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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal May 14, 2025 05:13 15 0

लाफोरा रोग

हाल ही में लाफोरा रोग, एक दुर्लभ एवं घातक आनुवंशिक विकार, अनुसंधान तथा जागरूकता प्रयासों में प्रगति के कारण चर्चा में रहा है।

लाफोरा रोग के बारे में

  • लाफोरा रोग एक दुर्लभ एवं गंभीर आनुवंशिक विकार है, जो मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
  • यह प्रोग्रेसिव मायोक्लोनिक मिर्गी (PMEs) नामक एक समूह का हिस्सा है।
  • यह रोग आमतौर पर किशोरावस्था (10-18 वर्ष) में शुरू होता है।
  • नामकरण: इसका नाम स्पेनिश न्यूरोलॉजिस्ट गोंजालो रोड्रिग्ज लाफोरा के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने सबसे पहले एक किशोर में इस रोग की सूचना दी थी।
  • लाफोरा रोग का कारण क्या है?
    • EPM2A या NHLRC1 (EPM2B) जीन में उत्परिवर्तन के कारण यह रोग होता है। ये जीन ग्लाइकोजन (ऊर्जा के लिए उपयोग की जाने वाली एक प्रकार की चीनी) को प्रबंधित करने में सहायता करते हैं।
    • उत्परिवर्तन मस्तिष्क कोशिकाओं में असामान्य शर्करा निर्माण (जिसे लाफोरा बॉडीज कहा जाता है) का कारण बनता है, जिससे उन्हें नुकसान पहुँचता है।
      • यह मस्तिष्क के सामान्य कार्य में बाधा उत्पन्न करता है।
  • भारत में लाफोरा रोग
    • यह रोग भारत के उन राज्यों में पाया जाता है, जहाँ रक्त संबंधी विवाह (करीबी रिश्तेदारों के मध्य विवाह) अधिक सामान्य हैं।
    • वर्तमान में, लाफोरा रोग का कोई उपचार नहीं है एवं उपचार मुख्य रूप से लक्षणों के प्रबंधन पर केंद्रित है।

डोंगरिया कोंध

NHRC ने ओडिशा के मुख्य सचिव से ओडिशा के कालाहांडी एवं रायगढ़ जिलों में डोंगरिया कोंध PVTG परिवारों की संवेदनशील जीवन स्थितियों तथा बुनियादी सुविधाओं की कमी पर रिपोर्ट माँगी है।

डोंगरिया कोंध के बारे में

  • डोंगरिया कोंध ओडिशा के नियमगिरि पहाड़ियों में रहने वाली एक देशज जनजाति है।
  • उन्हें विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • यह जनजाति नियम राजा की पूजा करती है, माना जाता है कि यह पवित्र देवता पहाड़ियों में निवास करते हैं।
  • भाषा एवं मौखिक परंपराएँ
    • वे ‘कुई’ भाषा बोलते हैं, जो एक पुरानी द्रविड़ भाषा है।
    • सांस्कृतिक ज्ञान मौखिक रूप से गीतों, कहानियों एवं नृत्यों के माध्यम से संरक्षित है।
  • पारंपरिक कृषि के तरीके: डोंगरिया कोंध पोडू खेती करते हैं, जो स्थानांतरित कृषि का एक प्रकार है।

एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम

केंद्र सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिए FCI से अतिरिक्त 2.8 मिलियन टन चावल आवंटन को मंजूरी दी है। 

  • आवंटन का उद्देश्य: यह कदम एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है:- 
    • प्रदूषण में कटौती करना। 
    • जीवाश्म ईंधन के आयात की आवश्यकता को कम करना। 

एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के बारे में 

  • यह ईंधन के रूप में एथेनॉल को बढ़ावा देने के लिए एक सरकारी पहल है। 
  • वर्ष 2003 में शुरू की गई।  
  • नोडल मंत्रालय: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (भारत सरकार)। 
  • उद्देश्य: पेट्रोल के साथ एथेनॉल को मिलाकर स्वच्छ ईंधन का विकल्प तैयार करना।
  • मिश्रण के लिए एथेनॉल के स्रोत 
    • प्राथमिक स्रोत: गन्ने का शीरा। 
    • द्वितीयक स्रोत: खाद्यान्न (चावल एवं गेहूँ) तथा कृषि अवशेष (चावल की भूसी तथा मक्का)।

पीएमश्री योजना

केरल सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न शिक्षा योजनाओं के तहत राज्य को 1,500 करोड़ रुपये जारी करने से रोकने के केंद्र के फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने का फैसला किया है।

पीएमश्री योजना के बारे में

  • कार्यान्वयन: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग)।
  • उद्देश्य: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुरूप 14,500 से अधिक मौजूदा स्कूलों को मॉडल स्कूलों में अपग्रेड करना।
  • वित्तपोषण एवं कार्यान्वयन: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है।
  • कुल परिव्यय: 5 वर्षों (2022-23 से 2026-27) के लिए ₹27,360 करोड़।
  • राज्य की भागीदारी की आवश्यकता: राज्यों को शिक्षा मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करके अपनी भागीदारी की पुष्टि करनी होगी।
  • वर्तमान स्थिति (2025 तक): 670 जिलों के 12,400 स्कूलों को इस योजना के अंतर्गत लाया गया है।
  • प्रमुख राज्य: केरल, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल इस योजना में शामिल नहीं हुए हैं।

