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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal May 10, 2025 02:21 12 0

‘मैच्योरिटी ऑनसेट डायबिटीज ऑफ द यंग’ (Maturity-Onset Diabetes of the Young-MODY) 

मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन, चेन्नई एवं वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों ने MODY का एक नया, पहला अज्ञात प्रकार खोजा है। 

MODY क्या है?

  • MODY का अर्थ है:- मैच्योरिटी ऑनसेट डायबिटीज ऑफ द यंग (Maturity-Onset Diabetes of the Young)।
  • यह एक प्रकार का मोनोजेनिक मधुमेह है, जो मधुमेह का एक दुर्लभ, वंशानुगत रूप है।
  • यह आमतौर पर किशोरों और युवा वयस्कों में दिखाई देता है।
  • एक ही जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है। 
  • पैटर्न: यह ऑटोसोमल डोमिनेंट वंशानुक्रम (एक आनुवंशिक वंशानुक्रम पैटर्न, जिसमें एक माता-पिता के एक परिवर्तित जीन के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है) का अनुसरण करता है। 
  • अब तक MODY के 13 उप-प्रकार ज्ञात थे, यह उनमें से एक नया खोजा गया है।
  • यह महत्त्वपूर्ण क्यों है? 
    • यह पहली बार है, जब वैज्ञानिकों ने MODY रोगियों में जन्मजात हाइपरइंसुलिनिज्म (उच्च इंसुलिन) से मधुमेह में बदलाव देखा है।
    • यह इस प्रकार के मधुमेह को समझने एवं उसका इलाज करने के तरीके को बदल देता है।

इस नए MODY को क्या अलग बनाता है? 

  • वैज्ञानिकों ने ABCC8 नामक जीन को का अध्ययन किया। यह जीन इंसुलिन के स्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • उन्होंने इस जीन में ‘कार्यक्षमता में कमी’ (Loss of Function- LOF) उत्परिवर्तन पाया। इसका मतलब है कि जीन उतनी अच्छी तरह से कार्य नहीं करता जितना उसे करना चाहिए।

‘जलवायु वर्गीकरण’ दस्तावेज

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने ‘भारत के जलवायु वित्त वर्गीकरण की रूपरेखा’ (Framework of India’s Climate Finance Taxonomy) नामक एक मसौदा दस्तावेज सार्वजनिक किया है।

जलवायु वित्त वर्गीकरण क्या है?

  • जलवायु वित्त वर्गीकरण एक ऐसी प्रणाली है, जो आर्थिक गतिविधियों को संधारणीय निवेश के रूप में वर्गीकृत करती है।
  • यह निवेशकों एवं बैंकों को जलवायु परिवर्तन से निपटने वाली प्रभावशाली परियोजनाओं में धन का निवेश करने के लिए मार्गदर्शन करती है।

भारत का जलवायु वित्त वर्गीकरण

  • भारत की पहल यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, सिंगापुर, हांगकांग, कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ वैश्विक प्रवृत्ति का हिस्सा है।
  • उद्देश्य
    • इसका उद्देश्य स्वच्छ-ऊर्जा परियोजनाओं एवं जलवायु-लचीले बुनियादी ढाँचे की ओर निवेश को निर्देशित करना है।
    • यह भारत के जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों एवं संक्रमण रणनीति के साथ संरेखित गतिविधियों की पहचान करने में मदद करता है।
    • इस वर्गीकरण का उद्देश्य सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा पहुँच सुनिश्चित करते हुए वर्ष 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के भारत के लक्ष्य का समर्थन करना है।
    • इसका उद्देश्य ग्रीनवाशिंग को रोकना एवं वर्ष 2047 तक भारत के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण में योगदान देना भी है।
  • वर्गीकरण गतिविधियों को दो मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत करता है:-
    • जलवायु-समर्थक गतिविधियाँ: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए अनुकूलन तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास।
    • संक्रमण-समर्थक गतिविधियाँ: ऊर्जा दक्षता में सुधार एवं उन क्षेत्रों में उत्सर्जन तीव्रता को कम करना, जहाँ उत्सर्जन को पूरी तरह से रोकना वर्तमान में संभव नहीं है।
  • कौन से क्षेत्र शामिल हैं?
    • कठिनता से न्यून होने वाले क्षेत्र: लोहा, इस्पात, सीमेंट।
    • शमन एवं अनुकूलन दोनों लाभ वाले क्षेत्र: बिजली, गतिशीलता (परिवहन), तथा भवन।
    • मुख्य जलवायु अनुकूलन एवं लचीलापन क्षेत्र: कृषि, खाद्य एवं जल सुरक्षा।

केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) द्वारा आयुर्वेदिक पांडुलिपियों का पुनरुद्धार

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (Central Council for Research in Ayurvedic Sciences- CCRAS) ने दो दुर्लभ एवं महत्त्वपूर्ण आयुर्वेदिक पांडुलिपियों अर्थात् द्रव्यरत्नाकर निघंटु (Dravyaratnakara Nighantu) तथा द्रव्यणामाकर निघंटु (Dravyanamakara Nighantu) को पुनर्जीवित किया है।

द्रव्यरत्नाकर निघंटु के बारे में

  • लेखकत्व एवं तिथि: 1480 ई. में मुद्गल पंडित द्वारा रचित यह ग्रंथ 15वीं शताब्दी के शास्त्रीय आयुर्वेदिक शब्दकोश का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ग्रंथ की प्रकृति: यह पाठ औषधीय पदार्थों के समानार्थक शब्दों, उनकी चिकित्सीय क्रियाओं और औषधीय गुणों के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है।
  • स्रोत एवं प्रभाव: यह कार्य धन्वंतरि और राजा निघंटु जैसे शास्त्रीय निघंटुओं से लिया गया है, साथ ही इसमें कई नवीन औषधीय पदार्थों का दस्तावेजीकरण भी किया गया है।
  • कवरेज का दायरा: इसमें पौधे, खनिज एवं पशु मूल के पदार्थ शामिल हैं।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: 19वीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में इसका व्यापक रूप से उल्लेख किया जाता था।

 द्रव्यणामाकर निघंटु के बारे में

  • लेखकत्व एवं संदर्भ: द्रव्यणामाकर निघंटु का श्रेय भीष्म वैद्य को दिया जाता है और यह आयुर्वेदिक औषध विज्ञान के आधारभूत ग्रंथों में से एक धन्वंतरि निघंटु के पूरक परिशिष्ट के रूप में कार्य करता है।
  • फोकस: यह अनूठी पांडुलिपि विशेष रूप से औषधियों और पौधों के नामों के समानार्थी शब्दों की खोज करती है।
    • समानार्थी शब्दों से औषधि की पहचान में महत्त्वपूर्ण अस्पष्टता हो सकती है, जिससे यह कार्य औषधीय उपयोग एवं व्याख्या में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • विशेष क्षेत्रों से प्रासंगिकता: रसशास्त्र (रसायन शास्त्र और औषधीय खनिज), भैषज्य कल्पना (आयुर्वेदिक औषधि विज्ञान), और शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषध विज्ञान।

रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट

वेटिकन में कार्डिनल्स द्वारा पोप सम्मेलन में मतदान संपन्न होने के बाद रॉबर्ट फ्राँसिस प्रीवोस्ट को नया पोप चुना गया।

  • उन्होंने अपना नाम लियो XIV रखा और इतिहास में पहले अमेरिकी पोप बने।

रॉबर्ट फ्राँसिस प्रीवोस्ट के बारे में

  • प्रारंभिक जीवन एवं विरासत: रॉबर्ट फ्राँसिस प्रीवोस्ट, जिनका जन्म वर्ष 1955 में शिकागो में हुआ, फ्राँसीसी-इतालवी मूल के अमेरिकी कार्डिनल, पेरू में ‘मिशनरी एवं बिशपों के लिए डिकास्टरी’ के पूर्व प्रमुख हैं।
  • चर्च पदानुक्रम में वृद्धि: वर्ष 2023 में उन्हें कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किया गया तथा वर्ष 2025 में वे पोप लियो XIV बन गए।
  • उत्तराधिकार: 8 मई को अपने चुनाव के साथ, पोप लियो XIV, पोप फ्राँसिस के उत्तराधिकारी के रूप में कैथोलिक चर्च के 267वें पोप बन गए हैं।

छोटे घोंघे का संक्रमण

केरल के इडुक्की में इलायची के बागानों को छोटे घोंघे (Small Snails) तेजी से नुकसान पहुँचा रहे हैं।

छोटे घोंघे (Small Snails) के संक्रमण के बारे में

  • संक्रमण को बढ़ावा देने वाले कारक: इस क्षेत्र में गर्मियों में हुई अधिक वर्षा ने घोंघे के प्रसार के लिए आदर्श परिस्थितियाँ उत्पन्न कर दी हैं।
    • नमी में वृद्धि, विशेषकर शाम 7 बजे के बाद, घोंघे की गतिविधियों को बढ़ावा देती है।
  • फसल को होने वाले नुकसान की प्रकृति: घोंघे मुख्य रूप से इलायची के पौधों के कोमल भागों, विशेषकर नए पुष्पगुच्छों एवं फूलों को निशाना बनाते हैं।
  • चेतावनी: किसान ‘मेटलडिहाइड पैलेट्स’ (Metaldehyde Pellets) का उपयोग कर रहे हैं।
    • लेकिन अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इसके अत्यधिक उपयोग से घोंघे की देशज प्रजातियों को नुकसान पहुँच सकता है एवं पश्चिमी घाट के पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ सकता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल विकल्प: मैनुअल संग्रह एवं समूहिक विनाश में सहायक हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र वन मंच (UNFF)

