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भारत की ऊर्जा नीति और उसका विकास

Lokesh Pal June 04, 2025 05:15 125 0

संदर्भ:

भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि का आधार बेहतर ऊर्जा सुधार हैं, जो विकास और स्थिरता के बीच संतुलन स्थापित करते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था का उदय

  • विकास और सुधार: भारत जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसकी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2025 में दुगुनी होकर $4.19 ट्रिलियन तक पहुँच गई है।
  • बेहतरीन सुधार: भारत अब विश्व की सबसे तेज गति से विकसित होती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है, जो पिछले एक दशक के सुधारों, अनुकूलन और आत्मनिर्भरता पर आधारित रणनीति का परिणाम है।
    •  2024-25 की अंतिम तिमाही में भारत की विकास दर 6.7% है।

भारत के ऊर्जा क्षेत्र संबंधी सुधार

  • स्थिति: भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा और तेल उपभोक्ता, चौथा सबसे बड़ा रिफाइनरी (शोधनकर्ता) और चौथा सबसे बड़ा एलएनजी (LNG) आयातक है। 2047 तक ऊर्जा की माँग में 2.5 गुना वृद्धि के लक्ष्य के साथ, ऊर्जा सुरक्षा को अब विकास सुरक्षा के रूप में देखा जा रहा है।
  • ऊर्जा रणनीति: सरकार की ऊर्जा रणनीति उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता के त्रिकोण को संबोधित करती है। यह स्रोतों और आपूर्तिकर्ताओं के विविधीकरण, घरेलू उत्पादन के विस्तार, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण और किफायती ऊर्जा सुनिश्चित करने के माध्यम से पूरी की जा रही है।
  • तेल और गैस अन्वेषण का विस्तार: अन्वेषण क्षेत्र 2021 में 8% से दुगुना होकर 2025 में 16% हो गया है तथा 2030 तक 10 लाख वर्ग किलोमीटर तक पहुँचने का लक्ष्य है।
    •  इसका लक्ष्य 42 बिलियन टन तेल और तेल-समतुल्य गैस भंडारण का निर्माण है।
  • नीतिगत सुधार: प्रमुख सुधारों में ‘नो-गो’ क्षेत्रों में 99% की कमी, ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के तहत लाइसेंसिंग प्रक्रिया का सरलीकरण और नए गैस कुओं के लिए मूल्य निर्धारण प्रोत्साहन भी शामिल हैं।
  • नई मूल्य निर्धारण प्रणाली: संशोधित गैस मूल्य निर्धारण प्रणाली को भारतीय कच्चे तेल के भंडारण के 10% से जोड़ा गया है, जिससे शहरी गैस नेटवर्क और उद्योगों के लिए गैस अधिक सुलभ और वहनीय बन गई है।
    •  राजस्व-साझा अनुबंध और साझा आधारभूत संरचना तेजी से व्यावसायीकरण (monetisation) को संभव बनाते हैं।
  • तकनीकी सहायता: राष्ट्रीय भूकंपीय कार्यक्रम, मिशन अन्वेषण, एयरबोर्न ग्रेविटी ग्रैडिओमेट्री (AGG) सर्वेक्षण और महाद्वीपीय शेल्फ मैपिंग जैसे प्रयास विशेष रूप से सीमांत बेसिनों में अन्वेषण के प्रति विश्वास को बढ़ा रहे हैं।
  • हाइड्रोकार्बन की नई खोजें: ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया ने मुंबई के अपतटीय, कैम्बे, महानदी और असम जैसे बेसिनों में 25 से अधिक खोजें की हैं।
    •  महत्त्वपूर्ण खोजों में पश्चिमी तट पर सूर्यमणि और वज्रमणि तथा पूर्वी तट पर उत्कल और कोणार्क शामिल हैं। जिससे भंडारण में 75 एमएमटीयूई और 2,700 एमएमएससीएम (MMSCM) गैस की वृद्धि हुई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: ओएनजीसी (ONGC) की भारत पेट्रोलियम (BP) के साथ साझेदारी से मुंबई हाई से तेल उत्पादन में 44% और गैस उत्पादन में 89% की वृद्धि होने की संभावना है। ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में स्थापित एक डेटा सेंटर अब भारत के अन्वेषण डेटा तक अंतर्राष्ट्रीय पहुँच की सुविधा प्रदान करता है।
  • पाइपलाइन, खुदरा बिक्री और भंडारण: भारत अब 24,000 किलोमीटर लंबी उत्पाद पाइपलाइनों और 96,000 खुदरा ईंधन आउटलेट्स का संचालन करता है। रणनीतिक और एलपीजी भंडारण को भी मजबूत किया गया है। प्रतिदिन 6.7 करोड़ से अधिक लोग पेट्रोल पंपों का उपयोग करते हैं, जो इस प्रणाली के पैमाने और दक्षता को दर्शाता है।
  • सिटी गैस नेटवर्क: 2014 में केवल 55 भौगोलिक क्षेत्रों से बढ़कर 2025 में यह नेटवर्क 307 क्षेत्रों तक विस्तारित हुआ है:
    •  पीएनजी (PNG) कनेक्शन: 25 लाख से बढ़कर 1.5 करोड़ तक पहुँच गए हैं।
    •  सीएनजी (CNG) स्टेशन: 7,500 से अधिक स्टेशन चालू हैं। एकीकृत पाइपलाइन टैरिफ और नेटवर्क विस्तार ने दूर-दराज के राज्यों में भी सस्ती और सुगम गैस आपूर्ति सुनिश्चित की है।

