100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में हीटवेव्स से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा किए जाने वाले प्रयास और उनकी स्वास्थ्य क्षेत्र में उपयोगिता

Lokesh Pal April 04, 2025 05:15 52 0

संदर्भ:

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के एक पूर्वानुमान के अनुसार भारत में ग्रीष्म ऋतु के दौरान 10-11 दिनों के लिए सामान्य से अधिक तापमान रहेगा, विशेष रूप से मध्य और पूर्वी भारतीय राज्यों, जैसे- ओडिशा, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का पूर्वानुमान

  • रात्रि के तापमान में वृद्धि: हिमालयी और उप-हिमालयी क्षेत्रों को छोड़कर, सभी राज्यों में रात्रि का तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।
  • प्रारंभिक हीटवेव्स: गुजरात , ओडिशा और विदर्भ (महाराष्ट्र) जैसे कुछ क्षेत्रों में मार्च में पहले से ही सामान्य से अधिक हीटवेव्स की स्थिति (3-5 दिन) का अनुभव हो चुका है।

वर्ष 2024 में वैश्विक तपान और हीटवेव

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की रिपोर्ट: वैश्विक जलवायु की स्थिति-2024 के अनुसार, 2024 पिछले 175 वर्षों में सबसे गर्म वर्ष था, जिसमें वैश्विक औसत सतही तापमान 1850-1900 के औसत से 1.55 ± 0.13 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो 1.5 डिग्री सेल्सियस की बाधा को पार कर गया।
  • भारत में अत्यधिक गर्मी: 2024 भारत में सबसे अधिक हीटवेव्स वाला वर्ष होगा, जिसमें उत्तर-पश्चिमी भारत में जून में रिकॉर्ड 181 हीटवेव दिन होंगे।

अत्यधिक तापमान के प्रभाव

  • आर्थिक लागत: अत्यधिक तापमान की आर्थिक लागत में शामिल हैं:
    • श्रम उत्पादकता हानि
    • कृषि पर प्रभाव
    • स्वास्थ्य सेवाओं की लागत
    • बुनियादी ढाँचे की क्षति
    • आपूर्ति शृंखला व्यवधान
  • अनुमानित हानि: भारतीय रिजर्व बैंक के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग ने चेतावनी दी है, कि जलवायु परिवर्तन के कारण सकल घरेलू उत्पाद में 2.8% तक की हानि हो सकती है तथा 2100 तक वैश्विक स्तर पर 34 मिलियन नौकरियाँ समाप्त हो सकती हैं।
  • शहरीकरण प्रभाव: तीव्र शहरीकरण के कारण शहर गर्म हो रहे हैं, जिसे नगरीय ऊष्मण द्वीप (urban heat island) प्रभाव के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण 2100 तक शहरों का तापमान 4°C तक बढ़ने की संभावना है।
  • स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव: इस प्रकार के तापमान में वृद्धि से घनी आबादी वाले शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। अत्यधिक तापमान का संबंध निम्नलिखित से है:
    • अत्यधिक मृत्यु दर का जोखिम
    • स्कूलों का बंद होना
    • आजीविका का नुकसान
    • पानी की कमी
    • बिजली कटौती
    • खाद्य असुरक्षा
  • जलवायु कार्रवाई पर वैश्विक तात्कालिकता: (संयुक्त राष्ट्र महासचिव का आह्वान) संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जुलाई 2024 में अत्यधिक तापमान से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया, जिसमें चार महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर बल दिया गया- 
    • कमजोर आबादी की देखभाल; 
    • श्रमिकों को अत्यधिक तापमान से बचाना;
    • आँकड़ों और विज्ञान के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं और समाज को अनुकूलन बनाना; 
    • जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करके तथा नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करके तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना।

भारत में हीट एक्शन प्लान (HAPs): 