हाल ही में भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में वनों पर संयुक्त राष्ट्र मंच (United Nations Forum on Forests- UNFF) के 20वें सत्र में भाग लिया। 

संयुक्त राष्ट्र वन मंच (UNFF)

  • संयुक्त राष्ट्र वन मंच (UNFF) वैश्विक स्तर पर सतत् वन प्रबंधन (Sustainable Forest Management- SFM) को बढ़ावा देने के लिए एक अंतर-सरकारी नीति मंच है। 
  • इसकी स्थापना वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) के तहत की गई थी। 
  • मुख्य कार्य
    • वनों पर नीति संवाद एवं निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है। 
    • संयुक्त राष्ट्र वन साधन (UN Forest Instrument- UNFI) एवं वैश्विक वन लक्ष्यों (2021-2030) के कार्यान्वयन का समर्थन करता है। 
    • वैश्विक वन लक्ष्यों (GFGs) एवं अन्य वन-संबंधी लक्ष्यों (जैसे- SDG 15: स्थल पर जीवन) की दिशा में प्रगति की निगरानी करता है। 
  • सदस्यता एवं संरचना: सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश UNFF का हिस्सा हैं।

UNFF20 में भारत की भागीदारी

  • वन संरक्षण एवं प्रबंधन उपलब्धियाँ: भारत में वन एवं वृक्ष आवरण अब इसके भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है।
  • इस प्रगति में योगदान देने वाली प्रमुख पहल
    • अरावली ग्रीन वॉल रिस्टोरेशन।
    • एक दशक में मैंग्रोव कवर में 7.86% की वृद्धि।
    • ग्रीन इंडिया मिशन के तहत 1.55 लाख हेक्टेयर वनरोपण।
    • एक पेड़ माँ के नाम (प्लांट4मदर) अभियान के माध्यम से 1.4 बिलियन पौधे रोपे गए।
  • इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA): भारत ने सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को IBCA में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जो सात ‘बिग कैट्स’ प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक वैश्विक मंच है।
  • देश-नेतृत्व वाली पहल (Country-Led Initiative- CLI) एवं वैश्विक वानिकी सहयोग: भारत ने देहरादून CLI (अक्टूबर 2023) पर कार्रवाई की वकालत की, जो निम्नलिखित पर केंद्रित है:
    • वन अग्नि प्रबंधन।
    • वन प्रमाणन।

तमिलनाडु ने अंडा मायोनीज पर प्रतिबंध लगाया

तमिलनाडु सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों का हवाला देते हुए कच्चे अंडे से बने मायोनीज के निर्माण, भंडारण, वितरण एवं बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।

  • प्रतिबंध का कारण: सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों का हवाला दिया गया, विशेष रूप से कच्चे अंडे में पाए जाने वाले साल्मोनेला एवं ई. कोली जैसे रोगजनकों से खाद्य विषाक्तता का जोखिम रहता है।

मायोनीज (Mayonnaise) क्या है?

  • मायोनीज एक गाढ़ा, मलाईदार सॉस है, जो निम्नलिखित सामग्रियों को मिलाकर बनाया जाता है:
    • तेल (आमतौर पर वनस्पति तेल)
    • अंडे की जर्दी
    • एक एसिड (जैसे- नींबू का रस या सिरका)
  • अंडे की जर्दी एक पायसीकारक (Emulsifier) के रूप में कार्य करती है, जो तेल एवं एसिड (जो आमतौर पर मिश्रित नहीं होते) को एक चिकने, स्थिर मिश्रण में मिलाने में मदद करती है।

इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क

क्वाड भागीदारों ने क्वाड-IPLN-एक्सरसाइज (Indo-Pacific Logistics Network- IPLN) शुरू करने के लिए एक सिमुलेशन टेबलटॉप अभ्यास के लिए हवाई के होनोलुलु में बैठक की।

इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क (Indo-Pacific Logistics Network- IPLN) के बारे में

