हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के 7वें संस्करण का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया एवं यह बिहार के पाँच शहरों- पटना, राजगीर, गया, भागलपुर तथा बेगूसराय में आयोजित किया जा रहा है।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG)
यह केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा खेलो इंडिया योजना के तहत आयोजित एक प्रमुख वार्षिक बहु-विषयक खेल आयोजन है।
उद्देश्य: यह पूरे देश से अंडर-17 एवं अंडर-21 स्तरों पर उभरती हुई खेल प्रतिभाओं को पोषित करने तथा प्रदर्शित करने के लिए भारत के सबसे बड़े मंच के रूप में कार्य करता है।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 – बिहार संस्करण की मुख्य विशेषताएँ
प्रतीक चिह्न: इसमें महाबोधि मंदिर, पीपल का पेड़, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, गंगा डॉल्फिन एवं अशोक चक्र जैसे तत्त्व शामिल हैं।
शुभंकर: गजसिंह।
प्राचीन पाल युग के मंदिर की मूर्तियों से प्रेरित शेर एवं हाथी का एक पौराणिक मिश्रण।
स्लोगन: “खेल के रंग, बिहार के संग!”
इस संस्करण में पहली बार ई-स्पोर्ट्स की शुरुआत की गई है।
अंगोला
अंगोला के राष्ट्रपति ने भारतीय व्यवसायों को अंगोला में व्यापार अवसरों का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया।
अंगोला के बारे में
दक्षिणी अफ्रीका के पश्चिम-मध्य तट पर अवस्थित है।
अंगोला दक्षिणी एवं पूर्वी गोलार्द्ध में अवस्थित है।
सीमाएँ: इसकी सीमाएँ निम्नलिखित देशों से सलग्न हैं।
उत्तर: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य।
दक्षिण: नामीबिया।
पूर्व: जांबिया।
पश्चिम: अटलांटिक महासागर।
अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु
राजधानी एवं सबसे बड़ा शहर: लुआंडा।
संस्कृति एवं भाषा
भाषा एवं धर्म (कैथोलिक धर्म) में पुर्तगाली प्रभाव की अधिकता है।
आधिकारिक भाषा: पुर्तगाली।
माउंट मोको अंगोला का सबसे ऊँचा स्थान (8,596 फीट) है।
जल का सबसे बड़ा स्रोत: लुकाला नदी पर कैलंडुला जलप्रपात (जिसे कैलंडुला फॉल्स के नाम से भी जाना जाता है)।
मुख्य नदियाँ
क्वांगो नदी: कांगो नदी की सहायक नदी है।
कुआंजा नदी: अंगोला की सबसे लंबी नदी (1,000 किलोमीटर) पश्चिम में अटलांटिक में प्रवाहित होती है।
क्यूनेन नदी: नामीबिया के साथ सीमा बनाती है, रुआकाना फॉल्स से होकर बहती है।
जाम्बेजी नदी: सुदूर पूर्वी क्षेत्र को पार करती है।
दक्षिण-पूर्वी नदियाँ बोत्सवाना में ओकावांगो को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करती हैं।
खनन क्षेत्र: अंगोला में एक मजबूत खनन उद्योग है एवं यह अफ्रीका में हीरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
ECINET
भारत निर्वाचन आयोग मतदाताओं एवं उसके अन्य हितधारकों के लिए ECINET नामक एक नया यूजर फ्रैंडली डिजिटल इंटरफेस विकसित कर रहा है।
ECINET के बारे में
वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म: ECINET एक एकीकृत डिजिटल इंटरफेस है, जिसे भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा मतदाताओं, चुनाव अधिकारियों, राजनीतिक दलों एवं नागरिक समाज के लिए विकसित किया जा रहा है।
40 से अधिक ऐप्स का एकीकरण: यह वोटर हेल्पलाइन ऐप, cVIGIL, सुविधा 2.0, ESMS, सक्षम एवं KYC ऐप जैसे 40 से अधिक मौजूदा मोबाइल तथा वेब ऐप को एकीकृत एवं प्रतिस्थापित करेगा।
सटीक एवं अधिकृत डेटा प्रविष्टि: सटीकता सुनिश्चित करने के लिए केवल अधिकृत ECI अधिकारी ही ECINET पर डेटा दर्ज कर सकते हैं।
व्यापक लाभार्थी आधार: लगभग 100 करोड़ मतदाताओं एवं BLO, BLA, मतदान अधिकारियों, AERO, ERO तथा DEO सहित संपूर्ण निर्वाचन कार्यबल को सेवा मिलने की संभावना है।
क्रॉस-डिवाइस कॉम्पैक्टविलिटी : प्लेटफॉर्म कंप्यूटर एवं स्मार्टफोन दोनों पर सुलभ होगा।
कानूनी अनुपालन: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (1950, 1951), प्रासंगिक चुनावी नियमों (1960, 1961) एवं ECI द्वारा जारी निर्देशों के साथ पूरी तरह से संरेखित है।
‘एजिंग विद डिग्निटी’ कार्यक्रम
भारत के राष्ट्रपति ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए ‘एजिंग विद डिग्निटी’ कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रमुख पहलों की शुरुआत की।
‘एजिंग विद डिग्निटी’ के बारे में
