100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

अनुसूचित जाति का वर्गीकरण

Lokesh Pal April 15, 2025 03:09 16 0

संदर्भ

तेलंगाना में अनुसूचित जाति (SC) समुदायों का तीन समूहों में वर्गीकरण डॉ. बी. आर. अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल, 2025 से लागू होगा।

वर्गीकरण का आधार

  • पिछड़ेपन पर आधारित विभाजन: उप-वर्गीकरण अनुसूचित जाति समूहों में पिछड़ेपन के स्तर पर आधारित था।
  • आयोग द्वारा सिफारिशें
    • यह निर्णय न्यायमूर्ति शमीम अख्तर आयोग (एक सदस्यीय आयोग) द्वारा निर्देशित किया गया।
    • आयोग ने एक विस्तृत अध्ययन किया और विभिन्न हितधारकों से 8,600 से अधिक अभ्यावेदन प्राप्त किए।
  • समूहों का गठन

समूह

विवरण

उपजातियों की संख्या

अनुसूचित जाति जनसंख्या का %

आरक्षण आवंटित

समूह 1 अनुसूचित जातियों में सर्वाधिक पिछड़ा 15 3.288% 1%
समूह 2  सीमांत रूप से लाभान्वित अनुसूचित जातियाँ 18 62.74% 9%
समूह 3  अनुसूचित जातियों में अपेक्षाकृत अग्रणी 26 33.96% 5%

अनुसूचित जाति

  • परिभाषा: अनुसूचित जातियाँ (SC) वे समुदाय हैं, जो ऐतिहासिक रूप से वंचित हैं और अस्पृश्यता एवं सामाजिक भेदभाव के अधीन थे।
  • संवैधानिक आधार: अनुच्छेद-341(1) के तहत, भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के लिए अनुसूचित जातियों के रूप में मानी जाने वाली जातियों को निर्दिष्ट करते हैं।
  • संसदीय शक्ति: अनुच्छेद-341(2) संसद को कानून के माध्यम से अनुसूचित जाति सूची में जातियों को शामिल करने या बाहर करने का अधिकार देता है।

उप-वर्गीकरण के बारे में

  • उप-वर्गीकरण से तात्पर्य अनुसूचित जातियों (SC) जैसी व्यापक आरक्षित श्रेणी को उनके सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों के आधार पर छोटे समूहों में विभाजित करना है, ताकि लाभों का उचित वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
  • उप-वर्गीकरण की आवश्यकता: उप-वर्गीकरण आवश्यक है, क्योंकि आरक्षण का लाभ अक्सर अपेक्षाकृत उन्नत उप-जातियों तक असमान रूप से पहुँचता है, जिससे अनुसूचित जातियों में हाशिए पर स्थित लोग अभी भी वंचित रह जाते हैं। 
  • उदाहरण के लिए, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में, एक निश्चित आय सीमा से अधिक कमाने वाले व्यक्तियों को “क्रीमी लेयर” कहा जाता है और उन्हें आरक्षण से बाहर रखा जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लाभ वास्तव में वंचित “नॉन-क्रीमी लेयर” तक ही पहुँचे।

पक्ष में तर्क

विपक्ष में तर्क

न्यायसंगत वितरण: यह सुनिश्चित करता है कि अनुसूचित जातियों के सर्वाधिक रूप से वंचित लोगों को आरक्षण का लाभ मिले, न कि केवल अपेक्षाकृत उन्नत समूहों को।

विखंडन का खतरा: इससे अनुसूचित जातियों में विभाजन हो सकता है, जिससे उनकी सामूहिक राजनीतिक और सामाजिक शक्ति कमजोर हो सकती है।

वास्तविक समानता को बढ़ावा देना: वास्तविक आवश्यकताओं के आधार पर वास्तविक सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए औपचारिक समानता से आगे बढ़ना।

समरूपता सिद्धांत से विचलन: अनुसूचित जातियों को अनुच्छेद- 341 के अंतर्गत एक समरूप समूह के रूप में मान्यता दी गई थी, उप-वर्गीकरण इस आधार को कमजोर कर सकता है।

