100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

गांधी जी के सिद्धांत और सीमापार आतंकवाद

Lokesh Pal June 05, 2025 03:19 99 0

संदर्भ

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने लंदन में कहा, ‘पाकिस्तान प्रायोजित सीमापार आतंकवाद के बीच गांधी जी का अहिंसा सिद्धांत वर्तमान में भी महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।’

गांधीवादी सिद्धांत

महात्मा गांधी के मूल सिद्धांत, जिन्हें गांधीवादी सिद्धांत भी कहा जाता है, सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता से संबंधित हैं।

  • ये सिद्धांत, सत्यनिष्ठा, चोरी न करना, अपरिग्रह और निर्भयता जैसे अन्य सिद्धांतों के साथ, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन प्राप्त करने के लिए उनके दर्शन और तरीकों का मार्गदर्शन करते हैं।

‘बदले की भावना विश्व को अंधा बना सकती है’ :- महात्मा गांधी

  • अहिंसा: गांधीवादी दर्शन का मूल, अहिंसा सभी प्रकार की हिंसा के विरुद्ध है – चाहे वह शारीरिक हो, मौखिक हो या मनोवैज्ञानिक।
    • अहिंसा को हथियारों से भी अधिक शक्तिशाली नैतिक बल के रूप में देखा जाता है।
  • सत्य: गांधी जी का मानना ​​था कि सत्य सर्वोच्च नैतिक गुण है, जो व्यक्तिगत ईमानदारी और सामाजिक न्याय के लिए मौलिक है।

‘मैं मानता हूँ कि जहाँ कायरता और हिंसा के बीच ही कोई विकल्प हो, वहाँ मैं हिंसा की सलाह दूँगा।’

  • आत्मनिर्भरता (स्वदेशी): आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता का समर्थन, स्थानीय उत्पादन और सामुदायिक सशक्तीकरण पर जोर देगा।
  • मैत्री और सद्भावना (सद्भाव): सद्भाव लोगों के बीच सद्भावना, सामंजस्य और आपसी सम्मान पर जोर देता है, सकारात्मक संबंधों और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है।
  • सर्वोदय (सार्वभौमिक उत्थान): सभी का कल्याण गांधी के दृष्टिकोण का केंद्र है। सर्वोदय का अर्थ है यह सुनिश्चित करना कि समाज का अंतिम व्यक्ति प्रगति से लाभान्वित हो।
  • नैतिक साहस और प्रतिरोध: नैतिक साहस विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ रहने की क्षमता है तथा  हिंसा का सहारा लिए बिना नैतिक मूल्यों और न्याय के प्रति निष्ठावान रहना है।
  • असहयोग (सत्याग्रह): गांधी का सत्याग्रह उत्पीड़न के शांतिपूर्ण प्रतिरोध के माध्यम से अन्यायपूर्ण प्रणालियों और शासनों के साथ असहयोग का समर्थन करता है।

गांधी और आतंकवाद

  • आतंकवाद को रोकने के लिए गांधी जी का दृष्टिकोण
    • मूल कारणों का सामना करना: गांधी का मानना ​​था कि केवल आतंकवाद के कृत्यों पर ध्यान केंद्रित करना मूल कारणों के स्थान लक्षणों को संबोधित करने के समान होगा।
    • हिंसा को रोकना: गांधी ने सुझाव दिया कि हिंसा को रोकने के प्रयास अहिंसक लेकिन सशक्त होने चाहिए, जो हिंसक कृत्यों को रोकने के लिए सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने पर केंद्रित हों।
    • शक्ति के रूप में अहिंसा: गांधी का मानना ​​था कि अहिंसा सबसे शक्तिशाली शक्ति है। प्रतिशोध और हिंसा केवल संघर्ष और पीड़ा को बढ़ाती है।
      • आतंकवाद को प्रायः हिंसा से बढ़ावा मिलता है, जो राष्ट्रों के बीच वैमनस्य और अविश्वास को बढ़ाता है। गांधी का अहिंसा का सिद्धांत इस गतिशीलता को चुनौती देता है।
    • आर्थिक लचीलापन: यह आतंकवाद के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिए स्थानीय सशक्तीकरण और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देता है।
    • समुदाय नेतृत्व वाली सुरक्षा: विदेशी सैन्य हस्तक्षेप के स्थान पर स्थानीय खुफिया नेटवर्क और समुदाय आधारित शांति निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
    • अंतरराष्ट्रीयता और शांति: गांधी का राष्ट्रीय सुरक्षा का दृष्टिकोण भारत तक ही सीमित नहीं था।
      • वह मानवता के वैश्विक अंतर्संबंध में विश्वास करते थे तथा आतंकवाद और अन्याय जैसे मुद्दों के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का समर्थन करते थे।
    • वैश्विक बंधुत्व: वैश्विक शांति और पारस्परिक सम्मान में गांधी जी का विश्वास वर्तमान विश्व में अत्यधिक प्रासंगिक है, जहाँ सीमापार आतंकवाद के मूल कारणों को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
  • गांधीवादी दर्शन में साधन बनाम साध्य
    • नैतिक संगति: गांधी का मानना ​​था कि किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले साधन लक्ष्य के अनुरूप होने चाहिए।
      • गांधी के लिए, आतंकवाद सहित किसी भी राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हिंसक साधनों का कोई औचित्य नहीं हो सकता।
    • साधन के रूप में सत्य और अहिंसा: गांधी का मानना ​​था कि सत्य और अहिंसा किसी भी आंदोलन के मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए, हिंसा इसमें शामिल लोगों को केवल भ्रष्ट करती है, चाहे उनका कारण कुछ भी हो।
      • गांधी का मानना ​​था कि सत्य आतंकवाद और उसके प्रायोजकों को प्रदर्शित करता है। आतंकवादियों और राज्यों को जवाबदेह ठहराने में पारदर्शिता महत्त्वपूर्ण है।

