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AI और बायोमैन्युफैक्चरिंग

Lokesh Pal June 17, 2025 03:11 10 0

संदर्भ

BioE3 और इंडियाAI मिशन जैसी महत्त्वाकांक्षी नीतियों के साथ, भारत AI-संचालित बायोमैन्युफैक्चरिंग में वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता बनने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है।

बायोमैन्युफैक्चरिंग (Biomanufacturing)

  • बायोमैन्युफैक्चरिंग वह प्रक्रिया है जिसमें व्यावसायिक रूप से मूल्यवान बायोमटेरियल, रसायन, औषधियाँ और अन्य उत्पादों के उत्पादन के लिए जैविक प्रणालियों या जीवों का उपयोग किया जाता है।
  • यह सतत् एवं कुशल उत्पादन विधियों के निर्माण हेतु जैव प्रौद्योगिकी, सिंथेटिक जीव विज्ञान, जैव इंजीनियरिंग और औद्योगिक विनिर्माण के सिद्धांतों को जोड़ती है।

बायोमैन्युफैक्चरिंग के प्रमुख पहलू

  • प्रयुक्त जैविक प्रणालियाँ
    • सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, खमीर, शैवाल)
    • स्तनधारी या कीट कोशिका संवर्द्धन (जटिल प्रोटीन के लिए)
    • एंजाइम (जैव उत्प्रेरक के रूप में)
    • पादप आधारित प्रणालियाँ (मॉलिक्यूलर फार्मिंग)
  • अनुप्रयोग
    • फार्मास्यूटिकल्स: इंसुलिन, टीके, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, जीन थेरेपी।
    • औद्योगिक रसायन: जैव ईंधन (इथेनॉल, बायोडीजल), बायोप्लास्टिक, एंजाइम।
    • खाद्य और कृषि: प्रयोगशाला में तैयार किया गया मांस, किण्वित खाद्य पदार्थ, वैकल्पिक प्रोटीन।
    • सामग्री: बायोफैब्रिकेटेड टेक्सटाइल, बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर।
    • पर्यावरण उपचार: प्रदूषकों का जैव उपचार।
  • तकनीक और प्रक्रियाएँ
    • किण्वन: सूक्ष्मजीवों की बड़े पैमाने पर कृषि (जैसे- एंटीबायोटिक या जैव ईंधन के लिए)।
    • कोशिका संवर्धन: जैविक पदार्थों के लिए स्तनधारी कोशिकाओं को विकसित करना (जैसे- मोनोक्लोनल एंटीबॉडी)।
    • CRISPR और सिंथेटिक जीवविज्ञान: अनुकूलित उत्पादन के लिए आनुवंशिक रूप से जीवों की इंजीनियरिंग।
    • डाउनस्ट्रीम प्रसंस्करण: जैव उत्पादों का शुद्धिकरण एवं निर्माण।
  • पारंपरिक विनिर्माण की तुलना में लाभ
    • वहनीयता: कम कार्बन फुटप्रिंट, नवीकरणीय फीडस्टॉक्स।
    • परिशुद्धता: दवा उत्पादन में उच्च विशिष्टता (व्यक्तिगत चिकित्सा (Personalized Medicine) जैसे अनुप्रयोगों में उपयोगी होती है।)
    • लागत-प्रभावशीलता: रासायनिक संश्लेषण की तुलना में कम ऊर्जा की आवश्यकता है।

भारत की बायोमैन्युफैक्चरिंग क्षमता 

  • भारत को ‘फार्मेसी ऑफ वर्ल्ड’ के रूप में जाना जाता है, जो सस्ती जेनेरिक दवाओं के उत्पादन के लिए जाना जाता है। 
  • स्थापित फार्मा और वैक्सीन निर्माण: भारत वैश्विक टीकों की 60% आपूर्ति करता है (उदाहरण के लिए सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन)।
    • यह जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है (वैश्विक निर्यात का 20%, $50B+ उद्योग)।
  • बायोटेक इकोसिस्टम
    • शीर्ष बायोटेक फर्म: बायोकॉन (बायोसिमिलर), सीरम इंस्टीट्यूट (टीके), भारत बायोटेक (नवोन्मेषी टीके)।
    • सिंबायो और AI में नवाचार करने वाले स्टार्टअप: बगवर्क्स (AI-संचालित एंटीबायोटिक खोज), C6 एनर्जी (शैवाल-आधारित जैव ईंधन), पैंडोरम टेक्नोलॉजीज (प्रयोगशाला में विकसित अंगों के लिए 3D बायोप्रिंटिंग)।

