भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) ने इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में विश्व प्रत्यायन दिवस 2025 का आयोजन किया।
संबंधित तथ्य
NABL पोर्टल का शुभारंभ: विशेष रूप से प्रयोगशालाओं एवं MSMEs के लिए प्रत्यायन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रस्तुत किया गया।
गुणवत्ता समर्पण पहल
यह संगठनों को मान्यता प्राप्त गुणवत्ता मानकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे उद्योगों में उत्कृष्टता और गुणवत्ता की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
विश्व प्रत्यायन दिवस 2025 के बारे में
यह अंतरराष्ट्रीय प्रत्यायन मंच (IAF) एवं अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन सहयोग (ILAC) द्वारा प्रारंभ की गई वैश्विक स्तर की पहल है।
पृष्ठभूमि: पहली बार वर्ष 2008 में मनाया गया, जिसका उद्देश्य मान्यता प्राप्त निकायों से परीक्षण, निरीक्षण एवं प्रमाणन परिणामों की वैश्विक मान्यता को बढ़ावा देना है।
वर्ष 2025 की थीम: “प्रत्यायन: लघु एवं मध्यम उद्यमों ( SMEs) को सशक्त बनाना।
यह आयोजन इस बात पर केंद्रित है कि कैसे प्रत्यायन MSMEs को प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, प्रमाणन, परीक्षण, निरीक्षण एवं सत्यापन सेवाओं के माध्यम से विश्वसनीयता बनाने में मदद करता है।
उद्देश्य: विभिन्न उद्योगों में गुणवत्ता, सुरक्षा एवं विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में प्रत्यायन के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
प्रत्यायन एक आधिकारिक स्वीकृति है कि एक संगठन सक्षम है एवं सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करता है।
यह गुणवत्ता की पुष्टि करके क्षेत्रों एवं सीमाओं में विश्वास एवं विश्वसनीयता का निर्माण करता है।
भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India- QCI)
यह भारत में विभिन्न क्षेत्रों में गुणवत्ता मानकों को बढ़ावा देने के लिए एक स्वायत्त निकाय है।
स्थापना: वर्ष 1997 में एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में स्थापित।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
भारत का पहला ई-वेस्ट इको पार्क
भारत का पहला ‘ई-वेस्ट इको पार्क’ दिल्ली के होलंबी कलां में स्थापित किया जाएगा।
ई-वेस्ट सुविधा के बारे में
ई-वेस्ट इको पार्क एक अत्याधुनिक सुविधा होगी जो प्रत्येक वर्ष 51,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट को प्रोसेस करने में सक्षम होगी।
यह पार्क ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2022 में उल्लिखित ई-वेस्ट की सभी 106 श्रेणियों को शामिल करेगा।
कार्यान्वयन एजेंसी:दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (DSIIDC)।
मॉडल: इसे ‘पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप’ (PPP) ढाँचे के तहत डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट, ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल का उपयोग करके विकसित किया जाएगा।
महत्त्व:
यह पार्क दिल्ली के लगभग 25 प्रतिशत ई-वेस्ट का प्रबंधन करेगा। (दिल्ली भारत के कुल ई-वेस्ट में लगभग 9.5 प्रतिशत का योगदान देता है)।
हरित राजस्व: यह पार्क रीसाइक्लिंग, रिकवरी एवं जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा।
अपशिष्ट क्षेत्र को औपचारिक रूप देना: पार्क हरित रोजगार सृजित करेगा एवं स्थानीय विघटनकर्ताओं, पुनर्चक्रणकर्ताओं तथा नवीनीकरणकर्ताओं को सशक्त बनाएगा।
पुनर्प्राप्ति: वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन तांबा, लिथियम एवं दुर्लभ मृदा धातुओं जैसे मूल्यवान संसाधनों की पुनर्प्राप्ति को सक्षम करेगा।
इको पार्क के बारे में
इको पार्क एक हरित स्थान है, चाहे वह शहरी हो या प्राकृतिक, जिसे स्थिरता एवं जिम्मेदार पर्यटन को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, जिसमें प्रायः पर्यावरण शिक्षा, सामुदायिक संपर्क एवं मनोरंजक क्षेत्र शामिल होते हैं।
वजन घटाने वाली दवाओं की वास्तविकता में प्रभावशीलता
