100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में ई-अपशिष्ट की समस्या तथा इसके प्रबंधन के पुनर्निर्धारण की आवश्यकता

Lokesh Pal May 13, 2025 05:00 12 0

संदर्भ:

भारत में डिजिटल विकास आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित कर रहा है, लेकिन इसके साथ ही यह भारी मात्रा में ई-अपशिष्ट का उत्पादन भी कर रहा है। इस बढ़ते बोझ का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और एक अनुकूल अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु अत्यंत आवश्यक है।

भारत में ई-अपशिष्ट की समस्या

  • विश्व के प्रमुख ई-अपशिष्ट उत्पादकों राष्ट्रों में भारत, चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी शामिल हैं।
  • ई-अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि: 7.08 लाख मीट्रिक टन (2017-18) से बढ़कर 17.78 लाख मीट्रिक टन (2023-24) तक पहुँच गया है। वर्तमान में वार्षिक वृद्धि लगभग 1.69 लाख मीट्रिक टन है।

संभावित प्रभाव

  • पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Consequences):
    • जल प्रदूषण: सायनाइड और सल्फ्यूरिक अम्ल जैसे विषैले रसायनों के कारण जल स्रोत दूषित हो रहे हैं।
    • वायु प्रदूषण: कोयला दहन और प्लास्टिक जलाने से वायु में खतरनाक गैसें फैलती हैं, वैश्विक तापन का कारण बनता है।
    • मृदा निम्नीकरण: सीसा और पारे जैसे जहरीले तत्त्वों के रिसाव से मिट्टी की उर्वरता शक्ति घटती है और यह अनुपजाऊ तथा प्रदूषित हो जाती है।
  • आर्थिक क्षति (Economic Losses):
    • पर्यावरण प्रदूषण के कारण प्रति वर्ष $10 बिलियन से अधिक की हानि। (लगभग ₹83,000 करोड़ प्रति वर्ष)
    • अनौपचारिक प्रक्रिया के कारण महत्त्वपूर्ण धातुओं में ₹80,000 करोड़ प्रति वर्ष से अधिक की हानि।
    • कम-से-कम $20 बिलियन (लगभग ₹1.66 लाख करोड़) प्रति वर्ष अप्रत्यक्ष कर राजस्व की हानि।
  • सामाजिक लागत (Social Costs):
    • अनौपचारिक पुनर्चक्रण में महिलाएँ और बच्चे शामिल होते हैं, जो बिना सुरक्षा उपकरणों के खतरनाक परिस्थितियों में कार्य करते हैं।
    • इन श्रमिकों की औसत आयु 27 वर्ष से भी कम होती है, जो विषैले रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देती है।

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR)

  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) के तहत उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों को उनके उत्पादों के उपयोग के बाद (End-of-life) उनके प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जाती है।
  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व प्रोत्साहित करता है:
    • सतत (टिकाऊ) उत्पाद डिज़ाइन
    • मूल्य निर्धारण में पर्यावरणीय लागतों को शामिल करना
    • औपचारिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली
    • नगरपालिकाओं पर बोझ को कम करना

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व प्रमाणपत्रों (EPR Certificates) के लिए न्यूनतम मूल्य (Floor Price) का महत्त्व

  • ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 में इसे लागू किया गया था।
  • सुनिश्चित करता है:
    • पंजीकृत पुनर्चक्रण करने वाली कंपनियों के लिए उचित लाभ
    • अनौपचारिक प्रथाओं (जो 95% ई-कचरे का प्रबंधन करती हैं) को हतोत्साहित करना
    • सुरक्षित प्रौद्योगिकियों में निवेश
  • पर्यावरणीय लाभ (Environmental Benefits):
    • लैंडफिल पर बोझ को कम करता है
    • विषाक्त पदार्थों के रिसाव (leaching) को रोकता है
    • सामग्री की पुनःप्राप्ति (सोना, तांबा आदि) को बढ़ावा देता है
  • आर्थिक स्थिरीकरण (Economic Stabilisation):
    • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप
    • पूर्वानुमानित मूल्य निर्धारण से निजी निवेश को प्रोत्साहन
    • अनुपालन (compliance) और औपचारिकरण (formalisation) को बढ़ावा देता है

आलोचना और उसका खंडन (Criticism and Rebuttal):

  • आलोचना: न्यूनतम मूल्य (Floor Price) उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों की लागत बढ़ा सकता है।
  • खंडन: यह लागत पर्यावरणीय और स्वास्थ्य हानि की तुलना में बहुत कम है।
    • उत्पादक पुनर्चक्रण और सतत डिज़ाइन में नवाचार कर सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक लागत में कमी आएगी।
    • स्थिर मूल्य निर्धारण से बाज़ार में होने वाली हेराफेरी (जैसे- प्लास्टिक अपशिष्ट क्षेत्र में देखी गई) को रोका जा सकता है।

दीर्घकालिक पुनर्चक्रण दृष्टिकोण की आवश्यकता

  • न्यूनतम मूल्य निर्धारण (Floor Pricing) केवल आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह निम्न को सुरक्षा प्रदान करता है: नदियों, मृदा, कृषि, समुदाय और प्राकृतिक संसाधन आदि।
  • अत्यावश्यक है:
    • ई-अपशिष्ट क्षेत्र को औपचारिक रूप देने के लिए
    • उन्नत पुनर्चक्रण अवसंरचना विकसित करने के लिए
    • संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने के लिए

निष्कर्ष

प्रभावी ई-अपशिष्ट प्रबंधन, सशक्त EPR नीतियों और उचित मूल्य निर्धारण के साथ, एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती को आर्थिक अवसर में बदल सकता है। यह भारत को सतत विकास और चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) की वैश्विक अगुवाई करने में सक्षम बना सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत के ई-अपशिष्ट संकट के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) न्यूनतम मूल्य निर्धारण पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान कैसे करता है, इसकी आलोचनात्मक जाँच कीजिए तथा इसके सफल कार्यान्वयन में संभावित बाधाओं का विश्लेषण कीजिए। बेहतर कार्यान्वयन के लिए अभिनव उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.