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पश्चिम अफ्रीका के चिंपैंजी अपनी संस्कृति खो रहे हैं

Lokesh Pal April 08, 2025 03:16 32 0

संदर्भ 

हाल ही में प्रकाशित एक शोध में, पश्चिम अफ्रीका में ताई चिंपैंजी परियोजना (Tai Chimpanzee Project) से जुड़े वैज्ञानिकों ने चिंपैंजीज के मध्य आपसी संवाद हेतु उनकी चार बोलियों को दर्ज किया है, जिनका उपयोग नर चिंपैंजी [पैन ट्रोग्लोडाइट्स वेरस (Pan Troglodytes Verus)] ताई राष्ट्रीय उद्यान में प्रजनन हेतु मादा चिंपैंजी खोजने के लिए करते हैं।

अध्ययन की मुख्य बिंदु

  • प्रकाशन: यह शोध सेल (Cell) जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
  • निष्कर्ष
    • पशु संस्कृति की उपस्थिति: कई पशु आबादी में सांस्कृतिक प्रथाएँ पाई गई हैं, भले ही चिंपैंजी, ऑरंगुटान और बोनोबोस जैसे ‘नॉन-ह्यूमन प्राइमेट्स’ में समुदाय-विशिष्ट बोलियाँ दुर्लभ रही हों।
    • प्रजनन हेतु बोलियों का उपयोग: ताई चिंपैंजी परियोजना के वैज्ञानिकों ने चार अलग-अलग प्रकार की बोलियाँ रिपोर्ट की है, जिनका उपयोग पश्चिम अफ्रीका के नर चिंपैंजी प्रजनन हेतु मादा चिंपैंजी को खोजने के लिए करते हैं।
      • एड़ी से लात मारना: चिंपैंजी अपने पैरों को ऊपर उठाते हैं और शोर मचाने के लिए किसी कठोर सतह पर लात मारते हैं।
        • यह उत्तर, दक्षिण, उत्तर-पूर्व और पूर्वी चिंपैंजी समुदायों में देखा गया है।
      • नक्कल नॉक: इसमें बार-बार, लेकिन कुछ हद तक चुपचाप, अपनी अंगुलियों को कठोर सतहों पर टकराना शामिल है।
        • यह पूर्वोत्तर समुदाय के बीच रिपोर्ट किया गया है।
      • लीफ क्लिप: चिंपैंजी एक पत्ती को काटते हैं और उसे बिना खाए ही टुकड़ों में फाड़ देते हैं, जिससे फटने जैसी आवाज आती है।
        • यह उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तर समुदायों के बीच रिपोर्ट किया गया है।
      • शाखा हिलाना: इनकी बोली में शाखाओं को हिलाना शामिल है।
        • यह उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तर समुदायों के बीच रिपोर्ट किया गया है।
    • जनसांख्यिकी की भूमिका: शोधकर्ताओं के अनुसार, जनसांख्यिकी संस्कृति को आकार देने और पीढ़ियों तक इसे जीवित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
      • उदाहरण: एक व्यवस्थित डेटा संग्रह प्रयास में पाया गया है कि उत्तरी समूह के किसी भी चिंपैंजी ने 20 वर्षों में ‘नक्कल-नॉकिंग’ का उपयोग नहीं किया था।
    • सामाजिक शिक्षा: चिंपैंजी की आनुवंशिक रूप से विभिन्न उप-प्रजातियों में कुछ विशेष हाव-भाव संबंधी गुण विरासत में पाए गए हैं, लेकिन एक प्रजाति समय के साथ एक ही तरह के हाव-भाव का उपयोग करती है और जो पड़ोसी समूह में उपयोग किए जाने वाले हाव-भाव से भिन्न होती है।
    • तुलना: वैज्ञानिकों ने चिंपैंजी की संस्कृति की उत्पत्ति को समझने के लिए युगांडा के ‘बुडोंगो फॉरेस्ट रिजर्व’ में ताई चिंपैंजी और सोनसो चिंपैंजी के बीच क्रियाकलापों के उपयोग से जुड़े प्रजनन आग्रह के हाव-भाव की तुलना की है।
      • ताई चिंपैंजी ने नक्कल-नॉक को प्राथमिकता दी, जबकि सोनसो चिंपैंजी ने ऑब्जेक्ट-स्लैप (कंधे से हाथ हटाकर खुली हथेली से किसी वस्तु पर हाथ मारना) का उपयोग किया।
        • सोनसो चिंपैंजी अक्सर प्रजनन में अपनी रुचि व्यक्त करने के लिए पत्तियों की कतरन का उपयोग करते थे, लेकिन ताई चिंपैंजी ऐसा नहीं करते थे।
    • संस्कृति खोने के कारण
      • आबादी परिवर्तन: आबादी में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन, अर्थात् संपूर्ण जनसांख्यिकी का लगभग पूर्णतः नष्ट हो जाना, सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण या क्षति पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
        • उदाहरण: उत्तरी समूह के किसी भी चिंपैंजी ने 20 वर्षों में ‘नक्कल-नॉकिंग’ का उपयोग नहीं किया था, जब उन्हें महत्त्वपूर्ण आबादी हानि का सामना करना पड़ा था।
      • मानवीय खतरा: नर जंगली चिंपैंजी मानवीय प्रभावों के कारण संवाद की बोली के कुछ हिस्सों को भूल रहे हैं।
      • अवैध शिकार या कटाई से न केवल चिंपैंजी की संख्या कम हो रही है, बल्कि उनकी संस्कृतियों को भी नष्ट कर रही है, जिससे शेष चिंपैंजी के अस्तित्व को खतरा है।
        • चिंपैंजी को पालतू जानवरों के रूप में या ‘बुशमीट’ के लिए भी अवैध शिकार किया जाता है।

