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भारत में गिग अर्थव्यवस्था तथा गिग श्रमिकों की कठोर वास्तविकता

Lokesh Pal May 05, 2025 05:30 16 0

संदर्भ:

भारत की गिग अर्थव्यवस्था शहरीकरण और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के कारण तीव्र गति से बढ़ रही है। हालाँकि इसे अर्थव्यवस्था को अनुकूल और सशक्त बनाने वाला बताया जाता है, लेकिन इसका अर्थ प्रायः कम वेतन, लंबे कार्य के घंटे और सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है, मुख्य रूप से भारत के वृहद अनौपचारिक कार्यबल के लिए

गिग श्रमिक (वर्कर)

ये वे व्यक्ति हैं, जो गिग अर्थव्यवस्था में कार्यरत हैं तथा पारंपरिक पूर्णकालिक भूमिकाओं की बजाय अस्थायी या लचीली नौकरियाँ (temporary or flexible jobs) करते हैं।

 

गिग इकॉनमी: एक तेजी से बढ़ता किन्तु अनिश्चित क्षेत्र

  • बढ़ता कार्यबल: भारत की गिग अर्थव्यवस्था में 2025 तक 12 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोज़गार मिलने की उम्मीद है, जिसमें शहरीकरण और डिजिटलीकरण से वृद्धि होगी।
  • स्वायत्तता का भ्रम: लचीलेपन और स्वायत्तता की पेशकश के रूप में प्रचारित, गिग कार्य वास्तव में लंबे समय तक कार्य करने, कम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का स्रोत बन गया है।
  • अनौपचारिकता का जाल: ये प्लेटफॉर्म सशक्तीकरण का वादा करते हैं, लेकिन श्रमिकों को अनौपचारिक, अनियमित और असुरक्षित नौकरियों में फँसा देते हैं

वित्तीय असुरक्षा और कठोर कार्य स्थितियाँ

  • निम्न आय: गिग श्रमिक प्रति माह ₹15,000-₹20,000 कमाते हैं (फेयरवर्क इंडिया- 2023), जो घंटों को समायोजित करने पर प्रायः न्यूनतम मज़दूरी से कम होता है
  • विस्तारित कार्य घंटे: अधिकांश लोग अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिदिन 10-12 घंटे, सप्ताह में छह से सात दिन कार्य करते हैं।
  • रोज़गार लाभों की कमी: इसके विपरीत, औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में सवेतन अवकाश, कम कार्य घंटे और सेवानिवृत्ति योजनाएँ जैसे लाभ मिलते हैं।

सामाजिक सुरक्षा का अभाव

  • स्वतंत्र नियोक्ता (ठेकेदार) लेबल: गिग श्रमिकों को स्वतंत्र नियोक्तालेबल दिया जाता है, जिससे उन्हें भविष्य निधि, स्वास्थ्य बीमा या पेंशन से वंचित किया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की चेतावनी: ILO (2024) ने सामाजिक सुरक्षा अंतरालकी चेतावनी दी है – जिसमें भारत के गिग श्रमिक सबसे अधिक उजागर हैं।
  • शून्य कोष जोखिम: एक औपचारिक कर्मचारी ₹50-60 लाख के कोष के साथ सेवानिवृत्त हो सकता है, गिग श्रमिकों को कुछ भी नहीं लेकर सेवानिवृत्त होने का जोखिम होता है
  • भावी जोखिम: चूँकि 2050 तक जीवन प्रत्याशा 75 वर्ष तक बढ़ जाएगी, इसलिए यह अंतर भविष्य में गंभीर जोखिम उत्पन्न करेगा।

