100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

मणिपुर संकट और अप्रासंगिक निवारक रणनीतियाँ

Lokesh Pal May 16, 2025 05:30 14 0

संदर्भ:

मणिपुर में पिछले दो वर्षों से जारी संघर्ष व्यापक जान-माल की हानि और बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण बना है, फिर भी यह मुद्दा भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की सूची में निचले पायदान पर है। राजनीतिक असहमति और प्रभावी सुरक्षा उपायों की कमी ने इस मानवीय संकट को और भी लंबा खींच दिया है, साथ ही जातीय तनाव को भी और अधिक बढ़ा दिया है।

मणिपुर संघर्ष: दो वर्षों का गतिरोध और मानवीय त्रासदी

  • लंबे समय तक चलने वाला संघर्ष और मानवीय लागत: मणिपुर संघर्ष दो वर्षों से अधिक समय से जारी है, जिसके कारण 250 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और हजारों लोग अमानवीय राहत शिविरों में शरण लेने को बाध्य हुए हैं।
  • उपेक्षित राष्ट्रीय प्राथमिकता: इस समस्या के बावजूद, इस संकट को केंद्र सरकार से उच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता नहीं मिली है।
  • प्रधानमंत्री द्वारा उपेक्षा: प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा नहीं किया है, जबकि अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा घटनाओं जैसे कि पहलगाम आतंकवादी हमले पर उनकी तत्काल प्रतिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है।

राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताएँ और राजनीतिक दृष्टिकोण

  • स्पष्ट सुरक्षा खतरे पर त्वरित प्रतिक्रिया: भारत-पाकिस्तान सैन्य गतिरोध को स्पष्ट राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के कारण त्वरित कार्रवाई मिली।
  • मणिपुर हिंसा को सुरक्षा खतरे के रूप में कम करके आँका गया: इसके विपरीत, मणिपुर की हिंसा को तत्काल राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के रूप में नहीं देखा गया, हालाँकि इसे इस रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है।
  • बाह्य उग्रवादी समर्थन में कमी: उग्रवादी समूहों को विरोधियों द्वारा ऐतिहासिक समर्थन अब दूर और कम हो चूका है, फिर भी स्थानीय सुरक्षा दृष्टिकोण सीमावर्ती उग्रवादियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।

सुरक्षा कथानक और भ्रांतियाँ

  • राजनीतिक आरोप बहुसंख्यक समुदाय के भय को बढ़ाता है: कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा हिंसा का आरोप म्याँमार से आए ‘लुंगी पहने’ कुकी उग्रवादियों पर डालने के प्रयासों ने बहुसंख्यक समुदाय के भय को बढ़ाया है।
  • घाटी-आधारित उग्रवादी समूहों से गंभीर खतरे की अनदेखी: घाटी-आधारित उग्रवादी समूहों (VBIGs) से उत्पन्न अधिक गंभीर खतरों को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया गया है।
  • कानून व्यवस्था का निजीकरण राज्य की संप्रभुता को कमजोर करता है: कानून और व्यवस्था को उग्रवादी-समर्थित समूहों के हवाले करना राज्य की वैधता और अधिकार को कमजोर कर रहा है।

अप्रासंगिक सुरक्षा रणनीतियाँ

  • पुराना सुरक्षा समाधान: भारत-म्याँमार सीमा पर बाड़ लगाने (31,000 करोड़ की लागत) की केंद्र सरकार की नीति को एक पुराने और अप्रभावी सुरक्षा उपाय के रूप में देखा जा रहा है।
  • सीमावर्ती समुदायों से विमुखता: यह नीति सीमावर्ती समुदायों (नागा, मिज़ो) को अलग-थलग कर देती है तथा एक्ट ईस्ट नीति और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को हानि पहुँचाने का खतरा उत्पन्न करती है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आलोचना: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आलोचना इस आधार पर हो रही है, कि यह प्रभावी सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने की बजाय राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित है।

अप्रभावी हथियार नियंत्रण और राजनीतिक प्रतीकवाद

  • हथियार और गोला-बारूद: हथियार समर्पण अभियान के प्रचार के बावजूद 6,000 से अधिक हथियार और 500,000 राउंड गोला-बारूद का कोई डेटा उपलब्ध नहीं हैं।
  • हथियारों की आसान उपलब्धता से हिंसा को बढ़ावा: हथियारों की आसान उपलब्धता चल रहे जातीय तनाव और हिंसा को बढ़ावा देती है।

राजनीतिक घटनाक्रम और निहितार्थ

  • राष्ट्रपति शासन: मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता के बीच राष्ट्रपति शासन (फरवरी 2025) लागू होने से हिंसा पर कठोर कार्यवाही का संकेत मिला है।
  • प्रतीकात्मक राजनीतिक परिवर्तन: यह राजनीतिक परिवर्तन संदेश देता है, कि अब हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन यह गहन मुद्दों का समाधान नहीं करता है।

आगे की राह

  • क्रमिक सामान्यीकरण: क्रमिक सामान्यीकरण सभी संबंधित पक्षों के साथ गंभीर राजनीतिक संवाद के लिए रास्ते खोल सकता है।
  • वास्तविक समाधानों की आवश्यकता: संकट का समाधान करने के लिए वैध माँगों को स्वीकार करना, राज्य संस्थानों में विश्वास का पुनर्निर्माण करना और राजनीतिक दिखावे से आगे बढ़ना आवश्यकता है।
  • निरंतर विद्यमान राजनीतिक विभाजन: 3 मई को प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा किए गए प्रतीकात्मक स्मरण कार्यक्रम इन स्थायी राजनीतिक विभाजनों को दर्शाते हैं।
  • स्थायी शांति का मार्ग: स्थायी शांति उस समय संभव है, जब नीतियों में ठोस बदलाव किए जाएँ जो सत्ता की राजनीति से ऊपर उठकर हों।

निष्कर्ष

मणिपुर के संकट को सुलझाने के लिए त्वरित और निष्पक्ष राजनीतिक सहभागिता के साथ-साथ नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है, जो समुदायों में विश्वास बढ़ाए और राज्य संस्थाओं को सशक्त करे। स्थायी शांति और स्थिरता के लिए सतही राजनीतिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ना जरूरी है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

मणिपुर में चल रहे संघर्ष के संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को मानवाधिकारों और राजनीतिक भागीदारी के साथ संतुलित करने की चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.