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गिग श्रमिकों के कल्याण हेतु योजनाएँ : सामाजिक सुरक्षा के एकीकरण की आवश्यकता

Lokesh Pal April 11, 2025 05:15 12 0

संदर्भ: 

केंद्र सरकार की हालिया गिग (ऐप-आधारित) श्रमिकों पर आधारित योजना को कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है।

प्रस्तावित पहल के लाभ:

  • स्वास्थ्य कवरेज: आयुष्मान भारत के अंतर्गत स्वास्थ्य कवरेज प्रदान किया जाएगा।
  • पंजीकरण: सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण किया जाएगा।
  • ट्रैकिंग: यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) के साथ लेनदेन-आधारित पेंशन नीति, जिससे विभिन्न प्लेटफॉर्म्स से अर्जित आय पर नज़र रखी जा सके और कई कंपनियों से आनुपातिक योगदान प्राप्त किया जा सके।
  • महत्व: गिग ऐप, कार्य की बहु-प्लेटफ़ॉर्म रोज़गार प्रकृति को मान्यता प्रदान करता है। साथ ही औपचारिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बिना भी समावेशी कल्याण प्रदान करता है। सामाजिक सुरक्षा ढाँचों से अनौपचारिक श्रमिकों के पारंपरिक बहिष्कार को संबोधित करता है।

सामाजिक सुरक्षा में चुनौतियाँ:

  • प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण: भारत की अधिकांश सामाजिक सुरक्षा नीतियाँ नए रोजगार मॉडल के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में विकसित होती हैं, न कि उनका पूर्वानुमान लगाने के लिए। भारत में भविष्य की श्रमिक श्रेणियों के लिए सक्रिय और अनुकुलित ढाँचों की आवश्यकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) कन्वेंशन का गैर-अनुसमर्थन: भारत ने न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा मानकों पर आईएलओ कन्वेंशन संख्या 102 (1952) का अनुसमर्थन नहीं किया है। भारत का यह रुख अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का संस्थापक सदस्य होने के बावजूद, वैश्विक अनुपालन में पिछड़ेपन को दर्शाता है। 
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता से संबंधित मुद्दे: भारत की श्रम संहिता पहल के तहत प्रस्तुत सामाजिक सुरक्षा संहिता की अस्पष्ट परिभाषाओंकमजोर सुरक्षा और कार्यान्वयन बाधाओं के कारण आलोचना की गई है।
  • अति-निर्भरता: सामाजिक सुरक्षा संहिता आवश्यक लाभ वितरित करने के लिए कल्याण बोर्डों पर निर्भर करती है।
  • आरटीआई डेटा: राज्यों ने नियोक्ताओं से एकत्र निर्माण उपकर के 70,744.16 करोड़ रुपये का कम उपयोग किया।
  • सीएजी रिपोर्ट 2024: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु में 99 स्थानीय निकायों ने  तमिलनाडु निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड (TNCWWB) को भुगतान में रु॰ 221.8 करोड़ का विलंब किया है।
  • केरल का मामला: केरल में भी (कल्याण के मामले में प्रगतिशील माना जाता है) लगभग 16 में से केवल 5 बोर्ड प्रभावी रूप से काम कर रहे हैं (2016-17 के आंकड़े) कुछ बोर्डों में लाभार्थियों की कोई सूचना नहीं थी।
  • सार्वजनिक प्रतिक्रिया: कल्याण बोर्डों के बेहतर प्रशासन के लिए कार्यकर्ताओं और वकालत समूहों द्वारा बार-बार आह्वान किया गया हालांकि बाद में, पारदर्शिता और दक्षता में सुधार हुआ। 
  • विखंडन की सीमाएं: एक खंडित रणनीति सभी अनौपचारिक कार्यों की अंतर्निहित अनिश्चितता को संबोधित करने में विफल होने का जोखिम उठाती है और इससे गिग कार्य और घरेलू काम के बीच मनमाना अंतर देखने को मिल सकता है, साथ ही यह भी तय हो सकता है कि कौन संरक्षण का हकदार है और कौन नहीं।  
  • गिग वर्क पर अत्यधिक निर्भरता: संबंधित विशेषज्ञों का मानना है कि अक्सर गिग वर्क को रोजगार के भविष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, इस धारणा के आधार पर कि यह अनौपचारिक श्रम को औपचारिक बनाने में मदद करेगा; हालाँकि, यदि इससे सफल बनाया जाए तो यह एक अत्यधिक आशावादी दृष्टिकोण है
    • चूंकि एक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने से प्रणालीगत अनौपचारिकता का समाधान होना संभव नहीं है और विविध अनौपचारिक क्षेत्रों में आवश्यक व्यापक सुधारों की अनदेखी करने का जोखिम रहता है

आगे की राह:

  • लक्षित राहत: भारत के विखंडित, कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित मॉडल के बारे में यह धारणा बनी हुई है कि यह विशिष्ट श्रमिक समूहों के लिए लक्षित राहत प्रदान करता है। 
    • उदाहरण के लिए : कर्नाटक में बीड़ी और सिगरेट श्रमिक बंद पड़े कल्याण कोष को पुनर्जीवित करने की मांग कर रहे हैं।  
  • लचीलापन विकसित करना: चूंकि भारत ‘भविष्य के लिए तैयार’ कार्यबल बनाने की आकांक्षा रखता है, इसलिए उसे लचीली सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां विकसित करनी होंगी तथा कार्यबल और क्षेत्रीय बदलावों का सक्रियता से समाधान करना होगा
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता: कार्यान्वयन में, देरी के बावजूद सामाजिक सुरक्षा संहिता के आधारभूत ढांचे के बने रहने की संभावना है। यह डिजाइन में केंद्रीकृत है, फिर भी इसमें राज्य स्तर पर कल्याणकारी उपायों के लिए लचीलापन सुनिश्चित किया गया है।
  • रणनीतिक दृष्टिकोण: आगे बढ़ने का सबसे यथार्थवादी तरीका यह हो सकता है कि संहिता के प्रावधानों को आधार रेखा के रूप में माना जाए और इसे व्यापक सुरक्षा के निर्माण के लिए आधार के रूप में उपयोग किया जाए।     
  • संवर्धन : इसके प्रभाव को मजबूत करने के लिए, संहिता को मजबूत सुरक्षा उपायोंसमावेशी और सुलभ तंत्रों के साथ संवर्धित किया जाना चाहिए इसके साथ ही सार्वभौमिक कवरेज पर जोर दिया जाना चाहिए , ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी कर्मचारी पीछे न छूटे। 

निष्कर्ष:

इसका लक्ष्य भविष्य के लिए तैयार, अनुकूलनीय और समावेशी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाना है जो रोजगार के विविध रूपों को मान्यता प्रदान कर सकेऔपचारिक-अनौपचारिक श्रम अंतर को पाट सके और वर्गीकरण की परवाह किए बिना सभी श्रमिकों के लिए सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। 

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: अनौपचारिक कार्य की बदलती प्रकृति के मद्देनजर, भविष्य के लिए तैयार सामाजिक सुरक्षा ढांचे का प्रस्ताव प्रस्तुत कीजिए, जो समावेशिता और अनुकूलनशीलता सुनिश्चित करता हो। इसके साथ ही यह भी जाँच करें कि इस तरह के ढांचे को दीर्घकालिक कार्यान्वयन के लिए वित्तीय रूप से टिकाऊ कैसे बनाया जा सकता है।

(15 अंक, 250 शब्द)

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