ऑस्ट्रेलिया में मैक्वेरी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने प्लेट टेक्टॉनिक्स के बारे में पूर्व की मान्यताओं को चुनौती दी। उन्होंने पाया कि रासायनिक संकेत, जो प्लेटों के संचलन के कारण उत्पन्न हुए थे, हेडियन प्रोटोक्रस्ट (Hadean Proto Crust) में भी मौजूद थे, जो कि अधोगमन (सबडक्शन) शुरू होने से पूर्व ही मौजूद थे।
हेडियन प्रोटोक्रस्ट क्या है?
हेडियन प्रोटोक्रस्ट पृथ्वी की सबसे पहली परत को संदर्भित करता है।
शब्द का अर्थ: “हेडियन” इस अवधि की ‘हेलिस’ (Hellish) स्थितियों को दर्शाता है, जो अत्यधिक ऊष्मा, ज्वालामुखी गतिविधियों एवं आंशिक रूप से पिघली हुई सतह द्वारा चिह्नित है।
यह पृथ्वी के पहले भू-गर्भिक युग (Geologic Aeon) को संदर्भित करता है।
निर्माण: यह हेडियन नामक सबसे शुरुआती भू-गर्भिक युग के दौरान निर्मित हुआ था।
यह अवधि पृथ्वी के निर्माण के 200 मिलियन वर्षों के भीतर थी।
इस समय, पृथ्वी की सतह पिघली हुई थी, विभिन्न चट्टानों से घिरी हुई थी तथा ज्वालामुखियों से ढकी हुई थी, जिससे यह अत्यधिक गर्म एवं दुर्गम हो गई थी।
प्रथम क्रस्ट का निर्माण
जैसे-जैसे पृथ्वी की मैग्मा सतह ठंडी होने लगी, उसके कुछ हिस्से जम गए एवं क्रस्ट के प्राथमिक टुकड़े बन गए।
प्रारंभिक क्रस्ट अस्थिर था, कुछ क्षेत्र विखंडित हो रहे थे, जबकि अन्य अधिक ठोस हो गए।
मोटे हिस्सों ने अंततः पहले महाद्वीपों का निर्माण किया।
ये महाद्वीप एस्थेनोस्फेरिक मेंटल (Asthenospheric Mantle) पर संचलन करते थे, जो भूपर्पटी के नीचे पिघली हुई चट्टान की एक परत है।
पंबन रेल ब्रिज
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने राम नवमी पर पंबन रेल ब्रिज का उद्घाटन किया।
नए पंबन रेल ब्रिज की मुख्य विशेषताएँ
भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज 99 फिक्स्ड स्पैन एवं 72.5 मीटर लिफ्ट स्पैन के साथ 2.08 किमी. लंबा है।
बड़े जहाजों को गुजरने के लिए लिफ्ट 17 मीटर ऊपर उठ सकती है, इसे केवल पाँच मिनट में ऊपर उठाया जा सकता है।
जंग प्रतिरोध के लिए स्टेनलेस स्टील सुदृढीकरण, समग्र स्लीपर एवं पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग के साथ इसे निर्मित किया गया है।
भविष्य में विद्युतीकरण एवं दोहरी पटरियों को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
सीमा: जब वायु की गति 58 किमी./ घंटा से अधिक हो जाती है, तो लिफ्टिंग तंत्र कार्य नहीं कर सकता है, जो चक्रवात के मौसम (अक्टूबर से फरवरी) के दौरान एक सामान्य स्थिति है।
इस परियोजना का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा किया गया था, जिसकी लागत 550 करोड़ रुपये से अधिक थी।
सामरिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व
रामेश्वरम सदियों पुराने धार्मिक महत्त्व वाला एक प्रमुख तीर्थस्थल है।
बेहतर कनेक्टिविटी से पर्यटन एवं स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
पुल का गहरा भावनात्मक महत्त्व भी है क्योंकि इसने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शुरुआती जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पुल का इतिहास
मूल पंबन ब्रिज का उद्घाटन वर्ष 1914 में किया गया था, जिसे जहाजों को गुजरने की अनुमति देने के लिए शेरजर रोलिंग लिफ्ट स्पैन के साथ डिजाइन किया गया था।
यह वर्ष 1948 के विवर्तनिक स्थानांतरण और वर्ष 1964 के चक्रवात के बावजूद क्षतिग्रस्त होने से बच गया था।
समय के साथ, समुद्री संक्षारण ने इस पुल को कमजोर कर दिया। वर्ष 2022 के IIT मद्रास के अध्ययन में खतरनाक कंपन पाए जाने के बाद इसका संचालन रोक दिया गया।
