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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal April 26, 2025 02:31 22 0

रत्नागिरी में सफेद तेंदुए का जन्म

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक खेत के आस-पास एक सफेद तेंदुए का जन्म हुआ।

  • कारण: ऐल्बिनिजम या ल्यूसिज्म की आनुवंशिक स्थिति के कारण इनका रंग सफेद होता है।

ऐल्बिनिजम के बारे में

  • ऐल्बिनिजम एक आनुवंशिक स्थिति है, जिसमें मेलेनिन की आंशिक या पूर्ण कमी होती है (यह वह रंगद्रव्य है, जो त्वचा, बालों एवं आँखों के  रंग को परिवर्तित कर देता है)।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • दृष्टि संबंधी समस्याएँ: ऐल्बिनिजम के कारण अक्सर कम दृष्टि, निस्टागमस (अनैच्छिक नेत्र गति) एवं फोटोफोबिया (प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता) जैसी दृष्टि संबंधी समस्याएँ होती हैं।
    • त्वचा संबंधी समस्याएँ: यू.वी. विकिरण के विरुद्ध मेलेनिन की सुरक्षात्मक भूमिका कम होने के कारण स्किन कैंसर का जोखिम अधिक होता है।

ल्यूसिज्म के बारे में

  • ल्यूसिज्म एक आनुवंशिक स्थिति है, जो जानवरों में केवल मेलेनिन ही नहीं, बल्कि सभी रंगद्रव्यों की कमी या आंशिक हानि के कारण होती है।
  • ल्यूसिज्म वाले जानवर रंगद्रव्य हानि की सीमा के आधार पर सफेद, पीला या धब्बेदार रंग प्रदर्शित कर सकते हैं।
  • ल्यूसिज्म आँखों को प्रभावित नहीं करता है, जो इसे ऐल्बिनिज्म से अलग करने वाली एक विशिष्ट विशेषता है।

काजीरंगा के आसपास पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र

हाल ही में असम ने काजीरंगा के आसपास एकीकृत ESZ प्रस्ताव को वापस लेने का फैसला किया है।

इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) क्या है?

  • ESZ राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्र हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील हैं।
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत बनाया गया।
  • आम तौर पर पार्क/अभयारण्य की सीमाओं से 10 किमी. तक फैला हुआ है, लेकिन पारिस्थितिकी महत्त्व के आधार पर भिन्न हो सकता है।
  • उद्देश्य: संरक्षित क्षेत्रों के पास गतिविधियों को विनियमित करना एवं पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करना।
  • गतिविधियाँ
    • निषिद्ध: खनन, प्रदूषणकारी उद्योग, बड़ी जलविद्युत परियोजनाएँ, खतरनाक अपशिष्ट निपटान।
    • विनियमित: पेड़ काटना, होटल बनाना, सड़क चौड़ीकरण, वाणिज्यिक जल उपयोग।
    • अनुमत: जैविक कृषि, वर्षा जल संचयन, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग।

राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान

हाल ही में भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने वर्चुअली राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान, 2025-26 का शुभारंभ किया।

खसरा-रूबेला के बारे में

  • रूबेला, जिसे जर्मन खसरा या तीन दिवसीय खसरा भी कहा जाता है, एक हल्का वायरल रोग है।
  • यह रूबेला वायरस के कारण होता है एवं खाँसी या छींक से हवा की बूँदों के माध्यम से फैलता है।

राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान, 2025-26 के बारे में

  • उद्देश्य: 100% टीकाकरण कवरेज के साथ वर्ष 2026 तक भारत में खसरा एवं रूबेला को खत्म करना।
  • ऐसी बीमारियों को रोकें जो अत्यधिक संक्रामक हैं एवं गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न करती हैं।
  • नोडल मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय।
  • महत्त्व
    • बच्चों की सुरक्षा करता है एवं मृत्यु दर को कम करता है।
    • भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा, जो सालाना 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों से सुरक्षा करता है।