  • क्या है?: हीट एक्शन प्लान (HAPs) भारतीय शहरों में तापमान से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों के प्रबंधन के लिए प्रमुख उपकरण बन गए हैं। 
  • उत्पत्ति: ऐसी योजनाओं की अवधारणा को वर्ष 2003 में यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अत्यधिक तापमान  की घटनाओं (ईएचई) के बाद वैश्विक स्तर पर प्रमुखता मिली, जिसके परिणामस्वरूप ताप-स्वास्थ्य प्रतिक्रिया योजनाओं (heat-health response plans) का विकास हुआ। 
  • भारत में उत्पत्ति भारत में सबसे प्रारंभिक ताप स्वास्थ्य कार्य योजना (heat health action plan) 1999 में बनाई गई थी, जो 1998 में ओडिशा में आई भीषण गर्मी के बाद आई थी, जिसमें 2000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी।
  • डब्ल्यूएचओ/यूरोपीय फ्रेमवर्क: विश्व स्वास्थ्य संगठन /यूरोप ने वैश्विक स्तर पर हीट एक्शन प्लान के निर्माण का आकलन करने और मार्गदर्शन करने के लिए यूरो-हीट परियोजना (2005-2007) शुरू की। इस परियोजना ने हीट-हेल्थ एक्शन प्लानिंग के लिए आठ मुख्य तत्त्वों से युक्त एक फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया:
    • समन्वय के लिए एक प्रमुख निकाय पर सहमति
    • सटीक और समय पर चेतावनी प्रणाली
    • तापमान से संबंधित स्वास्थ्य सूचना योजना
    • घर के भीतर तापमान में कमी
    • कमज़ोर समूहों के लिए विशेष देखभाल
    • स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल प्रणाली की तैयारी
    • दीर्घकालिक शहरी नियोजन
    • वास्तविक समय निगरानी और मूल्यांकन
  • मुख्य निष्कर्ष: विश्लेषण में 8 भारतीय शहरों (अहमदाबाद, भुवनेश्वर, दिल्ली, जोधपुर, राजकोट, सूरत, ठाणे और वडोदरा) को शामिल किया गया, जहाँ 2014 और 2018 के बीच हीट एक्शन प्लान तैयार या अपडेट किए गए थे। 
    • विश्लेषण मुख्यतः हीट एक्शन प्लान के प्रदर्शन की बजाय उनके प्रावधानों पर केंद्रित है
  • उच्च कवरेज: ‘प्रमुख निकाय पर सहमति’‘स्वास्थ्य सूचना योजनाएँ’‘सटीक और समय पर चेतावनी प्रणाली’ और ‘घर के भीतर अत्यधिक तापमान के जोखिम में कमी’ जैसे तत्त्वों को हीट एक्शन प्लान (HAPs) में बेहतर ढंग से कवर किया गया है।
  • निम्न कवरेज: दीर्घकालिक संस्थागत योजना और अंतरक्षेत्रीय समन्वय, जैसे- ‘कमजोर समूहों के लिए विशेष देखभाल’‘स्वास्थ्य/सामाजिक देखभाल प्रणालियों की तैयारी’‘दीर्घकालिक शहरी योजना’ और ‘वास्तविक समय निगरानी’ का प्रतिनिधित्व कम है।
  • अलग-अलग शहरों का प्रदर्शन: ठाणे में सर्वाधिक कवरेज है (42 में से 38), उसके बाद भुवनेश्वर और दिल्ली (37 प्रत्येक) का स्थान है। वडोदरा में सबसे कम कवरेज है (42 में से 17), उसके बाद सूरत (28) का स्थान है।
  • मुख्य लक्ष्य: स्वास्थ्य सूचना योजनाएँ सबसे बेहतर प्रतिनिधित्व वाला मुख्य तत्त्व थीं, जिनका ध्यान जनता और चिकित्सा पेशेवरों पर था, लेकिन विशिष्ट आबादी, जैसे- बच्चों और अन्य कमजोर समूहों के लिए तैयार की गई सूचना का अभाव स्पष्ट रूप से देखा गया।
    • ठाणे हीट एक्शन प्लान एकमात्र ऐसी योजना है, जिसमें निगरानी और मूल्यांकन ढाँचा शामिल है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि योजना की प्रभावशीलता का वास्तविक समय में आकलन किया जा सके।

