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भारत में सीमा पार से घुसपैठ एवं सुरक्षा चुनौतियाँ

Lokesh Pal April 28, 2025 02:17 10 0

संदर्भ

हाल ही में कश्मीर के पहलगाम के निकट बैसरन घाटी में आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या से सुरक्षा बलों के सामने चुनौती उत्पन्न हो गई।

भारत-पाकिस्तान सीमा

  • लंबाई: लगभग 3,323 किमी., फैली हुई है:-
    • रेडक्लिफ लाइन (IB) – 2,308 किमी.।
    • नियंत्रण रेखा (LOC) – 776 किमी.।
    • एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन (AGPL) – 110 किमी. (सियाचिन ग्लेशियर)।
  • प्रभावित राज्य: गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख।
  • सुरक्षा बल
    • बीएसएफ (केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन) – प्राथमिक सीमा सुरक्षा बल
    • भारतीय सेना – LOC और AGPL पर सक्रिय

सीमा पार से घुसपैठ के बारे में

  • इसका तात्पर्य किसी देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार व्यक्तियों या समूहों के अनधिकृत प्रवेश से है, जो प्रायः आतंकवाद, तस्करी या अवैध आव्रजन जैसे अवैध उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ के मुद्दे

  • घुसपैठियों के लिए अनुकूल क्षेत्र: जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल रेंज और आसपास के इलाकों में घने जंगल, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ एवं खराब दृश्यता है।
  • घुसपैठियों का उच्च प्रशिक्षण एवं परिष्कार: कई घुसपैठिए पूर्व पाकिस्तानी सैन्य या आईएसआई-प्रशिक्षित हैं, जो उन्नत तकनीकों में कुशल हैं।
  • पाकिस्तान द्वारा छद्म युद्ध की रणनीति: पाकिस्तान द्वारा गैर-राज्य अभिकर्ताओं को रणनीतिक संपत्ति के रूप में उपयोग करना भारत के लिए लंबे समय से सुरक्षा का खतरा है।
  • मानव खुफिया अंतराल: सीमावर्ती आबादी के अलगाव के कारण उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में स्थानीय समर्थन एवं मुखबिर नेटवर्क की कमी है।
  • अपर्याप्त भौतिक अवरोध लचीलापन: बर्फबारी और भू-क्षरण के कारण प्रत्येक वर्ष ⅓ से अधिक बाड़ क्षतिग्रस्त हो जाती है, विशेषकर LOC पर।
  • उच्च परिचालन लागत और मानव क्षति: सैनिक अक्सर कई दिनों तक आराम नहीं करते हैं, विशेषकर हाई अलर्ट अवधि के दौरान।
  • घुसपैठ के बाद जाँच संबंधी ढाँचे की सीमित प्रभावशीलता: यहाँ तक ​​कि जब घुसपैठिए पकड़े भी जाते हैं, तो मामलों को स्थानीय पुलिस द्वारा सँभाला जाता है, जिसमें अक्सर संसाधनों और विशेषज्ञता की कमी होती है।
    • BSF द्वारा दर्ज की गई हजारों FIR के बावजूद, अधिकांश क्षेत्रों में सीमा से संबंधित अपराधों के लिए सजा दर 5% से कम है।
  • ड्रग, हथियारों की तस्करी और आर्थिक अपराध: भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशियों की तस्करी काफी होती है, लेकिन पाकिस्तान सीमा पर भी ड्रग एवं हथियारों की तस्करी होती है।
    • नकली भारतीय मुद्रा नोट (Fake Indian Currency Notes-FICN) पाकिस्तान सीमा पार से भारतीय बाजारों में पहुँचाए जाते हैं।
  • गैर-राज्य अभिकर्ताओं द्वारा ड्रोन और उभरती तकनीक का उपयोग: पाकिस्तान से ड्रोन तेजी से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में हथियार, विस्फोटक और ड्रग्स गिरा रहे हैं।
    • BSF ने वर्ष 2022 में ड्रोन घुसपैठ में दोगुनी वृद्धि की सूचना दी, जिसके लिए पंजाब में 30 प्रमुख स्थानों पर लेजर-आधारित एंटी-ड्रोन तकनीक की तैनाती की आवश्यकता है।

उग्रवादी (Militant)

  • उग्रवादी वह व्यक्ति होता है, जो राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बलपूर्वक या हिंसक तरीकों का उपयोग करता है, आमतौर पर सशस्त्र प्रतिरोध या विद्रोह के हिस्से के रूप में, नागरिकों के बीच व्यापक भय पैदा करने के उद्देश्य के बिना।

आतंकवादी (Terrorist)