ऐतिहासिक अन्याय को संबोधित करता है: स्तरीकृत भेदभाव को मान्यता देता है तथा सबसे वंचितों के लिए लक्षित सकारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करता है। प्रशासनिक जटिलता: उप-समूहों की पहचान करने, विश्वसनीय डेटा एकत्र करने और कार्यान्वयन की निगरानी करने में जटिलता बढ़ जाती है।

न्यायिक समर्थन: हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय (वर्ष 2024-25) डेटा आधारित और न्यायोचित होने पर उप-वर्गीकरण की अनुमति देते हैं।

राजनीतिक दुरुपयोग की संभावना: उप-वर्गीकरण वास्तविक सामाजिक पिछड़ेपन के बजाय राजनीतिक दबाव से प्रभावित हो सकता है।

OBC मॉडल से सीख: OBC में “क्रीमी लेयर” अवधारणा ने आरक्षण के लाभ को वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुँचाने में सहायता की है।

कानूनी अनिश्चितता: निरंतर मुकदमेबाजी और स्पष्ट मानदंडों का अभाव प्रक्रिया में देरी या बाधा उत्पन्न कर सकता है।

परिवर्तन के प्रति गतिशील प्रतिक्रिया: अनुसूचित जातियों के भीतर विकसित सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के आधार पर आरक्षण नीति को अद्यतन करने की अनुमति देता है।

लाभ में कमी का भय: कुछ उप-जातियों को उन लाभों तक पहुँच खोने का भय हो सकता है जिनका वे वर्तमान में लाभ उठा रहे हैं।

अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

  • ई.वी. चिन्नैया मामला (वर्ष 2005): माना गया कि अनुच्छेद-341 के तहत अनुसूचित जातियाँ एक समरूप समूह हैं और उन्हें उप-वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
  • दविंदर सिंह मामला (वर्ष 2014): इस मुद्दे को पुनर्विचार के लिए 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ को भेजा गया।
  • वर्ष 2020 का सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: 5 न्यायाधीशों की पीठ ने पाया कि ई.वी. चिन्नैया निर्णय पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
  • 7 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ (वर्ष 2024-25)
    • इस बात की पुष्टि की गई कि मूल समानता प्राप्त करने के लिए अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण स्वीकार्य है।
    • राज्य की शक्ति: राज्य सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर अनुसूचित जातियों को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं।
    • न्यायिक समीक्षा: कोई भी वर्गीकरण डेटा आधारित होना चाहिए और न्यायिक जाँच के अधीन होना चाहिए।
    • क्रीमी लेयर: चार न्यायाधीशों ने अनुसूचित जातियों पर “क्रीमी लेयर” सिद्धांत लागू करने का सुझाव दिया, हालाँकि कोई बाध्यकारी निर्देश जारी नहीं किया गया।

अनुसूचित जातियों और आरक्षण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद-14: कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है।
  • अनुच्छेद-15(4): अनुसूचित जातियों सहित सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधानों की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद-16(1): सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करता है।
  • अनुच्छेद-16(4): पिछड़े वर्गों के लिए सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद-341(1): राष्ट्रपति को अनुसूचित जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद-341(2): संसद को अनुसूचित जातियों की सूची को संशोधित करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • अनुच्छेद-246: संसद और राज्य विधानसभाओं द्वारा बनाए गए कानूनों की विषय-वस्तु से संबंधित है, जो अनुसूचित जातियों की पहचान के बाद प्रासंगिक हैं।

आगे की राह

  • जी. रोहिणी आयोग (OBC उप-वर्गीकरण के लिए) जैसा एक आयोग स्थापित किया जा सकता है।
  • इसका लक्ष्य सामुदायिक एकता और सामूहिक शक्ति को बनाए रखते हुए अनुसूचित जाति समूहों के बीच आंतरिक असमानताओं को दूर करना होना चाहिए।
  • वर्गीकरण को बेहतर ढंग से समझने के लिए नीति निर्माताओं को अनुसूचित जाति समुदाय के प्रतिनिधियों, कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक वैज्ञानिकों के साथ जुड़ना चाहिए।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.