हीट एक्शन प्लान संबंधी चुनौतियाँ

  • कमजोर समूह: ‘कमजोर समूहों के लिए विशेष देखभाल’ प्रणाली अधिकांश हीट एक्शन प्लान (HAPs) में कम महत्त्वपूर्ण बनी हुई है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि बच्चों, वृद्ध और गरीबों आदि पर प्रतिक्रिया योजनाओं में उचित ध्यान दिया जाए।
  • दीर्घकालिक योजना: शहरों को बढ़ते तापमान का सामना करने के लिए डिज़ाइन करने हेतु दीर्घकालिक शहरी नियोजन का अभाव है। इसमें हरित क्षेत्रों में वृद्धि और शहरी शीतलन (urban cooling) जैसे उपाय शामिल हैं
  • निगरानी: वास्तविक समय निगरानी का अभाव है, जिससे हीटवेव्स और उनके प्रभावों पर समय पर प्रतिक्रिया करने में बाधा आती है।
  • दीर्घकालिक उपायों का अभाव: हीट एक्शन प्लान (HAPs) में दीर्घकालिक उपाय सबसे कमजोर घटक बने हुए हैं। तापमान में अधिकता को बाढ़ या चक्रवातों की तरह एक प्रासंगिक खतरे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, जो आमतौर पर अनिश्चित और विनाशकारी होते हैं।
  • कानूनी अधिदेशों का अभाव: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के विपरीत, जहाँ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की निगरानी में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) प्रणाली को खराब वायु गुणवत्ता के साथ स्वचालित रूप से चालू होने के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य किया गया है, उस प्रकार हीटवेव्स के जोखिमों के प्रबंधन के लिए कोई समान कानूनी अधिदेश नहीं है।

आगे की राह

  • त्वरित हस्तक्षेप: यद्यपि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा चेतावनी जारी किए जाने पर हीटवेव के लिए त्वरित हस्तक्षेप की आवश्यकता होती हैलेकिन मृत्यु की घटनाओं में देरी प्रायः हीटवेव के बाद कई दिनों तक हो सकती है
  •  हीटवेव नामकरण: सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और बेहतर संचार की सुविधा के लिए, तूफानों आदि के लिए उपयोग की जाने वाली मानकीकृत प्रणाली के समान, हीटवेव्स के नामकरण के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, “ज़ो” 2022 में सेविले, स्पेन में पहली नामित हीटवेव थी, जो अधिक तापमान से संबंधित जोखिमों पर जनता को अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करने के प्रयास को चिह्नित करती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) दृढ़ता से समर्थन करता है, कि स्वास्थ्य क्षेत्र को निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करके हीट-स्वास्थ्य प्रतिक्रिया का नेतृत्व करना चाहिए:
    • बेहतर ताप प्रबंधन के लिए शासन को मज़बूत करना।
    • उच्च जोखिम वाली आबादी, जैसे- वृद्धबच्चे और पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों पर तीव्र प्रभाव को कम करने के लिए तैयारी और प्रतिक्रिया रणनीतियों में सुधार करना।

निष्कर्ष

जबकि हीटवेव्स की चेतावनी जारी होने पर हस्तक्षेप आवश्यक है, सामाजिक संवेदनशील क्षेत्रों को संबोधित करना और सक्रिय ताप प्रबंधन व्यापक हीट-स्वास्थ्य प्रतिक्रिया रणनीतियों का अभिन्न अंग होना चाहिए। स्वास्थ्य क्षेत्र के नेतृत्व पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रयास भारत को अत्यधिक तापमान की घटनाओं के प्रति अपनी प्रतिक्रिया विस्तार के लिए एक रूपरेखा प्रदान कर सकते हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में हीटवेव एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभरी है, जो असुरक्षित आबादी को असमान रूप से प्रभावित कर रही है। अत्यधिक तापमान की घटनाओं के विरुद्ध अनुकूलन करने में हीट-स्वास्थ्य प्रशासन की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.