  • आतंकवादी वह व्यक्ति होता है, जो जानबूझकर हिंसा और भय का प्रयोग करके लोगों के बीच भय का माहौल उत्पन्न करता है, जिसका उद्देश्य समाज को अस्थिर करना और राजनीतिक परिणामों को प्रभावित करना होता है, अक्सर बाहरी समर्थन के साथ।

आंतरिक सुरक्षा और सीमा प्रबंधन के बीच संबंध

  • सीमा पर घुसपैठ सीधे तौर पर आंतरिक आतंकवाद को बढ़ावा देती है: खराब सीमा प्रबंधन के कारण आतंकवादी घुसपैठ को बढ़ावा मिलता है, जिससे भारतीय क्षेत्र में अंदर तक हमले संभव हो जाते हैं।
    • पहलगाम हमला (अप्रैल 2025) जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, नियंत्रण रेखा के जरिए घुसने वाले उच्च प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा सीमा पार से घुसपैठ का सीधा परिणाम है।
  • सीमा पार से तस्करी आंतरिक विद्रोह और अपराध को वित्तपोषित करती है: छिद्रपूर्ण सीमाओं के पार मादक पदार्थों, हथियारों और FICN की तस्करी से आतंकवादी मॉड्यूल और संगठित अपराध को वित्तपोषित किया जाता है।
    • ये अवैध अर्थव्यवस्थाएँ आंतरिक आतंकवादी नेटवर्क को मजबूत बनाती हैं, विद्रोही समूहों को बढ़ावा देती हैं और राष्ट्रीय वित्तीय सुरक्षा को कमजोर करती हैं।
  • खराब सीमा नियंत्रण नृजातीय एवं सामाजिक तनाव को बढ़ाता है: कड़ी निगरानी और आर्थिक प्रतिबंधों के कारण सीमावर्ती समुदायों का अलगाव असंतोष को जन्म दे सकता है।
    • स्थानीय आक्रोश तब उत्पन्न होता है, जब BSF बाड़ के पार खेतों तक पहुँच को प्रतिबंधित करती है, प्रत्येक ग्रामीण पर तस्कर होने का संदेह करती है और सीमित शिकायत निवारण प्रदान करती है।
  • अपर्याप्त संस्थागत समन्वय आंतरिक प्रतिक्रिया को कमजोर करता है: बीएसएफ, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों के मध्य कमजोर तालमेल के कारण घुसपैठ तथा  अपराध से निपटना चुनौतीपूर्ण होता है।
    • बीएसएफ द्वारा मवेशी तस्करी (2016-19) पर दर्ज की गई 10,993 शिकायतों में से केवल 418 में ही दोषसिद्धि हुई, जिससे सीमा अवरोधन एवं आंतरिक कानूनी कार्रवाई के मध्य एक बड़ा अंतर सामने आता है।
  • सीमा उल्लंघन, नागरिक जीवन एवं विकास को बाधित करता है: सीमा पार से लगातार गोलाबारी और घुसपैठ के कारण आंतरिक विस्थापन, आजीविका का नुकसान और प्रशासन में व्यवधान होता है।
    • कारगिल समीक्षा समिति (KRC) की रिपोर्ट के बाद गठित मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट (2001) में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि लगातार गोलाबारी, खराब बुनियादी ढाँचा और आक्रमण के डर से सीमावर्ती गाँवों में जीवन बेहद जटिल हो जाता है।

भारत में सीमा सुरक्षा उपाय

बुनियादी ढाँचे का विकास

  • घुसपैठ विरोधी बाधा प्रणाली (Anti-Infiltration Obstacles System-AIOS): LOC जैसी संवेदनशील सीमाओं पर आतंकवादी घुसपैठ और तस्करी को रोकने के लिए काँटेदार तार, कंसर्टिना कॉइल और निगरानी उपकरणों से युक्त एक बहुस्तरीय बाड़ प्रणाली।
  • प्रभाव: घुसपैठ के प्रयासों में उल्लेखनीय कमी आई; उदाहरण के लिए, 1990 के दशक में हजारों की संख्या वर्तमान में घटकर लगभग 50-100/वर्ष​ रह गई है।
  • एकीकृत चेक पोस्ट (ICP): सीमा शुल्क, आव्रजन और सुरक्षा को एकीकृत करने वाले आधुनिक परिसर का निर्माण किया गया है।
    • अटारी ICP (पंजाब) पाकिस्तान के साथ विनियमित व्यापार और यात्री आवागमन की सुविधा प्रदान करता है।
  • सुविधाएँ: CCTV निगरानी, ​​बैगेज स्कैनर, बायोमेट्रिक एंट्री, हेलीपैड।
  • फ्लोटिंग बॉर्डर आउटपोस्ट (BOP): क्षेत्रीय प्रभुत्व बनाए रखने के लिए पंजाब और जम्मू के नदी क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
    • दलदली क्षेत्रों में निगरानी उपकरणों और गतिशीलता सहायता से लैस किया गया है।

