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भारत-अमेरिका समुद्री केबल अवसंरचना का विकास

Lokesh Pal June 03, 2025 05:15 58 0

संदर्भ:

आगामी भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के हिस्से के रूप में, दोनों देशों ने विकसित हो रहे बेहतर संबंधों के तहत समुद्र के नीचे केबल अवसंरचना विकास को प्राथमिकता दी है।

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंध

  • लक्ष्य: भारत-अमेरिका व्यापार संबंध एक आसन्न व्यापार समझौते से आगे बढ़ रहे हैं। दोनों सरकारें रणनीतिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती हैं और वैश्विक अस्थिरता के बीच प्रौद्योगिकी आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने और जोखिम कम करने का लक्ष्य रखती हैं।
  • प्रौद्योगिकी ढाँचा: लचीली, स्पष्ट और एकीकृत सुरक्षा और विश्वास के लिए प्रौद्योगिकी (ट्रस्ट) ढाँचा, महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर अमेरिका-भारत पहल (आईसीईटी) के उत्तराधिकारी के रूप में विकसित हो रहा है।
  • क्वाड शिखर सम्मेलन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वर्ष 2025 के अंत तक क्वाड शिखर सम्मेलन (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका) के लिए भारत आने की उम्मीद है।
    • शिखर सम्मेलन से पहले द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिससे डिजिटल प्रौद्योगिकियों और बाजारों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा

सब-सी केबल्स

  • महत्त्व: समुद्री केबल 95% से अधिक अंतर्राष्ट्रीय डेटा ट्रैफ़िक को वहन करती हैं तथा वैश्विक इंटरनेट के भौतिक ढाँचे के रूप में कार्य करती है
    • ये केबल उपयोगकर्ताओं या डेटा केंद्रों से जुड़कर क्लाउड सेवाओं और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को शक्ति प्रदान करते हैं
  • चीन की पहल: चीन की डिजिटल सिल्क रोड पहल ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के नीचे की अवसंरचना का तेजी से विस्तार किया है, जिससे विश्वसनीय विकल्पों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
  • भारत-अमेरिका सहयोग: लचीली, सुरक्षित समुद्री केबल प्रणाली के निर्माण के लिए भारत-अमेरिका की मजबूत प्रतिबद्धता वैश्विक सार्वजनिक हित में कार्य करेगी।
    • ट्रस्ट फ्रेमवर्क भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में मान्यता देता है।
  • भविष्य की योजनाएँ: विश्वसनीय विक्रेताओं का उपयोग करके क्षेत्रीय समुद्र के नीचे केबल बुनियादी ढाँचे में निवेश करने की योजना पर कार्य चल रहा है।
  • भारत के समुद्री केबल: भारत में लगभग 17 अंतर्राष्ट्रीय समुद्री केबल हैं, जो कि सिंगापुर के 26 से कम है, जबकि इसका आकार छोटा है।
  • कनेक्टिविटी हब: भारत की 11,098 किलोमीटर लंबी तटरेखा और मध्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इसकी अवस्थिति इसे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी हब बनने के लिए उपयुक्त बनाती है
  • केबलों का संकेन्द्रण: अधिकांश केबल (17 में से 15) मुंबई में छह किलोमीटर के दायरे में आती हैं, जो पाँच शहरों में संकेन्द्रित हैं- मुंबई, चेन्नई, कोच्चि, तूतीकोरिन, तिरुवनंतपुरम
  • केबल मरम्मत और रखरखाव: भारत विदेशी केबल मरम्मत जहाजों पर निर्भर करता है, जो ज्यादातर सिंगापुर और दुबई में स्थित हैं। मरम्मत प्रतिक्रिया समय आमतौर पर 3 से 5 महीने का होता है, क्योंकि:
    • लंबी यात्रा अवधि
    • सीमा शुल्क, नौसैनिक अनुमति और चालक दल की मंजूरी से जुड़ी जटिल निकासी प्रक्रियाएँ।
    • ये विलंब भारत के डिजिटल बुनियादी ढाँचे के लिए वाणिज्यिक और परिचालन जोखिम उत्पन्न करते हैं।

