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2D धातुएँ

Lokesh Pal May 16, 2025 03:36 12 0

संदर्भ

चीन के वैज्ञानिकों ने बिस्मथ और टिन जैसी परमाणविक रूप से पतली 2D धातुएँ सफलतापूर्वक बनाई गई हैं, जिससे उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स और क्वांटम प्रौद्योगिकियों में सफलता मिलने की संभावना है।

2D धातुएँ के बारे में

  • 2D धातुए अद्वितीय इलेक्ट्रॉनिक, यांत्रिक और ऑप्टिकल गुणों वाली सामग्रियों की परमाणु रूप से पतली परतें होती हैं।
    • उदाहरण के लिए 2D ग्राफीन।
  • 2D धातुएँ धातु परमाणुओं की एक या कुछ परमाणु परतों से बनी सामग्री हैं, लेकिन 3D बॉण्ड बनाने की उनकी प्रवृत्ति के कारण उन्हें संश्लेषित करना मुश्किल है।
  • संश्लेषण विधि: वैज्ञानिकों ने 6.3 एंगस्ट्रॉम जितनी पतली 2D शीट बनाने के लिए उच्च दाब में सैफायर-MoS₂ सैंडविच’ (sapphire–MoS₂ sandwich) का उपयोग किया, जो लगभग दो परमाणुओं के समान मोटाई की होती है।
  • गुण

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एंगस्ट्रॉम (Angstrom -Å)

  • एंगस्ट्रॉम (Å) लंबाई की एक इकाई है, जो 10⁻¹⁰ मीटर (0.1 नैनोमीटर) के बराबर होती है, जिसका प्रयोग आमतौर पर परमाणु और आणविक पैमाने को मापने के लिए किया जाता है।
  • इसका प्रयोग क्रिस्टलोग्राफी, स्पेक्ट्रोस्कोपी और नैनोटेक्नोलॉजी में तरंगदैर्ध्य, बॉण्ड लंबाई और अंतर-परमाणु दूरी को व्यक्त करने के लिए व्यापक रूप से किया जाता है।

    • क्वांटम परिरोध प्रभाव (Quantum Confinement Effect): 2D धातुओं में इलेक्ट्रॉन दो आयामों में गति करने तक सीमित होते हैं, जिससे उनके विद्युत और चुंबकीय गुणों में परिवर्तन आता है।
    • अद्वितीय विद्युत व्यवहार: बिस्मथ जैसी 2D धातुएँ एक मजबूत क्षेत्र प्रभाव और ‘गैर-रेखीय’ प्रभाव प्रदर्शित करती हैं, जो उनके 3D समकक्षों में नहीं होता है।
    • टोपोलॉजिकल इंसुलेटर: टिन और बिस्मथ के 2D रूप ‘टोपोलॉजिकल इंसुलेटर’ हो सकते हैं, जो कुछ शर्तों के तहत केवल अपने किनारों के साथ विद्युत का संचालन करते हैं।

2D धातुएँ के संभावित अनुप्रयोग

क्वांटम कंप्यूटिंग

  • एज-कंडक्शन एडवांटेज: 2D धातुएँ से प्राप्त टोपोलॉजिकल इंसुलेटर अशुद्धि परिरोध क्वांटम अवस्थाओं का समर्थन कर सकते हैं, जो स्थिर क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम के लिए उपयोगी है।
  • चुंबकीय इलेक्ट्रॉन द्वीप: 2D धातुएँ ‘स्पिनट्रॉनिक’ उपकरणों और क्वांटम मेमोरी में उपयोगी चुंबकीय डोमेन बना सकती हैं।

बैटरियाँ

  • उच्च चालकता और सतह क्षेत्र: 2D धातुएँ तेज चार्ज परिवहन और अधिक सतही संपर्क प्रदान करके बैटरी इलेक्ट्रोड को बेहतर बना सकती हैं।
  • संरचनात्मक पतलापन: उनकी परमाणु रूप से पतली प्रकृति अगली पीढ़ी की बैटरियों में वजन कम कर सकती है और ऊर्जा दक्षता बढ़ा सकती है।