सीमा क्षेत्र विकास

  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme-BADP): सीमावर्ती गाँवों में सड़क, स्कूल, क्लीनिक जैसे बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना।
  • सुरक्षा के साथ एकीकरण: बेहतर नागरिक सुविधाएँ अलगाव को कम करती हैं और स्थानीय सहयोग को मजबूत करती हैं।
  • ग्राम रक्षा समितियाँ (Village Defence Committees-VDCs): सीमा निगरानी और अवैध गतिविधियों की रिपोर्टिंग में स्थानीय लोगों को शामिल करने के लिए बनाई गई हैं।
  • कार्य: घुसपैठ की रिपोर्टिंग, बलों की सहायता करना, गाँवों को सीमा पार अपराधियों से बचाना।
  • सामुदायिक नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम: बीएसएफ जैसे सीमा सुरक्षा बल (BGFs) सीमावर्ती आबादी के बीच सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य शिविर और बुनियादी ढाँचे के समर्थन में संलग्न हैं।

काउंटर-इनफिल्ट्रेशन ग्रिड के बारे में

  • काउंटर-इनफिल्ट्रेशन ग्रिड, संवेदनशील सीमा क्षेत्रों, विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (LOC) पर तैनात एक स्तरित सुरक्षा प्रणाली को संदर्भित करता है।
  • इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • भौतिक बाड़ (बहु-स्तरीय विद्युतीकृत अवरोध)
    • निगरानी उपकरण (थर्मल इमेजर, ग्राउंड सेंसर, इन्फ्रारेड कैमरे)
    • नियमित गश्त और त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT)
    • सीमा के नजदीक जंगलों, पहाड़ियों और गाँवों में क्षेत्र वर्चस्व चौकियाँ।
  • उद्देश्य: सीमा पर या उसके आस-पास घुसपैठियों का पता लगाना, उन्हें रोकना एवं उन्हें बेअसर करना, इससे पहले कि वे आंतरिक क्षेत्रों में फैल जाएँ, जहाँ उनका पता लगाना बेहद जटिल हो जाता है।

उन्नत निगरानी और मॉनीटरिंग प्रौद्योगिकी

  • व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (Comprehensive Integrated Border Management System- CIBMS): एक प्रणाली, जो भारत में सीमा सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, जनशक्ति और खुफिया जानकारी का उपयोग करती है।
    • लेजर आधारित घुसपैठ का पता लगाने के साथ स्मार्ट बाड़ लगाना।
    • थर्मल इमेजर, नाइट विजन डिवाइस और ग्राउंड सेंसर।
    • वास्तविक समय की निगरानी के लिए एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र।
  • ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी
    • तैनाती: पंजाब में 30 प्रमुख बिंदुओं पर लेजर आधारित ड्रोन न्यूट्रलाइजर।
    • कारण: सीमा पार हथियार, ड्रग्स और विस्फोटक गिराने के लिए ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
  • फोरेंसिक ड्रोन विश्लेषण इकाइयाँ: ऑपरेटरों और हैंडलरों का पता लगाने के लिए बरामद ड्रोन से GPS डेटा, उड़ान पथ और संचार विवरण प्राप्त करना।
  • नाइट विजन और इन्फ्रारेड तकनीक: रात में गश्त, नियंत्रण रेखा पर निगरानी और खराब दृश्यता की स्थिति में नदी की निगरानी करना।
    • सीमाएँ: अत्यधिक मौसम में डिवाइसों में अक्सर बैटरी खत्म होने की समस्याएँ आती हैं।
  • ग्राउंड सर्विलांस रडार और थर्मल सेंसर: सीमा पार से होने वाली गतिविधियों का पता लगाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं।
  • सुरंग और भूमिगत खतरे का पता लगाना
    • ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radars-GPRs): जम्मू और पंजाब जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठियों द्वारा खोदी गई भूमिगत सुरंगों का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।

बीएसएफ के लिए अधिकार क्षेत्र विस्तार

  • अक्टूबर 2021 में सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force-BSF) का अधिकार क्षेत्र पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल में अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) से 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया था।
  • पहले की सीमा: इन राज्यों में 15 किलोमीटर।