आधुनिक युद्ध के संदर्भ में गांधी जी का नैतिक ढाँचा

  • पारंपरिक युद्ध का विकल्प: गांधी की नैतिकता युद्ध के पारंपरिक तरीकों के विकल्प सुझाती है, जिसमें कूटनीतिक जुड़ाव, सॉफ्ट पॉवर और तनाव बढ़ाने के बजाय शांति की संस्कृति को बढ़ावा देना शामिल है।
    • सीमापार आतंकवाद के संदर्भ में, अहिंसक दृष्टिकोण में अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन को संबोधित करना, सार्वभौमिक मानवाधिकारों का समर्थन करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।
  • रणनीतिक अहिंसा: सविनय अवज्ञा और असहयोग के प्रति गांधी का दृष्टिकोण एक अहिंसक प्रतिरोध रणनीति थी।
    • सीमापार आतंकवाद के मामले में, देश हिंसा का सहारा लेने के स्थान पर आर्थिक प्रतिबंधों, अंतरराष्ट्रीय अलगाव और कूटनीतिक दबाव के माध्यम से हानिकारक कार्यों के प्रति अहिंसक प्रतिरोध में संलग्न हो सकते हैं।

गांधी जी और भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति

  • ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम (2025) में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने निर्णायक जवाबी कार्रवाई की रणनीति अपनाई, साथ ही तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए संयम बरता, जो रणनीतिक धैर्य और नैतिक संयम पर गांधी के प्रभाव को दर्शाता है।
  • पारदर्शिता: आतंकवाद विरोधी अभियानों में जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देता है, जिससे नागरिकों को कोई नुकसान न पहुँचे।
  • भारत की नीति है कि ‘आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते।
  • वैश्विक पहुँच और समर्थन: सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जैसी पहलों के माध्यम से, भारत ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के अपने प्रयासों में सत्य और अहिंसा पर जोर दिया है, जो कूटनीतिक प्रयासों में वैश्विक शांति तथा सत्य-कथन आधारित गांधी के विचारों को प्रतिध्वनित करता है।
  • विश्वास का निर्माण: राष्ट्रों, समुदायों और व्यक्तियों के बीच सहयोग तथा विश्वास-निर्माण को बढ़ावा देता है, जो आतंकवाद का मुकाबला करने एवं संघर्षों को हल करने में आवश्यक है।

  • ‘मेरी अहिंसा, खतरे से भागने की अनुमति नहीं देती।’
  • ‘मैं एक पूरी जाति को नष्ट करने का जोखिम उठाने की अपेक्षा हजार बार हिंसा का जोखिम उठाने को तैयार हूँ।’

आतंकवाद विरोध में गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाने में चुनौतियाँ

