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IAEA ने पुष्टि की कि पाकिस्तान में कोई विकिरण रिसाव नहीं हुआ है

Lokesh Pal May 17, 2025 03:47 98 0

संदर्भ 

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मध्य, भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ (IAEA) से पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार पर सख्त निगरानी रखने का आग्रह किया गया है ।

  • यह बात सोशल मीडिया पर चल रहे दावों के बाद सामने आई, जिसमें कहा गया कि भारतीय हमलों में किराना हिल्स स्थित परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाया गया है, जिससे संभावित विकिरण रिसाव के बारे में वैश्विक चिंताएँ बढ़ गई हैं।

संबंधित तथ्य

  • ऑपरेशन सिंदूर और संभावनाएँ: सैन्य अभियान के कारण संभावनाएँ जताई जाने लगीं कि भारतीय हवाई हमलों में पाकिस्तान के किराना हिल्स को निशाना बनाया गया, जो ऐतिहासिक रूप से परमाणु गतिविधियों से जुड़ा हुआ स्थल है।
  • IAEA की पुष्टि: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सुविधा में कोई विकिरण रिसाव या परमाणु घटना नहीं हुई है।
  • भारत का स्पष्टीकरण: विदेश मंत्रालय (MEA) ने पुष्टि की कि भारत की सैन्य कार्रवाई सरगोधा एयरबेस जैसे पारंपरिक लक्ष्यों तक सीमित थी और देश अपने परमाणु सिद्धांत का पालन करता है।

IAEA और इसके अधिदेश के बारे में

यह संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध एक स्वायत्त अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियना में है।

  • स्थापना: वर्ष 1957
  • आदर्श वाक्य: ‘शांति और विकास के लिए परमाणु’ (Atoms for Peace and Development)।
  • प्राथमिक अधिदेश: परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और परमाणु हथियारों सहित सैन्य उद्देश्यों के लिए इसके उपयोग को रोकना।
  • सदस्य: 180 (भारत इसका सदस्य है)।
    • उत्तर कोरिया: वर्ष 1974 में शामिल हुआ, तथा वर्ष 1994 में स्वयं को इससे अलग कर लिया।
  • सम्मेलन: सभी सदस्य देश प्रतिवर्ष वियना में मिलते हैं।
  • मुख्य कार्य
    • सदस्य देशों में निरीक्षण और सुरक्षा उपाय करना।
    • परमाणु सुरक्षा और विकिरण सुरक्षा की निगरानी करना।
    • परमाणु विज्ञान और चिकित्सा में तकनीकी सहायता प्रदान करना।
    • परमाणु घटनाओं और वैश्विक अनुपालन पर रिपोर्ट जारी करना।

IAEA और परमाणु अप्रसार संधि

  • परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर वर्ष 1968 में हस्ताक्षर किए गए तथा यह 5 मार्च, 1970 को लागू हुई। यह परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को बढ़ावा देने तथा परमाणु निरस्त्रीकरण एवं सामान्य एवं पूर्ण निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के वैश्विक प्रयासों का केंद्रबिंदु है।
  • IAEA,  NPT का सदस्य नहीं है, जिसे संधि के तहत प्रमुख सत्यापन जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं।
    • NPT के अंतर्गत प्रत्येक गैर-परमाणु हथियार संपन्न राज्य पक्ष को IAEA के साथ एक व्यापक सुरक्षा समझौता (CSA) करना आवश्यक है।
  • पुरस्कार: शांतिपूर्ण परमाणु उपयोग और वैश्विक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2005 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ।

परमाणु रूपरेखा और निर्यात नियंत्रण व्यवस्था

संधि / रूपरेखा उद्देश्य भारत की सदस्यता स्थिति
परमाणु अप्रसार संधि (NPT) परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना हस्ताक्षरकर्ता नहीं
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाना हस्ताक्षर नहीं किए, स्थगन का समर्थन किया
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) परमाणु निर्यात और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर नियंत्रण सदस्य नहीं हैं
IAEA सुरक्षा समझौता परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना इसके अंतर्गत चुनिंदा नागरिक सुविधाएँ
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता (वर्ष 2008) सुरक्षा उपायों के तहत असैन्य परमाणु सहयोग को सक्षम बनाना IAEA प्रोटोकॉल के साथ लागू
मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) – 1987 मिसाइलों और मिसाइल प्रौद्योगिकी के प्रसार को सीमित करना जून 2016 से सदस्य
ऑस्ट्रेलिया समूह रासायनिक और जैविक हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए निर्यात पर नियंत्रण रखना जनवरी 2018 से सदस्य
वासेनार व्यवस्था (WA)- 1996 हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं/प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में पारदर्शिता को बढ़ावा देना वर्ष 2017 से सदस्य।

PW Only IAS विशेष 

भारत का परमाणु सिद्धांत

  • ‘नो फर्स्ट यूज’ (NFU): परमाणु हथियारों का प्रयोग तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक कि पहले परमाणु हथियारों संपन्न विरोधी देश द्वारा हमला न किया जाए।
  • न्यूनतम प्रतिरोध: एक कार्यशील शस्त्रागार को बनाए रखना, जो विरोधियों को रोकता है।
  • गैर-परमाणु राज्यों के विरुद्ध कोई उपयोग नहीं।
  • रासायनिक और जैविक हथियारों का परमाणु प्रतिरोध (CBW)
  • दुनिया में कहीं भी भारतीय सेना या नागरिकों पर परमाणु हथियारों के किसी भी उपयोग के विरुद्ध बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई।
  • राजनीतिक प्राधिकरण के तहत परमाणु कमान और नियंत्रण।

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