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शहरों में बढ़ता तापमान और स्ट्रीट वेंडर्स की समस्या

Lokesh Pal April 30, 2025 05:00 13 0

ज्ञान प्राप्त करने के लिए अध्ययन आवश्यक है, लेकिन बुद्धि प्राप्त करने के लिए अवलोकन आवश्यक है।” – मैरीलिन वोस सावंत

संदर्भ:

हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन, शहरों पर बढ़ते दबाव और लगातार नीतिगत खामियों ने भारतीय शहरों में सड़क विक्रेताओं की अनिश्चितता को बढ़ा दिया है।

शहरी अर्थव्यवस्था में स्ट्रीट वेंडर्स का महत्त्व:

  • शहरी उपस्थिति: आज का शहरी परिदृश्य सड़क विक्रेताओं के बिना अकल्पनीय है – ये ट्रैफ़िक लाइट, फुटपाथ और बाज़ार आदि में दिखाई देते हैं। ये सस्ती वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करते हैं तथा शहरों की जीवंतता में योगदान करते हैं।
  • रोज़गार योगदान:
    • भारत: स्ट्रीट वेंडिंग से 6 मिलियन से अधिक व्यक्तियों को रोज़गार मिलता है, जो शहरी गैर-कृषि रोज़गार का लगभग 4% है।
    • वैश्विक स्तर पर: अफ्रीकी, एशियाई और लैटिन अमेरिकी शहरों में अनौपचारिक शहरी रोजगार में स्ट्रीट वेंडर्स (फेरीवालें) की हिस्सेदारी 2% से 24% के बीच है।
  • NASVI द्वारा परिभाषा: स्ट्रीट वेंडर वह व्यक्ति है, जो बिना किसी स्थायी संरचना के, अस्थायी स्थिर या मोबाइल सेटअप का उपयोग करके वस्तुएँ और सेवाएँ बेचता है।
  • परिचालन क्षेत्र: ये फुटपाथों या सार्वजनिक स्थानों पर स्थिर स्टालों पर और पुशकार्ट, साइकिल, टोकरियों या यहाँ तक कि बसों के अंदर मोबाइल स्टॉलों पर कार्य कर सकते हैं।
  • आर्थिक भूमिका: सड़क विक्रेता औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार के आपूर्तिकर्ताओं के लिए माँग को बढ़ावा देते हैं, साथ ही कुली, गार्ड और परिवहन संचालकों के लिए रोज़गार पैदा करते हैं तथा स्थानीय सरकारों के लिए राजस्व उत्पन्न करते हैं।