बनारसी शहनाई के लिए भौगोलिक संकेतक (GI) टैग

हाल ही में बनारसी शहनाई को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिया गया है।

बनारसी शहनाई के बारे में

  • शहनाई लकड़ी से बना एक डबल-रीड (Double-Reed) वाद्य यंत्र है, जिसके अंत में एक फ्लेयेर्ड वेल मेटल (Flared Metal Bell) लगी होती है।
  • यह एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रमुख स्कूलों में से एक बनारस घराने से संबंधित है।
  • उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने शहनाई को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • वर्ष 2001 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

भौगोलिक संकेतक (GI) के बारे में

  • भौगोलिक संकेतक (GI) टैग एक लेबल है, जिसका उपयोग उन उत्पादों के लिए किया जाता है, जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होते हैं एवं उनमें उस स्थान के लिए अद्वितीय गुण, प्रतिष्ठा या विशेषताएँ होती हैं।
  • GI टैग का उद्देश्य: किसी उत्पाद की विशिष्ट पहचान की रक्षा करना तथा साथ ही उसके दुरुपयोग या नकल को रोकना।
  • वैधता एवं नवीनीकरण: एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिए वैध होता है। कानूनी सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसे समय-समय पर नवीनीकृत किया जा सकता है। 
  • प्रशासनिक प्राधिकरण: GI पंजीकरण एवं विनियमन का प्रबंधन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग तथा आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा किया जाता है।

सूर्य के फोटोस्फीयर में हीलियम

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) के शोधकर्ताओं ने सूर्य के फोटोस्फीयर में हीलियम की मात्रा को सटीक रूप से मापा है, जो सौर अनुसंधान में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।

सूर्य के फोटोस्फीयर में हीलियम

  • हीलियम, हाइड्रोजन के बाद सूर्य में दूसरा सबसे प्रचुर तत्त्व है।
  • प्रचुरता: जबकि हाइड्रोजन सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 74% बनाता है, हीलियम लगभग 24% है।
    • सूर्य के दृश्य सतह-फोटोस्फीयर में हीलियम मौजूद है, लेकिन इसे हाइड्रोजन की तरह आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है।
  • इसे देखना क्यों मुश्किल है?
    • हीलियम की परमाणु संरचना को उत्तेजित करने के लिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए इसकी वर्णक्रमीय रेखाएं गर्म वर्णमंडल और सौर ज्वालाओं में अधिक मजबूत होती हैं, न कि ठंडे प्रकाशमंडल में।
  • पिछले अनुमानों पर भरोसा किया गया
    • गर्म तारों से अनुमान (जिनकी संरचना अलग हो सकती है)। 
    • सौलर विंड एवं कोरोनल डेटा (फोटोस्फीयर का प्रतिनिधित्व नहीं करता)। 
    • हीलियोसिस्मोलॉजी (सौर कंपन से अप्रत्यक्ष अनुमान)। 

IIA का अभिनव दृष्टिकोण

  • IIA अनुसंधान टीम ने मैग्नीशियम (Mg) और कार्बन (C) वर्णक्रम रेखाओं का उपयोग करके एक नवीन तकनीक विकसित की है।
  • सूर्य के फोटोस्फीयर में हीलियम-से-हाइड्रोजन अनुपात 0.1 पाया गया, जो पिछले अध्ययनों के अनुरूप है। 

सूर्य का फोटोस्फीयर

  • दृश्यमान सतह: फोटोस्फीयर सूर्य की दृश्यमान “सतह” है जिसे हम पृथ्वी से देखते हैं। 
  • तापमान: फोटोस्फीयर का तापमान प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग होता है, लेकिन 4500 एवं 6000 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। 
  • प्रकाश उत्सर्जन: सूर्य का अधिकांश दृश्य प्रकाश इसी परत से आता है। 
  • सौर-कलंक (Sunspots): काले धब्बे, जिन्हें सौर-कलंक के नाम से जाना जाता है, प्रकाशमंडल पर दिखाई देते हैं तथा ये तीव्र चुंबकीय गतिविधि वाले ठंडे क्षेत्र होते हैं।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे. डी. वेंस अपनी पहली 4 दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आए, उनके साथ उनकी पत्नी उषा वेंस एवं वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी है।