प्रभावी सीमा प्रबंधन की चुनौतियाँ

  • बलों की बहुलता और समन्वय के मुद्दे: विभिन्न बल (BSF, ITBP, असम राइफल्स) विभिन्न मंत्रालयों (केंद्रीय गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय) के अधीन कार्य करते हैं।
    • एकीकृत कमान की कमी सुरक्षा घटनाओं के दौरान त्वरित निर्णय लेने को प्रभावित करती है।
  • उभरते ड्रोन खतरे और प्रौद्योगिकी अंतराल: अंतरराष्ट्रीय सीमा  के पार हथियारों, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का बढ़ता उपयोग।
    • वर्ष 2022 में पाकिस्तान से ड्रोन उड़ानें दोगुनी से अधिक हो गईं, जिससे मौजूदा निगरानी ग्रिड को चुनौती मिल रही है।
  • अधूरा बुनियादी ढाँचा और विलंबित आधुनिकीकरण: व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) जैसी प्रमुख परियोजनाएँ अभी भी अधूरी हैं।
    • इसकी समय सीमा चूक गई; संशोधित पूर्णता लक्ष्य दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया।
  • सीमा पर रहने वाले लोगों का अलगाव: बाड़ लगाना, भूमि तक सीमित पहुँच और सुरक्षा जाँच सीमा पर रहने वाले ग्रामीणों को अलग-थलग कर देती है।
  • सुरंग और भूमिगत खतरे: आतंकवादी सुरक्षा प्रणालियों को बायपास करने के लिए बाड़ के नीचे सीमा पार सुरंग खोदते हैं।
    • भूमिगत घुसपैठ का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) की व्यापक तैनाती।

सीमा पार से घुसपैठ से निपटने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आगे की राह

  • काउंटर-इनफिल्ट्रेशन ग्रिड को मजबूत करना: LOC और IB पर स्मार्ट निगरानी प्रणाली (थर्मल इमेजर, ग्राउंड सेंसर, रडार) का विस्तार करना।
    • पीर पंजाल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भौतिक अवरोधों, तकनीकी निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को अधिक सघनता से एकीकृत करना।
  • CIBMS और बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण को पूरा करने में तेजी लाना: दिसंबर 2025 तक सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) के लंबित रोलआउट को तेजी से आगे बढ़ाना।
    • कठोर सर्दियों के दौरान भी परिचालन तत्परता बनाए रखने के लिए बर्फ-रोधी बाड़ और सभी मौसम वाली सड़कें सुनिश्चित करना।
  • ड्रोन रोधी क्षमताओं का विस्तार करना: लेजर आधारित ड्रोन रोधी प्रणालियों को अधिक व्यापक रूप से तैनात करना, विशेषकर पंजाब, जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों में।
    • लॉन्चर का पता लगाने और हैंडलरों को तेजी से बेअसर करने के लिए फोरेंसिक ड्रोन विश्लेषण इकाइयों को मजबूत करना।
  • मानव खुफिया (HUMINT) और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना: स्थानीय लोगों को निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियों में शामिल करने के लिए ग्राम रक्षा समितियों (VDC) को पुनर्सक्रिय एवं मजबूत करना।
    • अलगाव को कम करने और विश्वास बनाने के लिए BADP के तहत नागरिक कार्रवाई कार्यक्रमों (चिकित्सा शिविर, बुनियादी ढाँचे का विकास) को बढ़ावा देना।
  • संस्थागत समन्वय और एकीकृत कमान संरचनाएँ: BSF, सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों को मिलाकर प्रमुख सीमा क्षेत्रों में एकीकृत कमान केंद्र स्थापित करना।
    • केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस के बीच संचालन में सामंजस्य स्थापित करना, विशेषकर BSF के अधिकार क्षेत्र को 50 किमी. तक बढ़ाए जाने के बाद।
  • सुदृढ़ सुरंग का पता लगाना और भूमिगत निगरानी: भारत-पाक सीमा पर, खासकर जम्मू और पंजाब में, सीमा पार सुरंगों का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) के उपयोग का विस्तार करना।
  • कानूनी और जाँच सुधार: तेजी से जाँच और उच्च दोषसिद्धि दर सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख सीमा पार तस्करी और आतंकवाद के मामलों को सँभालने के लिए NIA जैसी विशेष राष्ट्रीय एजेंसियों को सशक्त बनाना।

निष्कर्ष  

सीमा पार से घुसपैठ से निपटना भारत की आंतरिक सुरक्षा और नागरिक जीवन को सुरक्षित रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सीमाओं पर ही निर्णायक रूप से जीती जानी चाहिए जिसके लिए एक सक्रिय, प्रौद्योगिकी-संचालित, समुदाय-समर्थित और समन्वित सीमा प्रबंधन रणनीति आवश्यक है।

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