स्ट्रीट वेंडर्स की प्रमुख चुनौतियाँ

  • सामाजिक असमानताएँ: वेंडिंग का स्वरूप लिंग, जाति और वर्ग की गतिशीलता से प्रभावित होता है। 70-80% स्ट्रीट खाद्य पदार्थ विक्रेता महिलाएँ हैं। दिल्ली के 51,000 स्ट्रीट चिल्ड्रन (2010 की जनगणना) में से 70% स्वयं कार्य करके धनार्जन करते हैं, इनमें से 36% दलित और 17% आदिवासी थे।
  • असुरक्षित कार्य स्थितियाँ: सड़कों पर (बाजारों में नहीं) काम करने वाले विक्रेताओं को पुलिस उत्पीड़न, सामान जब्त करने, रिश्वतखोरी और दुर्व्यवहार, जबरन बेदखली तथा स्थानांतरण का सामना करना पड़ता है।
  • शहरी विकास के खतरे: शहरी विकास परियोजनाओं के कारण विक्रेताओं को अक्सर विस्थापित होना पड़ता है। सार्वजनिक स्थानों को औपचारिक बनाने के प्रयास, उनके अनौपचारिक अधिकारों की अनदेखी करते हैं।
  • जबरन बेदखली: अक्तूबर 2024 में, गुवाहाटी में दिघलीपुखुरी-नूनमती फ्लाईओवर के निर्माण से शहर की नव नामित खाओ गली (फूड स्ट्रीट) से 100 से अधिक स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को विस्थापित कर दिया गया।
    • जुलाई 2024 में, मुंबई उच्च न्यायालय ने अनधिकृत फेरीवालों के मुद्दे को गंभीर अनुपात” तक पहुँच जाने वाला बताया।
    • जून 2023 में राजमार्ग विभाग ने यातायात की भीड़ को कम करने के लिए सड़क किनारे स्ट्रीट वेंडर्स की गाड़ियों को नष्ट कर दिया।
  • नकारात्मक धारणाएँ: ये उदाहरण वैश्विक दक्षिण में सड़क विक्रय के लिए केंद्रीय अनिश्चितता और अनौपचारिकता को रेखांकित करते हैं। शहरी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में प्रायः विक्रेताओं को अवैध’ या खतरा’ माना जाता है, जिसके कारण उन्हें बाज़ारों से हटा दिया जाता है।
  • नियंत्रित पहुँच: स्थानीय सरकारें वेंडिंग क्षेत्रों को नियंत्रित करती हैं तथा गैर-अनुपालन के कारण जुर्माना, विस्थापन और स्टॉल को ध्वस्त किया जा सकता है।
  • बुनियादी आवश्यकताओं की उपेक्षा: औपचारिक उपायों के लिए प्रायः लाइसेंस, बाजार शुल्क के भुगतान की आवश्यकता होती है, लेकिन शौचालय, स्वच्छता, पेयजल और सुरक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की अनदेखी की जाती है।
  • अप्रभावी समर्थन: ये सीमाएँ दर्शाती हैं, कि औपचारिकता आवश्यक रूप से सड़क विक्रेताओं के पक्ष में काम नहीं करती है, विशेष रूप से शहरी सार्वजनिक स्थानों पर।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • अत्यधिक तापमान के प्रति संवेदनशीलता: बढ़ता तापमान, जैसे- 21 अप्रैल को दिल्ली का 41.3°C, बाह्य श्रमिकों की जलवायु के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करता है।
  • अर्बन हीटलैंड: अर्बन हीटलैंड प्रभाव – जहाँ शहर ग्रामीण परिवेश की तुलना में अधिक गर्म होते हैं – विक्रेताओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम को बढ़ाता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी खतरे: गर्मी के संपर्क में आने से हीटस्ट्रोक, निर्जलीकरण और हृदय संबंधी तनाव जैसे जोखिम उत्पन्न होते हैं।
  • अत्यधिक तापमान का जोखिम: दिल्ली में 2024 में 50 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया – जिससे बाह्य श्रमिकों की जलवायु भेद्यता पर चिंता बढ़ गई। ज़ोमैटो डिलीवरी एजेंट जैसे- गिग वर्कर निर्दिष्ट कार्यस्थलों की कमी के कारण इसी प्रकार के मौसम की चरम स्थितियों से जूझते हैं।
  • नीति में अदृश्य: भीषण गर्मी के बावजूद, यह मुद्दा मुख्यधारा की नीतिगत चर्चाओं से गायब है। स्ट्रीट वेंडर बिना किसी सुरक्षा या राहत उपायों के धूप में काम करना जारी रखते हैं।
  • बढ़ते स्वास्थ्य खतरे: 2024 की गर्मियों में, भारत में हीट स्ट्रोक के 40,000 से अधिक मामले और 100 से अधिक गर्मी से संबंधित मौतें थी। देश के लगभग 40% हिस्से में सामान्य से दुगुनी मात्रा में हीटवेव का अनुभव होगा। ये स्थितियाँ पूरी तरह से बाहर कार्य करने वाले लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य निहितार्थ हैं

