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मैनुअल स्कैवेंजिंग के लिए NHRC के निर्देश

Lokesh Pal May 17, 2025 03:28 19 0

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2023 के निर्णय (डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ, 2023 INSC 950) के आधार पर, ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग’ (NHRC) ने मैनुअल स्कैवेंजिंग और जोखिमपूर्ण तरीके से सीवर सफाई को समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया है।

NHRC की मुख्य टिप्पणियाँ 

  • 29 जनवरी, 2025 को छह प्रमुख शहरों – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बंगलूरू और हैदराबाद में पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद मैनुअल सफाई को लेकर निरंतर  सूचना मिल रही है।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है, विशेष रूप से:
    • सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार
    • कानून के समक्ष समानता का अधिकार

डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के 14 निर्देश, 2023 

  • राष्ट्रीय नीति रूपरेखा: केंद्र सरकार सभी सरकारी निकायों और विभागों में मैनुअल सीवर सफाई को समाप्त करने के लिए स्पष्ट नीतियाँ बनाएगी।
  • अनुबंधों में सीवर प्रवेश पर प्रतिबंध: किसी भी किए गए अनुबंध में किसी भी व्यक्ति को सफाई के उद्देश्य से सीवर में शारीरिक रूप से प्रवेश करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
  • राज्य-स्तरीय प्रवर्तन: सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को स्थानीय तथा नगरपालिका स्तरों पर केंद्र के दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू करना चाहिए।
  • व्यापक पुनर्वास: सीवर श्रमिकों और उनके परिवारों को नौकरी, शिक्षा सहायता तथा कौशल प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • आश्रितों के लिए छात्रवृत्ति: मैनुअल स्कैवेंजिंग पीड़ितों के बच्चों को छात्रवृत्ति और अन्य शैक्षिक सहायता मिलनी चाहिए।
  • मृत्यु मुआवजा में वृद्धि: सीवर में होने वाली मौतों के लिए मुआवजा ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹30 लाख किया गया है।
  • मुआवजे के लंबित मामले: यदि आश्रितों को मुआवजा नहीं मिला है, तो नई राशि का भुगतान बिना किसी विलंब के किया जाना चाहिए।
  • दिव्यांगता मुआवजा: स्थायी दिव्यांगता के लिए ₹20 लाख और सीवर से संबंधित अन्य दिव्यांगताओं के लिए ₹10 लाख का प्रावधान।
  • आउटसोर्स किए गए कार्य में कठोर दायित्व: आउटसोर्स किए गए कार्य में सीवर में होने वाली मौतों के लिए सरकारों को अनुबंध रद्द करने चाहिए और जुर्माना लगाना चाहिए।
  • मानकीकृत मॉडल अनुबंध: नए मॉडल अनुबंधों में कठोर सुरक्षा नियम और उल्लंघन के लिए दंड शामिल होंगे।
  • राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC), राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) और सामाजिक न्याय मंत्रालय एक वर्ष में राष्ट्रीय मैनुअल स्कैवेंजिंग सर्वेक्षण करेंगे।
  • निगरानी समितियाँ: राज्यों को जिला और राज्य स्तर पर निगरानी निकाय स्थपित करने चाहिए, जिनमें कोई रिक्तियाँ न हों।
  • केंद्रीकृत निगरानी पोर्टल: एक ऑनलाइन पोर्टल सीवर में होने वाली मौतों, मुआवजे और पुनर्वास प्रयासों को ट्रैक करेगा।
  • प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान: सरकार अधिकारियों और आम जनता के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाएगी।

जोखिमपूर्ण सफाई और मैनुअल स्कैवेंजर क्या है?

मैनुअल स्कैवेंजरों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 की धारा 2(D) के अनुसार,

  • जोखिमपूर्ण  सफाई
    • जोखिमपूर्ण सफाई से तात्पर्य सीवर या सेप्टिक टैंक की बिना सुरक्षा उपकरण और सुरक्षा सावधानियों के मैनुअल सफाई से है।
    • यह तब और अधिक जोखिमपूर्ण हो जाता है, जब नियोक्ता कानून द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपकरण तथा प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं।

  • मैनुअल स्कैवेंजर: उसी अधिनियम की धारा 2(G) के अनुसार,
    • मैनुअल स्कैवेंजर वह व्यक्ति होता है, जिसे मानव मल को हाथ से साफ करने, ले जाने, निपटाने या सँभालने के लिए नियुक्त किया जाता है।
    • यह अस्वास्थ्यकर शौचालयों, खुली नालियों, गड्ढों, रेलवे पटरियों या सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य स्थान पर लागू होता है।
    • मल के पूर्णतया सड़ने से पूर्व ही इस  कार्य को पूरा कर लिया जाता है।
    • इस शब्द में ऐसे स्थानों पर हाथ से मैला ढोने का कोई भी तरीका शामिल है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

I. विधायी उपाय

  • हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 
    • यह मैनुअल स्कैवेंजर के रोजगार पर प्रतिबंध आरोपित करता है। 
    • यह मैनुअल स्कैवेंजर और उनके परिवारों के पुनर्वास का प्रावधान करता है। 
    • इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं।
  • सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय सन्निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1993
    • मैनुअल स्कैवेंजरों के रोजगार पर प्रतिबंध आरोपित करता है।
    • शुष्क शौचालय या शौचालय का निर्माण करने वाले व्यक्तियों को दंडित करता है।
  • अन्य सहायक कानून
    • नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 – यह समान अधिकार और सम्मान को सुनिश्चित करने से सबंधित है।
  • SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 – जाति आधारित भेदभाव और शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है।
    • इस अधिनियम के तहत जाति-आधारित दमनकारी प्रथा, मैनुअल स्कैवेंजिंग, से निपटने का प्रयास किया गया है, ताकि प्रभावित व्यक्तियों के लिए सम्मान एवं समान अधिकारों को सुनिश्चित किए जा सके।

II. सरकारी योजनाएँ

  • मशीनीकृत स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई (NAMASTE), 2023
    • यह सामाजिक न्याय मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है ।
    • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम द्वारा कार्यान्वित।
    • जोखिमपूर्ण सफाई कार्यों में शामिल कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और पुनर्वास सुनिश्चित करने का लक्ष्य।
  • स्वच्छ भारत मिशन (शहरी 2.0)
    • वर्ष 2021 में शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन (शहरी 2.0) का उद्देश्य सभी शहरों को कचरा मुक्त बनाना और शहरी स्वच्छता में सुधार करना है।
    • केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा इसका निरिक्षण किया जाता है।
    • उद्देश्य: वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करना और पुरानी ‘डंपसाइट’ या अपशिष्ट स्थानों को समाप्त करना।
    • 3Rs सिद्धांत (कम करना, पुनः उपयोग करना, पुनर्चक्रण करना) का उपयोग करके ठोस अपशिष्ट के स्रोतों के पृथक्करण को बढ़ावा देना।

III. समर्पित संस्थान

  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK)
    • इसे वर्ष 1994 में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम, 1993 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। वर्ष 2004 तक इसने एक वैधानिक निकाय के रूप में कार्य किया, यह वर्तमान में सामाजिक न्याय मंत्रालय के तहत एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में कार्य करता है।
    • सफाई कर्मचारियों के कल्याण और अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्तीय विकास निगम (NSKFDC), 1997
    • सामाजिक न्याय मंत्रालय के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी।
    • सफाई कर्मचारियों के उत्थान के लिए ऋण या लोन और गैर-ऋण आधारित योजनाओं का प्रदान करता है।

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