पशु संस्कृति परंपराओं के बारे में

  • जीवों के मध्य सांस्कृतिक परंपराएँ पाई गई हैं, जैसे कि वे किस तरह से भोजन की तलाश करते हैं, सामाजिक मेलजोल बढ़ाते हैं,  उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, स्वयं की देखभाल करते हैं और प्रजनन करते हैं।
    • इन परंपराओं में, व्यवहार के विशिष्ट पैटर्न जिसमें संचार शामिल होता है, उन्हें ‘बोलियाँ’ कहा जाता है।
  • अध्ययन किए गए जानवर: इस बात के प्रमाण हैं कि व्हेल, डॉल्फिन, हाथी और प्राइमेट वयस्कों या साथियों से विभिन्न व्यवहारों के बारे में सामाजिक शिक्षा के माध्यम से अपना कुछ ज्ञान और कौशल प्राप्त करते हैं, जिसमें इष्टतम प्रवास मार्ग भी शामिल हैं।
    • उदाहरण: जीवों में सांस्कृतिक परंपराओं में परिवर्तनशील सामाजिक रूप से प्रसारित व्यवहार शामिल होते हैं जैसे कि ‘हंपबैक व्हेल’ के गीत, ओर्का की शिकार प्राथमिकताएँ और बिगहॉर्न भेड़ के प्रवासी मार्ग।
  • पशु संस्कृति का संरक्षण
    • IUCN: यह एक अपेक्षाकृत नई अवधारणा है, जिसे हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने अपनी ‘लुप्तप्राय प्रजातियों की रेड लिस्ट’ तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले मापदंडों में शामिल किया है।
    • वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CMS): पशु संस्कृति (सामाजिक रूप से प्रसारित व्यवहारों के माध्यम से गैर-मानव प्रजातियों की शिक्षा) को पहली बार CMS, COP-13 में संरक्षण कार्रवाई से जोड़ा जा रहा है।
  • महत्त्व
    • अनुकूलन: समृद्ध सांस्कृतिक प्रदर्शनों वाले जीव नए संसाधनों का दोहन करने या नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सीखे गए व्यवहारों का उपयोग करके नवाचार तथा अनुकूलन के लिए बेहतर ढंग से प्रबंधित होते हैं।
    • व्यावहारिक ज्ञान का भंडार: किसी प्रजाति के बुजुर्गों के पास महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक ज्ञान होता है, जिसे वे अपनी संतानों को देते हैं, जैसे कि किसी विशेष मौसम में सबसे अच्छा जल निकाय ढूँढना, विभिन्न शिकारियों का सामना करने के तरीके, बच्चों की देखभाल करना आदि जीवित रहने के लिए आवश्यक हैं।
      • जर्नल साइंस में प्रकाशित वर्ष 2024 के एक शोध-पत्र में बताया गया है कि किसी प्रजाति के बुजुर्गों की मृत्यु अन्य सदस्यों की मृत्यु की तुलना में अनुपातहीन रूप से अधिक हानिकारक होती है।