  • व्यावहारिक राजनीति बनाम अहिंसा: आधुनिक कूटनीति प्रायः राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य हस्तक्षेप पर केंद्रित होती है, जबकि गांधी के अहिंसा के दर्शन में नैतिक जुड़ाव की आवश्यकता होती है।
    • 9/11 के हमले के बाद अमेरिका द्वारा शुरू किया गया आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सैन्य कार्रवाइयों (जैसे- इराक युद्ध, अफगानिस्तान पर आक्रमण) पर अत्यधिक निर्भर था, जो गांधी जी के अहिंसा और संवाद के सिद्धांत के बिल्कुल विपरीत था।
  • तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता: आधुनिक आतंकवाद के लिए तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, जो प्रायः सैन्य होती है, जबकि गांधी का निवारक दृष्टिकोण मूल कारणों को संबोधित करने के लिए दीर्घकालिक समाधानों पर केंद्रित है।
  • राजनीतिक और धार्मिक उग्रवाद: उग्रवादी विचारधाराएँ धर्म या राजनीति के नाम पर हिंसा को उचित ठहराती हैं, जिससे गांधी का अहिंसक प्रतिरोध अप्रभावी हो जाता है।
    • ISIS या अलकायदा जैसे समूह धार्मिक उग्रवाद के माध्यम से हिंसा को उचित ठहराते हैं।
  • तकनीकी युद्ध: साइबर हमलों, ड्रोन युद्ध और परमाणु हथियारों में तकनीकी प्रगति ने गांधी के अहिंसक दृष्टिकोण को जटिल बना दिया है, क्योंकि ये उपकरण हिंसा को संभव बनाते हैं।
    • ड्रोन हमलों से संघर्ष क्षेत्रों में हजारों नागरिक मारे गए हैं, मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तथा गांधी जी के अहिंसक संघर्ष समाधान के दृष्टिकोण को कमजोर किया गया है।
  • सूचना युद्ध: डिजिटल युग ने गलत सूचनाओं के विशाल प्रवाह के बीच सत्य को पहचानना चुनौतीपूर्ण बना दिया है और जबकि सत्य एक शक्तिशाली हथियार है, डीप फेक, राज्य प्रायोजित प्रचार तथा झूठ फैलाने वाले वातावरण से निपटना मुश्किल हो सकता है।
  • वैश्विक शक्ति संरचनाएँ और स्व-हित: वैश्विक शक्ति संरचनाएँ सहयोग और मानव कल्याण पर स्व-हित और सैन्य प्रभुत्व को प्राथमिकता देती हैं, जिसकी कल्पना गांधी ने वैश्विक कूटनीति में की थी।
    • वर्ष 2003 में इराक पर अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण को मानवीय चिंताओं या शांति और कूटनीति के गांधीवादी आदर्शों के स्थान पर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं तथा भू-राजनीतिक हितों के आधार पर उचित ठहराया गया था।

आगे की राह

आतंकवाद-विरोध में गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाना

  • दीर्घकालिक निवारक उपायों पर जोर देना: गरीबी और सामाजिक असमानता जैसे मूल कारणों पर ध्यान केंद्रित करना, न कि केवल सैन्य कार्रवाइयों पर।
    • संवेदनशील क्षेत्रों में शैक्षिक कार्यक्रम और आर्थिक विकास आतंकवाद की अपील को कम कर सकते हैं।
  • वैश्विक सहयोग और संवाद को बढ़ावा देना: सैन्य हस्तक्षेपों से ध्यान हटाकर संवाद और शांति निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
    • राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय विवादों को संबोधित करने की प्राथमिक विधि के रूप में अहिंसक कूटनीति पर जोर देना चाहिए।
  • मानव सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना: मानवाधिकारों, स्वास्थ्य और शिक्षा को संबोधित करके मानव सुरक्षा को प्राथमिकता देना।
    • आतंकवाद विरोधी कार्यक्रमों को केवल रक्षा पर नहीं बल्कि मानव विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • निरस्त्रीकरण और अहिंसक कूटनीति को बढ़ावा देना: सैन्य बल के स्थान पर निरस्त्रीकरण और अहिंसक कूटनीति का समर्थन करना।
    • संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण प्रयास गांधी के परमाणु मुक्त विश्व के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
  • शिक्षा के माध्यम से वैचारिक कट्टरपंथ को संबोधित करना: कट्टरपंथ को रोकने और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।
    • शांति शिक्षा और अंतर-धार्मिक संवाद चरमपंथी विचारधाराओं का मुकाबला करने में सहायता करते हैं।
  • सुरक्षा रणनीतियों में अहिंसक प्रतिरोध को एकीकृत करना: ऐसी स्थितियों में जहाँ आतंकवाद में राज्य प्रायोजित हिंसा या दमनकारी शासन शामिल होते हैं, अहिंसक प्रतिरोध एक शक्तिशाली रणनीति हो सकती है।
    • गांधीवादी तरीकों के रूप में सविनय अवज्ञा और असहयोग आंदोलनों को प्रोत्साहित करना हिंसा का सहारा लिए बिना नागरिकों को संगठित कर सकता है।
  • सहिष्णुता और समझ की संस्कृति का निर्माण: विभिन्न समुदायों के मध्य सामाजिक सामंजस्य, सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देना।
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम और धार्मिक समूहों के बीच संवाद, तनाव को कम करते हैं।

निष्कर्ष

गांधी के अहिंसा, सत्य और सद्भावना के सिद्धांत सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक नैतिक दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं, जो निर्णायक कार्रवाई को प्रणालीगत सुधारों के साथ संतुलित करते हैं। इन आदर्शों को भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति में एकीकृत करके, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर और NFU में देखा गया है, भारत वैश्विक शांति को बढ़ावा देते हुए आतंकवाद से मुक्त हो सकता है।

  • गांधी जी का दर्शन संघर्षों को सुलझाने, न्याय प्रदान करने तथा राष्ट्रों एवं समुदायों के मध्य विश्वास का पुनर्निर्माण करने का मार्ग प्रदान करता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.