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भारत का अनुसंधान और नवाचार

Lokesh Pal April 19, 2025 02:30 53 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने घोषणा की कि अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (Anusandhan National Research Foundation- ANRF) की परिकल्पना निजी अभिकर्ताओं को शामिल करते हुए उन्नत सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए की गई है।

भारत में अनुसंधान और विकास की स्थिति

  • वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2024: भारत ने 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 39वाँ स्थान हासिल किया है।
  • R&D पर सकल व्यय (Gross Expenditure on R&D- GERD): भारत का GERD लगातार बढ़ रहा है, जो वर्ष 2010- वर्ष 2011 में 60,196.75 करोड़ रुपये से दोगुना होकर वर्ष 2020-2021 में 127,380.96 करोड़ रुपये हो गया है।
    • इस निवेश का अधिकांश हिस्सा सरकारी क्षेत्र से आता है, जिसमें केंद्र सरकार (43.7%), राज्य सरकारों (6.7%), उच्च शिक्षा (8.8%), और सार्वजनिक क्षेत्र उद्योग (4.4%) का योगदान है।
  • अनुसंधान एवं विकास में महिलाओं की भागीदारी: अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2000- 2001 में 13% से बढ़कर वर्ष 2019- वर्ष 2020 में 25% हो गई है।

अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (Anusandhan National Research Foundation- ANRF) के बारे में 

  • वैधानिक निकाय: अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन अधिनियम, 2023 के तहत स्थापित किया गया।
  • ANRF देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को उच्च-स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय।
  • पूर्ववर्ती: विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) का स्थान लेता है।
  • कार्य: शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं एवं उद्योगों में अनुसंधान और नवाचार को वित्तपोषित करना, बढ़ावा देना और समन्वय करना।

  • भारत का अनुसंधान एवं विकास पर व्यय: भारत का अनुसंधान एवं विकास पर व्यय (GDP का लगभग 0.6 प्रतिशत) अमेरिका (2.8), चीन (2.1), इजरायल (4.3) और कोरिया (4.2) जैसे प्रमुख देशों से काफी कम है।
  • बजट आवंटन: केंद्रीय बजट वर्ष 2024- 2025 में, भारत ने अनुसंधान, विकास और नवाचार के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ₹20,000 करोड़ आवंटित किए।
  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization- WIPO), 2024: भारत ने 64,480 पेटेंट आवेदनों के साथ वैश्विक स्तर पर 6वाँ स्थान प्राप्त किया है, इन आवेदनों में से आधे से अधिक (55.2%) घरेलू आवेदक हैं, जो किसी देश के लिए पहली बार है।

भारत के अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में चुनौतियाँ

  • अनुसंधान एवं विकास में कम निवेश: भारत का अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय (Gross Expenditure on Research and Development- GERD) सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.7% है, जो वैश्विक औसत 2% से बहुत कम है।
  • सीमित निजी क्षेत्र की भागीदारी: भारत में, अनुसंधान एवं विकास व्यय का 52% सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है, जबकि अमेरिका में यह केवल 10%, जर्मनी में 13% और चीन में 15% है।
  • अनुसंधान अवसंरचना में कमी: कई विश्वविद्यालयों और अर्द्ध-शहरी संस्थानों में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान के लिए पर्याप्त धन और अवसंरचना का अभाव है।
  • प्रतिभा पलायन (ब्रेन ड्रेन): कई कुशल भारतीय शोधकर्ता और वैज्ञानिक बेहतर अनुसंधान अवसंरचना, धन और कॅरियर के अवसरों की तलाश में विदेश चले जाते हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभाओं की कमी हो जाती है।
  • उद्योग-अकादमिक संबंध विच्छेद: विश्वविद्यालयों और उद्योगों के बीच सहयोग सीमित बना हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप शैक्षणिक अनुसंधान का कम व्यावसायीकरण हुआ है।
  • प्रशासनिक बाधाएँ: नौकरशाही की लालफीताशाही के कारण अक्सर फंड वितरण, परियोजना अनुमोदन और खरीद प्रक्रियाओं में देरी होती है, जिससे अनुसंधान की निरंतरता और दक्षता बाधित होती है।
  • बौद्धिक संपदा की चुनौतियाँ: भारत में दायर पेटेंट की संख्या चीन और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में काफी कम है, तथा पेटेंट अनुदान दर भी तुलनात्मक रूप से कम है।
  • क्षेत्रीय असंतुलन: R&D गतिविधियाँ कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में केंद्रित हैं, जबकि अन्य क्षेत्र अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और संस्थागत समर्थन के कारण पिछड़ रहे हैं।
  • STEM में लैंगिक अंतर: यूनेस्को के अनुसार, भारत में उच्च शिक्षा में केवल 35% STEM छात्र महिलाएँ हैं और नेतृत्व के पदों पर उनकी उपस्थिति और भी कम है।

अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख सरकारी पहल

  • अटल इनोवेशन मिशन (AIM): नीति आयोग द्वारा वर्ष 2016 में शुरू किया गया, यह अटल टिंकरिंग लैब्स, स्टार्टअप्स के लिए अटल इनक्यूबेशन सेंटर और ARISE पहल के माध्यम से MSME को सहायता जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देता है।
  • एक राष्ट्र, एक सदस्यता (वर्ष 2025): एक राष्ट्र, एक सदस्यता (One Nation One Subscription- ONOS) पहल का उद्देश्य देश के सभी व्यक्तियों को विद्वानों की शोध सामग्री तक पहुँच प्रदान करना है।
  • स्टार्टअप इंडिया (वर्ष 2016): यह प्रमुख पहल कर लाभ, आसान अनुपालन, वित्तपोषण सहायता (सिडबी के फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से) और एक मजबूत नवाचार-संचालित स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए एक मजबूत सहायता प्रदान करती है।
  • अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF): ANRF देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को उच्च-स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है। इसकी स्थापना अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन अधिनियम, 2023 के तहत की गई है।
  • जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फॉर इनोवेटिव स्टार्टअप (Gen-Next Support for Innovative Startups-GENESIS): इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने टियर-II और टियर-III शहरों में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2022 में ‘जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फॉर इनोवेटिव स्टार्टअप’ योजना शुरू की है।
  • इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber Physical System- NM-ICPS): इसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य R&D, ट्रांसलेशनल रिसर्च, उत्पाद विकास, इनक्यूबेटिंग और स्टार्टअप को समर्थन देने के साथ-साथ व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्मों का विकास करना था।

STEM पाठ्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • प्रगति छात्रवृत्ति: तकनीकी शिक्षा में मेधावी छात्राओं को सहायता देने के लिए AICTE द्वारा वर्ष 2014 में शुरू की गई।
    • महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 10,000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं।
  • टेकसक्षम कार्यक्रम (TechSaksham Program – TSP): एक टॉप-अप कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य वंचित छात्राओं में रोजगार कौशल विकसित करना है।
    • उच्च शिक्षा में महिलाओं की कॅरियर तत्परता को बढ़ाने के लिए अनुभवात्मक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।

भारत की अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को बढ़ाने के उपाय

  • वित्त पोषण में वृद्धि: अनुसंधान एवं विकास (R&D) वित्त पोषण और निवेश में वृद्धि हेतु भारत को अनुसंधान उत्पादन और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को मजबूत करने के लिए अपने R&D बजट को सकल घरेलू उत्पाद के कम से कम 4% तक बढ़ाना चाहिए।
    • अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) को निजी क्षेत्र के योगदान को प्रोत्साहित करने के लिए कर छूट और इक्विटी-शेयरिंग मॉडल जैसे प्रोत्साहन शुरू करने चाहिए।
  • वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करना: ‘रिवर्स ब्रेन ड्रेन’ पहल प्रतिस्पर्द्धी वेतन, अनुदान और अनुसंधान सुविधाओं की पेशकश करके विदेशों में भारतीय शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित कर सकती है।
  • शोध की गुणवत्ता को बढ़ावा देना: शोध में नैतिक मानकों को लागू करने के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान अखंडता कार्यालय की स्थापना करना।
    • भारत अनुसंधान में चौथे स्थान पर है, लेकिन जब शोध उद्धरण की बात आती है तो नौवें स्थान पर है, जो उत्पादित कार्य की गुणवत्ता पर चिंता प्रकट करता है।
  • लैंगिक समावेशिता: महिलाओं के लिए STEM छात्रवृत्ति और लैंगिक-संवेदनशील नीतियों जैसे विस्तारित मातृत्व अवकाश जैसे कार्यक्रम विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएंगे।
    • भारत में STEM कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 30% है, जो लक्षित नीतियों के साथ बढ़ सकती है।
  • नवाचार इनक्यूबेटर: विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर अनुसंधान और विपणन योग्य नवाचारों के बीच के अंतराल को पाटेंगे।
    • ‘लैब टू मार्केट’ कार्यक्रम अकादमिक अनुसंधान को वाणिज्यिक उत्पादों में बदलने के लिए अनुदान प्रदान कर सकता है।
  • शोध अवसंरचना को बढ़ावा देना: एक अवसंरचना आधुनिकीकरण कार्यक्रम की आवश्यकता है, जो मौजूदा प्रयोगशालाओं को बेहतर बना सके।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय शोध क्लाउड जैसे साझा प्लेटफॉर्म शोधकर्ताओं को डेटा आधारित परियोजनाओं पर सहयोग करने की अनुमति देंगे, जिससे दक्षता में सुधार होगा।
  • अंतरविषयक अनुसंधान: अंतरविषयक अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र बायोटेक, एआई और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करेंगे।
    • यह विचारों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बना सकता है, जिससे अधिक गतिशील शोध वातावरण का निर्माण हो सकता है।

निष्कर्ष 

निरंतर नीतिगत समर्थन और विकसित हो रहे प्रतिभा पूल के साथ, भारत न केवल निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच अपना नेतृत्व बनाए रखने के लिए तैयार है, बल्कि नवाचार के वैश्विक पॉवरहाउस के रूप में उभरने के लिए भी तैयार है, जो विश्व में उद्योगों के भविष्य को आकार देने वाली प्रगति को आगे बढ़ा सकता है।

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