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मीडिया: जनमत को आकार देने वाला लोकतंत्र का महत्त्वपूर्ण स्तंभ

Lokesh Pal April 30, 2025 05:30 12 0

संदर्भ:

रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-गाजा संकट जैसे चल रहे वैश्विक संघर्षों के बीच, मीडिया सार्वजनिक अवधारणा या विचार को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।

वैश्विक वैचारिक संघर्ष

  • युद्ध एक प्रमुख भाषा: समकालीन वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरताओं से ग्रस्त है, जो चल रहे युद्धों और संभावित भावी संघर्षों दोनों से उत्पन्न होती है।
    • युद्ध पुनः राज्यों के बीच संचार के प्रमुख माध्यम के रूप में उभर आया है तथा कई मामलों में इसने कूटनीति का स्थान ले लिया है।
    • उदाहरण के लिए, पाकिस्तान के मंत्री हनीफ अब्बासी ने हाल ही में भारत को पूर्ण युद्ध” (full-scale war) की धमकी दी और परमाणु जवाबी हमले का आह्वान किया, जो दर्शाता है कि किस तरह आक्रामक बयानबाजी सामान्य घटना बनती जा रही है।
  • दक्षिणपंथी राजनीति का उदय: कई क्षेत्रों में दक्षिणपंथी विचारधाराएँ प्रमुखता प्राप्त कर रही हैं। समावेशिता से वैश्विक स्तर पर पीछे हटने की प्रवृत्ति है तथा पारंपरिक धार्मिक विश्वास प्रणालियों की ओर लौटने का आह्वान किया जा रहा है।
  • ध्रुवीकृत वैश्विक संघर्ष: विश्व विपरीत विचारधाराओं के कारण विभाजित है:
    • इजराइल बनाम फिलिस्तीन;
    • रूस बनाम यूक्रेन;
    • ये संघर्ष पूरे विश्व में राजनीतिक और भावनात्मक दोनों तरह की तीव्र चिंताएँ पैदा करते हैं।
  • विविध वैश्विक संघर्ष: जातीय संघर्ष, कुपोषण और गरीबी से लेकर मोटापा, बाढ़ और सूखे तक गहरी असमानताओं की एक ऐसी दुनिया को उजागर करते हैं, जहाँ प्रत्येक संकट को मीडिया कहानियों और क्षेत्रीय वास्तविकताओं द्वारा आकार दिया जाता है।

मीडिया का महत्त्व

  • आम सहमति निर्मित करना: मीडिया व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामूहिक राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि, प्रायः मुख्य जानकारी बहुमत के दृष्टिकोण से प्रेरित होती है, जिससे असहमति के बिंदु हाशिए पर चले जाते हैं।
  • मीडिया का प्रभाव: मीडिया सिर्फ़ तथ्य ही नहीं बताता, बल्कि यह भावना, तर्क और परिप्रेक्ष्य भी जोड़ता हैटेलीविज़न एंकर तथ्यों में चिंता, गुस्सा जैसे हाव-भावों का प्रदर्शन करते हैं, जिससे दर्शकों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    • दर्शक वही बन जाता है जो वह देखता है तथा सोशल मीडिया पर विचारों के प्रवाह में शामिल होता है।
  • इको चैंबर: एक अत्यधिक जुड़े हुए समाज में मीडिया से अलग होना, तत्काल चिंताओं पर केंद्रित एक काल्पनिक विश्व का अनुकरण करता है। लेकिन वास्तव में, मीडिया विचारों को सृजित करता है, अक्सर उन जगहों पर विचार बनाता है जहाँ पहले कोई मौजूद नहीं था।
  • धारणाओं को नकरात्मक रूप से परिवर्तित करना: कई मामलों में, यह धारणाओं को नकारात्मक रूप से परिवर्तित भी कर सकता है, जिससे व्यक्ति ऐसे विचार अपना सकता है जो सभ्य समाज के आदर्शों के अनुरूप नहीं होते।
  • मास और माइक्रो मीडिया की भूमिका: टेलीविजन, प्रिंट और रेडियो सहित प्राथमिक मास मीडिया मुख्यधारा के विमर्श को आकार देती है।
  • सहायता प्राप्त: इन्हें द्वितीयक कैस्केड माध्यमों द्वारा सहायता प्राप्त होती है, जैसे कि माइक्रो सोशल मीडिया फीड, जो दृष्टिकोणों को और अधिक परिष्कृत, विस्तारित या विकृत करते हैं।
    • दृष्टिकोणों के निर्माण के लिए कोई परिपूर्ण विधि” नहीं है, व्यक्तिपरकता और यादृच्छिकता अंतर्निहित है।
  • पहचान का निर्माण: किसी भी मुद्दे पर आप जो दृष्टिकोण बनाते हैं, वह धीरे -धीरे आप बन जाते हैं। विचार, जिन्हें चुनौती नहीं दी जाती, तो कठोर विश्वासों में बदल जाते हैं।
    • ये कठोर विश्वास, यदि अनियंत्रित छोड़ दिए जाएँ तो वैचारिक अवरोधों में बदल जाते हैं।
  • मीडियावाद’ (Mediaism) का उदय: मीडियावाद’ वर्तमान में एक नवीन विश्वास या विचार है।
    • जिस तरह धर्म लोगों को जोड़ता है, उसी प्रकार मीडिया भी लोगों को जोड़ने में सहायता करता है, जिसकी तुलना यहाँ अंतराल से की गई है। मीडिया हमारी पहचान को आकार देता है, आधुनिक अस्तित्व के ‘आप’ और ‘मैं’ का निर्माण करता है।
  • अचेतन रूप से विचारों का निर्माण: 
    • समसामयिक राष्ट्रीय या व्यक्तिगत मुद्दों पर आपके विचार किस प्रकार निर्मित हुए?
    • क्या आप किसी विशेष माध्यम से इसके संपर्क में आए थे ?
    • क्या यह पहले सुनी, पढ़ी या देखी गई किसी बात का भाग या संदर्भ था?
    • क्या यह किसी व्यक्ति, समाचार एंकर, पूर्वाग्रह या बचपन के अनुभवों से प्रभावित था?

निष्कर्ष

चाहे हम स्वीकार करें या न करें, हम सभी मीडिया के अनुयायी हैं। यह आधुनिक समय की विश्वास प्रणाली केवल सूचना उपभोग के बारे में नहीं है, बल्कि इस बारे में है कि मीडिया किस तरह वास्तविकता का निर्माण करता है। यह पहले से ही हमारे साथ है और संभवतः भविष्य में लंबे समय तक रहेगा।

मुख्य परीक्षा अभ्यास हेतु अभ्यास प्रश्न

“आज मीडिया केवल तथ्य प्रस्तुत नहीं करता, बल्कि चुनिंदा सूचनाओं के माध्यम से जनमत को आकार देता है।”

समकालीन भारत में राजनीतिक और सामाजिक विचारों को आकार देने में मीडिया के प्रभाव की आलोचनात्मक जाँच कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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