भारत के चयन के कारण

  • रणनीतिक स्थिति: समुद्र के नीचे केबल मार्ग बड़े पैमाने पर ऐतिहासिक समुद्री व्यापारिक मार्गों का अनुसरण करते हैं। यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के बीच भारत की स्थिति इसे प्रमुख समुद्री अवरोध बिंदुओं के निकट रखती है:
    • हॉर्मुज जलडमरूमध्य
    • मलक्का जलडमरूमध्य
    • बाब अल-मंदाब
    • यह भौगोलिक स्थिति भारत को वैश्विक केबल नेटवर्क के लिए एक स्वाभाविक केंद्र बनाती है
  • ब्रॉडबैंड विस्तार: भारत सबसे तेजी से ब्रॉडबैंड विस्तार वाले क्षेत्र के केन्द्र में है, जो इंडोनेशिया सहित अफ्रीका और एशिया की गतिशील अर्थव्यवस्थाओं को सेवा प्रदान कर रहा है।
  • प्रमुख जंक्शन: यह लगभग सभी अफ्रीका-एशिया और यूरोप-एशिया सब-समुद्री केबलों के लिए प्रमुख जंक्शन के रूप में कार्य करता है
  • कनेक्टिविटी: बढ़ती घरेलू माँग को पूरा करने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी महत्त्वपूर्ण है।
  • उच्च वृद्धि: भारत की बैंडविड्थ आवश्यकता 2021 और 2028 के बीच 38% बढ़ने का अनुमान है, जो बढ़ती डेटा खपत और डेटा सेंटर निवेश में वृद्धि से प्रेरित है
  • भू-राजनीति: अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक स्थायी नीति बनाए हुए है।
  • डिजिटल इंफ्रा सुरक्षा: भारत का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, खास तौर पर सब-सी केबल, एक अग्रणी रणनीतिक परिसंपत्ति है। क्षेत्रीय भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में इस अवसंरचना को मजबूत और सुदृढ़ बनाना महत्त्वपूर्ण है।

आगे की राह

  • जोखिम: कुछ स्थानों पर एकाग्रता से प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकट का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  • व्यापक वितरण: लैंडिंग स्टेशनों का व्यापक वितरण अतिरेक को बढ़ाएगा, जिससे व्यवधान के दौरान डेटा को पुनः सृजित करने की सुविधा मिलेगी।
    • उदाहरण: 2024 में, हौथी विद्रोहियों ने लाल सागर में समुद्र के नीचे के केबलों को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे भारतीय ऑपरेटरों को यातायात का मार्ग बदलने के लिए बाध्य होना पड़ा।
    • घर के निकट इसी प्रकार की क्षति से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय संचार दोनों बाधित हो सकते हैं
  • भारत की लाइसेंसिंग व्यवस्था में सुधार: समुद्र के नीचे केबल बिछाने के लिए भारत की लाइसेंसिंग व्यवस्था जटिल और निषेधात्मक है। केबल बिछाने और रखरखाव के लिए कई मंत्रालयों से 50 से अधिक मंज़ूरी की आवश्यकता होती है।
    • यह जटिलता समुद्र के नीचे केबल अवसंरचना में अधिक निवेश के लिए बाधा के रूप में कार्य करती है।
  • अमेरिका की भूमिका; अमेरिका को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ाना चाहिए। इसमें शामिल हैं:
    • आवक रियायती वित्त
    • केबल मार्ग विविधीकरण और साइबर सुरक्षा के लिए तकनीकी सहायता
      • केबल परियोजनाओं में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए अमेरिकी कंपनियों को प्रोत्साहित करना उदाहरण: भारतीय महासागर में संपर्क बढ़ाने के लिए 50,000 किलोमीटर की समुद्र के नीचे केबल परियोजना में मेटा का बहु-वर्षीय निवेश, जो पाँच महाद्वीपों को जोड़ेगा (2025 के अमेरिकी-भारत संयुक्त नेताओं के वक्तव्य में रेखांकित)।
  • घरेलू मरम्मत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण: घरेलू समुद्री केबल मरम्मत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का समर्थन करना महत्त्वपूर्ण है।
    • इसमें डिपो अवसंरचना का विकास और भारतीय ध्वज वाले केबल मरम्मत जहाजों को बढ़ावा देना शामिल है। लचीलापन मजबूत करने के लिए ट्रस्ट ढाँचे में इन पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए

निष्कर्ष

समुद्र के नीचे केबल के लिए बेहतर सहयोग अमेरिका-भारत व्यापार समझौते का पूरक होगा, जिस पर अभी वार्ता चल रही है। व्यापार समझौते में दोनों देशों के बीच गतिशील प्रौद्योगिकी सहयोग पर बल दिया गया है। समुद्र के नीचे केबल के अवसंरचना विकास में तेजी से की गई कार्रवाई क्षेत्रीय डिजिटल अनुकूलता में सुधार लाएगी और साझा रणनीतिक और वाणिज्यिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाएगी

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

 “भारत की सब-सी केबल अवसंरचना न केवल घरेलू विकास के लिए, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।” वर्तमान पहलों और रणनीतिक अनिवार्यताओं के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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