भारत के ऊर्जा परिवर्तन के स्तंभ

  • एथेनॉल: पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण 2013 में 1.5% से बढ़कर 2025 में 19.7% हो गया है, तथा इसकी मात्रा 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 484 करोड़ लीटर तक पहुँच गई है।
  • आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ: इस परिवर्तन से ₹1.26 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है, 643 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है, और ₹1.79 लाख करोड़ की आमदनी आसवनी उद्योग (डिस्टिलर्स) को तथा ₹1 लाख करोड़ से अधिक किसानों को प्राप्त हुई है।
  • विविध फीडस्टॉक: भारत ने एथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक को विविध बनाया है – गुड़ से लेकर मक्का तक जिससे एक मजबूत और अनुकूलनशील पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित हुआ है।
  • SATAT पहल और CBG को बढ़ावा: SATAT (सस्ती परिवहन की दिशा में सतत विकल्प) पहल के तहत 100 से अधिक संपीडित बायोगैस (CBG) संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, तथा 2028 तक 5% CBG मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है।
  • परिपत्र ऊर्जा को बढ़ावा: बायोमास की खरीद और CBG-पाइपलाइन कनेक्टिविटी के लिए केंद्र सरकार का समर्थन भारत की परिपत्र ऊर्जा अर्थव्यवस्था को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है।
  • इलेक्ट्रोलाइज़र विकास: भारत ने अब तक 8.62 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन हासिल किया है और 3,000 मेगावाट के इलेक्ट्रोलाइज़र टेंडर आवंटित किए गए हैं।

ऊर्जा क्षेत्र में उठाए गए कदम

  • सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) ने पानीपत में 10 केटीपीए (हज़ार टन प्रति वर्ष) ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना का टेंडर लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को दिया है। बीपीसीएल (BPCL), एचपीसीएल (HPCL), गेल (GAIL) और एनआरएल (NRL) सभी प्रमुख ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहे हैं। असम में एनआरएल (NRL) की इकाई पूर्वोत्तर भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र होगा।
  • पाइपलाइन अवसंरचना का विकास: भारत का प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नेटवर्क 25,000 किलोमीटर से अधिक फैला चुका है तथा 2030 तक इसे 33,000 किमी. तक विस्तार देने का लक्ष्य है।
  • आपूर्ति और उत्पादन में स्थिरता: परिवहन और घरेलू उपयोग के लिए गैस को अब नो कटश्रेणी में रखा गया है। उत्पादन 2020–21 के 28.7 बीसीएम से बढ़कर 2023–24 में 36.4 बीसीएम हो गया है तथा इसमें आगे और वृद्धि की उम्मीद है।
  • हाइब्रिड ऊर्जा मॉडल की वैधता: तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन अधिनियम, 2024 ने हाइब्रिड लीज़ की अनुमति दी है, जिससे हाइड्रोकार्बन और नवीकरणीय ऊर्जा का सह-विकास संभव हो सका है।
  • खोजे गए छोटे क्षेत्र (DSF): सरलीकृत अनुबंध और न्यूनतम अनुपालन आवश्यकताओं के माध्यम से सीमांत क्षेत्रों को खोला जा रहा है, जिससे दक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ रही है।
  • वास्तविक समय दृश्यता: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पीएम गतिशक्ति योजना के तहत 1 लाख से अधिक परिसंपत्तियों और पाइपलाइनों का डिजिटल मानचित्रण किया है।
  • समन्वय: राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ एकीकरण से विभिन्न मंत्रालयों के बीच वास्तविक समय समन्वय और सहयोग सुनिश्चित हुआ है।
  • लागत में बचत: भारत-नेपाल पाइपलाइन और समृद्धि यूटिलिटी कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं ने मार्ग अनुकूलन के माध्यम से ₹169 करोड़ की बचत हासिल की है।
  • एलपीजी की उपलब्धता: वैश्विक स्तर पर एलपीजी की कीमतों में 58% की वृद्धि के बावजूद, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के लाभार्थियों को केवल ₹553 प्रति सिलेंडर का भुगतान करना पड़ता है। यह लक्षित सब्सिडी और तेल कंपनियों को मुआवजे के माध्यम से संभव हुआ है।
  • कीमतों में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा: उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण भारत में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, जिससे जनता को उन कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाया गया है, जो पड़ोसी देशों में देखने को मिलते हैं

निष्कर्ष

वर्तमान में भारत का ऊर्जा परिदृश्य चिंता से बदलकर आत्मविश्वास और रणनीतिक दूर-दृष्टि की ओर बढ़ चुका है। आज भारत में ऊर्जा केवल एक वस्तु नहीं रह गई है, यह संप्रभुता, सुरक्षा और सतत विकास का प्रेरक तत्त्व बन चुकी है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना इसके ऊर्जा क्षेत्र में हुए परिवर्तन से गहराई से जुड़ा हुआ है। परीक्षण कीजिए, कि पिछले एक दशक में ऊर्जा क्षेत्र में किए गए संरचनात्मक सुधारों और नवाचारों ने भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास को किस प्रकार समर्थन प्रदान किया है।

(10 अंक, 150 शब्द)

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