  • IPLN एक क्वाड-नेतृत्व वाली पहल है, जिसे चार क्वाड देशों के बीच रसद समन्वय बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • उद्देश्य: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नागरिक मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance And Disaster Relief- HADR) को बढ़ाना।
  • भागीदार: चार क्वाड देश (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान)।
  • पूरक प्रयास: समुद्री डोमेन जागरूकता एवं महामारी तैयारी कार्यक्रमों के लिए इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप जैसी अन्य क्वाड पहलों के साथ मिलकर कार्य करता है।

रेस्तराँ में सेवा शुल्क

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उपभोक्ता के कर-पूर्व बिल पर 5-20% तक अनिवार्य सेवा शुल्क लगाने पर रोक लगा दी है।

संबंधित तथ्य

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) एवं रेस्तराँ संघों (NRAI, FHRAI) के बीच सेवा शुल्क (5%-20%) को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में केस दर्ज किया गया।
  • CCPA (2022 दिशा-निर्देश): अनिवार्य सेवा शुल्क पर रोक लगाता है।
  • रेस्तराँ संघ: ये तर्क देते हैं कि यह 80 वर्ष पुरानी प्रथा है, उचित वेतन वितरण सुनिश्चित करता है।

सेवा शुल्क के बारे में

  • सेवा शुल्क व्यवसायों (जैसे- रेस्तराँ, होटल, बैंक, एयरलाइंस) द्वारा सेवा-संबंधी लागतों को कवर करने के लिए लगाया जाने वाला एक अतिरिक्त शुल्क है। टिप के विपरीत, यह अनिवार्य है एवं कर्मचारियों को नहीं, बल्कि सीधे कंपनी को भुगतान किया जाता है।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • पूर्व-निर्धारित: बिल में जोड़ा गया निश्चित प्रतिशत (जैसे- 5%-20%)।
    • गैर-परक्राम्य: जब तक स्पष्ट रूप से माफ नहीं किया जाता है, तब तक भुगतान किया जाना चाहिए।
    • उद्देश्य: कर्मचारियों के वेतन, परिचालन लागत या प्रशासनिक व्यय को कवर करता है।

सेवा शुल्क बनाम टिप

विशेषता

सेवा शुल्क

टिप

स्वरूप ठीक किया गया, बिल में पहले से जोड़ा गया। स्वैच्छिक
पाने वाला व्यापार के लिए जाना जाता है, साझा किया जा सकता है। सीधे कर्मचारी को दिया जाता है।
नियंत्रण व्यवसाय द्वारा नियंत्रित ग्राहक द्वारा नियंत्रित
कर उपचार व्यावसायिक आय के रूप में माना जाता है। कर्मचारी आय के रूप में माना जाता है।
कानूनी स्थिति यह अनिवार्य नहीं हो सकता (अदालतों के अनुसार)। पूर्णतः विवेकाधीन।

हिम तेंदुआ

हाल ही में लद्दाख के वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि केंद्रशासित प्रदेश में 477 हिम तेंदुए हैं, जो भारत की कुल प्रजातियों की आबादी का लगभग 70% है।

  • इन दुर्लभ ‘बिग कैट्स’ की सर्वाधिक वैश्विक घनत्व के साथ, लद्दाख हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभर रहा है।

हिम तेंदुए (Snow Leopard) के बारे में

  • वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा उन्शिया (Panthera Uncia)  
  • भौगोलिक विस्तार: अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान एवं उज्बेकिस्तान।
  • वितरण: अपने मुख्य शिकार प्रजातियों, जैसे कि- आइबेक्स एवं नीली भेड़ (भरल) के वितरण के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
  • राजकीय पशु: भारत में हिमाचल प्रदेश एवं लद्दाख के राजकीय पशु के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • अनुकूलन: अपनी विशिष्ट प्रकृति एवं छद्मावरण की क्षमता के कारण इन्हें ‘पहाड़ों के भूत’ (Ghosts of the Mountains) के रूप में जाना जाता है।
  • व्यवहार: अन्य ‘बिग कैट्स’ के विपरीत, हिम तेंदुए दहाड़ते नहीं हैं; इसके बजाय, वे गुर्राहट, फुफकार, म्याऊँ एवं एक अनोखी ध्वनि के माध्यम से संवाद करते हैं जिसे ‘चफ’ (Chuff) कहा जाता है। 
  • वे सांध्यचर (Crepuscular) होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे सुबह एवं शाम के समय सबसे अधिक सक्रिय होते हैं।  
  • ये आम तौर पर अन्य बिल्ली प्रजातियों की तरह एकांत में रहते हैं। 
  • संरक्षण स्थिति 
    • IUCN की रेड लिस्ट में: सुभेद्य (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध। 
    • CITES: परिशिष्ट I में शामिल किया गया है। 
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: उच्चतम संरक्षण के लिए अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।

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