सेंसर

  • अति-संवेदनशीलता: क्वांटम परिरोध के कारण, 2D धातुएँ उच्च परिशुद्धता के साथ सूक्ष्म रासायनिक या जैविक परिवर्तनों का पता लगा सकती हैं।
  • क्षेत्र-ट्यूनेबल गुण (Field-Tunable Properties): उनके विद्युत गुणों को बाहरी क्षेत्रों द्वारा मॉड्यूलेट किया जा सकता है, जिससे अनुकूली सेंसर तकनीकें सक्षम होती हैं।

2D ग्राफीन तथा MoS₂

2D ग्राफीन

  • 2D ग्राफीन एक षट्कोणीय जालिका में कार्बन परमाणुओं की एक एकल परत है।
  • संरचना: sp²-बंधित कार्बन परमाणुओं की एक-परमाणु-मोटी शीट।
  • गुण
    • अत्यंत उच्च विद्युत चालकता।
    • अत्यंत उच्च तापीय चालकता।
    • असाधारण यांत्रिक शक्ति (स्टील से 200 गुना अधिक मजबूत)।
    • लगभग पारदर्शी।
  • अनुप्रयोग
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सेंसर।
    • ऊर्जा भंडारण (सुपरकैपेसिटर, बैटरी)।
    • वाटर प्यूरिफिकेशन मेंब्रेन (Water purification membranes)।
    • बायोमेडिकल उपकरण (दवा वितरण, बायो-इमेजिंग)।

मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड (Molybdenum Disulfide- MoS₂)

  • MoS₂ एक संक्रमण धातु डाइसल्फाइड है।
  • संरचना: सल्फर परमाणुओं की दो परतों के बीच मोलिब्डेनम परमाणुओं की एक परत।
  • गुण
    • प्रत्यक्ष बैंड अंतराल युक्त सेमीकंडक्टर (मोनोलेयर में ~1.8 eV)
    • यांत्रिक लचीलापन
    • ट्रांजिस्टर में उच्च चालू/बंद अनुपात।
  • अनुप्रयोग
    • फील्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टर (FETs)
    • फोटो डिटेक्टर और LED
    • हाइड्रोजन इवॉल्यूशन रिएक्शन (HER) के लिए उत्प्रेरक
    • नैनोस्केल पर कम घर्षण के कारण स्नेहक।

उभरती हुई तकनीक में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका

  • नवाचार के लिए मंच: 2D धातुएँ नैनो प्रौद्योगिकी, सामग्री विज्ञान और क्वांटम भौतिकी के अभिसरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो नए ‘डिवाइस आर्किटेक्चर’ को सक्षम बनाती हैं।
  • मौजूदा सामग्रियों के साथ एकीकरण: MoS₂ और बोरॉन नाइट्राइड जैसे सब्सट्रेट के साथ उनकी संगतता नैनोस्केल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में उनकी क्षमता को बढ़ाती है।
  • स्केलेबिलिटी संभावनाएँ: वर्तमान पद्धति में सुलभ सामग्रियों और मध्यम दबावों का उपयोग किया गया है, जो औद्योगिक स्केलेबिलिटी के लिए आशाजनक है।

वैश्विक अनुसंधान रुझान और भारत की स्थिति

  • वैश्विक गति: चीन और अमेरिका जैसे देश 2D धातु निर्माण के लिए स्केलेबल तकनीक विकसित करने में अग्रणी हैं।
  • भारत की वर्तमान क्षमता: भारत में ग्राफीन और MoS₂ जैसी 2D सामग्रियों में मजबूत शोध है, लेकिन विशेष रूप से 2D धातुएँ में सीमित सफलताएँ हैं।
  • भारत के लिए अवसर: भारतीय संस्थान रणनीतिक क्षेत्रों के लिए 2D धातु संश्लेषण और उपकरण एकीकरण का पता लगाने के लिए मौजूदा नैनो प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचे का लाभ उठा सकते हैं।
  • रणनीतिक निवेश की आवश्यकता: क्वांटम सामग्रियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में केंद्रित वित्तपोषण भारत को 2D धातु-आधारित प्रौद्योगिकियों की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में स्थान दिला सकता है।

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