कौशल विकास का अभाव

  • दोहरावपूर्ण, निरर्थक कार्य: गिग कार्य दोहरावपूर्ण होता है और इसमें करियर विकास या कौशल अधिग्रहण के अवसरों का अभाव होता है।
  • अपस्किलिंग संकट: केवल 5% गिग श्रमिक ही हस्तांतरणीय कौशल प्राप्त करते हैं, जबकि आईटी और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में यह आँकड़ा 40% है (विश्व बैंक, 2023)।
  • महत्त्वाकांक्षा में बाधा: कौशल उन्नयन के बिना, गिग श्रमिक कुशल औपचारिक कार्यबल से बाहर रह जाएंगे, जिससे भारत के $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को खतरा होगा।

दीर्घकालिक राजकोषीय और सामाजिक भार

  • बढ़ती संख्या: 2055 तक गिग कार्यबल 50 मिलियन तक बढ़ सकता है।
  • सेवानिवृत्ति सुरक्षा नहीं: बचत या पेंशन के बिना, ये श्रमिक बुढ़ापे में राज्य कल्याण पर निर्भर रहेंगे।
  • भारी कल्याण लागत: ₹ 10,000/माह की दर से, 50 मिलियन लोगों के लिए सहायता पर प्रतिवर्ष ₹6 लाख करोड़ व्यय होंगे, जो 2025 के सामाजिक कल्याण बजट का 3 गुना है
  • सरकारी दबाव: इससे सरकार पर भारी राजकोषीय दबाव पड़ेगा, विशेष रूप से सिकुड़ते औपचारिक कर आधार के कारण।

अपर्याप्त नीति प्रतिक्रिया

  • कानून का गैर-अनुपालन: सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) ने प्लेटफॉर्म योगदान को अनिवार्य कर दिया – लेकिन केवल 15% प्लेटफॉर्म इसका अनुपालन करते हैं (2024 ऑडिट)।
  • प्रवर्तन का अभाव: कमजोर प्रवर्तन और अस्पष्ट परिचालन मानदंड प्रगति में बाधा डालते हैं।
  • स्पेन का उदाहरण: स्पेन (2021) जैसे देश गिग श्रमिकों को कर्मचारियों के रूप में पुनर्वर्गीकृत करके एक महत्त्वपूर्ण मॉडल पेश करते हैं – भारत द्वारा इसका अनुसरण किया जाना चाहिए।

समाधान तथा आगे की राह

  • प्लेटफॉर्म जवाबदेही को अनिवार्य बनाना: गिग प्लेटफॉर्म्स से सामाजिक सुरक्षा योगदान को लागू करना।
  • कौशल विकास को बढ़ावा देना: गिग श्रमिकों के लिए कौशल उन्नयन और औपचारिक क्षेत्र में प्रवेश को प्रोत्साहित करना।
  • दीर्घकालिक सहायता प्रणालियों का निर्माण: भविष्य में आर्थिक नुकसान से बचने के लिए एक स्थायी कल्याणकारी ढाँचा विकसित करें।
  • संरचनात्मक परिवर्तन की स्वीकृति: गिग कार्य को एक स्थायी रोज़गार प्रतिरूप के रूप में पहचानें, न कि एक अस्थायी चरण के रूप में।

निष्कर्ष

तत्काल सुधारों के बिना, गिग श्रमिक एक कमजोर वृद्ध कार्यबल बना सकते हैं, जिससे राज्य पर राजकोषीय दबाव बढ़ सकता है। भारत को गिग वर्क को सतत और समावेशी बनाने के लिए सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास तथा इसका औपचारिक एकीकरण सुनिश्चित करना चाहिए

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

2024 की नीति आयोग की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है, कि 90% गिग श्रमिकों के पास बचत की कमी है, जिससे वे आपात स्थितियों के प्रति असुरक्षित हैं। इस संदर्भ में, गिग श्रमिकों के लिए भारत के वर्तमान सामाजिक सुरक्षा ढाँचे की पर्याप्तता की जाँच कीजिए। उनका वित्तीय समावेशन और दीर्घकालिक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कौन-से सुधार आवश्यक हैं?

(15 अंक, 250 शब्द)

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