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स्वच्छ एआई: एआई डेटा सेंटर और ऊर्जा मांग पर

Lokesh Pal April 28, 2025 05:30 15 0

संदर्भ:

IMF की रिपोर्ट में आश्वासन दिया गया, है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के आर्थिक लाभ इसकी पर्यावरणीय लागतों से अधिक होंगे, साथ ही इसमें  एआई विकास में नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

IMF रिपोर्ट

  • मुख्य बिंदु: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है, कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) अनुप्रयोगों के आर्थिक लाभ, एआई डेटा केंद्रों द्वारा आवश्यक ऊर्जा की बढ़ती माँग से जुड़ी पर्यावरणीय लागतों से अधिक होने की संभावना है
  • आश्वासन: यह निष्कर्ष आश्वासन देता है, कि एआई प्रौद्योगिकी मूल रूप से सतत विकास के लिए वैश्विक अभियान के साथ संघर्ष नहीं करती है।

एआई विकास में नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका

  • सतत एआई: नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए बेहतर ढंग से तैयार देशों को अपने एआई लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कम सामाजिक और पर्यावरणीय लागतों का सामना करना पड़ेगा।
    • यद्यपि भारत का एआई बुनियादी ढाँचा (भारत एआई मिशन के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित) अभी भी इतना बड़ा नहीं है, कि वह देश के समग्र ऊर्जा संसाधनों को व्यापक रूप से प्रभावित कर सके, फिर भी एआई विकास में नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करने की स्पष्ट आवश्यकता है।
  • सरकार का दृष्टिकोण: भारत सरकार ने इस वर्ष के प्रारंभ में  पेरिस में आयोजित एआई एक्शन समिट में एआई की पर्यावरणीय चिंताओं के समाधान के लिए अपने दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत की है।
    • यह दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है, कि एआई का विकास सतत प्रथाओं के अनुरूप हो।
  • ऊर्जा उपभोग चुनौती: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)  भारी मात्रा में विद्युत उपभोग हेतु तैयार है, जिससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं और उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है
  • IMF रिपोर्ट: IMF रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में, जहाँ एआई कंप्यूटिंग क्षमता विश्व स्तर पर सबसे बड़ी है, अकेले कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)  विस्तार से बिजली की कीमतों में 9% तक की वृद्धि हो सकती है। 
    • इससे विभिन्न अन्य क्षेत्रों से मूल्य दबाव बढ़ेगा, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता और अधिक उजागर होगी ।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के लिए अवसर: डेटा केंद्रों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)  की निर्भरता नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।  
    • कई भारतीय कम्पनियों ने पहले ही नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद प्रारंभ कर दी है तथा डेटा केन्द्रों द्वारा अधिकृत विशाल भू-क्षेत्र उन्हें सौर ऊर्जा एकीकरण के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाते हैं।
    • ये सुविधाएँ सौर सेल के साथ अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं या यहाँ तक ​​कि परमाणु ऊर्जा की संभावनाओं का भी पता लगा सकती हैं।
  • एआई का पर्यावरणीय प्रभाव: यद्यपि एआई प्रौद्योगिकी की बिजली की खपत एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है, लेकिन यह एकमात्र पर्यावरणीय प्रभाव नहीं है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता युग अपने पीछे छोड़ेगा। 
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)  में खनिजों का बड़े पैमाने पर खनन, व्यापक जल उपयोग और एआई आपूर्ति शृंखला के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण के दौरान अपशिष्टों का उत्पादन भी शामिल है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण: चूँकि भारत अपने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र को विकसित करना चाहता है, इसलिए इस उद्योग के पर्यावरणीय प्रभाव को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स में वैश्विक नेतृत्व की देश की महत्त्वाकांक्षाओं को खनिज खनन तथा जल उपयोग के प्रति सतत दृष्टिकोण के साथ जोड़ा जाना चाहिए।

आगे की राह

  • छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर): परमाणु ऊर्जा, विशेष रूप से छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के रूप में, उभरते एआई डेटा सेंटर क्लस्टरों के ऊर्जा मिश्रण में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि हो सकती है। 
    • नवीकरणीय स्रोतों के साथ जोड़े जाने पर, ये एसएमआर उत्सर्जन को काफी हद तक कम कर सकते हैं, जिससे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का विस्तार पर्यावरण की दृष्टि से अधिक संपोषणीय हो जाएगा।
  • सतत प्रथाएँ: भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में  पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी प्रथाओं को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • इसमें खनन प्रक्रिया के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना, पुनर्नवीनीकृत सामग्रियों का उपयोग और उत्पादन के दौरान जल संरक्षण सुनिश्चित करना शामिल है।
  • पारंपरिक उत्सर्जन में कमी : 2070 तक भारत के शुद्ध शून्य लक्ष्य के लिए जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले उत्सर्जन के पारंपरिक स्रोतों में कमी लाना आवश्यक है। इसमें जीवाश्म ईंधनविनिर्माण और परिवहन जैसे क्षेत्रों से उत्सर्जन में कमी लाना शामिल है।
  • बढ़ती ऊर्जा माँगों का प्रबंधन: इसके साथ ही, भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों  जैसे उद्योगों से बढ़ती ऊर्जा खपत का प्रबंधन करना होगा, जो वैश्विक स्तर पर विस्तार करने के लिए तैयार हैं।
    • मुख्य उद्देश्य यह है, कि आर्थिक विकास को सतत प्रथाओं के साथ संतुलित किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऊर्जा की माँग, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की तुलना में अधिक न हो जाए।

निष्कर्ष

अपने शुद्ध शून्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए, भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण  क्षेत्रों द्वारा उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का रणनीतिक रूप से समाधान करना चाहिए। सतत प्रथाओं को अपनाकर तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करके, भारत अपने बढ़ते उद्योगों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए अपने महत्त्वाकांक्षी आर्थिक लक्ष्यों को पूरा कर सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में एआई डेटा केंद्रों के तेजी से विकास से उत्पन्न संभावित पर्यावरणीय चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिए। सरकार यह कैसे सुनिश्चित कर सकती है, कि एआई बुनियादी ढाँचे का विस्तार, मुख्य रूप से नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, भारत के दीर्घकालिक स्थिरता लक्ष्यों के साथ संरेखित हो?

(15 अंक, 250 शब्द)

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