जियो ट्यूबिंग

हाल ही में NIOT के वैज्ञानिकों, KSCADC के अधिकारियों एवं तटीय इंजीनियरिंग विशेषज्ञों ने पून्थुरा के तट पर जियोट्यूब तकनीक का उपयोग करके एक अपतटीय ब्रेकवाटर सिस्टम का अध्ययन किया।

जियो ट्यूबिंग के बारे में

  • जियो ट्यूबिंग या जियोटेक्सटाइल ट्यूब्स का उपयोग, तलछट, कीचड़ एवं अन्य सामग्रियों को जल से अलग करने तथा प्रबंधित करने की एक विधि है।
  • उच्च शक्ति वाले जियोटेक्सटाइल कपड़े से बनी ये ट्यूब्स एक कंटेनर के रूप में कार्य करते हैं जो जल को गुजरने देती हैं, जबकि ठोस पदार्थों को रोके रखती हैं।
  • इस प्रक्रिया का उपयोग स्थल निर्माण, तटरेखा संरक्षण एवं अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों से कीचड़ को निकालने जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है।

जियो ट्यूब कैसे कार्य करते हैं?

  • जियो ट्यूब आमतौर पर जल एवं ठोस पदार्थों (जैसे- रेत, तलछट या कीचड़) के घोल से भरे होते हैं।
  • जल पारगम्य जियोटेक्सटाइल कपड़े से होकर गुजरता है, जबकि ठोस पदार्थ ट्यूब के अंदर ही बने रहते हैं।
  • यह प्रक्रिया, जो प्रायः हाइड्रोलिक दाब के माध्यम से होती है, ठोस पदार्थों से जल को अलग करने तथा पदार्थ को जलमुक्त करने में सहायता करती है।

जियो ट्यूबिंग के अनुप्रयोग:

  • कीचड़/तलछट से जल निकालना: अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों, औद्योगिक कीचड़ एवं ड्रेजिंग कार्यों में जल को ठोस पदार्थों से अलग करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • तटरेखा एवं तटीय संरक्षण: लहरों एवं ज्वार से होने वाले कटाव को रोकने के लिए ब्रेकवाटर या अवरोध के रूप में कार्य करता है।
  • भूमि पुनर्ग्रहण: तलछट को बनाए रखकर दलदली या जल के नीचे के क्षेत्रों में स्थल निर्माण करने में मदद करता है।
  • दूषित सामग्रियों की रोकथाम: पर्यावरण सफाई परियोजनाओं के दौरान प्रदूषित तलछट को अलग करता है।
  • कृषि एवं जलीय कृषि: तालाब लाइनर, डाइक सुदृढ़ीकरण एवं जल प्रतिधारण में उपयोग किया जाता है।

जर्मेनियम

भारत जर्मेनियम पर निर्यात प्रतिबंधों से निपटने के लिए चीनी सरकार के साथ वार्ता कर रहा है।

भारत की निर्भरता 

  • भारत में जर्मेनियम का कोई घरेलू उत्पादन नहीं होता है। 
  • पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से सोर्सिंग की जा रही है, जिससे भारतीय आयातकों की लागत बढ़ रही है।

चीन की भूमिका 

  • विश्व के जर्मेनियम का 50% से अधिक उत्पादन चीन करता है। 
  • निर्यात प्रतिबंध 
    • नवंबर 2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात करने पर प्रमुख प्रतिबंध आरोपित किया है। 
    • इससे पूर्व अन्य देशों के लिए निर्यात लाइसेंसिंग लागू की गई है। 
  • REE (दुर्लभ मृदा तत्त्व) को परिष्कृत करने में भी व्यावहारिक एकाधिकार रखता है, जर्मेनियम REE में शामिल नहीं है।

जर्मेनियम

  • जर्मेनियम एक चमकदार, चाँदी के समान सफेद धातु है, जिसमें हीरे जैसी क्रिस्टलीय संरचना होती है।
  • यह अपने अर्द्धचालक गुणों के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रकाशिकी उद्योगों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रमुख अनुप्रयोग

  • इलेक्ट्रॉनिक्स: ट्रांजिस्टर एवं अर्द्धचालकों में उपयोग किया जाता है।
  • फाइबर ऑप्टिक केबल: ‘कोर प्रीफॉर्म’ का हिस्सा होता है, जिससे उच्च गति डेटा ट्रांसमिशन सक्षम होता है।
  • इन्फ्रारेड इमेजिंग डिवाइस: नाइट-विजन तकनीक एवं थर्मल इमेजिंग में आवश्यक।
  • रक्षा क्षेत्र: चरम वातावरण में हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन को बढ़ाता है।
  • सौर सेल
    • अंतरिक्ष-आधारित सौर पैनलों के लिए उपयोगी।
    • उच्च तापीय स्थिरता एवं बेहतर ऊर्जा रूपांतरण दक्षता प्रदान करता है।
  • मिश्र धातु एवं उत्प्रेरक: कभी-कभी विशेष मिश्र धातुओं एवं पोलीमराइजेशन उत्प्रेरक में उपयोग किया जाता है।

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