सरकारी सहायता एवं नीतिगत प्रोत्साहन

  • BioE3 नीति (2024): बायोफाउंड्री, AI-संचालित बायोमैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
  • इंडियाAI मिशन: बायोटेक अनुप्रयोगों के लिए नैतिक AI पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • बायोफार्मा के लिए PLI योजना: बायोलॉजिक्स और टीकों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करती है।

BioE3 नीति

  • पूर्ण नाम: अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी (BioE3) नीति।
  • लॉन्च: अगस्त 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लॉन्च किया गया।
  • लक्ष्य: भारत को उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण और सतत् जैव अर्थव्यवस्था में वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता के रूप में बदलना, वर्ष 2030 तक 300 बिलियन डॉलर की जैव अर्थव्यवस्था (वर्ष 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक) का लक्ष्य रखना।
  • भारत के नेट जीरो 2070 लक्ष्य, सर्कुलर बायोइकोनॉमी और ग्रीन ग्रोथ पहल का समर्थन करता है।
  • केंद्रीय क्षेत्र (6 विषयगत क्षेत्र)
    • जैव-आधारित रसायन और एंजाइम: पेट्रोकेमिकल्स के लिए सतत् विकल्प।
    • स्मार्ट प्रोटीन और कार्यात्मक खाद्य पदार्थ: पौधे-आधारित माँस, किण्वित प्रोटीन।
    • प्रिसिजन बायोथेरेप्यूटिक्स: जीन थेरेपी, mRNA टीके, व्यक्तिगत दवा।
    • जलवायु अनुकूल कृषि: सूखा प्रतिरोधी फसलें, मृदा माइक्रोबायोम अनुसंधान।
    • कार्बन कैप्चर और उपयोग: CO₂ का औद्योगिक सामग्रियों में माइक्रोबियल रूपांतरण।
    • समुद्री और अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी: अंतरिक्ष मिशनों, समुद्री जैव-संसाधनों के लिए सतत् खाद्य।
  • BioE3 के प्रमुख घटक
    • बायो-AI हब: दवा खोज, कृषि और बायोप्रोसेस अनुकूलन के लिए बायोटेक के साथ AI को एकीकृत करना।
    • बायोफाउंड्रीज और बायोमैन्युफैक्चरिंग हब: लैब नवाचारों को वाणिज्यिक उत्पादन तक बढ़ाने के लिए बुनियादी ढाँचा
    • नियामक सुधार: GMOs, बायोथेरेप्यूटिक्स और सिंथेटिक बायोलॉजी के लिए अनुमोदन को सुव्यवस्थित करना।
    • कौशल विकास: सिंथेटिक बायोलॉजी, बायोइन्फॉर्मेटिक्स और बायोप्रोसेसिंग में प्रशिक्षण कार्यक्रम।  

AI किस तरह बायोमैन्युफैक्चरिंग को नया रूप दे रहा है

  • स्मार्ट बायोरिएक्टर: ‘AI बैच’ विफलताओं को रोकने के लिए वास्तविक समय में स्थितियों को समायोजित करता है।
  • डिजिटल ट्विन: किसी विनिर्माण संयंत्र का एक आभासी प्रतिरूप, जो वास्तविक संयंत्र की कार्यप्रणाली का सटीक सिमुलेशन कर दक्षता, निगरानी और सुधार को सक्षम बनाता है।
  • लागत और अपशिष्ट में कमी: AI-संचालित प्रक्रियाएँ उत्पादन घाटे में कमीकरती हैं।