यात्रा की मुख्य विशेषताएँ

  • जे. डी. वेंस को आगमन पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
  • फोकस: बैठकों का फोकस चल रही भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं, विशेष रूप से टैरिफ मुद्दों एवं बाजार पहुँच पर चर्चा होगी।
    • यह यात्रा भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की निरंतरता एवं गहनता का संकेत देती है।
    • एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को साकार करने के लिए बातचीत में शामिल होना, जो भारतीय निर्यात पर USA द्वारा 26% के पारस्परिक टैरिफ से बच जाएगा।
  • भारतीय प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक: दोनों नेताओं ने प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की वार्ता के लिए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप देने की औपचारिक घोषणा भी की। 
  • USA-भारत TRUST अर्थात रणनीतिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए संबंधों को बदलना (Transforming the Relationship Utilizing Strategic Technology) पहल: वेंस ने डेटा अवसंरचना, फार्मास्यूटिकल्स, अंडरसी केबल एवं साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भविष्य के सहयोग को सक्षम करने के लिए ट्रस्ट पहल की भूमिका पर प्रकाश डाला। 
  • सांस्कृतिक मुख्य आकर्षण: अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कुछ ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का दौरा किया, जैसे, 
    • उन्होंने सबसे पहले दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया। 
    • आमेर/अंबर का किला (एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) जयपुर, राजस्थान 
    • उत्तर प्रदेश: 
      • ताजमहल एवं शिल्पग्राम (पारंपरिक भारतीय शिल्प तथा कारीगरी को प्रदर्शित करने वाला एक सांस्कृतिक केंद्र)।

स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट

AIIMS रायपुर ने अपना पहला स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया है, जिसे किडनी पेयर ट्रांसप्लांट (Kidney Paired Transplant- KPT) के रूप में भी जाना जाता है।

  • AIIMS रायपुर छत्तीसगढ़ राज्य का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जिसने यह ट्रांसप्लांट किया है। 

स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में 

  • स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट में दो जोड़ी डोनर एवं प्राप्तकर्ता के बीच किडनी का आदान-प्रदान होता है, जो किडनी की असंगति के कारण अपने आरंभिक इच्छित डोनर के साथ असंगत होते हैं। 
  • असंगति: यह रोग असंगत रक्त प्रकार, असंगत ऊतक प्रकार, या प्राप्तकर्ता में एंटीबॉडी की उपस्थिति के कारण उत्पन्न हो सकता है, जो दाता के गुर्दे पर हमला कर सकता है।
  • महत्त्व: यह दृष्टिकोण डोनर पूल का काफी विस्तार करता है, प्रतीक्षा समय को कम करता है एवं सफल प्रत्यारोपण की संभावनाओं को बेहतर बनाता है। 
  • लाभ: स्वैप ट्रांसप्लांट से ट्रांसप्लांट की संख्या में 15% की वृद्धि हुई है। 
    • राष्ट्रीय ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organisation and Tissue Transplant Organisation- NOTTO) ने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में स्वैप डोनर प्रत्यारोपण के कार्यान्वयन की सिफारिश की है।
    • एक समान एक राष्ट्र एक स्वैप प्रत्यारोपण कार्यक्रम: NOTTO ने देश भर में इन प्रत्यारोपणों को अधिक प्रभावी ढंग से सुविधाजनक बनाने के लिए एक समान एक राष्ट्र एक स्वैप प्रत्यारोपण कार्यक्रम’ शुरू करने का निर्णय लिया है।

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