स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम, 2014

  • विधिक संरक्षण: सड़क विक्रेताओं की आजीविका की रक्षा करने और बिना किसी उत्पीड़न के फुटपाथ पर विक्रय की अनुमति देने के लिए अधिनियमित किया गया। यह अधिनियम बाधा” या अतिक्रमणकर्ता” जैसे लेबल को खारिज करता है और उनकी आजीविका के अधिकार की पुष्टि करता है।
  • स्वशासन के लिए पंजीकरण प्रणाली और स्थानीय प्रबंधन ढाँचा।
  • अधिदेश: प्रत्येक पाँच वर्ष में सर्वेक्षण, सभी चिह्नित विक्रेताओं को निर्दिष्ट विक्रय क्षेत्रों में स्थान प्रदान करना।
  • कार्यान्वयन में कमी: अपने वादे के बावजूद, अधिनियम का कार्यान्वयन ठीक से नहीं हो पाया है। विक्रेताओं में जागरूकता की कमी है,,सर्वेक्षण शायद ही कभी आयोजित किए जाते हैं। विक्रेताओं के पास अभी भी निम्नलिखित सुविधाओं का अभाव है: निश्चित विक्रय स्थल, पेयजल, स्वच्छता और आश्रय।

आगे की राह

  • प्रभावी कार्यान्वयन: स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग विनियमन) अधिनियम, 2014 जलवायु संबंधी चुनौतियों के खिलाफ सुरक्षा उपायों सहित एक सुरक्षात्मक ढाँचा प्रदान करता है।
    • हालाँकि, कार्यान्वयन में अंतराल इसके प्रभाव को कमजोर कर रहा है।
  • आवश्यक कदम: समय पर सर्वेक्षण आयोजित करना, समावेशी विक्रय क्षेत्र बनाना, विक्रेताओं को अधिनियम के तहत उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाना आदि।
  • शहरी नियोजन प्रथाओं में सुधार: शहरी नियोजन को बहिष्कारवादी दृष्टिकोण से हटकर ऐसे मॉडलों की ओर स्थानांतरित करना होगा, जो सड़क विक्रेताओं के आर्थिक और सामाजिक योगदान को मान्यता प्रदान करें।
    • उनके अनुकूलन और सामर्थ्य से समझौता किए बिना, उन्हें औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था में एकीकृत करना।
  • स्थानीय सरकार के उत्तरदायित्व: स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, छायादार वेंडिंग क्षेत्र, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली तक पहुँच आदि सुनिश्चित करना।
  • सहभागी शासन: विक्रय अधिकारों और विवाद समाधान तंत्र के लिए स्पष्ट, समावेशी और सहभागी दिशा-निर्देश विकसित करें।
  • अंतःविषयक दृष्टिकोण: औपचारिकता के प्रयासों को जाति, वर्ग, लिंग और जलवायु संबंधी कमजोरियाँ के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
  • विक्रेताओं को सशक्त बनाना: नागरिक समाज, श्रमिक संघों और जमीनी स्तर के संगठनों को सड़क विक्रेताओं को संगठित करना चाहिए, उन्हें शहर में उनके अधिकार का दावा करने में मदद करनी चाहिए तथा समावेशी शहरी प्रशासन की वकालत करनी चाहिए।

निष्कर्ष

वास्तविक नगरीय समानता के लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है, जहाँ स्ट्रीट वेंडर्स को न केवल सुविधा दी जाए, बल्कि उन्हें अनुकूल और न्यायपूर्ण शहरों को आकार देने में वैध हितधारकों के रूप में सशक्त बनाया जाए।

मुख्य परीक्षा अभ्यास हेतु अभ्यास प्रश्न 

शहरी तापमान में वृद्धि के मद्देनजर, स्ट्रीट वेंडर्स जैसे अनौपचारिक श्रमिकों को किन सामाजिक-आर्थिक समस्याओं  का सामना करना पड़ रहा है? अंतर-क्षेत्रीय शासन उनकी कार्य स्थितियों में किस प्रकार सुधार ला सकता है तथा  जलवायु जोखिमों को कम कर सकता है?

(15 अंक, 250 शब्द)

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