100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में सोशल मीडिया और डिजिटल प्रभाव: एक दोधारी तलवार के रूप में

Lokesh Pal May 07, 2025 05:15 13 0

संदर्भ:

जैसे-जैसे डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार हो रहा है, भारत को गलत सूचना और नकारात्मक प्रभाव के विरुद्ध बढ़ते प्रभाव का सामना करना पड़ रहा है। जबकि सोशल मीडिया सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है, यह प्रायः अनियंत्रित सामग्री को बढ़ावा देता है, जिससे उपभोक्ताओं और नियामकों दोनों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।

डिजिटल प्रभाव/इन्फ़लुएंस: मुख्य बिंदु

  • गलत सूचना और नकारात्मक प्रभाव का बढ़ता संकट: डिजिटल कनेक्टिविटी के विस्तार के बीच भारत को गलत सूचना और नकारात्मक प्रभाव के बढ़ते संकट का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोशल मीडिया – महत्त्वपूर्ण संचार बनाम अनियंत्रित सामग्री: सोशल मीडिया महत्त्वपूर्ण संचार को सक्षम बनाता है, लेकिन अनियंत्रित और अनावश्यक सनसनीखेज सामग्री को भी बढ़ाता है।
  • डी-इन्फ्लुएंसिंग – सचेत उपभोग या सनसनी को बढ़ावा देना: डी-इन्फ्लुएंसिंग, सचेत उपभोग को बढ़ावा देते हुए, प्रायः क्लिकबेट रणनीति पर निर्भर करता है।

संबंधित चुनौतियाँ

  • सुभेद्यता विस्तार: WEF वैश्विक जोखिम रिपोर्ट-2024 में भारत को AI-जनित गलत सूचना के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बताया गया है।
    • नियामक दिशा-निर्देश बनाम गलत सूचना का बढ़ता प्रचलन: नियामक दिशा-निर्देशों (उपभोक्ता मामले मंत्रालय, ASCI, सेबी) के बावजूद भ्रामक सामग्री -विशेष रूप से स्वास्थ्य के क्षेत्र में – का प्रचलन जारी है।
    • क्लिकबेट और अर्द्ध-सत्य के माध्यम से वायरलिटी: क्लिकबेट और अर्द्ध-सत्य (half-truths) वायरलिटी के लिए सामान्य रणनीति हैं।
  • कानूनी ढाँचा और नैतिक अंतराल: भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) के दिशा-निर्देश, हालाँकि गैर-बाध्यकारी हैं, उल्लंघन के लिए दंड के साथ नैतिक मानक निर्धारित करते हैं।
    • कानूनी सीमाएँ – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सार्वजनिक सुरक्षा: अनुच्छेद 19(1)(a) वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) सार्वजनिक सुरक्षा और नैतिकता के लिए प्रतिबंध की अनुमति देता है।
    • भ्रामक सामग्री के विरुद्ध कानून: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 और ई-कॉमर्स नियम जैसे कानून भ्रामक सामग्री से निपटते हैं।
  • अस्पष्ट रेखाएँ (तथ्य बनाम मिथ्या) प्रभावशाली सामग्री प्रायः चयनात्मक डेटा, भावनात्मक अपील और गलत व्याख्या किए गए अध्ययनों का उपयोग करती है।
    • क्लिकबेट रुझान (सार्वजनिक चर्चा को विकृत करना): क्लिकबेट रुझान (जैसे- “लिवर डिटॉक्स वॉटर”) सार्वजनिक चर्चा को विकृत करते हैं और तथ्य-जाँच से आगे निकल जाते हैं।

आवश्यक समाधान

  • पारदर्शिता और प्रयोजन की आवश्यकता: प्रभावित करने वाले का प्रयोजन जरूरी होता है: ईमानदार आलोचना बनाम वाणिज्यिक बदनामी।
    • स्वास्थ्य सामग्री – उच्च मानकों की आवश्यकता: स्वास्थ्य सामग्री उच्च मानकों और योग्य स्रोतों की माँग करती है।
    • भ्रामक स्वास्थ्य दावों पर मानहानि: न्यायपालिका ने भ्रामक स्वास्थ्य दावों के खिलाफ मानहानि कानूनों को बरकरार रखा है।
  • कठोर विनियमन और कानूनी निगरानी: “फिनफ्लुएंसर्स” पर सेबी के प्रतिबंधों का उद्देश्य अनधिकृत वित्तीय सलाह पर अंकुश लगाना है।
    • न्यायालय के निर्णय – दावा सत्यापन और स्वास्थ्य समर्थन: न्यायालय दावा सत्यापन पर बल देते हैं, विशेष रूप से स्वास्थ्य समर्थन के लिए।
      • दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय ने इस बात की पुष्टि की, कि स्वास्थ्य संबंधी भ्रामक दावों के मामले में वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है।
  • उत्तरदायी प्रभाव (इन्फ़लुएंस) की ओर: प्रभावित करने वालों को जिम्मेदारी के साथ विश्वास को संतुलित करना चाहिए – दुरुपयोग से विश्वसनीयता और ब्रांड छवि दोनों को नुकसान पहुँचता है।
    • नैतिक सामग्री निर्माण के लिए प्रस्तावित समाधान:
      • स्वास्थ्य प्रभावितों के लिए पंजीकरण प्रणाली
      • सतत निगरानी और क्रेडेंशियल प्रकटीकरण
      • विधिक विनियमन के साथ-साथ मजबूत नैतिक मानक
    • सार्वजनिक हित की सुरक्षा:
      • उपभोक्ता शिक्षा में निवेश करना चाहिए।
      • प्लेटफॉर्म्स और विनियामकों को कठोर सामग्री जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।
      • कानूनी, नैतिक और प्रणालीगत जाँच तीनों आवश्यक है।

निष्कर्ष

गलत सूचना से निपटने के लिए, भारत को कठोर नियम लागू करने होंगे, प्रभावशाली लोगों के लिए जवाबदेही और पारदर्शी सामग्री सुनिश्चित करनी होगी। विधिक निगरानी और नैतिक मानकों की एक मज़बूत प्रणाली, मुख्य रूप से स्वास्थ्य संबंधी सलाह में, सार्वजनिक हितों तथा उपभोक्ताओं की सुरक्षा करेगी।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में गलत सूचनाओं के बढ़ते जोखिम के संदर्भ में, डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रभावशाली लोगों को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढाँचों की जाँच कीजिए। गलत सूचनाओं को रोकने और उपभोक्ता हितों की रक्षा करने में, ये उपाय कितने प्रभावी हैं?

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.