नोडल मंत्रालय: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय।
प्रमुख पहल
वरिष्ठ नागरिक कल्याण पोर्टल: बुजुर्ग नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए डिजाइन किया गया एक यूजर फ्रैंडली डिजिटल प्लेटफॉर्म।
यह सरकारी योजनाओं, स्वास्थ्य सेवा लाभों, कल्याण सेवाओं एवं प्रासंगिक अपडेट तक सहज पहुँच प्रदान करता है।
वरिष्ठ नागरिक गृह: माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण तथा कल्याण (MWPSC) अधिनियम के साथ संरेखित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय कार्यक्रम के तहत पाँच राज्यों में उद्घाटन किया गया।
ब्रह्म कुमारियों के साथ समझौता ज्ञापन: बुजुर्गों में मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक संतुलन, एवं आध्यात्मिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोगात्मक प्रयास।
इस पहल का उद्देश्य अंतर-पीढ़ीगत बंधनों को मजबूत करना है।
मिथ्रिडेटिज्म
एक अमेरिकी व्यक्ति टिमोथी फ्रिडे ने स्वयं को प्रतिरक्षित करने के प्रयास में 18 वर्षों में स्वेच्छा से 200 से अधिक सर्पदंश एवं 700 वेनम (विष) इंजेक्शन लगवाए हैं।
मिथ्रिडेटिज्म के बारे में:
परिभाषा: मिथ्रिडेटिज्म एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी विष के प्रति स्वयं को बचाने के लिए नियमित रूप से उसकी छोटी, गैर-घातक खुराक ली जाती है।
ऐतिहासिक उत्पत्ति: इस शब्द का नाम पोंटस के राजा मिथ्रिडेट्स VI (135-63 ईसा पूर्व) के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने विभिन्न विषों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए इस पद्धति का प्रयोग किया था।
आधुनिक प्रासंगिकता: वर्तमान में यह विधि काफी हद तक अप्रचलित हो गई है, क्योंकि टीकों जैसे सुरक्षित, अधिक प्रभावी वैज्ञानिक तरीकों का विकास हो गया है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित तरीके से प्रशिक्षित करते हैं।
वैज्ञानिक सफलता: शोधकर्ताओं ने पाया है कि टिमोथी फ्रिडे के रक्त में एंटीबॉडी एवं एक अन्य दवा का संयोजन चूहों को 13 प्रकार के विषों से बचा सकता है।
महत्त्व: यह खोज व्यापक रूप से निष्प्रभावी एंटीबॉडी विकसित करने की दिशा में प्रगति को दर्शाती है, जो उपचार संभावित रूप से लोगों को साँपों के विभिन्न प्रकार के विष से बचा सकते हैं।
त्रिशूर पूरम
केरल के त्रिशूर में त्रिशूर पूरम उत्सव में आतिशबाजी के नियमों में ढील दी गई।
त्रिशूर पूरम के बारे में
यह उत्सव मलयालम महीने मेदम (अप्रैल-मई) में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
“सभी पूरमों की माँ” के रूप में जाना जाता है, यह केरल के सबसे बड़े एवं सबसे जीवंत मंदिर उत्सवों में से एक है।
ऐतिहासिक उत्पत्ति
स्थापना: राजा राम वर्मा (सक्तन थंपुरन), कोचीन के महाराजा (1790-1805) द्वारा।
कारण: अरट्टुपुझा पूरम में कुछ मंदिरों को बाहर करने के बाद क्षेत्रीय मंदिरों को एकीकृत करने के लिए, त्रिशूरपूरम ने अरट्टुपुझा को प्रमुख त्योहार के रूप में बदल दिया।
रम्माण महोत्सव
हाल ही में उत्तराखंड का पारंपरिक त्योहार, रम्माण, ज्योतिर्मठ के सालूर डूंगरा गाँव में मनाया जाता है।
रम्माण महोत्सव के बारे में
रम्माण उत्तराखंड के चमोली जिले की पैनखंडा घाटी में स्थित सलूर-डुंगरा गाँव में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक धार्मिक अनुष्ठान थिएटर महोत्सव है।
यह त्योहार स्थानीय संरक्षक देवता भूमियाल देवता को समर्पित है।
यूनेस्को मान्यता: वर्ष 2009 में, रम्माण को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था।
सांस्कृतिक विशेषताएँ
इसमें नकाबपोश नृत्य प्रदर्शन शामिल हैं, जो रामायण के प्रसंगों सहित पौराणिक कहानियों को दर्शाते हैं।
सामुदायिक आधारित अनुष्ठान, थिएटर प्रारूप में मौखिक एवं लिखित आख्यान, संगीत तथा नृत्य का मिश्रण।
सभी प्रकार के कौशल गायन, ढोल वादन और नृत्यकला सहित मौखिक रूप से प्रायः वंशानुगत माध्यम से प्राप्त होते हैं।
सामुदायिक भागीदारी: यह त्योहार पूरी तरह से ग्रामीणों द्वारा आयोजित किया जाता है।
प्रत्येक जाति एवं व्यावसायिक समूह की एक अलग भूमिका होती है (जैसे- कलाकार, पुजारी, ढोल वादक), जो पारंपरिक गाँव की सामाजिक संरचना को दर्शाता है।
यह सांस्कृतिक प्रथाओं में स्थानीय स्वशासन का एक मजबूत उदाहरण है।
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