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मानव अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा

Lokesh Pal April 16, 2025 04:01 33 0

संदर्भ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान की तैयारी कर रहा है।

संबंधित तथ्य

  • इस मिशन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं से अनुकूलित प्रोटोकॉल का उपयोग करके मानव अंतरिक्ष यात्रा की सुरक्षा एवं व्यवहार्यता को प्रदर्शित करना है।
  • हालाँकि गगनयान किसी अंतरिक्ष स्टेशन से डॉक नहीं करेगा, लेकिन इसके चालक दल को स्थापित डॉकिंग प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा।

मानव अंतरिक्ष उड़ान के बारे में

  • मानव अंतरिक्ष उड़ान से तात्पर्य ऐसे मिशनों से है, जो मनुष्यों को पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर (आमतौर पर पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO), चंद्रमा, या संभवतः मंगल गृह जैसे गंतव्यों पर) भेजते हैं।

अंतरिक्ष उड़ान के चरण

  • लॉन्च चरण: यह चरण लॉन्चपैड से शुरू होता है और इसमें रॉकेट का प्रक्षेपण शामिल है।
    • इसमें आपात स्थिति के लिए ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ जैसे महत्त्वपूर्ण सुरक्षा तंत्र शामिल हैं।
  • कक्षीय चरण: सफल प्रक्षेपण के बाद, अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करता है।
    • इसमें नेविगेशन, सिस्टम मॉनिटरिंग और जीवन-समर्थक कार्यों को बनाए रखना शामिल है।
  • पुनः प्रवेश और लैंडिंग: अंतरिक्ष यान कक्षा से बाहर निकलने और पुनः प्रवेश करने के लिए ‘थ्रस्टर्स फायर’ का प्रयोग करता है।
    • यह धीमा होने और सुरक्षित रूप से उतरने के लिए थर्मल शील्ड तथा पैराशूट सिस्टम पर निर्भर करता है।

मानव अंतरिक्ष उड़ान में सुरक्षा संबंधी चिंताएँ

  • अंतरिक्ष उड़ान में चरम स्थितियों और यांत्रिक जटिलता के कारण उच्च जोखिम शामिल हैं।
  • ऐतिहासिक दुर्घटनाएँ इन जोखिमों को उजागर करती हैं:
    • अपोलो-1 (Apollo-1) (वर्ष 1967): ग्राउंड टेस्ट के दौरान आग लगने से तीन अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
    • सोयुज टी-10 (Soyuz T-10) [वर्ष 1983]: लॉन्चपैड पर आग लगी, लेकिन एस्केप सिस्टम के कारण चालक दल बच गया।
    • स्पेस शटल चैलेंजर (Space Shuttle Challenger) (वर्ष 1986): ओ-रिंग की विफलता के कारण लॉन्च के बाद नष्ट हो गया।
  • सफल हस्तक्षेपों ने सुरक्षा संबंधी प्रगति को भी प्रदर्शित किया है
    • ब्लू ओरिजिन का NS-23 (वर्ष 2022): उड़ान के दौरान इंजन फेल होने के दौरान एस्केप सिस्टम ने प्रभावी ढंग से कार्य किया।
    • NASA द्वारा ISS से अंतरिक्ष यात्रियों की हाल ही में वापसी (वर्ष 2025): सुचारू रूप से पुनः प्रवेश और पुनर्प्राप्ति प्रोटोकॉल का प्रदर्शन किया गया।

ISRO के सुरक्षा उपाय और नवाचार

  • लॉन्चपैड सुरक्षा: वर्ष 1967 में अपोलो-1 में आग लगने की घटना के बाद, ISRO ने अपने श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड पर चालक दल को तेजी से निकालने के लिए जिपलाइन और अग्निरोधक लिफ्टें स्थापित की हैं।
  • चालक दल से बचने की प्रणाली
    • गगनयान के LVM3 लॉन्च वाहन में क्रू मॉड्यूल के ऊपर संलग्न ट्रैक्टर-प्रकार का एस्केप टॉवर शामिल है।
    • आपात स्थिति में, एस्केप टॉवर की लो-एल्टीट्यूड एस्केप मोटर (LEM) और हाई-एल्टीट्यूड एस्केप मोटर (HEM) लॉन्च के विभिन्न चरणों में क्रू मॉड्यूल को खींच सकती है।
    • ‘पैड एबॉर्ट सिस्टम’ यह सुनिश्चित करता है कि आवश्यकता पड़ने पर इग्निशन के तुरंत बाद कैप्सूल को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए।
  • कक्षा में और डॉकिंग सुरक्षा: गगनयान अंतरिक्ष यान में एक क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल शामिल है; बाद वाला मॉड्यूल प्रणोदन और नियंत्रण का प्रबंधन करता है।
    • कक्षा में आपातकालीन बचाव के लिए चालक दल के मॉड्यूल को उसके ऑनबोर्ड इंजन का उपयोग करके पृथ्वी की ओर वापस भेजा जाएगा।
    • हालाँकि यह स्टेशन मिशन का हिस्सा नहीं है, लेकिन गगनयान का चालक दल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले डॉकिंग प्रोटोकॉल के लिए प्रशिक्षण लेगा।
    • ISS आपातकालीन स्थितियों के दौरान निकासी के लिए हर समय लाइफबोट मॉड्यूल (जैसे सोयुज या क्रू ड्रैगन) को डॉक पर रखता है।
  • पुनःप्रवेश और लैंडिंग प्रोटोकॉल: पुनःप्रवेश की शुरुआत थ्रस्टर्स द्वारा कैप्सूल को धीमा करने और उसे निर्दिष्ट लैंडिंग क्षेत्र की ओर निर्देशित करने से होती है।
    • घर्षण तापन को बाहरी ताप कवच द्वारा रोका जाता है, जो 1,800°C तक के तापमान को झेल सकता है।
  • इस प्रणाली में 10 पैराशूट अनुक्रम शामिल है:
    • शीर्ष पृथक्करण पैराशूट 15.3 किमी की ऊँचाई पर तैनात होते हैं।
    • तीन मुख्य पैराशूट अंतिम अवतरण गति को 10-12 मीटर/सेकंड तक कम कर देते हैं।
  • स्पलैश डाउन पर, एक पायरोटेक्निक मेकेनिज्म पैराशूट को छोड़ देता है।

निष्कर्ष

  • इसरो का दृष्टिकोण वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को दर्शाता है और भारतीय परिस्थितियों के लिए सिद्ध तरीकों को अपनाता है।
  • सभी उड़ान चरणों में इसके चरण-दर-चरण सुरक्षा प्रोटोकॉल का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करना है।
  • गगनयान मिशन सुरक्षित और स्वतंत्र मानव अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में भारत की प्रगति में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

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