‘ओबेसिटी’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि सेमाग्लूटाइड (ओजेम्पिक/वेगोवी के रूप में विपणन किया गया) एवं टिरजेपेटाइड (मौनजारो/जेपबाउंड के रूप में विपणन किया गया) ने नैदानिक परीक्षणों की तुलना में वास्तविकता में वजन कम किया है।
ये दवाएँ टाइप-2 मधुमेह एवं क्रोनिक भार प्रबंधन के लिए FDA द्वारा अनुमोदित हैं तथा अब भारत में उपलब्ध हैं।
वजन घटाने वाली दवाओं के बारे में
वजन घटाने वाली दवाएँ औषधीय एजेंट हैं जिनका उपयोग भूख को कम करके, तृप्ति बढ़ाकर, गैस्ट्रिक गति को धीमा करके या चयापचय को संशोधित करके मोटापे के प्रबंधन में सहायता के लिए किया जाता है। उदाहरण: ओजेम्पिक, मुंजारो आदि।
नैदानिक अध्ययनों से पता चलता है कि मोटे या अधिक वजन वाले व्यक्तियों में शरीर के वजन में 18% तक की कमी होती है।
‘ओबेसिटी’ में प्रकाशित अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
वास्तविक दुनिया में कम प्रभावशीलता का कारण: कई रोगी लागत, दुष्प्रभावों या चिकित्सा अनुवर्ती की कमी के कारण उपचार को जल्दी (3 महीने के भीतर) बंद कर देते हैं या कम खुराक लेते हैं।
इन दवाओं की कीमत लगभग 15,000 रुपये प्रति माह होने की संभावना है। लंबे समय तक प्रयोग से संसाधनों पर बोझ पड़ेगा।
केवल प्रयोग के समय ही प्रभावी: स्टैटिन, BP या मधुमेह की दवाओं की तरह ही दवाएँ केवल लेते समय ही प्रभावी होती हैं।
अधिक वजन घटने (≥10%) के कारक: निरंतर उपचार (या 3-12 महीने की देरी से बंद करना), उच्च रखरखाव खुराक, सेमाग्लूटाइड की तुलना में टिर्जेपेटाइड का उपयोग।
NTPC ने ऊर्जा परिवर्तन रोडमैप के लिए SEforALL के साथ समझौता किया
NTPC लिमिटेड ने एक व्यापक ऊर्जा संक्रमण रोडमैप विकसित करने के लिए सस्टेनेबल एनर्जी फॉर ऑल (SEforALL) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
सस्टेनेबल एनर्जी फॉर ऑल (SEforALL) के बारे में
सस्टेनेबल एनर्जी फॉर ऑल एक स्वतंत्र संगठन है, जिसे संयुक्त राष्ट्र परियोजना सेवा कार्यालय (UNOPS ) द्वारा संचालित किया जाता है, जिसका वैश्विक अधिदेश उभरते एवं विकासशील देशों में ऊर्जा संक्रमण पर प्रगति में तेजी लाना है।
सतत् विकास लक्ष्य 7 की प्राप्ति के लिए, जो वर्ष 2030 तक सतत ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुँच का आह्वान करता है।
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) के बारे में:NTPC एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है जो पूरे भारत में विद्युत का उत्पादन एवं वितरण करता है।
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC)
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) ने अपनी 29वीं बैठक में वित्तीय क्षेत्र-विशिष्ट साइबर सुरक्षा रणनीति के माध्यम से भारतीय वित्तीय क्षेत्र के साइबर लचीलापन ढाँचे को बढ़ाने के विभिन्न तरीकों की जाँच की।
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) के बारे में
स्थापना: FSDC का गठन वर्ष 2010 में भारत सरकार की अधिसूचना के माध्यम से किया गया था।
प्रस्तावित: वित्तीय क्षेत्र सुधारों पर रघुराम राजन समिति (2008) ने पहली बार FSDC के निर्माण का प्रस्ताव रखा था।
नोडल मंत्रालय: केंद्रीय वित्त मंत्रालय।
अध्यक्ष: परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं।
सदस्य: इसके सदस्यों में शामिल हैं,
RBI गवर्नर, वित्त सचिव या सचिव, आर्थिक मामलों का विभाग, सचिव, वित्तीय सेवा विभाग, मुख्य आर्थिक सलाहकार, सेबी अध्यक्ष, IRDA अध्यक्ष एवं PFRDA अध्यक्ष।
एजेंडा: परिषद निम्नलिखित से संबंधित मुद्दों का प्रबंधन करती है,
वित्तीय स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र का विकास, अंतर-नियामक समन्वय, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय समावेशन।
FSDC उप-समिति के बारे में
अध्यक्ष: इसे RBI गवर्नर की अध्यक्षता में स्थापित किया गया है।
उप-समिति के लिए सचिवालय: RBI की वित्तीय स्थिरता इकाई (FSU)।
सदस्य: FSDC के सभी सदस्य उप-समिति के सदस्य भी हैं,
साथ ही, RBI के सभी चार उप-गवर्नर एवं FSDC के प्रभारी अतिरिक्त सचिव, DEA भी उप-समिति के सदस्य हैं।
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