श्यामजी कृष्ण वर्मा
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने श्यामजी कृष्ण वर्मा की पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा स्वतंत्रता संग्राम में उनके अमूल्य योगदान को याद किया।
श्यामजी कृष्ण वर्मा के बारे में
श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म वर्ष 1857 में वर्तमान गुजरात के कच्छ क्षेत्र में हुआ था, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।
शैक्षणिक उत्कृष्टता: वर्मा ने असाधारण शैक्षणिक योग्यता का प्रदर्शन किया, विशेष रूप से संस्कृत में, जिसके कारण उन्हें विदेश में उच्च अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया गया।
संस्कृत में उनकी विशेषज्ञता ने अंततः उन्हें इंग्लैंड के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भाषा पढ़ाने का अवसर दिलाया।
मार्गदर्शन एवं प्रभाव: श्यामजी कृष्ण वर्मा आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती के प्रबल प्रशंसक थे।
वे बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष बने एवं सरस्वती के भारतीय स्वशासन के आह्वान से प्रेरणा ली।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
‘इंडिया हाउस’ एवं ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ की स्थापना: वर्ष 1905 में, श्यामजी कृष्ण वर्मा ने लंदन में ‘इंडिया हाउस’ की स्थापना की एवं एक मासिक पत्रिका, ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ की शुरुआत की।
‘इंडिया हाउस’ जल्द ही ब्रिटेन में कट्टरपंथी राष्ट्रवादियों एवं भारतीय छात्रों के लिए एक केंद्र बन गया, जिसने क्रांतिकारी विचारों को बढ़ावा दिया तथा भारतीय स्वतंत्रता पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान किया।
उन्होंने वीर सावरकर जैसे युवा क्रांतिकारियों को भी काफी प्रभावित किया, जो ‘इंडिया हाउस’ के एक सक्रिय सदस्य थे।
विदेश में भारतीय राष्ट्रवाद के समर्थक: इंडियन होम रूल सोसायटी एवं अपने प्रकाशनों के माध्यम से, वर्मा ने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की कड़ी आलोचना की।
उनकी पहल ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बीच क्रांतिकारी भावना को पोषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निर्वासन में जीवन: वर्ष 1907 में, अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण ब्रिटिश अभियोजन से बचने के लिए, श्यामजी कृष्ण वर्मा पेरिस चले गए।
वहाँ से, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने अभियान जारी रखे एवं अपने अंतिम दिनों तक इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखी।
भारतीय राज्यों में सेवा: विदेश में अपनी गतिविधियों से पूर्व, श्यामजी कृष्ण वर्मा ने भारत में कई रियासतों के दीवान (प्रधानमंत्री) के रूप में भी कार्य किया, जिससे उनकी प्रशासनिक कुशलता एवं सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण की भावना पता चलता है।
उनकी विरासत का सम्मान: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके स्थायी योगदान के सम्मान में, गुजरात के मांडवी के पास क्रांति तीर्थ नामक एक स्मारक स्थापित किया गया था एवं वर्ष 2010 में इसका उद्घाटन किया गया था।
52 एकड़ में विस्तृत इस भव्य स्मारक में लंदन के हाईगेट में इंडिया हाउस बिल्डिंग की प्रतिकृति निर्मित की गई है।
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