बायोमैन्युफैक्चरिंग में AI की प्रमुख चुनौतियाँ एवं जोखिम

  • डेटा से संबंधित चुनौतियाँ: अधूरे, शोर युक्त या पक्षपाती डेटा पर प्रशिक्षित AI मॉडल अविश्वसनीय परिणाम प्रदान करते हैं।
  • विविध डेटा की कमी: केवल पश्चिमी बायोरिएक्टर डेटा पर आधारित मॉडल भारतीय विनिर्माण स्थितियों (जैसे- आर्द्रता, बिजली में उतार-चढ़ाव) में विफल हो सकते हैं।
  • साइबर सुरक्षा संबंधी खतरे: हैकर्स AI-नियंत्रित बायोरिएक्टर में विकृति उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे बैच विफलताएँ या असुरक्षित उत्पाद हो सकते हैं।
  • लीगेसी सिस्टम के साथ एकीकरण
    • संगतता संबंधी मुद्दे: पुराने बायोरिएक्टर में AI स्वचालन के लिए आवश्यक IoT सेंसर की कमी हो सकती है।
    • उच्च कार्यान्वयन लागत: AI-तैयार तकनीक के साथ सुविधाओं को फिर से तैयार करना महंगा है।
  • स्पष्ट AI शासन का अभाव: विभिन्न देशों (अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत) में AI-बायोटेक विनियमन परस्पर विरोधी हैं।
  • नैतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
    • दोषपूर्ण अनुकूलन एल्गोरिदम उत्पाद की गुणवत्ता को ख़राब कर सकता है या संदूषण को बढ़ावा दे सकता है।
    • AI-संचालित जेनेटिक इंजीनियरिंग (जैसे- CRISPR) त्रुटिपूर्ण खतरनाक जीवों का निर्माण कर सकती है।

AI-संचालित बायोमैन्युफैक्चरिंग में भारत के लिए आगे की राह 

  • विनियामक ढाँचे को मजबूत करना: बायोप्रोडक्शन में AI की देखरेख के लिए एक समर्पित विनियामक निकाय (जैसे- “AI-बायोटेक अथॉरिटी”) बनाना।
    • दवा और GMP निर्माण में उपयोग किए जाने वाले AI मॉडल के लिए सत्यापन प्रोटोकॉल स्थापित करना।
  • AI-संचालित बायोलॉजिक्स के लिए फास्ट-ट्रैक स्वीकृति: बायोमैन्युफैक्चरिंग में AI के पायलट परीक्षण के लिए ‘सैंडबॉक्स’ दृष्टिकोण लागू करना।
  • बुनियादी ढाँचे और डेटा पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करना: AI-एकीकृत बायोरिएक्टर और प्रयोगशालाओं के साथ राष्ट्रीय बायोमैन्युफैक्चरिंग हब स्थापित करना।
    • IoT सेंसर, क्लाउड-आधारित AI एनालिटिक्स और डिजिटल ट्विन के साथ पूर्ववर्ती सुविधाओं को अपग्रेड करना।
  • नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देना:
    • AI-बायोटेक के लिए PLI 2.0: बायोमैन्युफैक्चरिंग में AI का उपयोग करने वाले स्टार्टअप को सब्सिडी देना।
    • सिनबायो/AI क्रॉसओवर नवाचारों (जैसे- CRISPR + मशीन लर्निंग) का समर्थन करना।
  • उच्च-मूल्य वाले निर्यात बाजारों को लक्षित करना: बायोसिमिलर, mRNA वैक्सीन और प्रयोगशाला में विकसित प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित करना।
    • उत्पादन लागत को कम करने और वैश्विक बाजारों में चीन के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए AI का उपयोग करना।

निष्कर्ष

भारत में AI-संचालित बायोमैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी बनने की महत्त्वाकांक्षा और क्षमता है, लेकिन इसकी सफलता नियामक अंतराल को कम करने, डेटा विश्वसनीयता सुनिश्चित करने और पारदर्शिता एवं सुरक्षा उपायों के माध्यम से विश्वास को बढ़ावा देने पर निर्भर करती है।

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