    • अस्तित्व: साथियों और पीढ़ियों के बीच सांस्कृतिक ज्ञान की रक्षा करना कुछ प्रजातियों के अस्तित्व और सफल प्रजनन के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
    • महत्त्वपूर्ण आवास को संरक्षित करना: सामाजिक ज्ञान के ‘भंडार’ के रूप में कार्य करने वाले जीवों, जैसे कि हाथी की मातृसत्तात्मक मादाएँ या ज्ञानवान बुजुर्गों के समूह का समर्थन करना, महत्त्वपूर्ण आवास को संरक्षित करने जितना ही महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
      • उदाहरण: यह समझना कि कैसे कुछ चिंपैंजी में पत्थर के औजारों से पौष्टिक मेवे तोड़ने की संस्कृति है जबकि अन्य में नहीं, ऐसी प्रजातियों के लिए संरक्षण चुनौतियों का मूल्यांकन करने के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
    • पारिस्थितिकी उपकरण: सांस्कृतिक विविधता ‘पारिस्थितिकी उपकरण’ के एक रूप के रूप में कार्य करती है, जो आबादी को अपने परिवेश में अप्रत्याशित परिवर्तनों का जवाब देने में सक्षम बनाती है।
    • प्रजाति समझ: यह जाँचना कि विभिन्न प्रजातियों में सांस्कृतिक प्रथाएँ किस प्रकार भिन्न होती हैं, जिससे मनुष्यों सहित प्रजातियों के बीच सामाजिक व्यवहार और संज्ञानात्मक क्षमताओं में समानताओं तथा अंतरों की गहरी समझ मिलती है।
  • खतरे
    • आवास की हानि और विखंडन: जैसे-जैसे जीवों के आवास संकुचित और विखंडित होते जाते हैं, जानवरों के लिए अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखना कठिन होता जाता है, जो प्रायः विशिष्ट क्षेत्रों, संसाधनों और सामाजिक संरचनाओं पर निर्भर करती हैं।
    • मानव प्रभाव: ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण आदि जैसी मानवजनित गतिविधियाँ जीवों के संचार, सामाजिक संपर्क और चरागाह व्यवहार और इन प्रजातियों के सामाजिक ताने-बाने को बाधित कर सकती हैं, जिससे गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
      • उदाहरण: 1800 के दशक में वाणिज्यिक ‘व्हेलिंग’ के परिणामस्वरूप न्यूजीलैंड के समुद्र तट के आस-पास प्रवास मार्गों के बारे में ‘सदर्न राइट व्हेल’ प्रजाति प्राप्त नहीं हुई है।
    • जलवायु परिवर्तन: यह पारिस्थितिकी तंत्र को परिवर्तित कर रहा है, जिससे संसाधन उपलब्धता, प्रवास पैटर्न और शिकारी-शिकार संबंधों में परिवर्तन हो रहा है, जो सभी पशु सांस्कृतिक परंपराओं को बाधित कर सकते हैं।

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