिएटर्स के लिए अवसर सीमित हो जाते हैं।
  • डिजिटल साक्षरता अंतराल को पाटना: डिजिटल कौशल, कंटेंट क्रिएशन और प्लेटफॉर्म उपयोग सिखाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करना।
    • डिजिटल इंडिया पहल में ग्रामीण नागरिकों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
  • साइबर सुरक्षा जोखिमों को कम करना: क्रिएटर्स और उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा के लिए मज़बूत डेटा गोपनीयता विनियमन लागू करना।
    • यूरोपीय संघ में सामान्य डेटा सुरक्षा विनियमन (GDPR) डेटा सुरक्षा के लिए उच्च मानक निर्धारित करता है।

WAVES क्या है?

  • वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंड इंटरटेनमेंट समिट (WAVES) 2025 एक प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम है, जो 1 से 4 मई, 2025 तक मुंबई में आयोजित किया जाएगा।
  • इसका उद्देश्य कंटेंट क्रिएटर्स को अपनी प्रतिभा दिखाने, फंडिंग तक पहुँचने और वैश्विक बाजार में अपनी पहुँच बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

WAVES 2025 की मुख्य विशेषताएँ

  • इसमें 100 से अधिक देशों के प्रतिभागी शामिल होंगे, जिनमें शीर्ष मीडिया, तकनीक और मनोरंजन पेशेवर शामिल होंगे।
  • चर्चा में ऑडियो-विजुअल तकनीक और डिजिटल कंटेंट क्रिएशन में प्रगति को शामिल किया जाएगा।
  • क्रिएटर चैलेंज प्रोग्राम में 2.5 मिलियन से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए हैं, जिसमें 80,000 कंटेंट सबमिशन शामिल हैं। शीर्ष 1,000 क्रिएटर्स का चयन किया जाएगा और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जाएगी।

भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Creative Technology-IICT) 

  • सरकार ने मुंबई के गोरेगाँव में फिल्म सिटी के पास पहला भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) स्थापित करने की भी घोषणा की है।
  • इस पहल का समर्थन करने के लिए 391 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिसका उद्देश्य क्रिएटिव और डिजिटल कंटेंट उद्योग में शिक्षा एवं प्रशिक्षण को बढ़ाना है।
  • IICT, IIT की तरह ही कार्य करेगा, लेकिन पोस्ट-प्रोडक्शन और डिजिटल सामग्री निर्माण सहित मीडिया और मनोरंजन प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

निष्कर्ष

WAVES 2025 और नई फंडिंग पहल के साथ, भारत डिजिटल कंटेंट निर्माण और मीडिया इनोवेशन के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है। ये प्रयास क्रिएटर्स को सशक्त बनाएँगे, मनोरंजन उद्योग को बढ़ावा देंगे और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत करेंगे।

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